शुक्रवार, 23 मई 2014

सभी निर्वाचित महिला मंत्रीगण बहुत योग्य और अनुभवी - Suresh Chandra Shukla

माननीय मंत्री स्मृति  ईरानी बहुत योग्य और अनुभवी 
 - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 ऊपर चित्र में स्मृति ईरानी मंत्री पद की शपथ लेते हुए 
और नीचे चित्र में सभी निर्वाचित महिला मंत्रीगण  
 
हमारी पन्द्रवीं लोकसभा में अनेक महिला-सांसदों को मंत्री बनाया गया है यह बहुत गर्व की बात है. पता चला है कि  कुछ लोग महिला मंत्रियों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं और जो एक तरह से प्रजातंत्र का मजाक उड़ाना है.  जिसे जनता ने चुना है वह सर्वमान्य ही नहीं आदरणीय भी है.  हमारे देश में महिलाओं को पहले ही कम समझने और कम आंकने की  बीमारी है.
जैसी जनता होगी, वैसे ही प्रजा होगी और वैसी ही सरकार। सरकार और चुने हुए प्रतिनिधि हमारे देश का आइना हैं. यदि हमें जो भी सुधार लाना है या बदलाव आना है  वह सब अपने आपसे और अपने परिवार से शुरू होता है.
 
इस नयी सरकार से बदलाव आना तो शुरू हो गया है. अब जनता का सहयोग और उसका योगदान उसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. जैसे पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखना, भ्रष्टाचार को समाप्त करना और सभी के लिए सामान शिक्षा की सुविधा होना। इन सभी मुद्दों पर सभी को साथ देना होगा।
पहले हमारी श्रद्देय महिला मंत्रियों को आदर दीजिये और फिर अपने-अपने घरों में विचार कर महिलाओं को वही शिक्षा दिलाइए जो आप अपने घरों में लड़कों को शिक्षा देते हैं.
दुःख की बात है कि  भारत देश में अभी भी बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, देखिये आपके पड़ोस में तो ऐसा नहीं है, क्या आप उनकी मदद कर सकते हैं? सरकारी स्कूलों से भ्रष्टाचार मिटा सकते हैं? सरकारी और गावं के स्कूलों को उन्हें सुन्दर और  शिक्षा के योग्य बनाने में आप अपना क्या योगदान दे सकते हैं? क्या गावं की सड़क या स्कूल जाने तक का मार्ग टूटा-फूटा है क्या आप आपसी सहयोग और श्रमदान के जरिये उसे बेहतर बना सकते हैं? यदि हाँ तो हमारा देश और भी सुन्दर, साफ़ सुथरा होगा जहाँ धीरे-धीरे सभी शिक्षित हो जाएंगे!
यह मत सोचें की देश ने आपको क्या दिया है? यह सोचें की आपने देश को क्या दिया है और क्या दे सकते हैं?
   
             
स्मृति ईरानी 

 महज 38 साल की स्मृति ईरानी मोदी की कैबिनेट में शामिल 45 मंत्रियों में सबसे कम उम्र की हैं। 16वीं लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को जोरदार टक्कर दी। इसी का नतीजा था कि पार्टी ने चुनाव हारने के बाद भी ईरानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। स्मृति के लिए मोदी ने अमेठी में राहुल के खिलाफ रैली भी की। यहां मोदी ने मंच से स्मृति ईरानी को अपना बहन बताया। स्मृति का सियासी सफर 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद शुरू हुआ था।

 

2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद स्मृति ने 2009 में चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन प्रखर वक्ता होने के कारण वह टीवी पर पार्टी का प्रमुख चेहरा बनने में कामयाब रहीं। स्मृति ईरानी 2011 में गुजरात से राज्यसभा सांसद बनीं। लेकिन राजनीति में बेहद कम तजुर्बा रखने वाली स्मृति का सियासी सफर चमत्कारिक साबित हुआ। कैबिनेट मंत्री के स्तर तक पहुंचने में आम तौर पर नेताओं को राजनीति में दशकों खपाने पड़ते हैं। लेकिन स्मृति ईरानी को 10-11 वर्षों में ही मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिल गया।

 

मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी कुछ लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। मोदी समर्थक नारीवादी चिंतक मधु किश्वर ने स्मृति के 12 वीं पास होने पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एचआरडी मंत्री के रूप में देश को इससे बेहतर नेता मिलना चाहिए था। 

सोमवार, 19 मई 2014

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं- Suresh Chandra Shukla

जबलपुर की दो साहित्यिक यात्राएं  कर चुका हूँ. दूसरी यात्रा में जबलपुर में १२ और १३ मार्च को  एक साहित्यिक सम्मलेन में भाग लिया था. प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल और उनके साथियों का सहयोग और स्नेह न भूलने वाला था। 





















यह शहर मुझे वास्तविक संस्कारधानी लगता है. यहाँ एक प्रदर्शनी देखकर पता चला की यहां बहुत अधिक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य हुआ है और बहुत से सफल और नामचीनी पत्रकारों का कर्म क्षेत्र रहा है. इन दोनों यात्राओं में यहाँ के साहित्यिक मर्मज्ञों, नए लेखकों तथा युवाओं से मुलाक़ात हुयी है. उनकी रचनाएं सूनी, पढ़ीं है और कुछ रचनाएं अपनी पत्रिका स्पाइल-दर्पण में प्रकाशित भी की है. जबलपुर को मैं अपना भी साहित्यिक विरासत का हिस्सा मानने लगा हूँ.
 

करीबी परिचितों से मिलकर सुखद लगा था

करीबी परिचितों से मिलकर सुखद लगा था

आज एक तस्वीर मेरे हाथ लगी.  यह तस्वीर कुछ वर्ष पुरानी है. चित्र में बाएं से मेरे रेलवे में सहकर्मी जगलाल, हास्य कलाकार और केरीकेचर के लिए जानेमाने कलाकार विजय वास्तवा, मेरे अंग्रेजी  के के वी में अध्यापक  कृष्ण कुमार कक्कड़, नाटककार नौटियाल से हाथ मिलाते स्वयं मैं.
       





१८ अक्टूबर सन १९७२ से  २१ जनवरी १९८० तक लखनऊ  रेलवे   के सवारी और मालडिब्बे कारखाने में नौकरी की थी.
सन १९७६ से १९७९ तक  के के वी (बी एस एन  वी डिग्री कालेज) चारबाग लखनऊ में  बी ए  की शिक्षा प्राप्त की.

कुछ वर्ष पूर्व जब मुझे  दिसंबर के महीने में दर्पण नाट्य संस्था के नाट्य महोत्सव में चारबाग लखनऊ में स्थित रवीन्द्रालय में समाजसेवी भैयाजी के साथ जाने का अवसर मिला था तो कई बहुत करीबी परिचितों से मिलकर बहुत अच्छा लगा था.  

मेरे अंग्रेजी  के अध्यापक  कृष्ण कुमार कक्कड़ जी अक्सर मुझे (उलटा) गुरूजी  कहते थे.  विजय वास्तव मेरे मोहल्ले में होने वाले कार्यक्रमों में केरीकेचर प्रस्तुत करके लोकप्रियता प्राप्त कर चुके थे. विजय वास्तव जी मेरे मोहल्ले में के के पाण्डेय जी के भी परिचित थे  और  एक बहुत अच्छे फिल्म कलाकार भी थे. केरीकेचर के अतिरिक्त उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए फिल्मों में भी काम किया था जबकि वह रेलवे में कार्यरत थे.  

जगलाल मेरे रेलवे में सहकर्मी थे तथा मवैया, लखनऊ में रहते थे जहाँ मेरा राजनीति से जुड़ाव बढ़ रहा था और  छात्र युवा क्रांतिकारी संघ का महामंत्री बनने के बाद कुछ वर्षों तक अक्सर जाना होता था जहाँ एक पुस्तकालय में एक पत्र  का दानदाता भी था.     


