रविवार, 28 दिसंबर 2014

 दिल्ली में 
आजकल मैं भारत आया हूँ. दिल्ली तो कई दशकों से साहित्य, संस्कृति और राजनैतिक केंद्र है. रज्जु भैया पर पुस्तक  विमोचन प्रतिष्ठित प्रभात प्रकाशन द्वारा हुआ वहां दो बाते और हुई मेरे साथ एक तो हिन्दी के आलोचक और प्रेमचंद के पांचवे दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कमल किशोर गोयनका, डॉ सुरेश गौतम और केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन जी को को स्पाइल दर्पण का नोबेल अंक भेंट किया। 


लखनऊ में
मैं आज लखनऊ में हूँ. कल विश्वविद्यालय में कलाकार लालजीत अहीर की कलाकृतियों का अवलोकन किया लालजीत  आजकल राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश  और विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं.
इसके अलावा कल लखनऊ विश्वविद्यालय में रिफ्रेशर शिक्षण  का समापन था जिसमें संचालन  डॉ थापा जी, अध्यक्षता  प्रो काली चरण स्नेही और मुंबई से आये थे प्रो सरवदे।  महिलाओं के अधिकार देने के लिए हम बहुत कमजोर और  विचारधाराओं से ग्रस्त हैं क्या हमने अपनी बेटी और बहन तथा अन्य परिवार की महिलाओं को अपने पिता की जायजाद में हिस्सा दिलाया है. बेटे  के अलावा लड़की को भी तैरना सिखाया है ताकि वह डूबने से बच सके और दूसरों को डूबने से बचा सके. आखिर क्यों नहीं यह मेरे विचार मेरे इस सत्र में जवाब देते हुए उठे.  विचार विमर्श सभी ने किया और स्नेह दिया। 





रविवार, 14 दिसंबर 2014

Suresh Chandra Shukla holdte foredrag ved Nobel festen på Veitvetsenter i Oslo.

Nobelfest på Veitvet  नोबेल पार्टी वाइतवेत,  ओसलो में  

 
 
ओस्लो में १२ दिसंबर को शाम छः बजे नोबेल पुरस्कार विजेता  कैलाश सत्यार्थी  मलाला  लिए पार्टी की जिसमें रोमा संगीत, नार्वेजीय संगीत ने माहौल  बनाया और कविता पढ़ी  इंगेर मारिये  और नोबेल पर   भाषण दिया सुरेशचन्द्र शुक्ल ने. आन्ने मारी  संगीत  समूह के साथ गाये  बधाई दी.    

Forfaterkafe markert Nobel Fredspris utdeling den 12. desember på Veitvetsenter med foredrag, dikt og  musikk. Suresh Chandra Shukla holdte foredrag mens Inger Marie Lilleengen leste sine dikt og tekster.  Anne Mari har med sin kor ' Røster' og Romani musikk gruppe underholdt med flott musikk på Nobel festen.
To som var til stede hadde fødselsdag. Og de bursdags barna var Pavinder Kaur og Basdev Bhart som hadde sin egen kake å dele med.
 

Sumedha and Kailash Satyarthi received Speil, bi-monthly magazine published from Norway by editor from Suresh Chandra Shukla.

१० दिसम्बर को ग्रांड होटल, ओस्लो  में  नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी को स्पाइल-दर्पण भेंट की.

Sumedha and Kailash Satyarthi received Speil, bi-monthly magazine published from Norway by editor from Suresh Chandra Shukla.

शनिवार, 15 नवंबर 2014

नार्वे में नेहरू जयन्ती - Suresh Chandra Shukla

नार्वे में नेहरू जयन्ती

14 नवम्बर को ओस्लो में भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में जवाहर लाल नेहरू जयन्ती  धूमधाम से मनाई गयी. शरद आलोक ने नेहरू जी के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आयु में सबसे छोटी चार वर्षीय आइशा ने राष्ट्रगान और कविता सुनाई और और 13 वर्षीय  शगुन ने अपना पहला लेख पढ़ा.
इस अवसर पर भारतीय दूतावास से श्री एन  पोन्नप्पन  ने शुभकामनाएं दी. बाद में संपन्न हुई कविगोष्ठी में कवितायें पढ़ी गयी जिनमें मीना  मुरली, अलका भरत, दीपिका रतूड़ी, राज कुमार, मोहिन्दर सिंह, मारिस
मौउरिनो, नौशीन इकबाल,  माया भारती प्रमुख थे.  इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने  नेहरू जी को भारत और नार्वे के बीच सम्बन्ध जोड़ने वाला बताया।   

रविवार, 9 नवंबर 2014

कितना अच्छा लगता है बिछड़े मित्रों से मिलकर -Suresh Chandra Shukla


Hei, jeg har møtt mine venner etter 19 år. Det er veldig gledelig å treffe dem igjen.
 कितना अच्छा लगता है बिछड़े मित्रों से मिलकर और नये प्यारे मित्रों से मिलकर। आइये अपने उन मित्र की बात करते हैं जो 19 साल पहले नार्वे से गए थे और हम लोगों से मिलने आये.
आज से तीस पहले मैं साग्न स्टूडेंट टाउन ओस्लो में रहता था कमरा नंबर 205 एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग में. जो एक साहित्यिक और भारतीय छात्रमित्रों का अनौपचारिक केंद्र था. 19 साल बाद पुराने मित्र परमजीत कुमार चंडीगढ़ से आये और ब्रिटेन से आकर ओस्लो में बसे इंजीनियर मित्र बशीर हाकिम। हम सभी पहले बहुत मिलते हैं. पुरानी और नयी बातों को तह लगाकर रखा गया और नए विचारों से उसे सवांरा गया.
अब तो वैचारिक मित्र पुराने मित्रों की जगह लेते जा रहे हैं, परन्तु पुराने मित्रों को भुलाना संभव नहीं।



मेरे  कमरे में बहुत से नार्वे के व अन्य देश विदेश के साहित्यकार, शिक्षाविद और छात्रमित्र शनिवार को एकत्र होते थे. इन लोगों के नामों में एक बहुत बड़ा काफिला है. जाने-पहचाने और अपरिचित सभी शामिल हैं. सभी धर्मों के लोग पर कभी धर्म और वैचारिक भिन्नता आड़े हाथ नहीं आयी. 
उर्दू के लेखक रामलाल, गोपीचंद नारंग, सत्यभूषण वर्मा, हरमहेन्द्र सिंह बेदी, महेश दिवाकर, विनोद बब्बर,  रामेश्वर और शकुंतला  मिश्र,  रमणिका गुप्ता, सरोजनी प्रीतम, वासंती, मनोरमा  जफ़ा और अनगिनत नार्वेजीय लेखक, शिक्षाविद और कलाकारों की लम्बी लिस्ट है.      

शनिवार, 8 नवंबर 2014

बर्लिन दीवार गिरने की रजत जयन्ती

बर्लिन दीवार गिरने की रजत जयन्ती


पूरे विश्व के कलाकारों ने जर्मनी के मशहूर नगर बर्लिन की 25 साल पहले गिराई हुई दीवारों के खंडहर पर अपनी कला से सजाया है. 9 नवम्बर को आज से 25 साल पहले पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी दो अलग-अलग देशों का अस्तित्व रखते थे पर उस दिन इन दोनों देशों का विलय हुआ. बर्लिन नगर पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में बटा हुआ  था. उसके मध्य एक लम्बी दीवार थी जो इतिहास में बर्लिन की दीवार के नाम से जानी जाती है.
25 साल पहले यह दीवार लोगों ने खुशी से गिरा दी थी. लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था. बहुत से लोग इसका श्रेय काफी हद तक तत्कालीन रूस क राष्ट्रपति मिखाइल गर्बाचोव को देते हैं जो  इस रजत जयन्ती पर मुख्य अतिथि होंगे। उन्हें उनके कार्य के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
'आज जगह -जगह बन रहीं है
एक घर के बीच अनेक दीवारें
घृणा और द्वेष की दीवारें
कटुता और मधुता के बीच दीवारें
आइये इन दीवारों को हमेशा के लिए
बर्लिन की दीवारों की तरह गिराएं
और बिछड़ी खुशी को
दूसरों के मध्य साझा करें।'
बर्लिन दीवार गिरने की रजत जयन्ती मिलकर खुशी से स्वतंत्रता के अहसास के साथ मनायें।        

एच सी अन्दर्सन - Suresh Chandra Shukla

एच सी अन्दर्सन

विश्व प्रसिद्द डेनमार्क के लेखक एच सी अन्दर्सन की लोककथाओं का अनुवाद मैंने बहुत पहले किया था इनकी मूर्ति कोपेनहेगन के रोदहूस (सिटी हाल) के सामने दायीं ओर स्थित है. इनकी कथाएं पढ़कर हर बच्चा डेनमार्क में बड़ा होता है जो स्वयं अपने जीवन में भेदभाव के शिकार हुए थे.

