शनिवार, 26 दिसंबर 2015

Speil er et flerkulturelt tidsskrift fra Norge. स्पाइल-दर्पण पत्रिका बहु-सांस्कृतिक पत्रिका है.-Suresh Chandra Shukla

स्पाइल-दर्पण पत्रिका
शान्ति नोबेल पुरस्कार विजेता २०१५ को स्पाइल भेंट करते हुए.
स्पाइल-दर्पण पत्रिका विदेशों (नार्वे) में  छपने वाली एक स्तरीय बहु-सांस्कृतिक पत्रिका है. यह एक मान्यताप्राप्त अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका है. यह गर्व की बात है की इस पर विश्वविदयालय में शोध हो चुका है. स्पाइल-पत्रिका अनेक भारतीय और स्कैंडिनेवियाई लेखकों द्वारा पढ़ी जाती है. अनेक लेखकों की आरंभिक कहानियाँ स्पाइल-दर्पण में छपी हैं. भारत और नार्वे दोनों देशों का सहयोग और प्रशंसा ने इसे गौरवान्वित किया है. अनेक देशों के लेखकों और राजनैतिज्ञों की शुभकामनाओं की प्राप्ति के कारण यह कई मामलों में अनूठी हो गयी है. हम नये लेखकों को प्रोत्साहन देते हैं जिनकी रचनाओं ने स्पाइल-दर्पण में चार चाँद लगाये हैं. 
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', सम्पादक 

गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

डॉ रामदरश मिश्रा जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई। -Suresh Chandra Shukla

Et gammel bilde sammen med indiske forfattere i Manchaster, i UK.

डॉ रामदरश मिश्रा जी को 
साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई। 


बंधुवर नमस्कार! रामदरश जी के साथ यू के में एक सप्ताह बिताया था. कवितायें सुनी और सुनायी थीं और टाफियां खिलाई थीं, जिसका जिक्र उन्होंने अपने संस्मरण में किया था. चित्र में बाएं से डॉ रणजीत सुमरा, विक्रम सिंह जगदीश चतुर्वेदी, बालकवि बैरागी, सुरेशचन्द्र शुक्ल, लक्ष्मीमल सिंघवी और राम पाण्डेय मैनचेस्टर यू के में सुमरा जी के निवास पर.

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

लेखक गोष्ठी:आज शनिवार १२ दिसंबर को शाम पांच बजे Forfatterkafe i dag-Suresh Chandra Shukla


नोबेल पुरस्कार  विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी जी के साथ बाल आश्रम जय पर भारत में 

Forfatterkafe feirer Nobelprisen i dag på Veitvetsenter i Oslo kl. 17:00:
आज शनिवार १२ दिसंबर को शाम पांच बजे नोबेल पुरस्कार पर लेखक गोष्ठी वाइतवेत सेंटर ओस्लो में.: मई ब्रित और एडवर्ड मूसेर, कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को नोबेल पुरस्कार की पहली वर्षगाँठ और ट्यूनीशिया को शांति नोबेल पुरस्कार २०१५ मिलने पर चर्चा और कविता पाठ. निशुल्क प्रवेश। 
For år da Norge India og Pakistanske borgere fikk Nobelpris i 2014. Kailash Satyarthi ji og Malala fikk pris i fred mens Norges May Britt og Edward Moser fikk Nobelpris i Medisin. Og dette år fikk Tunisias Kvartalet fikk Nobels freds pris. Vi markerer alle på forfatterkafe i dag på Stikk Innom på Veitvetsenter i Oslo.

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

Nobel Fredspris 2015- Suresh Chandra Shukla

शान्ति का नोबेल पुरस्कार-२०१५  ट्यूनेशिया के कवार्टरेट को  



Jeg hilste på Abbasi etter prisutdelingen utenfor Grand hotell. 
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद श्री अब्बासी को बधाई देते हुए. लाल ध्वज टयनेशिया का है. ट्यूनेशिया उत्तरी अफ्रीका में बसा छोटा देश है. 

