गुरुवार, 29 अगस्त 2013

आज बहुत ख़ुशी का दिन है, जन्माष्टमी भी है  और इस पावन दिन पर मेरे बेटे अनुराग का विवाह ओस्लो में  हुआ 
आज बहुत ख़ुशी का दिन है. सूरज देवता भी प्रसन्न हैं और अपनी किरणें चहुओर फैला रहे हैं. ओस्लो में अगस्त का महीना, बुधवार तारीख २८ अगस्त २०१३। नार्वे में कुछ देरी से ही सही पर गर्मी ऋतु के सभी कद्रदान हैं। किसी का जन्मदिन तो किसी की शादी की सालगिरह होगी और किसी का नामकरण, विवाह और उपनयन संस्कार आदि होगा।
सभी खुश रहें, प्रसन्न रहें और शतायु हों यही दुआयें हैं हमारी।
हर लम्हे से खुशियाँ मांगें,
और दुआयें मांगे!
फूल में छिपी आस्था सबकी,
गुलदस्तों ने बांचे!
तुम्हें मुबारक, दिन तेरा हो,
मेरी हों बस रातें।
जहाँ रहें अपने-बेगाने,
हों खुशियों की बरसातें!!


एक और ख़ुशी में इजाफा, मेरे बड़े बेटे का विवाह संपन्न हुआ. 


चित्र में बायें  से  मेरेते  की माँ , मेरेते  नव विवाहित  बहू , नवविवाहित  बड़ा  पुत्र अनुराग  और  उसकी माँ  माया भारती  (माया शुक्ला)



 अनुराग की अनोखी  बातें 
मुझे स्मरण है पांच वर्ष तक मुंडन न होने की वजह से अनुपम के केश बढ़ गये  थे. बड़े बालों के कारण अनुराग में एक अलग आकर्षण था. 
वह कभी भारत में अपनी दादी श्रीमती किशोरी देवी और दादा (बाबा) श्री बृजमोहन लाल शुक्ल के साथ के साथ रहा और इसी कारण उसका सम्बन्ध सदा अपनी दादी से भी रहा और दादी की मृत्यु पर सम्मिलित हुआ और औरों की तरह अंतिम संस्कार में केश भी कटवाए थे जैसा कि परिवार की परंपरा है कि शोक में और मरने वाले को सम्मान देने के लिए केश कटाये जाते हैं. 
अब लोग आधुनिक हो गये हैं, सभी लोग केश नहीं कटवाते।  परंपरा और रीति रिवाज स्वयं अपनाने के लिए हम स्वतन्त्र हैं.  वहां अनुराग का महत्त्व पारिवारिक दायरे में बढ़ जाता है. अपनी दादी की तेहरवीं में संगीता और अनुराग उपस्थित भी हुए और दिल खोलकर खर्चकर संतुष्टि प्राप्त की।
विदेशों में नयी पीढ़ी को अपनी और पूर्वजों की संस्कृति के बारे में बताने के लिये  माता -पिता ही उपयुक्त और सही शिक्षक हैं. बेटे के श्रवण कुमार बनने की सम्भावना तब अधिक होती है जब पिता, माता स्वयं उदहारण बनें। 
एक और घटना उस समय की है जब अनुराग को पढ़ाने उसके अध्यापक आते थे या जब वह मोहल्ले में १२/४ में रहने वाली शुक्ला अध्यापिका के घर पढ़ने अनुराग जाता था, सुना है वह बहाने बनाने में बहुत निपुण था.
भोला और सभी के स्नेह का भाजन अनुराग अपनी दादी और बाबा का प्रिय था. बाबा की सबसे प्रिय उसकी बड़ी बहन संगीता और नीलू (मेरी बड़ी  भांजी) रहे हैं. जय प्रकाश मेरा बड़ा भतीजा है जो सदा अपने परिवार के साथ रहता था जहाँ अनुराग और संगीता भी रहे हैं.


