सोमवार, 30 मार्च 2015

अमिताभ बच्चन को हार्दिक शुभकामनायें। Gratulerer Amitabh bachchan.

अमिताभ बच्चन को हार्दिक शुभकामनायें। Gratulerer Amitabh bachchan.

Den berømte filmstjerne Amitabh Bachchan har fått Padm-prisen (Padmvibhushan Award) av den indiske presidenten i dag. Gratulerer. 
मेरे प्रिय कलाकार अमिताभ बच्चन को पद्मविभूषण पुरस्कार आज दिली में हमारे राष्ट्रपति द्वारा दिया गया. महानायकचित्र में: लगभग २० वर्ष पहले लन्दन में मैं उन्हें अपनी काव्य पुस्तक भेंट कर रहा हूँ.

सुनील जोगी को पद्मश्री सम्मान बहुत बहुत बधाई।


सुनील जोगी को पद्मश्री सम्मान

Min venn Sunil Jogi fikk Padmshri award fra Den indiske presidenten i dag i New Delhi. Gratulerer. Han har vært i Norge. मेरे प्रिय मित्र सुनील जोगी को आज राष्ट्रपति द्वारा  दिल्ली में दिया गया. चित्र ओस्लो में नॉर्वीजियन लेखक यूनियन के कार्यालय में लिया गया है हमारे साथ लेखक यूनियन के उपाद्यक्ष हैं।   

शुक्रवार, 13 मार्च 2015

Anna Hajare - Suresh Chandra Shukla

शरद आलोक और अन्ना  हजारे (अक्टूबर 2014 )

आदरणीय अन्ना हजारे के  पर्यावरण कार्य से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ. हम दोनों ने एक कार्यक्रम में साथ-साथ भाग लिया जिसमें उनके सानिध्य से काफी कुछ सीखने का अवसर मिला।


बाएं से शरद आलोक, अन्ना  हजारे और डॉ विजय कुमार राउत  

सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
  

मंगलवार, 10 मार्च 2015

लेखनी कर उनका गुणगान!! -Suresh Chandra Shukla

प्रथम विश्व युद्ध के 100 वर्ष, भारतीय जवानों को नमन 
अमर जवानों को धर ध्यान।
लेखनी कर उनका गुणगान!!

जो सीमाओं पर पहरा देते,
रक्षा करते  ये वीर जवान। 
प्रथम विश्व युद्ध में शीश गवायाँ
चौहत्तर हजार हुए बलिदान।
     अमर जवानों को धर ध्यान।

     लेखनी कर उनका गुणगान!!

देश के अन्दर नव आशायें
बुला रही हम सबको  प्राण।
हर जन-जन तक पहुंचायें,
रोटी कपड़ा और मकान।।
     जो मानवता का रखें मान.
     लेखनी कर उनका गुणगान!!

बाल मजदूरी और दासता
दोनों को दूर भगाना है
भूखे हैं आजाद देश में 
पूरे  समाज पर ताना है.
     देश सेवा जो करें किसान।
     लेखनी कर उनका गुणगान!!

भ्रष्टाचार-भेदभाव से
देश को मुक्त कराना है.
इस देश में सारे बच्चों को
भरपेट स्कूल भी जाना है.
     जो न्याय दिलाते  ससम्मान।
     लेखनी कर उनका गुणगान!!

समान हक़ पत्नी को  देते,
बेटी पर गर्व करें संतान।
निशुल्क शिक्षा व इलाज दे
बच्चों को दो स्वाभिमान।।
      अधिकार दिलाये जो इन्सान।
      लेखनी कर उनका गुणगान!!
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ओस्लो, 10.03.15

