सोमवार, 30 जनवरी 2017


नार्वे के सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' उत्तर प्रदेश प्रवासी रत्न से सम्मानित 
4 जनवरी 2017 को ताज होटल, लखनऊ में प्रवासी दिवस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से भारतीय प्रवासी रत्न पुरस्कार प्राप्त करते हुए 
4 जनवरी को लखनऊ में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश भारतीय प्रवासी दिवस के अवसर पर प्रदेश  की ओर  से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नार्वे में भारतीय लेखक और स्पाइल-दर्पण पत्रिका के सम्पादक सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को भारतीय प्रवासी रत्न से सम्मानित किया. 

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' गत 37 वर्षों से नार्वे में रह रहे हैं. नार्वे में रहकर उन्होंने हिंदी, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार , हिंदी स्कूल नार्वे की स्थापना, राजनीती में सक्रिय भाग लेकर भारत और नार्वे के मध्य सांस्कृतिक सेतु का कार्य कर रहे हैं. 
ओस्लो में सन 2001 में  नार्वीजन राइटर यूनियन ने उनके लेखन के लिए और 2015 में उन्हें कविता में इंट्रीग्रेशन के लिए 'बियरके बीदेल पुरस्कार-2015 दिया जा चुका है.

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने सन 2014 में उनके कविता संग्रह 'गंगा से ग्लोमा तक' को भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार और  पिछले वर्ष 2016 को निर्मल वर्मा भाषा पुरस्कार दिया गया है.  

भारतीय संस्कृति, हिंदी भाषा और राजनैतिक भागीदारी के द्वारा अपने देश भारत और नार्वे के मध्य सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने का कार्य कर रहे हैं. 

चर्चित कविता संग्रहों 'रजनी', नंगे पांवों का सुख', 'नीड में फंसे पंख', 'गंगा से ग्लोमा तक' और चर्चित कहानी संग्रहों 'अर्धरात्रि का सूरज', 'प्रवासी कहानियाँ' और 'सरहदों के पार' तथा प्रसिद्द नाटक 'अंतर्मन के रास्ते' एवं नार्वे, स्वीडन  तथा डेनमार्क की कविताओं और कथाओं का अनुवाद समय-समय पर करने वाले रचनाकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने हेनरिक मशहूर नाटककार इब्सेन के नाटकों 'गुड़िया का घर', 'मुर्गाबी' और 'समुद्र की औरत' के अलावा क्नुत हामसुन की 'भूख' तथा एच सी अन्दरसन की कथाओं का भी अनुवाद किया है और हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है.

शरद आलोक का कहना है कि हिंदी साहित्य में असत्य और अन्याय का विरोध करने के कारण अनेक साहित्यिक गुटबाजी के पुरोधा उनसे नाराज रहते हैं. अनेक साहित्यिक पत्रिकायें उनका पक्ष नहीं छापती हैं पर उनका असत्य और  अन्याय के लिए सभी के लिए संघर्ष जारी रहेगा। 

शनिवार, 28 जनवरी 2017

बाबा तुलसी दास जी ने कहा है, "जाके पाँव न फटे बेवांयी वो का जाने पीर परायी।" -Suresh Chandra Shukla

