बुधवार, 25 नवंबर 2009

शान्ति के दीप जलाओ बन्धु! - शरद आलोक

शान्ति के दीप जलाओ बन्धु! (मुंबई हमले के एक वर्ष पूरे होने पर)
-शरद आलोक
२६ नवम्बर को मुंबई में
हिंसा की खींच गयी लकीर।
आतंकियों नें नंगा नाच किया
होटलों में हाहाकार मचा।
अमानुषों की बर्बरता से
कितने निहत्थे, शांतिदूतों के हुए क़त्ल।
कितनी माताओं की गोद छिनी,
कितने ही हुए अनाथ यहाँ।

हिंसा से बर्बरता, पशुता
आतंकी का घिनौना चेहरा
मंडराया था मुंबई में।

गांधी के देश में,
हिंसा का तांडव बंद करो
अपनी माता के दूध के खातिर
आतंकी हमला ख़त्म करो।

शान्ति की मशाल लिए कवि फिरता
द्वार-द्वार पर देता दस्तक
जिनके घरों में न जले हों चूल्हे,
उनको दो रोटी और प्रेम
घायल, पीड़ित हों जहाँ -जहाँ
उन्हें लगाओ मरहम बन्धु!
अपने कदम बढाओ बन्धु!
शान्ति के दीप जलाओ बन्धु!
ओस्लो, २५ नवम्बर २००९

शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

मेरी पहली पंजाबी कविता 'की करिए' -शरद आलोक



मेरी पहली पंजाबी कविता कैसे लिखी गयी- शरद आलोक

मी एक मित्र पंजाबी के अच्छे लेखक हैं। वह भी यहाँ रहते हैं, राय भट्टी जी। कभी अन्य अवसर पर उनका जिक्र होगा। यदि उनकी अच्छी सलाह न मिलती तो कविता अभी न लिखी जाती। आप भी आनन्द लीजिये कविता का।


सोमवार, 16 नवंबर 2009

नार्वे में मनाया गया पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन

नेहरू का जन्म दिन गीत संगीत के संग -शरद आलोक


राय भट्टी कविता नें नेहरू जी को शान्ति का दूत बताया और पंजाबी में कवितापाठ किया



१४ जनवरी को ओस्लो में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्मदिन लेखक गोष्ठी में मनाया गया। कार्यक्रम में स्थानीय सर्वोच्च नेता थूरसताइन विन्गेर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और सञ्चालन किया शरद आलोक ने। अनुराग सैम ने सत्स्वर भजन गाये जिन्हें बहुत पसंद किया गया।
कवितायें पढ़ीं: राजकुमार भट्टी, राय भट्टी, इंदरजीत पाल, इंगेर मारिये लिल्लेएन्गेन , नीलम, मंजीत कौर और शरद आलोक ने पढ़ीं। नेहरू जी के जीवन और राजनैतिक कार्यों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में बहुत संख्या में बच्चों ने भाग लिया।

शनिवार, 14 नवंबर 2009

Forfatterkafe' på Veitvet. Vi feirer Jawahar Lal Nehrus fødselsdag

ओस्लो में आज जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन मनाया जाएगा

लेखक गोष्ठी में शाम चार बजे Kl. 16:00.
Forfatterkafe' på Veitvet
den 14. november 2009
Kl. 16:००
Med dikt, foredrag og musikk
på Stikk Innom, Veitvetsenter, Veitvetveien 8 i Oslo
Velkommen
Det er gratis

रविवार, 8 नवंबर 2009

हबीब तनवीर नाटक की दुनिया में बेमिसाल रंगकर्मी-शरद आलोक

जीवन की आस्थाओं को आम आदमी तक पहुंचाने वाले हबीब तनवीर- शरद आलोक





सुप्रसिद्ध रंगकर्मी: नाटककार और कलाकार हबीब तनवीर के निधन से एक ऐसा स्थान रिक्त हुआ है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। रंगमंच से जुडना, आम आदमी और जन-जन तक अपने संदेश को पहुँचाना, स्वयं रंगमंच के लिए हर तरह का कार्य करना सिखाया है हबीब तनवीर जी ने। ८५ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वह ३ सप्ताह से बीमार थे।
एक सितम्बर १९२३ में रायपुर में हुआ और हबीब तनवीर ८ जून २००९ को हम सबसे विदा हो गए। आज पांच महीने बाद उनकी याद में कुछ शब्द लिखने पर मजबूर यह रंगकर्मी लेखक स्वयं जानता है कि इस मार्ग में कितनी रुकावटें हैं। पर कितना सुकून मिलता है जब एक कथा पर सोचते हुए उसे नाटक अथवा फ़िल्म के लिए पटकथा लिखने और उसे फिल्मांकन के बाद होता है। ऐसा लगता है कि यह केवल विचारों में नहीं हुआ, लेखन के समय केवल अनुभव नहीं हुआ बल्कि वह आने वाले समय में कुछ समय यादों में भी सुमार किया जाए।
मुझे इस अवसर पर अपने एक रंगकर्मी मित्र बशीर कि याद आ रही है जो ऐशबाग लखनऊ कि पुलिस चौकी के समीप रहते थे। उसके पहले वह ऐशबाग रामलीला मैदान के पीछे बसी झोपडी में रहते थे। वह नौटंकी में विदूषक की भूमिका निभाते थे। बशीर को मैंने अन्तिम बार लगभग १२ वर्ष पहले देखा था। उनकी आयु ६० वर्ष से ऊपर थी। काश कभी भविष्य में लखनऊ में कोई ऐसा लेखक और रंगकर्मी भवन बने और उसमें हर वर्ग के हर कोने से रंगकर्मी और लेखक आयें और एक दूसरे के समीप आयें और मिलकर दुखदर्द दूर करें।
हबीब तनवीर ने अनेक नाटकों कि रचना कि जिसमें 'लाहौर नहीं वेख्या, वो जन्म्या नहीं', 'आगरा बाजार' और 'चरणदास चोर ' जैसे कई प्रसिद्ध नाटक दिए।
उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में काम भी किया था। हाल ही में सुभाष घी कि बनी फ़िल्म 'ब्लैक एंड वाइत' काम किया था। उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