 

पुरानी बातें ताजी हुईं। - Suresh Chandra Shukla



कल हम सपरिवार अनुराग के घर गये. अनुराग मेरे बड़े बेटे का नाम है और कल उसने अपनी बेटी के नामकरण पर हम सभी को बुलाया था. संगीता, माया भारती और मेरे बड़े भाई भी आये थे.
पुरानी बातें ताजी हुईं।
मुझे अपनी माँ के याद आयी और उन्हें हम दोनों ने याद किया तो संगीता ने भाई की साइकिल यात्रा के संस्मरण पूछे। उन्होंने संछिप्त में बताया भी.  अपनी गोदावरी बुआ जी को भी याद किया जिनका निधन सत्तर दशक में हुआ था. हम लोगों से बहुत स्नेह रखने वाली  बुआ जो मेरी बड़ी बुआ रामरती से छोटी थीं और निर्धनता के कारण  वह परिवार के बहुत लोगों का स्नेह न पा सकीं।
बड़ी चाची को भी दोनों भाइयों ने स्मरण किया। बड़ी चाची बहुत सुन्दर, सरल स्वभाव की थीं अरु बहुत परिश्रमी थीं. बड़े चाचा के फक्कड़ स्वभाव के होने के कारण और  साधुओं की सांगत में घूमने के कारण मेरी स्वर्गीय बड़ी चाची ने जीवन का सुख नहीं जाना।  अभी कुछ महीने पहले मार्च २०१४ के एक दिन जब मैं जबलपुर से लखनऊ की यात्रा पर जा रहा था तब कानपुर के पहले कठारा रोड स्टेशन जो भीमसेन का पड़ोसी स्टेशन है पर रेल रुकी थी मैं वहां उतरा था वहां से मेरी माँ का गाँव सात किलोमीटर और चाची का गाँव ९ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.   बड़ी चाची ने दूसरों की सेवा में जीवन गुजार दिया।  मेरी माँ उन्हें अक्सर कुछ समय के लिए अपने पास बुला लेती थीं.      

मेरा परिवार उत्तर प्रदेश की जीवन  जीवन शैली जानने का एक प्रतीकात्मक उदाहरण है. जहाँ उच्च शिक्षा के बावजूद सामयिक-तार्किक और न्यायिक सीमित समझ केवल शक्ति और अर्थ के आस-पास सिमट कर रह गयी है. हाँ व्यक्तिगत स्वाभिमान में कमी नहीं है.
 

      

शनिवार, 17 मई 2014

17 May नार्वे का राष्ट्रीय दिवस संविधान दिवस, वह भी २०० वीं वर्षगाँठ,- Suresh Chandra Shukla

१ ७ मई पर सभी को हार्दिक बधायी। 
१ ७ मई, आज नार्वे का राष्ट्रीय दिवस है, संविधान दिवस, वह भी २०० वीं वर्षगाँठ, बच्चों के लिए विशेष दिन जिन्हें पूरी तरह से सम्मिलित किया जाता है और उनकी खुशी का इस राष्ट्रीय उत्सव पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मैं निकिता और अलेक्सान्दर के स्कूल गया जहाँ जहाँ यह दिवस मनाया जा रहा था. 
१ ७ मई पर सभी को हार्दिक बधायी।   भारत में आ गयी है बी जे पी सरकार. पहली बार मोदी सरकार और पहली बार आम आदमी पार्टी।  कल १६ मई को भारत में लोकसभा चुनाव के परिणाम आ गए. सभी को विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत में आम चुनाव पर विजयी प्रतिनिधियों और देश विदेश में रहने वाले भारतीयों और भारत के शुभचिंतकों को हार्दिक बधायी। 

सोमवार, 12 मई 2014

संसद से सड़क तक - Suresh Chandra Shukla

संसद से सड़क तक

शरद आलोक

संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है
आम आदमी रोज मर कर
जिला रहा है सपना
देश में उसका होकर भी
क्यों नहीं उसका अपना।
यह चुनाव देश का भी है
अब चुनाव जनता का है
भूखे मरती जनता में भी
शक्ति क्षमता का है
पहचाना किसी ने उसे
झुठलाया किसी ने उसे.
किसी ने न जगाया जब
वह देश को जगाता है.
हटो रास्ता दो हमें
आ रहा मत दाता है
हटाए विवादों को सब
खोल रहा अपना खाता है.
उठो सड़क पर सोये
उठो भूखे किसानों तुम.
अब न बिकेंगे हम
अब न रुकेंगे हम
खेत में हमारे वह अनाज को उगाता है
अब खलियानों में अनाज न सड़ेगा यहां
आम आदमी आता है
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है.. 
 

गुरुवार, 1 मई 2014