 
६ नवम्बर को  कोपेनहेगन की यात्रा पर गया था. एक बहुत अच्छा शहर. नाविकों और व्यापारियों का हमेशा से नगर रहा है. 1980 को गया था. हर बार मुझे एक नया लुफ्त मिलता है कोपेनहेगन में. विश्वविद्यालय में उपकुलपति कार्यालय में कुछ समय बिताने के बाद विधि संकाय में लंच (खाना) खाया।
पार्लियामेंट के बाहर हेंनिग से मुलाक़ात की जो लगभग चार सालों से शान्ति के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं जो 80 साल  की  उम्र में  डेनमार्क आये थे. विचारों में मार्कसिस्ट बामपंथी और शान्ति के बारे में  महात्मा गांधी जी से मिलते विचार।
मैंने उनसे कहा कि मैं भी सोशल लेफ्ट पार्टी से ओस्लो नगर पार्लियामेंट में चार साल जनता की आवाज उठाता रहा हूँ. वे सुनकर खुश हुए. उन्होंने कुछ पर्चे दिए और अपना परिचय पत्र भी दिया। मैंने उनका साक्षात्कार कैमरे में कैद किया और आगे चलता बना.
 
      
शान्ति के प्रचार में चार सालों से प्रयासरत हेंनिग
डेनमार्क के  पार्लियामेंट के सामने 
 
'पर्यावरण और हिन्दी साहित्य'

18 से 20 अक्टूबर 2014 को 'पर्यावरण और हिन्दी साहित्य' विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कुछ चित्र जिसका आयोजन पानेर, अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुआ था जहाँ मुझे भारत के सर्वाधिक प्रसिद्द समाजसेवी, सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे के साथ घंटों विचार विमर्श करने का अवसर मिला जो बहुत प्रेरणापद था. जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता।


 

सोमवार, 3 नवंबर 2014

Big change in newspaper in India - Suresh Chandra Shukla

Presse i India er i forandring.  भारत में प्रेस में बहुत बड़ा बदलाव



कैलाश सत्यार्थी एवं सुमेधा जी का ओस्लो एयरपोर्ट पर स्वागत करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

Presse i India i forandring. भारत में प्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया है. बड़े समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ पर
हमारे भारत गौरव कैलाश सत्यार्थी जी पर मेरी कुछ बड़े पत्रकारों से बात हुई, उनमें से अधिकतर का कहना था कि सत्यार्थी जी भारत में चर्चित नहीं हैं? क्यों पर वह सपष्ट नहीं कह पाये! उन्होंने दबे मन से स्वीकार किया कि खोजी पत्रकारिता यानि स्वयं पता करके समाचार छापा जाए. कैलाश सत्यार्थी जी को मैं दो दशकों से जानता हूँ. वह विदेशों के अतिरिक्त भारत के सभी एक्टिविस्टों में आदर के पात्र रहे हैं पर हम प्रेस वाले उन विषय के विशेषग्योँ से  नहीं पूछते जिस विषय  के वह जानकार और एक्सपर्ट हैं.  सत्यार्थी जी की जीवनी कुछ देशों में  पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाई जाती है. हम कुछ प्रेस वाले घर की मुर्गी की आदत छोड़ें और खोजी पत्रकारिता को अपनाएँ और अपने संगठन आर्थिक न्यायिक रूप से  मजबूत करें।   मेरी नजर में प्रेस रिलीज और बने - बनाये समाचार की भी खोज की जानी चाहिए।  हम भारतीय लेखक भी इससे अछूते नहीं हैं.
 
 

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

कैलाश सत्यार्थी को शान्ति का नोबेल पुरस्कार पर Nobel Peaceprize 2014

कैलाश सत्यार्थी को शान्ति का नोबेल पुरस्कार  पर 
नार्वे में मनाया भारतीयों ने जश्न 
 





 

 

 
 
 
 

भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से आयोजित लेखक गोष्ठी में
शान्ति दूत महात्मा गांधी और पोलर पितामह फ्रितयोफ नानसेन का जन्मदिन मनाया गया.
इन दोनों महापुरुषों पर पूर्व मेयर थूरस्ताइन विन्गेर ने अपना व्याख्यान दिया।
जब इसी दिन १० अक्टूबर को यह घोषणा किये जाने के बाद कि एक भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी को दिया जा रहा है तो सभी भारतीय खुशी से झूम उठे और अपनी खुशी कवितापाठ और संगीत के द्वारा की.
कैलाश सत्यार्थी जी के संघर्षमय बच्चों के लिए की जा रही सेवा का उल्लेख किया सुरेशचन्द्र शुक्ल ने.
उन्होंने कहा की सत्यार्थी जी को दिया गया  सबसे ज्यादा योग्य है क्योंकि सत्यार्थी जी के बचपन  आंदोलन से भारत के हजारों बच्चों का जीवन सुधरा और विदेशों   में इसी तरह के प्रोजेक्टों में सहयोग दिया।
सत्यार्थी जी का कहना है की यह पुरस्कार उन्हीं  है,
कार्यक्रम के अंत में काव्य गोष्ठी हुई.   
 


शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

Gratulerer med dagen Kailash Satyarthi ji- Suresh Chandra Shukla

कैलाश सत्यार्थी को शांति नोबेल पुरस्कार  Nobel fredspris til Kailash Satyarthi og Malala

 
भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा आयोजित लेखक गोष्ठी में कैलाश सत्यार्थी जी का सम्मान किया गया 
 
मेरे दो मित्र साथ-साथ 
चित्र में बाएं से बोर्ड वेगार पूर्व मंत्री और सोशलिस्ट लेफ् टिस्ट पार्टी के नेता  और कैलाश सत्यार्थी 


Det er gledelig å dele at min venn Kailash Satyarthi fikk Nobelfredspris sammen med Malala.
Han har vært i Norge mange ganger. Han har vært hos oss flere ganger. Han er et flott menneske og kjemper for barnas rettigheter verden over.
यह मेरे लिए विशेष गर्व की बात है कि मेरे अजीज मित्र कैलाश सत्यार्थी जी को शान्ति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया  गया है. हम यह ख़ुशी अभी कुछ देर बाद लेखक गोष्ठी में वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में शाम छः बजे मन रहे हैं जो ओस्लो में रहते हैं वे आसानी से यहाँ आ सकते हैं.  कैलाश सत्यार्थी जी हमारी दो लेखक गोष्ठियों में आ चुके हैं और मेरे  के साथ अनेकों बार ओस्लो स्थित आवास में रह चुके हैं.  -शरद आलोक 

शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

गांधी जी और नान्सेन को याद किया जाएगा 10 अक्टूबर को

आमंत्रण Invitasjon: M K Gandhi og Fridtjof Nansen markers på Forfatterkafe.बापू (महात्मा गांधी) नानसेन  को याद किया जाएगा 10 अक्टूबर को. 
10 अक्टूबर को 17:30 बजे
वाइतवेत सेन्टर, ओस्लो में
Velkommen til forfatterkafe fredag den 10. oktober kl. 17:30
på Stikk Innom, Veitvetsenter i Oslo.
Bilde er fra forfaterkafe på Veitvet den 19. September 2014.
१९ सितम्बर को संपन्न हुए लेखक गोष्ठी का चित्र यहाँ दिया हुआ है.  