शनिवार, 7 नवंबर 2009

Indian road show in Oslo

India promote tourism through road show in Oslo



























Kumari Selja, ministaer of tourism in oslo

सोमवार, 2 नवंबर 2009

नेहरू जी का जन्मदिवस ओस्लो में मनाया जाएगा

Velkommen til Kulturkafe` for alle på Veitvet
भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस पर लेखक गोष्ठी १४ नवम्बर को शाम चार (१६:००) बजे


Kulturkafe' for alle ( Forfatterkafe') på Veitvet
med dikt, musikk, foredrag og diskusjon
lørdag den 14. november 2009 kl 16:00
Sted: Stikk Innom, på Veitvetsenter, Veitvetvn. 8, Oslo
Arrangør:
Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum
Pb 31 Veitvet, 0518 Oslo

रविवार, 1 नवंबर 2009

शरद आलोक के अभिनन्दन ग्रन्थ की चर्चा और सम्मानित किया ओस्लो के पञ्जाबी कवियों ने

प्रवासी साहित्यकार शरद आलोक का सम्मान पंजाबी कवियों द्वारा

बाएँ से मो रियाज गोन्दल, पञ्जाबी के प्रवासी कवि राय भट्टी, इंदरजीत पाल, सुखदेव सिद्धू, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' अशरद भट्ट और जान दित्ता दीवाना होटल प्लाजा में शरद आलोक के अभिनन्दन ग्रन्थ की चर्चा करते हुए.
शरद आलोक के अभिनन्दन ग्रन्थ पर चर्चा और सम्मान
ओस्लो के पञ्जाबी शायरों की तरफ़ से सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' पर छपे अभिनन्दन ग्रन्थ पर चर्चा हुई और कवि गोष्ठी संपन्न हुई। जिसमें राय भट्टी, इंदरजीत पाल, सुखदेव सिद्धू , मो रियाज गोन्दल, खालिद थथाल, जान दित्ता दीवाना, एडवोकेट अरशद बट्ट और सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपनी रचनाएं पढ़ी राय भट्टी ने अपने संस्मरण सुनते हुए कहा की यह ग्रन्थ प्रवासी साहित्य का अहम हिस्सा है और अनेक भाषाओँ में छपना अपने आप में बड़ी बात है। और इंदरजीत पाल ने कहा कि जो धन से दूर उसकी कीमत को नकार कर साहित्य रचना करना उसी तरह है जैसे शरद आलोक ने लिखा है 'नहीं लेंगे वह डालर जिससे मैला होता हो कालर।'

इंडो -नार्विजन सोसाईंटी की ५० वीं वर्षगाठ पर कार्यक्रम-शरद आलोक

इंडो नार्विजन सोसाइटी की ५० वीं वर्षगाँठ पर न भूलने वाली शाम - शरद आलोक


बाएँ से मनोज मिश्रा Manoj Misra , महामहिम बोन्बित ए राय बोन्बित Bonbit A Raiऔर Osmund Kalheim ओसमुन्द कालहाइम दीप जलाते हुए

संस्था के संस्थापक सदस्य हान्स याकूब उत्फेल्ट और स्वेर्रे गुलसेट ५० साल बाद भी भारत-नार्वे संबंधों को मजबूत की दिशा में विचार कर रहे हैं ।

हान्स याकूब उत्फेल्त ऐतिहासिक भाषण देते हुए


गणमान्य मेहमान
इंडो नार्विजन सोसाइटी की ५० वीं सालगिरह धूमधाम से ओस्लो के थीने मेइरी में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ हमारे राजदूत महामहिम बोन्दित राय और इमिग्रेशन विभाग के डायरेक्टर ने जला कर किया । अध्यक्ष मनोज मिश्रा, राज नरूला और डॉ नजमा जी ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया। बहुत से लोगों ने अपने भावपूर्ण और शिक्षाप्रद वक्तव्य दिए। महात्मा गाँधी जी को भी याद किया गया। इस अवसर पर अनेक भारतीय मूल के युवाओं को सम्मानित किया गया वे हैं लवलीन कौर, सम्पदा शर्मा , नवजोत कौर, हिमांशु गुलाटी, भारत शुक्ला, जयशंकर और रोहिणी सहजपाल, चिराग पटेल, और माला नवीन।
ओसमुंद कालहाइम, हान्स याकूब उत्फेल्ट, स्वेर्रे गुलसेट तथा महामहिम बोन्बित ए राय जी ने अपने प्रभावपूर्ण वक्तव्य दिए और शुभकामनाएं भेंट की।
कितने गर्व की बात है और प्रेरणा की भी की ५० वर्ष बाद भी स्वेर्रे गुलसेट Sverre Gulseth ने इंडो नर्विजन सोसाइटी द्वारा किए गए भारत से नार्वे का सहयोग बढाने की दिशा में महत्व को बहुत प्रभावपूर्ण ढंग से बनाये रखा।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम ने वातावरण रंगमय बना दिया। राजेश भटनागर ने थीने मेंइरी की तरफ़ से स्वागत किया।