गुरुवार, 30 जुलाई 2015

Munshi Premchand jayanti at Oslo

मुंशी प्रेमचंद और सिगब्योर्न ओयस्तफेलदेर को याद किया जाएगा:  
Forfatterkafe vil markere Premchand og Sibjørn Ostfelder fredag den 31. juli kl. 17:30 på Stikk Innom på Veitvetsenter i Oslo
31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद (धनपत राय ) जी की जयन्ती पर उन्हें और नार्वेजीय लेखक सिगब्योर्न ओयस्तफेलदेर की पुण्यतिथि (29 जुलाई) पर लेखक गोष्ठी में याद किया जायेगा, 
स्थान: 
Stikk Innom, Veitvetsenter i Oslo
समय: 17:30 बजे 
प्रवेश निशुल्क।
आयोजक: भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम 
Arrangør: Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum

निकीता (मेरी नातिन) को जो दस वर्ष की हुई Mitt barnebarn Nikita fyller 10 år.

Mitt barnebarn Nikita fyller 10 år. Gratulerer.  Nikita leste egne dikt på norsk på hennes bursdag i fjor. निकीता (मेरी नातिन) को  जो दस वर्ष की हुई निकीता ने पिछले वर्ष अपनी स्वरचित कविता सुनायी थी वह नार्वेजीय भाषा में लिखी थी. वह हिन्दी भी पढ़ और लिख लेती है. मेरी बेटी संगीता अपने बाबा श्री बृजमोहन लाल शुक्ल की दुलारी थी.





रविवार, 5 जुलाई 2015

आज जब यूनान में जनमतसंग्रह हो रहा है- Suresh Chandra Shukla

Greske folk har folkeavstemning i dag. आज जब यूनान में जनमतसंग्रह हो रहा है


Graulerer og lykke til Greske kamerater. यह सर्वाधिक स्वागत योग्य है कि यूनान की जनता अपने देश की आर्थिक नीति तय करेगी। आज जब यूनान में जनमतसंग्रह हो रहा है इस बात को लेकर कि वह (मतदानपत्र में कुछ तथ्य दिए गए हैं यूनान की नीति को लेकर) हाँ और ना के पक्ष में मत देंगे। यूनान का कोई ख़ास बुरा नहीं होने वाला है जैसा कि हम समाचार पत्र में पढ़ते हैं. असल में समस्या तब आती है जब अर्थ तय करने लगता है राजनीति। असल में राजनीति को तय करना चाहिये किसी भी देश की राजनीति। ऐसा ही बवाल मचा था आइसलैंड को लेकर जब वह दीवालिया घोषित किया गया था पर अब सब ढर्रे पर आ गया था.
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
सम्पादक, स्पाइल और यूरोप संपादक, देशबन्धु राष्ट्रीय दैनिक, दिल्ली भारत
चित्र में बाएं से स्वयं मैं, यूनान की सांसद और अरबाइदर (labour) पार्टी के नेता।
På bilde fra venstre er meg selv (Suresh Chandra Shukla), en gresk stortings representant Aglaia Kyritsi og Roymond Johansen.

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

कविता में जीवन- Suresh Chandra Shukla

उस  कविता में जीवन होता है
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

अपराधी भी अलबत्ता तिलचट्टा होता है.
हट्टा खट्टा, मुसटंडा जो गुंडा होता है 
जो  ठोकर दे जाए उसको एक सबक जो भी 
वह मेरी कविता का असली मतलब होता है.

पापी के भीतर भी पैदा कर दे जो पुण्यांकन, 
घास -फूस  में किसान  जब उत्पन्न करे फसलें
आलसी, हाथ पर हाथ धरे, खड़ी नौजवान नस्लें।
उन्हें जगाये उस  कविता में जीवन होता है.