बॉलीवुड फिल्म फेस्टिवल ओस्लो में

बॉलीवुड फिल्म फेस्टिवल ओस्लो में







सुनील शेट्टी और गगन गिल, फैशन की दुनिया के राजेश दलाल और अन्य लोगों ने फिल्म और फैशन प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति से दर्शकों के लिए आकर्षण का कार्य किया।
बॉलीवुड फिल्म फेस्टिवल ओस्लो में लॉरेनस्कूग़ में मैट्रो सेंटर के स्तूर सतुआ में डॉ सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति एक संगीत कंसर्ट प्रस्तुत किया जिसमें कविता कृष्णमूर्ति के पुराने हिन्दी फ़िल्मी गीतों को बहुत पसंद किया गया. हिन्दी फिल्म को ही बॉलीवुड कहा जाता है.
कविता कृष्णमूर्ति बॉलीवुड फिल्मों में एक जाना -माना नाम हैं उन्होंने एस डी बर्मन और ए आर रहमान जैसे मशहूर और लोकप्रिय  गीतों का संगीत देने वाले संगीतकारों के साथ गीत गाये  हैं और हिन्दी फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनायी है.
सुब्रमण्यम जी ने अपने पुत्र के साथ वायलेन पर जो युगलबंदी की और धुनें बजाईं तो श्रोताओं -दर्शकों ने भरपूर तालियों से उसका स्वागत किया।  इस कार्यक्रम में दो पुराने मित्र डॉ सुब्रमण्यम और उजागर सिंह सखी मिले इतना ही नहीं उन्होंने डॉ सुब्रमण्यम को उनके सम्मान में पदक भी प्रदान किया। इसमें उनके साथ उनके दामाद और छोटी पुत्री भी साथ थीं. बॉलीवुड फेस्टिवल में मुख्य कार्यकर्ता  नशरुल्ला कुरैशी सखी जी के छोटे दामाद हैं.
 ध्यान रहे कि  सखी जी नार्वे में सातवें और आठवें दशक की शुरुआत में संगीत आदि में सक्रिय थे और अपने अनूठे बयान के लिए नार्वेजीय अखबारों में सुर्खी बनते रहे थे
उजागर सिंह सखी के पास  डॉ सुब्रमण्यम जी रुकते रहे हैं और तब उनके कार्यक्रम की नार्वे में शुरुआत हुई थी. सातवें दशक के अंत और आठवें दशक में सखी जी के साथ नार्वे में संगीत संगीताचार्य  पंडित श्रीलाल और डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल और श्री बंसल आदि होते थे. सखी जी की बड़ी पुत्री वीणा वादन करती थीं और उनका पुत्र बांसुरी बजाते थे.
भारत के समाचारपत्र देशबन्धु में १२ सितम्बर को प्रकाशित समाचार के अनुसार इस बॉलीवुड फेस्टिवल में आयोजित संगीत कंसर्ट में कविता कृष्णमूर्ति ने लोगों का मन मोहा।
 

रविवार, 7 सितंबर 2014

Dr Subhramanyam an Kavita Krishnamurti consert i Lørenskog i dag

डॉ सुब्रमण्यम और कविता कृष्णमूर्ति जी का कंसर्ट आज लॉरेनस्कूग़ में  


 
कोकिला कविता जी नीचे

 
आज ७ सितम्बर को दोनों महान कलाकारों का कंसर्ट है.
पहले भी वह साथ-साथ नार्वे में कंसर्ट दे चुके हैं.
बहुत यादगार कार्यक्रम है.   
 
 
 
बाएं चित्र में वायलिन के जादूगर डॉ सुब्रमण्यम जी 
 
 
 
 
 
 
 

Linderudgåd feirer sine 200 år. लिन्देरुद फ़ार्म के 200 वर्ष। -Suresh Chandra Shukla

Linderudgåd feirer sine 200 år. लिन्देरुद फ़ार्म के 200 वर्ष।

नार्वे में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बहुत तरीके से संभालकर रखा जाता है और उसका प्रयोग सभी  है के लिए होता है.  लिन्देरुद फ़ार्म के 200 वर्ष पर ६ और ७ सितम्बर को अनेक कार्यक्रम संपन्न हुए जिसमें दो सौ वर्ष पूर्व किस तरह समाज और व्यवस्था का सञ्चालन होता था किस तरह घर का निर्माण होता था और किस प्रकार सर्कस होती थी उसको भी सजीव दिखाया जा रहा था. एक नाटक भी दिखाया गया जिसमें उस समय के राजा कार्ल जहां और उस समय की ऐतिहासिक घटना को आधार बनाकर रचा गया था.
बियरके बीदेल के  BU-leder  (स्थानीय मेयर) स्टाइनार आर्नेसेन के साथ साथ अनेक स्थानीय और दूर-दूर से आये लोग यहाँ आयोजित कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे.

बॉलीवुड फेस्टिवल 2014 आयोजित
लॉरेनस्कूग़ और ओस्लो के रोमन सेने में हिन्दी फिल्मों का महत्वपूर्ण महोत्सव बॉलीवुड फेस्टिवल 5 सितम्बर से शुरू हो गया है. इस कार्यक्रम में कलाकार सुनील शेट्टी, माही गिल सहित अनेक कलाकार और अनेक प्रोफशनल डिजाइनर, फोटोग्राफर, दूरदर्शन पत्रिका  दृश्यांतर के लेखक-सम्पादक अजीत राय  भी आये हुए हैं.   
अजीत राय  कल लिन्देरुद फ़ार्म के 200 वर्षीय समारोह में गए और कार्यक्रम को देखा और मेरे निवास पर आये.



सन 1995 में मैं अजीत राय से पहली बार मिला था तब वह नवभारत टाइम्स के लिए उन्होंने मेरा साक्षात्कार नवभारत टाइम्स में प्रकाशित किया था. उसके बाद एक और मुलाक़ात आदरणीय पूर्व दिवंगत उपराष्ट्रपति आर के नारायण जी के निवास पर आयोजित पार्टी में हुयी थी तब आदरणीय भीष्म नारायण सिंह जी का भी सानिध्य मिला था.
हमने उन्हें नार्वे से २६ वर्षों से छपने वाली पत्रिका स्पाइल-दर्पण भेंट की और उन्होंने मुझे दूरदर्शन की पत्रिका दृश्यांतर पत्रिका भेंट की.  

रविवार, 17 अगस्त 2014

परिवार के संजीव कुमार थे मेरे जीजा जी

परिवार के संजीव कुमार थे मेरे जीजा जी 


नीचे चित्र में मेरी बहन आशा जिज्जी और जीजा जी


मेरे जीजाजी डॉ गोविन्द प्रसाद तिवारी मेरे परिवार के संजीव कुमार थे. जैसे संजीव कुमार बहुत संजीदा व्यक्तित्व थे वैसे ही मेरे जीजा जी.
5 अगस्त को प्रातः लगभग दस बजे मेरे प्यारे जीजा जी लम्बी बीमारी के बाद इस दुनिया से चल बसे. वह लखनऊ में अपने परिवार के साथ रहते थे. उन्होंने उत्तर प्रदेश के अनेकों  स्टेट आयुर्वेदिक कालेज में अध्यापन किया. वह अपने विद्यार्थियों के बहुत प्रिय थे. इससे उनकी लोकप्रियता का आभास होता है. बीरमपुर ग्राम, जिला बाराबंकी के रहने वाले जीजाजी से मेरी पहली मुलाक़ात घर के सामने से जाते हुए हुई थी. तब मेरी बहन आशा जिज्जी की शादी नहीं हुई थी. जब वह पढ़ने स्टेट आयुर्वेदिक कालेज लखनऊ मेरे घर के सामने से जा रहे थे तो मेरी माँ ने इशारे से बताया जो वह साइकिल से जा रहे हैं उनके साथ तुम्हारी बहन की शादी तय हुई है. यह बात तब की है जब मैं कक्षा सात में पढता था.
उस समय वह पान दरीबा में अपने मामा श्री शम्भुनाथ द्विवेदी और मामी श्रीमती विनोद द्विवेदी जी के साथ रहते थे.
 