 ओस्लो शतरंज चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक
जब अनुराग की चर्चा कर रहा हूँ तो यह भी बताता चलूं  अन्य बच्चों की तरह अनुराग भी माइकेल जैक्सन के संगीत पर बहुत अच्छा नृत्य कर लेता था और उसने मार्शल आर्ट भी सीखी तथा ओस्लो शतरंज चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपनी टीम के साथ लाया।  नार्वे में हर फ़ुटबाल खेलता और बरफ के खेल स्की कर लेता है. अनुराग को भी सकी करना और फ़ुटबाल बहुत पसंद है आजकल भी वह अपने पुराने मित्रों के साथ कभी-कभी फ़ुटबाल खेलता है. अनुराग सदा से टेक्नीकल रूचि का रहा है और वह कंप्यूटर हार्डवेयर में ही कार्य करता है.
 मैं चाहता था कि अनुराग सिनेमा से जुड़े
मैं पिता होने के नाते चाहता था कि अनुराग सिनेमा से जुड़े और फोटोग्राफर और एडिटर बने. इसी वजह से मैंने अनुराग को अपनी पहली नार्वेजीय फिल्म 'Reisen til Canada' कनाडा की सैर में फोटोग्राफर के रूप में उतारा और उसने फिल्म का संपादन का भार भी उठाया जिसे उसने भली भांति पालन भी किया। नार्वेजीय समाचारपत्रों ने फिल्म के साथ अनुराग की फोटोग्रागी की भी चर्चा की. अनुराग सिनेमा से तो नहीं जुड़ा पर कंप्यूटर से जुड़ गया जो आज की आवश्यकता है. यहाँ और भारत में उसने अपने भाइयों की कंप्यूटर से मदद की और आज मेरी भी अक्सर कोई समस्या होने पर मदद करता है.

 
बायें अनुराग का बनवाया चश्मा पहने दादी सन  1998 में 
नार्वे में दादी का चश्मा 
मैं और  अन्य अनेक प्रवासी लोग आँखों का चश्मा सस्ता और बेहतर होने के कारण भारत से बनवाते हैं.  नार्वे में बहुत धन लगता है नजर की ऐनक बनवाने में इसलिए अपने-अपने देश में (यानि भारत में ) बनवाते हैं पर अनुराग ने दादी का चश्मा नार्वे से बनवाया। उसका कहना था कि दादी के चश्में के लिए धन क्या बचाना। इससे मुझे प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' की याद आ गयी जिसमें हामिद अपनी दादी के लिए अपने खिलौने की जगह  चिमटा खरीदकर लाता है.
२८ अगस्त को जन्माष्टमी के दिन शादी 
हर माता-पिता, भाई-बहन चाहते हैं कि क्रमशः उसकी संतान उसका भाई विवाहित हो. तो यह सपना भी पूरा हुआ अनुराग के विवाह के बाद. कल जन्माष्टमी के शुभ दिन अनुराग और मेरेते वैवाहिक बंधन में बन्ध गए जो १२ वर्षों से साथ-साथ रह रहे थे.




थिंगहूस (कोर्ट) ओस्लो के बाहर   एक ग्रुप फोटो 









 थिंगहूस (कोर्ट) ओस्लो के अन्दर जज के साथ   एक ग्रुप फोटो





विवाह के बाद हम सभी उपस्थित लोगों ने साथ-साथ भोजन किया। मुझे अपने उन मित्रों की याद आयी जो संगीत के माहिर हैं और अनेक साजों के साथ गीत  और गजलें गाते हैं. 
मेरा मन भी चाहा कि कुछ गुनगुनाऊं, पर ऐसा नहीं कर सका. भावुक हो गया था. मेरा छोटे बेटे 
अर्जुन ने इस अवसर पर कुछ शुभकामनाओं के शब्द कहे जो हमेशा याद रहेंगे।     
शरद आलोक, ओस्लो, नार्वे     

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

३१ अगस्त को अमृता प्रीतम जी का जन्मदिन है


 अमृता जी की एक कविता है
 ए़क दर्द था
जो सिगरेट की तरह
मैने चुपचाप पिया
सिर्फ कुछ नज्में हैं
जो सिगरेट से मैने
राख की तरह झाड़ी हैं !!

