बुधवार, 26 अगस्त 2015

एक भारतीय श्री राजेंद्र सिंह जी को स्वीडेन में मिला बहुत बड़ा पुरस्कार। -Suresh Chandra Shukla

श्री राजेंद्र सिंह जी को स्वीडेन में मिला बहुत बड़ा जल पुरस्कार-2015 





जल पुरुष राजेन्द्र सिंह को अंतर्राष्ट्रीय जल सम्मान स्वीडेन में वहां के महामिम गुस्ताव स्वीडन के राजा के हाथों आज 26.08.15 को दिया या. यह पुरस्कार नोबल पुरुस्कार के बराबर माना जाता है . पूर्व में उन्हें मेगसेसे पुरूस्कार भी मिल चुका है .जल के लिए जीवन को समर्पित करने वाले राजेन्द्र सिंह को बहुत-बहुत शुभकामनायें। 
पुरस्कार की राशि डेढ़ लाख डॉलर है जो 1,3 मिलियन नार्वेजीय क्रोनर के बराबर है. 

रविवार, 16 अगस्त 2015

नार्वे में भारतीय स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया.

नार्वे में भारतीय स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया


16 अगस्त, ओस्लो।  
ओस्लो में भारतीय राजदूतनिवास 'इंडिया हाउस में राजदूत एन के ब्राउने ने प्रातः ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी का सन्देश पढ़ा और सभी को शुभकामनायें दीं. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय और कुछ प्रतिष्ठित नार्वेजीय उपस्थित थे.  ध्वजारोहण समारोह में सभी ने एक दूसरे को शुभकामनायें दीं. राजदूत महोदय ने राष्ट्रपति के सन्देश में एक ओर संसद के अखाड़ा बनने का जिक्र किया और  दूसरी और श्री कैलाश सत्यार्थी के नोबेल पुरस्कार मिलने और उससे भारत के गौरव बढ़ने की बात कही
शाम को स्पाइल के सम्पादक के निवास पर एक गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें लोगों ने भारत के आर्थिक विकास पर चर्चा की और कुछ लोगों ने कवितायें पढ़ीं। नार्वे में भारतीय स्वतंत्रता दिवस एक सप्ताह तक मनाया जाता है और विभिन्न जगहों पर तरह-तरह से भारतीय स्वाधीनता दिवस मनाते हैं.


मंगलवार, 4 अगस्त 2015


सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को  'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार देने की घोषणा 

4 अगस्त। ओस्लो, नार्वे।  
नार्वे निवासी सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने नार्वे में की गयी हिन्दी सेवा के लिए 'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की है. शरद आलोक जी नार्वे की. राजधानी ओस्लो से स्पाइल-दर्पण नामक पत्रिका गत ३५ वर्षों से हिंदी और नार्वेजीय भाषाओं में निकालते हैं. सुरेशचन्द्र  शुक्ल जी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचारपत्र देशबन्धु के यूरोप एडिटर भी हैं . इनकी कहानियों पर  आधारित पांच टेलीफिल्मों का निर्माण भी हुआ है जिनमें  टेलीफिल्म : तलाश , नार्वे और कनाडा की संयुक्त फिल्म ‘कनाडा की सैर’ ,आतंकवाद पर आधारित हिंदी लघुफिल्म ‘ गुमराह ‘ बन चुकी है . एक शिक्षाविद के रूप में भी उनकी पहचान है 
विदेशों में जिन लोगों ने हिन्दी साहित्य और संस्कृति की सेवा की उनमें सुरेशचन्द्र शुक्ल  'शरद आलोक' का नाम अग्रणी है जिन्होंने हिन्दी भाषा में आठ कविता संग्रह, दो नाटक संग्रह, तीन कहानी संग्रह, एक उपन्यास और बहुत सी नार्वे, स्वीडेन और डेनमार्क  की अनेक प्रसिद्द पुस्तकों का अनुवाद हिन्दी में किया है.
इसी वर्ष इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने इनकी काव्य-पुस्तक 'गंगा से ग्लोमा तक' को 
9 फरवरी 2015 को भोपाल में पुरस्कृत किया था.
इनकी चर्चित काव्य संग्रहों में 'रजनी', 'नंगे पांवों का सुख', 'नीड में फंसे पंख' और 'गंगा से ग्लोमा तक' 
तथा नाटकों में 'अंतर्मन के रास्ते' और 'अंततः' तथा कहानियों में 'मंजिल के करीब', 'लाश के वास्ते', 'चौराहा'
'मदरसे के पीछे', 'वापसी', 'सरहदों से दूर', 'लाहौर छूटा अब दिल्ली न छूटे' तथा 'विसर्जन के पहले हैं.
आप हिन्दी में ब्लॉग भी लिखते हैं तथा आपकी कथाओं पर पांच टेलीफिल्में भी बन चुकी हैं. इन्हें नार्वे में हाल ही में बिएरके संस्कृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 
आपके चर्चित काव्यसंग्रहों में  
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  ने  समाचार-पत्र को बताया ,
"मेरे द्वारा विदेशों में (नार्वे) में की गयी हिन्दी सेवा के लिए 'विदेश हिन्दी प्रसार सम्मान' पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की है. यह पुरस्कार मुझे और मेरे परिवार को और अधिक उत्साह से हिन्दी  सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और  उत्तर प्रदेश सरकार का आभार।"  
आप प्रो  शैलेन्द्र शर्मा के सम्पादन में शोध पत्रिका अक्षर वार्ता के विदेश से प्रतिनिधि सलाहकार हैं

रविवार, 2 अगस्त 2015

मित्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें!