है न स्वावलम्बी होने की बात कि वह स्वयं चिकित्सा की शिक्षा लेने के बावजूद दो-तीन ट्यूशन पढ़ाते थे.
मुझे संमरण है जब मैं डी ए वी इंटर कालेज में पढ़ता था और साथ ही श्रमिक के रूप में पक्की नौकरी करता था तब मैंने अपने विद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव लड़ा था तब मुझे जीजाजी ने टाइप कराकर छात्रों को बांटने के लिए बड़ी मात्र में अपने ट्यूशन के छात्र और छात्र से अंगरेजी में लिखाकर दिया था  'ताज  बिल्ट फॉर ब्यूटी एंड सुरेश स्टैंड फार  ड्यूटी'. यह छोटा और सरल प्रचार तब बहुत कारगर सिद्ध हुआ था.
अभी मार्च में होली के अवसर पर जब मैं जीजाजी से मिलने गया तब मेरी भांजी ने कहा था कि पापा बहुत दिनों से नहीं हँसे हैं.
फिर मैंने भांजी को पास खड़े होने को कहा और उन्हें पुरानी  स्मृतियों द्वारा गुदगुदाने लगा और वह बहुत देर तक मुस्कराते रहे. उनकी बहुत सी स्मृतियाँ उनके गाँव से जुडी हैं. वह एक सरल, हंसमुख और शांत रसिक स्वभाव के थे पर वह अपने इस स्वभाव को छिपा कर रखते थे.
मेरे उनके साथ  के अनेक अनुभव आज भी गुदगुदा जाते हैं. जब मेरा विवाह नहीं हुआ था तब मैं उनके साथ अपने लिए विवाह के लिए लडकियां देखने जाता था. जीजा जी को भी बहुत मजा आता था पर वह बातें कभी बाद में नहीं स्मरण की थी. बस पिछली होली में उनके साथ आख़िरी बार स्मरण किया।
मेरे जीजा जी का अनेक तरह से जीवन संजीव कुमार की कुछ फिल्मों की तरह था.
वह 5 को हमसे सदा के लिए विदा हुए थे और लखनऊ नगर के गोमती तट पर 7 अगस्त को पंचतत्व में विलीन हो गए थे.
ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शान्ति  प्रदान करें। वह अपने पीछे मेरी बड़ी बहन आशा तिवारी,  मेरे दो भांजे: आलोक और अभिषेक, भांजियां: नीलू, सरिता और प्रीती और उनके परिवार को छोड़ गए हैं. इसके अतिरिक्त वह अपने पीछे  तीन साले ( राजेन्द्र प्रसाद, रमेश चन्द्र और सुरेशचन्द्र शुक्ल और परिवार) छोड़ गए हैं.
18 अगस्त को प्रातः लखनऊ में मेरे पड़ोसी कलाकार-अध्यापक  पंकज मिश्र से इंटरनेट पर चैट हुआ वह वहां जा रहे थे. अपने भांजे अभिषेक ने मुझे जीजाजी की मृत्यु के लगभग ढाई सप्ताह पूर्व  फोन पर बात कराई थी वह मेरी उनकी अंतिम बातचीत थी.  उनकी मृत्यु पर झांसी से रेनू और नवीन शुक्ल ने जब मुझसे बाचीत की तो उन्होंने भी शोक व्यक्त किया और श्रद्धांजलि दी पर सही समय पर सूचना के आभाव में वह लखनऊ नहीं जा सके थे.
उनकी तेरहवीं (मृत्यु के बाद हिन्दु धर्म में हवन करते हैं और अतिथियों को भोजन कराते हैं तथा जो लोग अंतिम संस्कार में नहीं संमिलित होकर शोक व्यक्त कर पाते हैं वह इस दिन आते हैं इसमें अधिकतर परिचित और परिवार के होते हैं जबकि अंतिमसंस्कार में सभी सम्मिलित हो सकते हैं.) 18 अगस्त 2014 को उनके राजाजी पुरम, लखनऊ निवास  पर संपन्न हुई जहाँ मेरे जीजाजी ने रहते हुए अधिकाँश समय व्यतीत किया।

स्मृतांजलि 
आने वाले  देर हो गयी..
जो आया है वह जायेगा, सुनते-सुनते भोर हो गयी.
रात गयी तब बात गयी, जीजा जी अब देर हो गयी..
न मिल सकेगें जीवन में, पर अपने प्रिय की आँखों में
जिनसे भी मिलवाया था, खोजेंगे उनकी आँखों में. 
सपने की माला बुनने बैठूं,  कितनी राते ढेर हो गयीं।
आने वाले  देर हो गयी..
  
यादों में बस आंसू या हँसियों की फुलझड़ियाँ हैं
स्वर्ग प्राप्ति के लिए सदा क्यों मरना पड़ता है
ओ जाने वाले, स्मृतियों का संसार हमारे हाथों में
जिन चेहरों को देख कभी मन ताजा हो जाता था
पिंजड़े से उड़ी चिरैया न जाने कहाँ फुर्र हो गयी
आने वाले  देर हो गयी..
 
मोतीझील जहाँ साथ कितनी शामें गुजारी थीं,
खुशी लेकर आने वाले, जाते दुःख दे जाते हैं.
कुछ तो बस मुस्कानों से ही खानापूरी करते थे
पास भले हों पर वह अपनों से दूरी रखते थे
पल भर यहाँ, पल पार गगन के,
इन्द्रधनुष सी कौन मिट गयी
आने वाले  देर हो गयी..

आने से आती थीं खुशिया, जाने पर मन अकुलाता था.
सावन के झूलों सा वह चुपके-चुपके  पैंग  लगाता था
कभी आसमान पर और कभी धरती पर इतराता था
जिनको समझा था अपने हैं, वह सपने से दूर हो गये
रात  घिरी है और अमावस  जहाँ चांदनी दूर हो गयी
आने वाले  देर हो गयी..
सुमनों से सीखा मैंने भेद भाव न करना 
और काँटों से अपनी यादे ताजी रखना।।
 जीजा जी अब इस दुनिया में शरीर रूप में हमारे साथ नहीं हैं. उनको ऊपरोक्त काव्यान्जलि समर्पित हैं जो आपके साथ साझा की हैं यह मेरा - आपका अपनापन है. 


निवास पर एक संयुक्त चित्र
चित्र में बाएं से पीछे खड़े अरविद कोलफ्लोट, जय प्रकाश शुक्ल, अभिषेक, आलोक, जीजाजी (डॉ गोविन्द प्रसाद तिवारी), स्वयं मैं, सामने खड़े नीलू के सुपुत्र, आलोक के पुत्र सिद्धार्थ और सबसे दायें सबसे अलग खड़े चन्द्र प्रकाश।  यह चित्र जीजाजी के राजाजी पुरम, लखनऊ  स्थित निवास पर लिया गया है.



संजय (संजू) मिश्रा के विवाह पर 12  मई सन 1998 खांडेखेड़ा, रायबरेली में लिया चित्र। 
बाएं से महादेव अवस्थी, एक सम्बन्धी, संजय मिश्रा, आनंद मिश्रा, सधारी लाल मिश्र और जीजा जी (डॉ गोविन्द प्रसाद तिवारी).     








 

स्वाधीनता दिवस पर लिएर स्टेडियम, नार्वे में खेलमेला

 16-17 अगस्त को खेलमेला



















































लिएर स्टेडियम, द्रामेन नगर, नार्वे में स्वाधीनता दिवस पर 16-17 अगस्त को खेलमेला संपन्न हुआ.
भारतीय बच्चे और युवाओं के लिए विशेष रूप से आयोजित इस खेल मेला को लिएर द्रामेन स्थित गुरुद्वारा के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें सभी ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। दौड़, कूद, वालीबाल, कबड्डी और फ़ुटबाल मुख्य  आकर्षण थे. इस कार्यक्रम में हर समय जलपान और भोजन का भी इंतजाम था. यहाँ भारत  ऐसा महसूस  हो रहा था. श्री पुनप्पन जी प्रथम सचिव भारतीय दूतावास ने विजयी खिलाड़ियों को पुरस्कार प्रदान किये।  इसमें श्री त्रिलोचन सिंह और गुरुद्वारा प्रबंध समिति के सदस्यगण पुरस्कार वितरण में हिसा ले रहे थे.

गुरुद्वारा 'गुरुनानक निवास'
लिएर स्थित गुरुद्वारा 'गुरुनानक निवास' स्कैंडिनेविया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है और जिसे भारतियों ने निर्माण कराया है. जब आज यहाँ खेलमेला से होकर गए तो कुछ सेवक अमृत छक रहे थे और कुछ लोग किचन में सेवा कर रहे थे. 





 

नार्वे में भारतीय स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 2014 -15th August 2014 celebration in Norway

नार्वे में भारतीय स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 2014

दूतावास में ध्वजारोहण 

 ओस्लो में भारतीय दूतावास में प्रातः 9:00 बजे भारतीय दूतावास में बहुत से लोग एकत्र हुए थे भारतीय स्वाधीनता दिवस पर ध्वजारोहण  करने ले लिए. मौसम अच्छा था सूरज की किरणें  बादलों के मध्य चमक रही थीं. नील्स यूएलस गाता (Niels Juels gata) ओस्लो में स्थित भारतीय दूतावास के मुख्य द्वार के सामने ध्वजा एक बड़े स्तम्भ पर फूलों से बंधी ध्वज यहां के शुभ अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी. ध्वजा स्तम्भ के चारो तरफ लोग एकत्र होने लगे.
इस समय भारतीय दूतावास में कार्यवाहक राजदूत के तौर पर आदरणीय राकेश कुमार शर्मा जी, आगंतुकों का स्वागत कर रहे थे. दूतावास में श्री पुनप्पन जी, श्री चारी जी आदि लोगों से मिलते हुए ध्वजारोहण की तैयारी में व्यस्त थे.
राकेश कुमार शर्मा जी ने धवजरोहण किया। भारतीय राष्ट्रगान 'जन-मन गण अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता' की गूँज से वातावरण गर्व से भर गया भारतीय राष्ट्रगान से नार्वे में 2014 के स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रमों का श्रीगणेश हो गया.