- अमृता प्रीतम

अमृता जी, का जीवन कुछ हद तक खुली किताब की तरह रहा है. मैंने साथ -साथ सिगरेट पी है. साथ-साथ पीये भी हैं और खाया भी है. २८ साल पहले।  ( यह बात और है कि  अब सिगरेट आदि नहीं पीता।) ओस्लो की तीन महफ़िलों और दो मंचों पर  महान  साहित्यकारों के साथ रहे इनमें अमृता जी, आक्तावियो पाश (नोबेल पुरस्कार विजेता) और अहमद फराज थे.  मौका था  'प्रथम ओस्लो इंटरनेशन पोएट्री फेस्टिवल' का.  अक्सेल जेनसेन एक जिन्दा दिल इंसान और एक अच्छे लेखक थे. वे भारत से प्यार करते थे और उन्होंने भारतीय सुयोग्य महिला प्रतिभा जी से विवाह किया था.  पहले वे अपनी एक नाव में रहते थे. जिस नाव में रहते थे वह सागर किनारे आकेरब्रीगे, ओस्लो में थी. वह थे तो आर्किटेक्ट पर लेखक भी कम अच्छे नहीं थे 'एप' (Epp) पुस्तक से वे ख्याति प्राप्त कर चुके थे. हमारे राजदूत कमल नयन बक्शी जी और एक्सेल येनसेन  के साथ महफ़िलों में रहना कभी भुलाए भी नहीं भूलेगा।

मेरा जीवन कुछ ज्यादा ही खुली किताब की तरह रहता है. माया जी कहती हैं कि लोकलाज और समाज के लिए कुछ छिपाया भी करो.  आजकल जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह नार्वे आये हुए हैं. उनसे रोज मुलाकात हो जाती है. वे रोज इंटरनेट पर कलम चलाते  हैं हिन्दी में. मैंने  विचार किया  रोज कुछ न कुछ हिन्दी में मैं भी ब्लाग में लिखा करूँ। (ब्लाग लेखन तो काफी समय से करता हूँ पर  रोज नहीं लिखता).  ओस्लो के चालीस प्रतिशत भाग में जहाँ आकेर्स आवीस ग्रूरुददालेन का प्रसार है लोग मुझे जानने लगे हैं पर मैं हरगिज मशहूर आदमी नहीं हूँ. यह तो वही बतायेगा जो समाचारपत्र पढता है  या यहाँ आयोजित हमारी-तुम्हारी गोष्ठियों में  कभी आया हो.  ओस्लो के एक  समाचार पत्र के अनुसार लोग मेरी दो चीजों से परिचित हैं कविता या मेरी टोपी (हैट) से.   मैं एक सांस्कृतिक लेखक-मजदूर-पत्रकार हूँ. 
कुछ पंक्तियाँ मैंने भी अमृता की याद में लिखी हैं, उन्हें आपके साथ साझा कर रहा हूँ.

अमृता जी! तुम्हारे साथ पी हैं  सिगरेटें
ओस्लो की महफ़िलों में,
चुपचाप चश्में के मध्य देखती पैनी आँखें 
साथ थे अपने सिफारत खाने के बक्शी जी,
जिन्हें भुलाने से भी भूल न सकता कभी!
ओक्तावियो पाश (मेक्सिको के) ने मिलाया हाथ में ले जाम.
एक ही मंच से कविता पढ़ीं थीं तीन शामें!
अहमद फराज मंच पर भी पीते रहे। … ,
एक शाम थी बस तुमारे नाम!