मशाल जुलुस के बाद ग्रैंड होटल के बाहर बालकनी में खड़े होकर शाम  सात बजे जनता को दर्शन देते हुए नोबेल विजेता

Noen bilder fra Arbeider parti møte på Det Norske Teatret i Oslo den 10. des. 2015.
अरबाइदर पार्टी (नार्वेजीय लेबर पार्टी) ने दे नॉर्स्के थिएटर में चुनाव जीतने की पार्टी दी मैंने राइमोंड  को बधायी दी.





रविवार, 6 दिसंबर 2015

स्पाइल-दर्पण का अंक 4 -2015 Speil-4 2004 Et flerkulturelt magasin på norsk og hindi.



नया अंक आपके हाथों में है. आशा है कि आपको यह अंक पसंद आयेगा।
नार्वे से गत 27 वर्षों से लगातार विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अग्रसर है. 
आप को यह अंक कैसा लगा अपने विचार व्यक्त करें!

https://drive.google.com/file/d/0B-Yr4tfxYfDnbGJTUVlydDJZTzRxNlNqWXU2a0V3N0hpYTdR/view?usp=sharing




मेरी पहली किताब My first collection of poetry 'Vedna' 'वेदना' (Pain) - 40 years by Suresh Chandra Shukla

मेरी पहली किताब 

'वेदना' के प्रकाशन के चालीस वर्ष 

चालीस वर्ष पहले मेरा पहला काव्य संग्रह १९७५ में छपने के लिए तैयार हुआ और कमल प्रिंटर्स मॉडल हाउस लखनऊ से छपा! 
श्री अशोक घोष जी प्रेस के समीप ही रहते थे. उस समय इंटरमीडिएट डी ए वी इंटर कालेज से  किया था. रेलवे में श्रमिक पद पर कार्य करते हुए यह संग्रह पुर्चिओं कागज़ के टुकड़ों पर और सिगरेट के कवर में लिखकर सवांरा और तब संग्रह तैयार हुआ. सवारी माल डिब्बे में काम करते हुए विचार आते थे तो जो भी कागज़ मिल जाता उसपर लिख लिया करता था और खाना खाने की छुट्टी में एक घंटा रेलवे के पुस्तकालय में साहित्यिक पत्रिकायें पढता था. 
बारहवीं कक्षा में मेरे अध्यापकों श्री त्रिवेदी जी, श्री रमेश अवस्थी जी और श्री दिनेश मिश्रा जी मुझे स्नेह देते थे. पुस्तक छापने के बाद श्री उमादत्त द्वेदी  जी मुझे अपने घर ले गए और वह उस समय एक पत्रिका प्रकाशित करते थे. उनकी पत्नी भी एक अच्छी सांस्कृतिक अध्यापिका थीं और बाद में प्रधानाचार्य बनीं हनुमान प्रसाद रस्तोगी गर्ल्स इंटर कालेज में. वहां हनुमान प्रसाद रस्तोगी गर्ल्स इंटर कालेज में मेरे व्याख्यान अधपकों और छात्राओं के लिए हुए जिन्हे भुला पाना मेरे लिए संभव नहीं है. और इसी विद्यालय में कुछ वर्ष पूर्व एक कविसम्मेलन में मुझे मुख्य अतिथि बनाया गया था जहाँ कवियित्री श्रीमती सुमन दुबे और डॉ  अलखनंदा रस्तोगी अध्यापक हैं. इस कवि सम्मेलन में पद्मश्री सुनील जोगी मौजूद थे और सर्वेश अस्थाना जी सञ्चालन कर रहे थे. 

मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

Speil nr. 4 - 2015 स्पाइल-दर्पण का अंक 4 -2015



हम स्पाइल-दर्पण का लिंक जोड़ने में कामयाब नहीं हुये,
जल्द ही जोड़ेंगे। धन्यवाद।
स्पाइल-दर्पण का अंक 4 -2015

नया अंक आपके हाथों में है. आशा है कि आपको यह अंक पसंद आयेगा।
नार्वे से गत 27 वर्षों से लगातार विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अग्रसर है. 
आप को यह अंक कैसा लगा अपने विचार व्यक्त करें!
सुरेशचन्द्र शुक्ल, सम्पादक
ओस्लो, नार्वे