भारतीय बहनों, भाइयों, बच्चों और युवाओं ने  एक दूसरे को बधाई दी. इस बार बड़ी तादात में लोगों ने हिस्सा लिया था. स्वाधीनता दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं जिसमें भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम का कार्यक्रम वाइटवेत सेंटर, ओस्लो में आयोजित था जो सात वर्षों से लगातार 15 अगस्त के दिन ही आयोजित हो रहा है.






ओस्लो में स्वाधीनता दिवस मनाया गया 
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 ओस्लो, 17 अगस्त।   भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में  भारतीय स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम  15 अगस्त से 17 अगस्त तक  धूमधाम से मनाया गया. 
इस वर्ष के कार्यक्रम में  पूर्व स्थानीय मेयर BU-leder, bydel bjerke थूरस्ताइन विन्गेर Torstein Winger, पूर्व सांसद  और नगर पार्लियामेंट के सदस्य आथर अली Athar Ali, फोरम के उपाध्यक्ष हेराल्ड बुरवाल्ड Harald Burvald, लेखक और चिंतक निर्मल ब्रम्हचारी Nirmal Brahmchari, नार्वे में पहले भारतीय डाक्टर और लेखक राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल Dr. Rajendra Prasad Shukla और  बालक आर्यन पराशर Aryan Parashar ने इस अवसर पर अपने विचार रखे और भारतीय आजादी पर प्रकाश डाला तथा बधाई दी.
निर्मल ब्रम्हचारी ने अपने भाषण और कविता में भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, खुदीराम बोस,   नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अन्य की भारत की आजादी में महत्वपूर्ण कुर्बानी की याद दिलाई तो  आथर अली ने बधाई देते हुए बर्लिन की दीवार के टूटने की तरह बाघा बार्डर की दीवार टूटने की आशा व्यक्त की.  75 वर्षीय भारतीय दर्शन सिंह ग्रेवाल  Darshan Singh Greval और भारत से आये अतिथियों  सी. पी. मेंदीरेता C. P. mendiratta बक्शीश सिंह Baksheesh Singh और सुभाषचन्द्र  विद्यार्थी Subhash Chandra Vidyarthi को सम्मानित किया गया.  
कार्यक्रम में Kontaktutvalget (नार्वे की सरकार और प्रवासियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करते वाली सरकार संस्था) की एवा राइस्ताद Eva Reistad ने भी शुभकामनायें दीं.
कवितापाठ में  देशभक्ति के गीत और कवितायें  प्रस्तुत करने वालों में सुरेशचन्द्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन Inge Marie Lilleengen,  निर्मल ब्रम्हचारी Nirmal Brahmchari,  गुरुदर्शन शर्मा Gurudarshan Sharma, सुसाने आइहाइम Susanne Ayheim, नोशीन इकबाल Nosheen Iqbal, राज कुमार  Raj Kumar, दिआ विद्यार्थी Diaa Vidyarthi, जावेद भट्टी Javed Bhatti  मीना मुरली Meena Murli, अलका भरत Alka Bhart, दीपिका रतूड़ी Dipika Ratudi, मारिस माओरीनो Maurise Maurino, माया भारती Maya Bharti और  प्रगट सिंह Pragat Singh मुख्य थे. 
कार्यक्रम में युवाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।  

शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

आज पंद्रह अगस्त है सभी को शुभकामनायें -Suresh Chandra Shukla


आज पंद्रह अगस्त है सभी को शुभकामनायें



आज पंद्रह अगस्त है हमारे भारत का 68वां स्वतंत्रता दिवस।  कल रात ओस्लो में स्वाधीनता दिवस की तैयारी करता हुआ रात 12 बजे सोया था क्योकि आज शाम 5 बजे ओस्लो में कार्यक्रम है.
आज लालकिले के प्राचीर से मोदी जी का भाषण सुनने के लिए जल्दी उठा और फिर भी नव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण 40 मिनट ही उनका सन्देश सुन सका. बिना पढ़े देश की आम आदमी की समस्या का बखान करते हुए जो उन्होंने सभी विद्यालयों में शौंचालय बनाने के लिए संकल्प लेने को कहा वह बहुत सराहनीय है. इसके लिए सभी देशवासियों को आगे आना चाहिए।
आदर्श गाँव का उनका सपना गांधी जी का भी सपना था पर उसे पूरा नहीं किया जा सका. देखते हों कि सांसद जन कैसे उनके आह्वाहन को पूरा करते हैं पर जनता के सहयोग के बिना यह संभव नहीं अतः सभी राजनैतिक सोच को रखने वाले इस कार्य के लिए साथ आयें। मोदी जी का सपना पूरे देश के लिए है और देश सभी का है.
अधिकार के साथ कर्तव्य भी सभी का बनता है.
मैं तो कहता हूँ कि  एक  बुद्धिजीवी प्रवासी भारतीय भारत अथवा अन्य गरीब देश के गाँव को आधुनिक बनायें और आधारभूत समस्याओं से छुटकारा दिलवाने में मदद करे.

ओस्लो में भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर
कार्यक्रम
जो लोग नार्वे में रहते हैं वह आज  वह प्रातः 9 बजे भारतीय दूतावास में ध्वजारोहण समारोह में सम्मिलित हो सकते हैं और शाम 5 बजे ओस्लो में स्थित वाईतवेत सेंटर में वाइतवेत मंच पर कार्यक्रम है जो Veitvetveien 8, Oslo में स्थित है. आप इस कार्यक्रम में आइये और मिलकर अपने बच्चों और मित्रों के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता दिवस मनाइये।  

बुधवार, 13 अगस्त 2014

Indian independence day celebration in Oslo ओस्लो में भारतीय गणतंत्र दिवस १५ अगस्त २०१४

Invitation आमंत्रण
ओस्लो में 15  अगस्त को प्रातः काल 9:00 बजे  भारतीय दूतावास में ध्वजा रोहन होगा और शाम 5 बजे भारतीय -सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहा है वाइतवेत सेंटर ओस्लो में.

आप सादर आमंत्रित हैं.   



Welcome to Indian independence day celebration on 15th august at Veitvet centre, Oslo
at 5 PM.

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

नार्वे में ३१ जुलाई को प्रेमचंद जयन्ती मनाई जाएगी।

नार्वे में अल्फ प्रोइसेन की जन्मशती मनायी गयी 
 
 
 
२४ जुलाई, भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में आयोजित लेखक गोष्ठी में नार्वे के लोकप्रिय गायक, कथाकार और मनोरंजन करने वाले महान कलाकार अल्फ प्रोइसेन की जन्मशती मनाई गयी.
इस अवसर पर उनकी रचनाओं का पाठ किया गया. हमारे राजदूत आर के त्यागी जी ने शुभकामनाएं दीं और स्थिक इन्नोम सेंटर की संचालक थ्रूदे मेत्ते ने शुभकामनायें दीं और कहा कि जैसे आज हम भारतीय-नार्वेजीय लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल को सेंटर में अक्सर कार्यक्रम में कवितायें पढ़ते देखते हैं वैसे ही अल्फ प्रोइसेन भी वाइतवेत सेंटर पर आ चुके हैं.  हिन्दी स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल सिमोनसेन  ने अल्फ प्रोइसेन  के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि  प्रोइसेन का नार्वेजीय आधुनिक लोक और बाल साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है. अल्फ प्रोिसें का जन्म २३ जुलाई १९१४ को और मृत्यु ३० नवम्बर १९७० को हुई थी. 
ग्रुरुदडालेन समाचार पत्र की पत्रकार ने कहा कि प्रोइसेन का स्थानीय संस्कृति का बहुत प्रभाव था और सुरेशचन्द्र शुक्ल का भी जन्मदिन चालीस साल बाद जन्मशती के रूप में मनाएंगे। शरद आलोक, मीना जी ने अपनी रचनाएं सुनायीं।   
माया भारती ने आगंतुकों को धन्यवाद दिया।
 ३१ जुलाई को ओस्लो में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयन्ती मनाई जाएगी। 