२८ बरस बाद भी लग रहा है कल.
गुनगुनाने लगा अनबूझ गीत
आज दोहराने लगा हूँ 
वे पल!! 
 फिर गुनगुनाने लगा हूँ
कुछ शब्द आतुर हैं पाने को स्थान ,
आगे भी दिखने लगे जब अतीत 
समझ लेना रुक   रही है जिन्दगी,
बढ़ रही है एक पथ अनजान !
             शरद आलोक  ओस्लो, २७ -०८ -१३

शनिवार, 24 अगस्त 2013

नार्वे में राजनैतिक पार्टियों में आपसी कड़वापन कम है -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

फ्रोग्नेर ओस्लो में राजनैतिक संवाद -सभा
नार्वे में राजनैतिक पार्टियों में आपसी कड़वापन कम है  - शरद आलोक
रुसी-नार्वेजीय कल्चर सेंटर Norsk-Russisk kultursenter  की ओर से फ्रोग्नेर प्लस से थोड़ी दूर पर चर्च भवन में में चार राजनैतिक पार्टियों की एक पैनेल सम्वाद-सभा (डिबेट) २२ अगस्त की शाम को सम्पन्न हुयी।
इस राजनैतिक वाद-विवाद (डिबेटसभा) में अर्बाइदर (श्रमिक) पार्टी Ap की श्रीमती मारित नीबाक Marit Nybakk, होइरे पार्टी (H) के श्री मिकाएल थेचनेर Michael Tetzschner, एस वे  (SV) पार्टी की सुश्री रानवाईग क्विफ्ते अन्द्रेसेन Ranveig Kvifte Andresen और  फ्रेमस्क्रित्स पार्टी (प्रोग्रेसिव) (FrP) के क्रिस्तिआन थीब्रिंग येद्दे Christian Tybring-Gjedde सम्मिलित थे ।
 
बाएं खड़े राइसा  और हैट  पहने शरद आलोक और  बैठे हुये बायें से मारित नीबाक, मिकाएल थेचनेर, रानवाइग क्विफ्ते अन्द्रेसेन और क्रिस्तियान थीब्रिंग येद्दे  

रुसी-नार्वेजीय एशोसिएशन द्वारा आयोजित राजनैतिक बैठक का सञ्चालन कर रहे थे श्री मागनार सूरस्तोसलोयकेन Magnar Sorståsløkken ।   डिबेट में हिस्सा लेने वाले चारो राजनेताओं का फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया संस्था की अध्यक्ष राइसा खिरखोवा Raisa Cirkova ने।
इस डिबेट में मेरे साथ भारत से आये थे जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह जो भारत के प्रतिष्ठित पत्र देशबंधु के सम्मानित पत्रकार हैं।  जो लोग छत्तीसगढ़ से परचित होने वे 'देशबंधु' से भली भांति परिचित होंगे, हालांकि यह  समाचार पत्र अब दिल्ली में भी अपने पाँव पसार चुका है।
मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये जब मुझे नार्वे के राष्ट्रीय पार्लियामेंट में प्रवासी समस्यायों पर आयोजित पैनल डिबेट में मुख्यवक्ता होने का सौभाग्य मिला था l  तब मैं नार्वेजीय अर्बाइदर (श्रमिक) सत्ताधारी पार्टी के इंटरनेशनल फोरम की कार्यकरिणी का सदस्य और बिएर्के बीदेल का मंत्री था।  और इसमें मैं मारित नीबाक के नेतृत्व  में ही सम्मिलित हुआ था।   वर्तमान समय में मैं चुनाव के लिए चुनने वाले प्रतिनिधियों  की 'चयन समिति' में सदस्य हूँ। 
जैसे ही फ्रोग्नेर, ओस्लो में राजनैतिक संवाद -सभा में आया तो हमारी पुरानी राजनीतिज्ञ साथी मारित नीबाक से भेंट हुई, उन्होंने मुझे अपने गले लगाया l  श्रीमती मारित नीबाक नार्वेजीय पार्लियामेंट की उपाध्यक्ष (डिप्टी) स्पीकर और उत्तरीय देशों की उत्तरीय देशीय काउन्सिल (नोरदिक कौसिल) की अध्यक्ष हैं l
और श्री मिकाएल थेचनेर से मुलाक़ात हुई जो २८ वर्षों पहले ओस्लो नगर पार्लियामेंट के सर्वोच्च पद (बीरोद्स्लेदेर)  पर रह चुके थे और अब होइरे पार्टी के सांसद हैं l  हमारे और मिकाएल थेचनेर Michael Tetzschner, के राजनैतिक विचार बिलकुल अलग हैं फिर भी हम परिचित हैं l यहाँ नार्वे में मुझे मेरी राजनैतिक पार्टी ने दूसरी पार्टी के लोगों से मिलने के लिए मना नहीं किया l  अपनी पार्टी के प्रति वफादारी काफी है l