भारतीय नारी नहीं बेचारी - Suresh Chandra Shukla



भारतीय नारी नहीं बेचारी

ओस्लो में लेखक गोष्ठी 

'भारतीय नारी नहीं बेचारी' एक लेख विनोद बब्बर जी ने लिखा था. यह नार्वे में भी लागू होता है.
नार्वे में राजनीति, पत्रकारिता में महिलायें 40 से 50 प्रतिशत तक हैं. मेरी राजनैतिक पार्टी ने कहा है कि पार्टी में 50 % स्थान महिलाओं को मिलना चाहिये।  7  मार्च को वाइतवेत, ओस्लो में लेखक गोष्ठी में महिला दिवस एक दिन पूर्व ही मनाया गया.  लेखक गोष्ठी में नार्वे और भारत में महिलाओं की स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर बातचीत की गयी. 
कार्यक्रम में पूर्व स्थानीय  मेयर थूरस्ताइन विंगेर ने सारपूर्ण वक्तव्य दिया।  80 वर्षीय लेखिका और महिला एक्टिविस्ट एलिन स्वेर्दरूप-थिग्गेसेन ने बताया सत्तर के दशक में उन्होंने नार्वे में महिला आंदोलन में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था और संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कार्यक्रम को महिला की भागीदारी से शुरू करना चाहिए और उसी से समाप्त करना चाहिये पर इससे सभी सहमत नहीं थे. इसके बाद ओस्लो के कुछ भागों में युवतियों के पार्क और खेल के स्थानों पर काम हिस्सा लेने पर चिंता जताई कवियित्री सिगरीद मारिये रेफ्सुम ने. इस विषय पर एक ने कहा कि समय करवट ले रहा है साथ ही परिवर्तन हो रहा है. तो एक ने कहा कि इन क्षेत्रों में  घर-घर जाकर इस पर लोगों को जागृत और प्रोत्साहन के लिए कार्य करना चाहिए।
इसके बात चर्चा का विषय हुआ भारत में बलात्कार पर बनी प्रतिबंधित डाक्यूमेंट्री फिल्म जो 6 मार्च को बीबीसी BBC टी वी पर दिखाई गयी थी और उसे 10 मार्च को नार्वे के राष्ट्रीय चैनल NRK-2 में दिखाया जाना था.  इस फिल्म पर चर्चा हुई. कुछ लोगों ने इसे मामूली फिल्म बताया और कहा कि देखना या न देखना आबादी बात नहीं है. बलात्कार की समस्या वैश्विक है इसपर ध्यान दिया जाना चाहिए और पुरुषों और समाज को अपना दृष्टिकोण बदलना चाहिए और महिला को भी समाज में समानता और आर्थिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिये। इस कार्यक्रम में भारतीय और नार्वेजीय मूल की महिलाओं की संख्या अधिक थी जिससे इस कार्यक्रम में चार चाँद लग गए थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा कि हमको अपने भारतीय संस्कार नहीं भूलने चाहिये।  यदि हम अपने माता-पिता और बड़ों की इज्जत करेंगे तो बच्चे देखकर सीखते हैं. 
हमारे संस्कार और त्यौहार हमको सहृदय, शिष्टाचार में रहना सिखाते हैं.  हमको बेटों की तरह बेटियों का भी जन्मदिन मनाना चाहिये। नार्वे में भारतीय लोग बैसाखी और सिख गुरु पर्वों पर खेलकूद आयोजित करते हैं जिसमें हमारी बहनें -बेटियां भी हिस्सा लेती हैं. नार्वे में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. मैं जब युवावस्था में था और लखनऊ में अपने मोहल्ले ( पुरानी  श्रमिक बस्ती ऐशबाग, लखनऊ  और नवीन श्रमिक बस्ती) में महिलायें (बहने- बेटियां, पड़ोसी आदि कार्यक्रमों: खेलकूदों नृत्य आदि में मंचों और पार्कों में हिस्सा लेते थे. पार्क में अलग-अलग, कहीं साथ-साथ बैठते घूमते थे पर अब जैसे-जैसे  हम आधुनिक युग में आ गए हैं बहुत कुछ बदला है कहीं हमने तरक्की की है और कहीं-कहीं हम बहुत पीछे चले गए हैं. रक्षा बंधन, भैया दूज, तीज, करवाचौथ आदि जैसे कई ऐसे त्यौहार हैं जो हमको अपने सांस्कारिक शिक्षा देते हैं? 
इसमें दो राय नहीं है कि घर और बाहर दोनों जगहों पर पुरुष और महिलाओं को गकरयों में समान जिम्मेदारी निभानी चाहिए और वह लोग नार्वे में निभा रहे हैं. शरद आलोक ने कहा कि  'निर्भया' पर बनी फिल्म 'भारतीय बेटी' कलात्मक फिल्म नहीं है पर इसे बैंड किये जाने से लोग देखना चाहते हैं. ठीक उसी तरह जैसे सलमान रुष्टी की पुस्तक सेटेनिक वार्स भी कोई साहित्यिक या कलात्मक पुस्तक नहीं थी पर पुस्तक पर प्रतिबन्ध होने से पश्चिम में अधिक खरीदी और पढ़ी गयी.      
कार्यक्रम के अंत में एक कविगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें इन लोगों ने अपनी कवितायें सुनाईं जिनमें  एलिन स्वेर्दरूप-थिग्गेसेन, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, चरण सिंह सांगा, गुरु शर्मा, सिगरीद मारिये रेफ्सुम, मारते अर्मांद रेमलोव, श्वेता मेरिदत्ता, माउरिनो मारिस और सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' मुख्य थे.
भारतीय दूतावास के ए के शर्मा जी ने अपनी शुभकामनाएं दीं और और आयोजक भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के कार्यों की सराहना की.