रविवार, 1 जून 2014

रांची की जूलिया असली नायिका -Suresh Chandra Shukla

फेसबुक की एक डाक  से ऐसा पता चला है कि रांची की जूलिया मिज ने बारहवीं की परीक्षा में टॉप किया आशीर्वाद और बधाई। ईश्वर करे आगे चलकर महान कार्य करे और उसमें हिम्मत, जज्बा और प्रतिभा है इस प्रतिभाशाली ने ईंट ढोने का काम भी किया है. बधाई और आशीर्वाद।

















जूलिया,  असली नायिका

यह जज्बा तुम्हे
बुलंदी पर चढ़ाये,
वही जानता है दर्द,
खुद पर सितम ढाये।
नमन है तुम्हें
कर्मवीर दुनिया के
जिसने बेघर रहकर भी
दूसरों के घर बनाये।

आओ मिलकर सभी
उनका घर भी बनाएं।
चले है जो विश्व को
कर्मयोगी  बनाने।
जूलिया मिज
निर्भया
तुम सभी हो पुत्री हमारी
कया कहें हमने ही
औरतों पर जुल्म ढाये।

वक्त अब भी है
सम्भालो, वतन को सम्भालो,
एक प्रवासी एक गाँव को संभाले।
उसकी शिक्षा और जागृति में
अपना भूमिका पाले।
सभी को मिले छत, शिक्षा शौंचालय।
भूखा पेट कोई बच्चा स्कूल न जाए!

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  , ओस्लो, नार्वे ०१. ०६. १४       
   

 

आज ओस्लो में स्थानीय मेला -Suresh Chandra Shukla

Fest på Løkka (Veitvet) i Olso  वाइतवेत, ओस्लो में स्थानीय मेला
 
 
 
 
 
  
नार्वे में स्थानीय निवासियों के कार्यक्रम का बहुत महत्त्व होता है. आज मेरे क्षेत्र वाइतवेत, ओस्लो में एक सार्वजानिक मेला लगा था  जिसमें भारतीयों के अतिरक्त अनेक प्रवासियों और  नार्वेजीय लोग साथ-साथ मना रहे थे. इसमें भाग लेने से आपसी समझ, जान-पहचान बढ़ती है यहाँ भारतीय खाने का लुफ्त भी लोग उठा रहें हैं यह कार्यक्रम ७ घंटे चला. और यह वाइतवेत पार्क, वाइतवेत स्कूल के पीछे आयोजित था. इसमें मैं भी सम्मिलित हुआ जिसकी शुरुआत एक परेड से हुई  जिसमें बैंड बाजे, चियर्स कन्यायें, अनेक संस्थाओं और स्थानीय निवासी सम्मिलित थे.  दिन रविवार एक जून को मौसम भी अच्छा था.   सूरज देवता भी मेहरबान थे.   पिछले वर्ष तो भयंकर वर्षा हुई थी. जो लोग भारत से घूमने आये हैं उनके लिए एक बहुत अच्छा मौका स्थानीय डेमोक्रेसी और स्वेक्छा से श्रमदान और परस्पर भाव से साथ-साथ उत्सव मनाना देखने को मिलता है. कुछ गतिविधियाँ भारतीय तरीके से कुछ यहाँ के तरीके से जिसमें अधिकतम लोगों की प्रतिभागिता और पारदर्शिता और सभी को सम्मिलित किये जाने का अवसर खुला रहता है और जनता से ही लोग कार्यक्रम का संचालन और पूर्णरूप देने में लिए लिए जाते हैं. स्थानीय सरकार के लोग सहयोगी होते हैं और जिम्मेदार भी. यदि आप नहीं गए तो आप भी इस तरह के कार्यक्रम में जरूर जाइये और ओस्लो में रहते हैं तो आप भी आइये और लुफ्त उठाइये।
कार्यक्रम में जादू, नृत्य, संगीत और गायन और अनेक कलाओं के प्रदर्शन था जिसे स्थानीय कलाकारों के अलावा नार्वे के जाने माने कलाकार भी थे.   

शुक्रवार, 23 मई 2014

सभी निर्वाचित महिला मंत्रीगण बहुत योग्य और अनुभवी - Suresh Chandra Shukla

माननीय मंत्री स्मृति  ईरानी बहुत योग्य और अनुभवी 
 - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 ऊपर चित्र में स्मृति ईरानी मंत्री पद की शपथ लेते हुए 
और नीचे चित्र में सभी निर्वाचित महिला मंत्रीगण  
 
हमारी पन्द्रवीं लोकसभा में अनेक महिला-सांसदों को मंत्री बनाया गया है यह बहुत गर्व की बात है. पता चला है कि  कुछ लोग महिला मंत्रियों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं और जो एक तरह से प्रजातंत्र का मजाक उड़ाना है.  जिसे जनता ने चुना है वह सर्वमान्य ही नहीं आदरणीय भी है.  हमारे देश में महिलाओं को पहले ही कम समझने और कम आंकने की  बीमारी है.
जैसी जनता होगी, वैसे ही प्रजा होगी और वैसी ही सरकार। सरकार और चुने हुए प्रतिनिधि हमारे देश का आइना हैं. यदि हमें जो भी सुधार लाना है या बदलाव आना है  वह सब अपने आपसे और अपने परिवार से शुरू होता है.
 
इस नयी सरकार से बदलाव आना तो शुरू हो गया है. अब जनता का सहयोग और उसका योगदान उसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. जैसे पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखना, भ्रष्टाचार को समाप्त करना और सभी के लिए सामान शिक्षा की सुविधा होना। इन सभी मुद्दों पर सभी को साथ देना होगा।
पहले हमारी श्रद्देय महिला मंत्रियों को आदर दीजिये और फिर अपने-अपने घरों में विचार कर महिलाओं को वही शिक्षा दिलाइए जो आप अपने घरों में लड़कों को शिक्षा देते हैं.
दुःख की बात है कि  भारत देश में अभी भी बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, देखिये आपके पड़ोस में तो ऐसा नहीं है, क्या आप उनकी मदद कर सकते हैं? सरकारी स्कूलों से भ्रष्टाचार मिटा सकते हैं? सरकारी और गावं के स्कूलों को उन्हें सुन्दर और  शिक्षा के योग्य बनाने में आप अपना क्या योगदान दे सकते हैं? क्या गावं की सड़क या स्कूल जाने तक का मार्ग टूटा-फूटा है क्या आप आपसी सहयोग और श्रमदान के जरिये उसे बेहतर बना सकते हैं? यदि हाँ तो हमारा देश और भी सुन्दर, साफ़ सुथरा होगा जहाँ धीरे-धीरे सभी शिक्षित हो जाएंगे!
यह मत सोचें की देश ने आपको क्या दिया है? यह सोचें की आपने देश को क्या दिया है और क्या दे सकते हैं?
   
             
स्मृति ईरानी 

 महज 38 साल की स्मृति ईरानी मोदी की कैबिनेट में शामिल 45 मंत्रियों में सबसे कम उम्र की हैं। 16वीं लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को जोरदार टक्कर दी। इसी का नतीजा था कि पार्टी ने चुनाव हारने के बाद भी ईरानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। स्मृति के लिए मोदी ने अमेठी में राहुल के खिलाफ रैली भी की। यहां मोदी ने मंच से स्मृति ईरानी को अपना बहन बताया। स्मृति का सियासी सफर 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद शुरू हुआ था।

 

2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद स्मृति ने 2009 में चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन प्रखर वक्ता होने के कारण वह टीवी पर पार्टी का प्रमुख चेहरा बनने में कामयाब रहीं। स्मृति ईरानी 2011 में गुजरात से राज्यसभा सांसद बनीं। लेकिन राजनीति में बेहद कम तजुर्बा रखने वाली स्मृति का सियासी सफर चमत्कारिक साबित हुआ। कैबिनेट मंत्री के स्तर तक पहुंचने में आम तौर पर नेताओं को राजनीति में दशकों खपाने पड़ते हैं। लेकिन स्मृति ईरानी को 10-11 वर्षों में ही मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिल गया।

 

मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी कुछ लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। मोदी समर्थक नारीवादी चिंतक मधु किश्वर ने स्मृति के 12 वीं पास होने पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एचआरडी मंत्री के रूप में देश को इससे बेहतर नेता मिलना चाहिए था। 

सोमवार, 19 मई 2014

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं- Suresh Chandra Shukla

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं  कर चुका हूँ. दूसरी यात्रा में जबलपुर में १२ और १३ मार्च को  एक साहित्यिक सम्मलेन में भाग लिया था. प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल और उनके साथियों का सहयोग और स्नेह न भूलने वाला था। 





















यह शहर मुझे वास्तविक संस्कारधानी लगता है. यहाँ एक प्रदर्शनी देखकर पता चला की यहां बहुत अधिक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य हुआ है और बहुत से सफल और नामचीनी पत्रकारों का कर्म क्षेत्र रहा है. इन दोनों यात्राओं में यहाँ के साहित्यिक मर्मज्ञों, नए लेखकों तथा युवाओं से मुलाक़ात हुयी है. उनकी रचनाएं सूनी, पढ़ीं है और कुछ रचनाएं अपनी पत्रिका स्पाइल-दर्पण में प्रकाशित भी की है. जबलपुर को मैं अपना भी साहित्यिक विरासत का हिस्सा मानने लगा हूँ.
 