मित्रता दिवस (२ अगस्त) 


चित्र में बाएं से इफ़्तिख़ार आरिफ, अमृता प्रीतम, श्रीमती एवं श्री आक्तावियो पाश ( Oslo, 1985)
मित्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें!  बंधुवर! आप बंधुवर इस लिए हैं कि हम आपसे मित्रवत, भाई-बहन की तरह, मित्र की तरह, पड़ोसी और  एक साथी की तरह पाते हैं. क्या हम सोचते हैं उसपर केवल आपका और हमारा ही अंकुश रहता है. किसी को दबाव डालकर या अपने-दूसरे के ज्ञान-अज्ञान  के प्रभाव -दुर्भाव से बदला नहीं जा सकता। जब आँखें  बंद कर लेता हूँ तो आप में मुझे   इंसानियत दिखायी देती है.  कयोंकि हम आपको आपके व्यवहार से या पूर्वाग्रह से नहीं देख पाते।  
अपने मित्रों को चुन और छोड़ सकते हैं पर भूल नहीं सकते। ये मेरी विचारधारा है. हम उनके भी मित्र बनें और मदद करें जिनको हमारी जरूरत है. इंसानियत मित्रता को अमर बनाती  है और विवेकशील बनाती है.  अवकाश के समय या अवकाश प्राप्त होने के बाद हमारी समाज और देश, आस-पड़ोस के प्रति संवेदनशीलता बढ़नी चाहिये। उसे और बेहतर और सभी शांति-सुख और सम्पन्नता से रह सकें यह भी हमारा सपना होना चाहिए।

मेरे हमदम मेरे दोस्त सन 1977



बायें से महेश सूरी, आनंद प्रकाश गुप्त स्वयं मैं (सुरेशचन्द्र शुक्ल) और विनोद कुमार शर्मा।




हिन्दी पत्रकारिता - बिना मतलब अंगरेजी के शब्दों का प्रयोग


हिन्दी पत्रकारिता - बिना मतलब अंगरेजी के शब्दों का प्रयोग
मेरी हार्दिक इच्छा है कि हिन्दी के समाचार पत्र  बिना मतलब अंगरेजी के शब्दों का प्रयोग न करें।  हिन्दी के सुन्दर और बहुत ग्राह्य शब्दों को क्या तिलांजलि दी जा रही है। 
यह पाठकों के लिए अच्छा नहीं है. भाषा की सुंदरता जाते रहने से पाठक को वह आनंद नहीं मिल पाता जिसकी उसे प्रतीक्षा रहती है. हिन्दी पत्रकारिता के लिए जरूरी है कि मालिकों और प्रबंधन की  तरफ से आज कार्यरत पत्रकारों को पत्रकारिता के छोटे-छोटे पाठ्यक्रम के साथ विषयानुकूल शिक्षा दी जाएँ। सेमीनार और सम्मेलनों और बैठकों में भी पत्रकारिता पर अच्छा दखल रखने वाले सफल पत्रकार भी शिक्षा देने आएं और उनका सहयोग लिया जाये। 
पत्रकारिता की शिक्षा  प्राप्त करने के बाद पत्रकारों में समझदारी बढ़ेगी और उन्हें समीक्षा के तत्व, विभिन्न लेखों के बारे में जानकारी होगी। आज चाहे फिल्म समीक्षा हो, नाटक की समीक्षा हो या प्रेस विज्ञप्ति हो पत्रकार पहले से तैयार प्रेस विज्ञप्ति या बिना देखे समझे केवल सुनी-सुनाई बातों पर समाचार, समीक्षा आदि छाप देते हैं.  इसकी गंभीरता और उसके परिणाम से परिचित नहीं हैं. समाज का चौथा खम्भा समझा जाने वाला पत्रकार हिन्दी पत्रकारिता में हिन्दी का अधिक प्रयोग कर सही समीक्षा कर पठनीय सामग्री को अधिक ग्राह्य,विश्वसनीय और पठनीय बनाये। सभी पाठकों, सभी मित्रों को ढेरों शुभकामनायें।   

शनिवार, 1 अगस्त 2015

नार्वे में भारत रत्न अबुल कलम को श्रद्धांजलि

नार्वे में भारतरत्न ए पी जे अब्दुल  कलाम को श्रद्धांजलि 




भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा आयोजित प्रेमचंद जयन्ती और सिगब्योर्न  
ओस्तफेलदेर की 150वीं पुण्य तिथि पर लेखक गोष्ठी सम्पन्न  हुई.  
लेखक गोष्ठी की शुरुआत में भारत के पूर्व राष्ट्रपति और विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक भारत रत्न अबुल ए पी जे अब्दुल  कलाम जी को श्रद्धांजलि दी गयी और दो मिनट का मौन रखा गया इसके बाद उनके जीवन के बारे में लेख पढ़ा गया और लोगों ने उनसे जुडी यादें साझा कीं.
लगभग 15 वर्षों से नार्वे में प्रेमचंद जयन्ती मनाई जा रही है. उनकी कहानी कफ़न, ईदगाह और शतरंज के खिलाड़ी की चर्चा हुई.
नार्वजीजीय लेखक के बारे मेंभी प्रकाश डाला गया तथा सुरेशचन्द्र  द्वारा हिन्दी में अनुवादित कविताओं का पाठ किया गया. गोष्ठी में रचनापाठ करने वालों में श्री सुभाषचन्द्र विद्यार्थी, मारिस मौरिनो, इन्गेर मारिये लिल्लेएंगेन, शर्मिला, दीपिका रतौड़ी, रूबी शीरा, राज कुमार, प्रगट सिंह, सुरेशचन्द्र शुक्ल ने किया।  माया भारती  ने सभी का स्वागत किया।इस अवसर पर भारतीय दूतावास के सचिव एन  पुनप्पन जी ने कार्यक्रम के लिए शुभकामनायें दीं और कलाम साहेब को श्रद्धांजलि दी.