चित्र में बायें से श्री शेष नारायण सिंह, राइसा, शरद आलोक और एक आयोजक समिति की सदस्य ठीक डिबेट से पहले

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

ओस्लो में भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर कार्यक्रम

 स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें  ।। - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

धन्यवाद आप सभी को धन्यवाद जिन्होंने १५ अगस्त के कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और स्वतंत्रता दिवस साथ मनाया।  इसके पहले इतने लोग एक साथ उपस्थित नहीं हुए. यह प्रसन्नता की बात है.  
15 अगस्त 2013 पर ओस्लो में स्वतंत्रता दिवस समारोह सम्पन्न हुआ जिसका आयोजनवाइत वेत सेंटर ओस्लो में  भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum ने किया था. 


ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लिए कुछ चित्र प्रस्तुत हैं :












































भारतीय राजदूत के निवास पर प्रातः 09:00 बजे ध्वजारोहण समारोह 
और
शाम छ: Kl.  18:00 बजे Veitvetsenter, Oslo में सांस्कृतिक कार्यक्रम  
कविता, संगीत और नृत्य 
प्रवेश नि:शुल्क
भारत एक सेकुलर देश है. सभी  धर्म के लोगों का वहां सम्मान है. अनेकता में एकता का दूसरा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं मिलता।

ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

 ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
बृहस्पतिवार 15 अगस्त को शाम छ: बजे 
चिली कल्चर सेंटर, वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में 
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
  • पंद्रह अगस्त क्यों मनाया जाता है? 
  • भारत के राष्ट्रपति का सन्देश
  • भारत के राष्ट्रीयगान का सामूहिक गायन 
  • कवितायें ( हिन्दी, पंजाबी और नार्वेजीय में)
  •  नृत्य 
  • संगीत 
  • जलपान 
कार्यक्रम समय से आरम्भ होगा।   वाइतवेत आने के लिए आपको तेबाने (मैट्रो) के लिए चलाई जा रही बस से वाइतवेत  आना है. प्रवेश निशुल्क है.
यदि आप कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं तो आप ई-मेल से या फोन पर संपर्क कर सकते हैं.
E-mail: speil.nett@gmail.com
फोन: +47 - 90 07 03 18

Kulturfest på Veitvetsenter
  • Vi feirer Indias frigjøringsdag (nasjonaldag) 
  • torsdag den 15. august kl. 18:00
  • på Chilensk Kulturhus, Veitvetsenter, Oslo
med dikt, musikk og dans
Lett servering
Gratis inngang!

For mer informasjon skriv e-post eller ta kontakt på tlf. 90 07 03 18.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है.  हमारे बच्चों को अपने पर्वों की भी जानकारी हो और सभी साथ-साथ मिलकर मनायें।  नार्वे के साथ-साथ हम अपने मूल देश भारत और उसके मूल्यों पर गर्व करें।
आइये मिलकर भारत का स्वतंत्रता दिवस मनायें! 
Arrangør: 
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम
Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum
Postboks 31, Veitvet, 0518 Oslo

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा २०१२ के लिए पुरस्कार घोषित। पुरस्कृत लोगों को हार्दिक शुभकामनायें।-शरद आलोक