करीबी परिचितों से मिलकर सुखद लगा था

करीबी परिचितों से मिलकर सुखद लगा था

आज एक तस्वीर मेरे हाथ लगी.  यह तस्वीर कुछ वर्ष पुरानी है. चित्र में बाएं से मेरे रेलवे में सहकर्मी जगलाल, हास्य कलाकार और केरीकेचर के लिए जानेमाने कलाकार विजय वास्तवा, मेरे अंग्रेजी  के के वी में अध्यापक  कृष्ण कुमार कक्कड़, नाटककार नौटियाल से हाथ मिलाते स्वयं मैं.
       





१८ अक्टूबर सन १९७२ से  २१ जनवरी १९८० तक लखनऊ  रेलवे   के सवारी और मालडिब्बे कारखाने में नौकरी की थी.
सन १९७६ से १९७९ तक  के के वी (बी एस एन  वी डिग्री कालेज) चारबाग लखनऊ में  बी ए  की शिक्षा प्राप्त की.

कुछ वर्ष पूर्व जब मुझे  दिसंबर के महीने में दर्पण नाट्य संस्था के नाट्य महोत्सव में चारबाग लखनऊ में स्थित रवीन्द्रालय में समाजसेवी भैयाजी के साथ जाने का अवसर मिला था तो कई बहुत करीबी परिचितों से मिलकर बहुत अच्छा लगा था.  

मेरे अंग्रेजी  के अध्यापक  कृष्ण कुमार कक्कड़ जी अक्सर मुझे (उलटा) गुरूजी  कहते थे.  विजय वास्तव मेरे मोहल्ले में होने वाले कार्यक्रमों में केरीकेचर प्रस्तुत करके लोकप्रियता प्राप्त कर चुके थे. विजय वास्तव जी मेरे मोहल्ले में के के पाण्डेय जी के भी परिचित थे  और  एक बहुत अच्छे फिल्म कलाकार भी थे. केरीकेचर के अतिरिक्त उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए फिल्मों में भी काम किया था जबकि वह रेलवे में कार्यरत थे.  

जगलाल मेरे रेलवे में सहकर्मी थे तथा मवैया, लखनऊ में रहते थे जहाँ मेरा राजनीति से जुड़ाव बढ़ रहा था और  छात्र युवा क्रांतिकारी संघ का महामंत्री बनने के बाद कुछ वर्षों तक अक्सर जाना होता था जहाँ एक पुस्तकालय में एक पत्र  का दानदाता भी था.     


 

पुरानी बातें ताजी हुईं। - Suresh Chandra Shukla



कल हम सपरिवार अनुराग के घर गये. अनुराग मेरे बड़े बेटे का नाम है और कल उसने अपनी बेटी के नामकरण पर हम सभी को बुलाया था. संगीता, माया भारती और मेरे बड़े भाई भी आये थे.
पुरानी बातें ताजी हुईं।
मुझे अपनी माँ के याद आयी और उन्हें हम दोनों ने याद किया तो संगीता ने भाई की साइकिल यात्रा के संस्मरण पूछे। उन्होंने संछिप्त में बताया भी.  अपनी गोदावरी बुआ जी को भी याद किया जिनका निधन सत्तर दशक में हुआ था. हम लोगों से बहुत स्नेह रखने वाली  बुआ जो मेरी बड़ी बुआ रामरती से छोटी थीं और निर्धनता के कारण  वह परिवार के बहुत लोगों का स्नेह न पा सकीं।
बड़ी चाची को भी दोनों भाइयों ने स्मरण किया। बड़ी चाची बहुत सुन्दर, सरल स्वभाव की थीं अरु बहुत परिश्रमी थीं. बड़े चाचा के फक्कड़ स्वभाव के होने के कारण और  साधुओं की सांगत में घूमने के कारण मेरी स्वर्गीय बड़ी चाची ने जीवन का सुख नहीं जाना।  अभी कुछ महीने पहले मार्च २०१४ के एक दिन जब मैं जबलपुर से लखनऊ की यात्रा पर जा रहा था तब कानपुर के पहले कठारा रोड स्टेशन जो भीमसेन का पड़ोसी स्टेशन है पर रेल रुकी थी मैं वहां उतरा था वहां से मेरी माँ का गाँव सात किलोमीटर और चाची का गाँव ९ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.   बड़ी चाची ने दूसरों की सेवा में जीवन गुजार दिया।  मेरी माँ उन्हें अक्सर कुछ समय के लिए अपने पास बुला लेती थीं.      

मेरा परिवार उत्तर प्रदेश की जीवन  जीवन शैली जानने का एक प्रतीकात्मक उदाहरण है. जहाँ उच्च शिक्षा के बावजूद सामयिक-तार्किक और न्यायिक सीमित समझ केवल शक्ति और अर्थ के आस-पास सिमट कर रह गयी है. हाँ व्यक्तिगत स्वाभिमान में कमी नहीं है.
 

      

शनिवार, 17 मई 2014

17 May नार्वे का राष्ट्रीय दिवस संविधान दिवस, वह भी २०० वीं वर्षगाँठ,- Suresh Chandra Shukla

१ ७ मई पर सभी को हार्दिक बधायी। 
१ ७ मई, आज नार्वे का राष्ट्रीय दिवस है, संविधान दिवस, वह भी २०० वीं वर्षगाँठ, बच्चों के लिए विशेष दिन जिन्हें पूरी तरह से सम्मिलित किया जाता है और उनकी खुशी का इस राष्ट्रीय उत्सव पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मैं निकिता और अलेक्सान्दर के स्कूल गया जहाँ जहाँ यह दिवस मनाया जा रहा था. 
१ ७ मई पर सभी को हार्दिक बधायी।   भारत में आ गयी है बी जे पी सरकार. पहली बार मोदी सरकार और पहली बार आम आदमी पार्टी।  कल १६ मई को भारत में लोकसभा चुनाव के परिणाम आ गए. सभी को विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत में आम चुनाव पर विजयी प्रतिनिधियों और देश विदेश में रहने वाले भारतीयों और भारत के शुभचिंतकों को हार्दिक बधायी। 

सोमवार, 12 मई 2014

संसद से सड़क तक - Suresh Chandra Shukla

संसद से सड़क तक

शरद आलोक

संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है
आम आदमी रोज मर कर
जिला रहा है सपना
देश में उसका होकर भी
क्यों नहीं उसका अपना।
यह चुनाव देश का भी है
अब चुनाव जनता का है
भूखे मरती जनता में भी
शक्ति क्षमता का है
पहचाना किसी ने उसे
झुठलाया किसी ने उसे.
किसी ने न जगाया जब
वह देश को जगाता है.
हटो रास्ता दो हमें
आ रहा मत दाता है
हटाए विवादों को सब
खोल रहा अपना खाता है.
उठो सड़क पर सोये
उठो भूखे किसानों तुम.
अब न बिकेंगे हम
अब न रुकेंगे हम
खेत में हमारे वह अनाज को उगाता है
अब खलियानों में अनाज न सड़ेगा यहां
आम आदमी आता है
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है.. 
 

गुरुवार, 1 मई 2014

रविवार, 27 अप्रैल 2014

आज मौसम हुआ मेहरबान

आज मौसम हुआ मेहरबान 
आपका दिन मंगलमय हो. बहुत महीने की शरद ऋतु  के बाद अब मौसम अच्छा होने लगा है  खैर आज मेरी पुस्तक 'सरहदों के पार' का लोकार्पण है, यह एक साधारण कार्यक्रम है जहाँ सभी पीढ़ी के लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है. गीत संगीत और कविता कहानी का भी जायका मिलने की संभावना है. कार्यक्रम वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में है आज रविवार 27  अप्रैल को शाम चार बजे.    

