रविवार, 9 फ़रवरी 2014

Do kavitaayen 'लखनऊ को नमन' और 'पत्रकारिता' -Suresh Chandra Shukla

लखनऊ को नमन 
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 











मेरा भी अभिवादन करना
लखनऊ नगर है अपना
जहाँ दो घूँट  जल पीकर,
ममता का सागर बहना।

ये यादों के गुलमोहर
कितने हरसिंगार बिछाये।
लखनऊ नहीं यह जीवन!
सीने में चलचित्र सजाये।

कोमल-कोपल लखनौआ,
कितने ही पीर छिपाए
कब्रगाहों -शमशानों से पूछों
बस परवाने जलते आये
ये है लखनऊ का वैभव,
या मेरा पागलपन है.
जहाँ गलियों में नुपुर बजते
वह मेरा घर-आँगन है!
जहाँ बचपन- यौवन बीता,
आवारा बन घूमा हूँ
तुलसी-अमीना के पग धोये
शिक्षा प्रसार में घूमा हूँ..

नार्वे  की चमक निराली
पग-पग भरी सुंदरता
वैभव ने दिया आकर्षण
जहाँ न्योछावर हुयी भावुकता।
जहाँ जबान नहीं थकती थी,
प्रियतम के गुण गा -गाकर।
मानो नजर लगी पश्चिम की,
झूठी कसमें खा-खाकर।।
मेरा  मालिक संसारी,
दुनिया का बड़ा खिलाड़ी।
जितना ऊपर उड़ना चाहूँ
मैं उतना बन उड़ूँ अनाड़ी।   -शरद आलोक Oslo, 09.02.14
                        
पत्र और पत्रकारिता
  सु रेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
















 

हिस्सेदारी बहुत जरूरी,
यह प्रेस की है मजबूरी।
मिल जाएँ विज्ञापन इतने,
समाचार नहीं लाचारी!
मालिक खा पकवान प्रेस के,
पत्रकारों  की मारामारी।
प्रदर्शन जहाँ कमजोर वर्ग का,
पत्रकार के कैमरे मुंह मोड़ते।
यदि कोई मोटा मुर्गा हो,
उसका विज्ञापन जोर-शोर से!
ऐसे दैनिक भरे पड़े हैं,
जिनके तेवर गोलमोल से!
 
पत्रकार को  कितनी आजादी?
चलती है प्रेस की दुनियादारी।
कारों से घूमें मालिक जी,
पत्रकार करे मूस सवारी। 

प्रथम पेज पर समाचार को कम,
अब विज्ञापन को प्राथमिकता।
अच्छा पत्र नहीं कहलाता वह,
विज्ञापन जहाँ  समाचार पर कब्जा करता।
Oslo, 09.02.14

रविवार, 2 फ़रवरी 2014

Den kjente indiske skribenten Khushvant singh har bursdag i dag. Gratulerer med dagen.


आज 2 फरवरी है.  2 फरवरी 1915  को हमारे महान वरिष्ठ पत्रिकार, साहित्यकार खुशवंत सिंह जी का  जन्म हुआ. इनकी लेखनी ने लाखों को खुश किया आनंद दिया और अपनी लेकनि का लोहा मनवाया।   खुशवंत सिंह एक स्पष्टवादी और हरफनमौला व्यक्ति हैं. अपने कालमों के लिए मशहूर खुशवंत सिंह जी एक बहुत अच्छे कहानीकार भी हैं.  उनकी 98 वर्ष की आयु में भी उनकी पुस्तक: The Good, The Bad and The Ridiculous,   प्रकाशित हुई है क्या यह उनकी अंतिम पुस्तक होगी? 

लगभग दस वर्ष पहले भी वह व्यस्त व्यक्ति थे. मैंने उन्हें फोन किया और  बताया कि आपसे पुस्तक के बारे में कुछ लिखाना चाहता हूँ अतः आपसे आज-कल में मिलना चाहता हूँ तो उन्होंने कहा था कि एक महीने पहले समय लेना था. विनय किया कि समय जल्दी दे दीजिये तो उन्होंने कहा कि इतना खाली नही हूँ. मुझसे मिलने के लिए एक महीने का समय लगेगा। कुछ भी हो इस आदरणीय लेखक को मेरी शुभकामनाएं। वह शतायु हों और विश्व के सबसे आयु वाले व्यक्ति बनें यही कामना है.