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा २०१२ के लिए पुरस्कार घोषित। पुरस्कृत लोगों को हार्दिक शुभकामनायें।-शरद आलोक
गोपाल दास नीरज, सोम ठाकुर, चौथी राम यादव, विनोद चन्द्र  पाण्डेय और अन्य बहुत से विद्वान पुरस्कृत होंगे।   
यूके के तेजेन्द्र शर्मा को प्रवासी भूषण पुरस्कार के लिए नामित। 
ये पुरस्कार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा १४ सितम्बर को दिये जायेंगे।  सभी पुरस्कृत किये जाने वाले मित्रों को शुभकामनायें।

आज ईद है. आपको ईद मुबारक। - sharad aalok - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आज ईद है. आपको ईद मुबारक।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
यहाँ ओस्लो में कई लोगों ने एक  दूसरे को ईद के अवसर पर शुभकामनायें दीं. मुझे स्मरण हो रहा है बचपन के दिन. मेरा घर लखनऊ में स्थित ऐशबाग ईदगाह के सबसे करीब था. ईद और बकरीद के अवसर पर मेरे पिताजी के परिचित -मित्र जो ऐशबाग ईदगाह नमाज पढ़ने आते थे वे अपनी साइकिल मेरे घर के सामने खड़ी कर जाते थे.
आज जो लोग कार और मोटर साइकिलों पर चलते हैं पहले उसी तरह लोगों के पास स्कूटर और साइकिल हुआ करती  थी.
इस तरह स्टैंड में साइकिल खड़ी करने से बाख जाते थे जिसमें कुछ समय भी लगता था.  और नमाज शुरू हो चुके होने पर समय की कमी में उसमे सम्मिलित होने का पुण्य। ऐशबाग ईदगाह से मुझे काफी लगाव था. सुबह -दोपहर पेड़ों पर चढ़कर गूलर और इमली तोड़ना और नीम के पेड़ पर चढ़कर मित्रों के साथ दातून तोड़ना. उस समय बहुत आनंद आता था. मौलवी साहेब को लकडियाँ बीनकर देते थे. अतः वे कुछ न कहते थे.


ऐशबाग ईदगाह की गुम्बदें और दीवारें जीर्ण शीर्ण हो गयीं थी. जब नेताजी मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे.
गुम्बदें नयी जैसी हो गयीं।   उसकी दीवारें बन गयीं और मस्जिद के चारो तरफ फुटपाथ पर पत्थर और ईंटें लग गयीं।
हालाँकि अभी भी पहले की तरह आरा-मशीनों के लिए लकड़ी के थोक खरीदारों का जमघट प्रातःकाल ईदगाह के नुक्कड़ पर लगता है.  ट्रकों से बड़े- बड़े लट्ठे सड़क पर गिराने से वहां सड़क अक्सर टूट जाती है.
लीजिये इसी बहाने मैंने ईदगाह के बारे में विस्तृत लिख दिया।
मेरे प्रिय लेखक लेखक मुंशी ने अपनी कहानियों में ईदगाह का जिक्र किया है और लिखा है कि सड़क के किनारे इमली के पेड़ थे. लखनऊ ईदगाह से  दो मार्ग एक जो लाल माधव चौराहा दूसरी ओर डी ए वी कालेज तक तब सड़क के दोनों ओर कुछ दूरी पर इमली के पेड़ लगे होते थे. हो न हो यही ईदगाह रही होगी जो प्रेमचंद की कहानियों में वर्णित है. 

पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में लखनऊ की यादें फिर ताजी हो गयीं।  लखनऊ के श्री एस एम आसिफ और उनकी पत्रकार बेटी लुबना मिले।  बिटिया लुबना फोटोग्राफी में भी माहिर हैं. एस एम आसिफ और उनकी पत्रकार बेटी लुबना 'इन दिनों' हिन्दी समाचार पत्र का संपादन और प्रकाशन लखनऊ और दिल्ली से करते हैं. तीन दिन तक हम मिलते रहे और बातचीत करते रहे.