ओस्लो में कार्यक्रमों की बाढ़


कल ओस्लो की सैर की. सूरज का चमकना ही अपने आप में अच्छे मौसम की दुहाई देता है. कल तीन कार्यक्रमों में जाना हुआ. पहले कार्यक्रम (एक सेमीनार) में पूर्व संसद अर्लिंग फोल्केवोर्द ने नार्वे में रेसिज्म और भेदभाव और उसके आधारभूत तत्वों की उदाहरण देते हुए चर्चा की तो दूसरा कार्यक्रम ईस्टर के अवसर पर संगीत का कार्यक्रम था जिसमें भारतियों ने बी अपने संगीत के स्वर दिए थे और तीसरे कार्यक्रम अखंड रामायण के पाठ में में सम्मिलित हुआ और थोड़ी देर तक रामायण पाठ किया।
मुझे बचपन के दिन याद आ गए जब मेरी माताजी मुझे रामायण का पाठ करने के लिए प्रोत्साहित करती थीं और स्वयं भी पाठ करती थीं. तुलसी रामायण जान भाषा में होने के कारण जनता में ग्राह्य हो सकी. कबीर दास जी की वाणी ने भी सादगी में गंभीरता से हमारे गौरवपूर्ण दर्शन को सम्मान प्रदान किया। आज साहित्य में सरलता और ईमानदारी से ज्यादा प्रचार-प्रसार भारी पद रहे हैं. पर भाई एक बात से बहुत इत्मीनान मिलता है कि सरलता और ईमानदारी से सृजनकार्य करने से ज्यों का त्यों जीवन जीना होता है न कि लाग-लपेट और छिपना और छिपाना होता है. जो सामने है वही सत्य ज्यादा आकर्षित करता है. खैर आज मेरी पुस्तक 'सरहदों के पार' का लोकार्पण है, यह एक साधारण कार्यक्रम है जहाँ सभी पीढ़ी के लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है. गीत संगीत और कविता कहानी का भी जायका मिलने की संभावना है. कार्यक्रम वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में है आज रविवार 27  अप्रैल को शाम चार बजे.    


रविवार, 20 अप्रैल 2014

Parliament-valg i India er største i historien. Det er nærmere en million lokaler hvor inderne kan avlegge sine stemmer i parlamentsvalget. Parlamentsvalg holdes hvert femte år. Godt valg!  आपका चुनाव शुभ हो!  दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव हो रहे हैं. देश और विदेश में रहने वाले भारतीय-भारतीय मूल के लोगों में चुनाव को लेकर उत्साह, खुशी और आशाएं हैं. हमारे देश के सुख- दुख हमारे सुख दुःख हैं. चुनाव परिणाम १६ मई से पता चलना शुरू होंगे।

सोमवार, 3 मार्च 2014

भैया मैं तो बाबा (दादा ) बन गया - शरद आलोक

भैया मैं तो बाबा (दादा ) बन गया


धन्यवाद ईश्वर का और मेरी बड़ी बहू मेरेते और  बड़े पुत्र अनुराग का जिनकी कृपा से मैं दादा बन गया इन्ही के कारण  मुझे एक प्यारी सी नन्ही सी परीनुमा पोती प्राप्त हुयी और  बाबा/दादा बना।  नाना तो पहले ही बन चुका हूँ.  इसी के साथ अपनी संगनी माया जी का भी आभार।
वैसे तो पहले मैं अपने बड़े भतीजे जय प्रकाश और भारत के कारण बाबा बन चुका हूँ पर अपने बड़े पुत्र अनुराग की पुत्री होने पर आज फिर  दादा/बाबा बन गया  हूँ।
मुझे अपने पूर्वजो की याद आयी और मन ही मन उन्हें  प्रणाम किया। मेरे बाबा श्री मन्ना लाल शुक्ल, पिता श्री बृजमोहन लाल शुक्ल, मेरी माँ श्रीमती किशोरी देवी शुक्ल को भी मन ही मन प्रणाम किया। मेरे दादा-दादी  और माता -पिता तो इस दुनिया में नहीं है पर उनकी संतानों को भविष्य की नयी पीढ़ी के नए सदस्य के आगमन पर परिवार का गौरव बढ़ा है.
आप सभी को धन्यवाद जिनकी शुभकामनायें  और आशीष सदा पुत्र अनुराग और बहू मेरेते और परिवार के साथ रहा.  यह शुभ सूचना आज 4 मार्च को शाम नार्वे के रात्रि नौ 9:00 बजे प्राप्त हुयी।  तब भारत में  5 मार्च 2014 हुए थे. नये समाचार आगे सूचित करूंगा। 
जब मुझे अपने बाबा बनने की खबर मिली तो मैं नार्वे के एक  बाजार में खरीददारी कर रहा था और अनुराग विद्यार्थी मेरे साथ थे.
कल जब मुझे भारत जाना है तो यहाँ नार्वे फोन करके मझे इस बारे में यह पूछना नहीं पड़ेगा कि  क्या खबर है माया जी!  भारत में अपना फोन नंबर वहाँ पहुँच कर लिखूंगा।
मेरी बेटी संगीता का जन्म 6 मार्च को है.  ईश्वर की कृपा से अब बुआ (संगीता) और भतीजी (नवजन्मी पौत्री) एक सप्ताह में ही अपना जन्मदिन मनाया करेंगी।
खुश रहो, जब तलक दुनिया में सूरज रहे,
सारी  खुशिया से तुम्हारी झोली भरें।
स्वस्थ रहो, नेक, तेज जीवन में हो,
ईश्वर की कृपा और  आशीस हमारा रहे।
-शरद आलोक, ओस्लो, 4 मार्च शाम 21:42 बजे.  

रविवार, 9 फ़रवरी 2014

Do kavitaayen 'लखनऊ को नमन' और 'पत्रकारिता' -Suresh Chandra Shukla

लखनऊ को नमन 
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 











मेरा भी अभिवादन करना
लखनऊ नगर है अपना
जहाँ दो घूँट  जल पीकर,
ममता का सागर बहना।

ये यादों के गुलमोहर
कितने हरसिंगार बिछाये।
लखनऊ नहीं यह जीवन!
सीने में चलचित्र सजाये।

कोमल-कोपल लखनौआ,
कितने ही पीर छिपाए
कब्रगाहों -शमशानों से पूछों
बस परवाने जलते आये
ये है लखनऊ का वैभव,
या मेरा पागलपन है.
जहाँ गलियों में नुपुर बजते
वह मेरा घर-आँगन है!
जहाँ बचपन- यौवन बीता,
आवारा बन घूमा हूँ
तुलसी-अमीना के पग धोये
शिक्षा प्रसार में घूमा हूँ..

नार्वे  की चमक निराली
पग-पग भरी सुंदरता
वैभव ने दिया आकर्षण
जहाँ न्योछावर हुयी भावुकता।
जहाँ जबान नहीं थकती थी,
प्रियतम के गुण गा -गाकर।
मानो नजर लगी पश्चिम की,
झूठी कसमें खा-खाकर।।
मेरा  मालिक संसारी,
दुनिया का बड़ा खिलाड़ी।
जितना ऊपर उड़ना चाहूँ
मैं उतना बन उड़ूँ अनाड़ी।   -शरद आलोक Oslo, 09.02.14
                        
पत्र और पत्रकारिता
  सु रेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
















 

हिस्सेदारी बहुत जरूरी,
यह प्रेस की है मजबूरी।
मिल जाएँ विज्ञापन इतने,
समाचार नहीं लाचारी!
मालिक खा पकवान प्रेस के,
पत्रकारों  की मारामारी।
प्रदर्शन जहाँ कमजोर वर्ग का,
पत्रकार के कैमरे मुंह मोड़ते।
यदि कोई मोटा मुर्गा हो,
उसका विज्ञापन जोर-शोर से!
ऐसे दैनिक भरे पड़े हैं,
जिनके तेवर गोलमोल से!
 
पत्रकार को  कितनी आजादी?
चलती है प्रेस की दुनियादारी।
कारों से घूमें मालिक जी,
पत्रकार करे मूस सवारी। 

प्रथम पेज पर समाचार को कम,
अब विज्ञापन को प्राथमिकता।
अच्छा पत्र नहीं कहलाता वह,
विज्ञापन जहाँ  समाचार पर कब्जा करता।
Oslo, 09.02.14