रविवार, 4 अगस्त 2013

सावधान ब्रिटेन की महारानी कुछ भी कह और लिख सकती हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

सावधान? होशियार!  ब्रिटेन की महारानी कुछ भी कह और लिख सकती हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अभी कुछ दिनों पूर्व बी बी सी ने एक लेख छापा था जो वक्तव्य के रूप में  यदि दुनिया में विश्वयुद्ध होता तो सार्वजनिक करना था.
विश्वयुद्ध हुआ नहीं और ब्रिटेन और राज परिवार द्वारा उठाये कुछ क़दमों अथवा  स्थिति का वर्णन किया गया है.  क्या यह यदि किसी ब्रिटेन के नागरिक ने लिखा होता तो क्या प्रतिक्रिया होती। क्या कोई ऐसी प्रतिक्रिया महारानी जी के इस लेख के प्रकाशन के बाद ब्रिटिश अखबारों ने निंदा  के रूप में उठायी है?
युद्ध हुआ नहीं और उनके वक्तव्य को तीसरे विश्व युद्ध के वक्तव्य के रूप में स्थान भी मिल गया कितना सच-कितना झूठ. शक्तिशाली लोग कुछ भी लिख सकते हैं क्या उन्हें कुछ नहीं होता? विश्वसनीयता तो घटती है?

इंग्लैंड में यूनीफ़ॉर्म नीति के तहत लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी - 'शरद आलोक' suresh@shukla.no

 हम अक्सर महिलाओं के कपड़ों की बात करते हैं. जब हम पश्चिम देशों में बैठकर यह देखते हैं कि लड़कियों या लड़कों को कौन सी पोषाक या  कपड़े पहनने हैं और उसका निर्णय पहनने वाला या माता - पिता के अलावा कोई और करे तो बड़ा अटपटा और अतार्किक लगता है.  पर ऐसा फरमान और कहीं नहीं यह इंग्लैण्ड के एक स्कूल का है. आगे पूरी रिपोर्ट पढ़िये। 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' suresh@shukla.no  

इंग्लैंड के रेडिच शहर में स्थित वॉकवुड सी ऑफ़ ई मिडिल स्कूल ने अपनी यूनीफ़ॉर्म नीति के तहत लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी है.
स्कूल प्रशासन के अनुसार छात्राएं ब्लाउज़ पहन कर भी स्कूल नहीं आ सकती हैं.
स्कूल का कहना है कि गर्मियों के दौरान लड़कियाँ क्या पहन कर स्कूल आ सकेंगी इस बारे में विचार-विमर्श जारी है.
स्कूल के हेडमास्टर डेविड डाउटफ़ायर ने छात्राओं के माता-पिता को एक ख़त लिखकर कहा कि स्कूल यूनीफ़ॉर्म में होने वाला बदलाव सितंबर के महीने से लागू होगा और फिर धीरे-धीरे पूरे साल में इस पर अमल किया जाएगा.
हेडमास्टर ने अपने ख़त में लिखा है, ''सभी लड़कियों से उम्मीद की जाती है कि वे पैंट पहनेंगी.''

'तुग़लक़ी फ़रमान'

स्कूल प्रशासन ने ये भी स्पष्ट किया है कि लड़कियों की पैंट भी ठीक उसी तरह के कपड़े की होंगी जैसा कि लड़कों की पैंट होती है.
स्कूल ने अपने यूनिफॉ़र्म के रंग को भी बदलते हुए स्लेटी से काला करने का फ़ैसला किया है.
भारत और इसके आस-पास के देश या फिर अरब देशों में तो इस तरह की बातें अक्सर सुनी जाती हैं कि लड़कियां क्या पहन कर स्कूल या कॉलेज जा सकती हैं और क्या पहन कर नहीं जा सकती हैं.
लेकिन किसी पश्चिमी देश के किसी स्कूल ने इस तरह का फ़ैसला शायद पहली बार किया है.
अभी कुछ ही दिनों पहले राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर बसे क्लिक करें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने भी छात्राओं के कपड़ों को लेकर एक फ़रमान जारी किया था लेकिन लड़कियों के विरोध और भारतीय मीडिया में ख़बरें आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना फ़ैसला वापस ले लिया था.
(यह समाचार बी बी सी ने भी दिया है. )