 प्रवासी साहित्य अपनी गुणवत्ता के आधार पर अपनी  जगह  लेगा।  - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
प्रवासी साहित्य या विदेशों में लिखा जा रहा हिंदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य अपनी गुणवत्ता के आधार पर अपनी  जगह लगेगा।  
"प्रवासी साहित्यकार भी आते हैं... .प्रजनन और राजनीति का क ख ग भी नहीं जानता-देश सेवा की तो एक दिशा होती है, सत्ता।" आज भास्कर अखबार में प्रेम जनमेजय जी का एक व्यंग्य छपा है. व्यंग्य अच्छा है.
मैं यदि लिखता तो यह भी लिखता "महात्मा गाँधी को हमारे प्रधानमन्त्री जी सबसे बड़ा प्रवासी मानते हैं और उन से बड़ा राजनैतिज्ञ कौन था, भारतीय और दक्षिण अफ्रीका के सन्दर्भ में." पैसा तो दूर गांधी जी वहां कमाया या प्राप्त धन  दक्षिण अफ्रीका से भारत नहीं लाये।"
जब विश्व हिंदी सम्मेलन  होता है या कोई वैश्विक हिंदी साहित्य की बात होती है तो भारत के ही हिंदी रचनाकार सारा मूल्यांकन करते हैं, भारतीय प्रवासी रचनाकारों और संपादकों को दरकिनार किया जाता रहा है इस कारण  यदि प्रवासी साहित्य, साहित्यकारों, राजनैतिज्ञ और राजनीति में उनके योगदान को लोग नहीं जान पाते। स्वयं डॉ कमल किशोर गोयनका जी जिन्होंने प्रवासी साहित्य पर महत्वपूर्ण पुस्तक सम्पादित और प्रकाशित कराई थी उन्हें भी अमेरिका में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में बोलने नहीं दिया जा रहा था तब मैंने भी विरोध जताकर उन्हें अपना विचार रखवाने में लेखकधर्म निभाया था. जिन्हें सम्मेलन पत्रिका का सम्पादन करने को मिला था वही प्रवासी साहित्य और साहित्यकारों के बारे में नहीं जानते।
बाबा तुलसी दास जी ने कहा है, "जाके पाँव न फटे बेवांयी वो का जाने पीर परायी।"

भारतीय दूतावास ओस्लो में गणतंत्र दिवस पर कुछ चित्र-Suresh Chandra Shukla

Republic day feiring på Den Indiske Ambassaden i Oslo. 1-भारतीय दूतावास ओस्लो में प्रातः दस बजे झंडा फहराया गया। गणतंत्र दिवस पर कुछ चित्र।


बुधवार, 25 जनवरी 2017

जो हरे-हरे थे, वे नोट जल रहे हैं.--सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' , Suresh Chandra Shukla25.01.17, Oslo, Norway



श्री राज मिश्र के होनहार पुत्र, राज मिश्र, स्वयं मैं और डॉ राज गुप्ता उन्हीं के निवास न्यूयार्क में 
जो हरे-हरे थे, वे नोट जल रहे हैं.
 --सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
इस वर्ष की विदाई,
वह शुभ घड़ी आयी।
नव वर्ष है चुनौती,
वह साथ लिए आयी।

नोटबंदी आयी ऐसे,
खुल गयी पोल भाई।
काले और उजले में 
सब बाँटते मलाई।

कुछ की खुली कलई,
कुछ के बंद खाते।
सब कुछ देख रहे हैं
यह साल जाते-जाते।।

हजार हुए हैं खारिज
पांच सौ की विदायी।

जिनके हैं बंद खाते,
करवट बदल रहे हैं.
अब सारी देनदारी,
कार्ड से कर रहे हैं.

जो कल था करना,
वह आज कर रहे हैं.
नकदी मुक्त भारत,
दिशा बदल रहे हैं..

चोरी -चकारी से अब,
टूट रहा है नाता
जबसे बैंक कार्डों से
भुगतान कर रहे हैं..
मोदी जी या राहुल
नेता दोनों खरे हैं ।
नोट दो हजार से वे,
दीखते हरे-भरे हैं..
एक विपक्ष में रहकर,
वह संज्ञान ले रहे हैं.
राजा हमारे बनकर,
वह उपदेश दे रहे हैं.
न भाषण से पेट भरते,
न रोटी कभी पकी है.
रोजगार कम हुए हैं,
ईज्जत कहीं बिकी है. .
विकास हवा महल के
बिन बने ढह रहे हैं.
ठिठुर रही है दुनिया,
अलाव जल रहे हैं.

रविवार, 22 जनवरी 2017

Speil-2006, No-4 स्पाइल-दर्पण अंक 4-2016 नार्वे से प्रकाशित पत्रिका का यह अंक भेज रहा हूँ. सहयोग के लिए धन्यवाद। -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


बन्धुवर नमस्कार. स्पाइल-दर्पण अंक 4-2016 नार्वे से प्रकाशित पत्रिका का यह अंक भेज रहा हूँ. सहयोग के लिए धन्यवाद। -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
https://drive.google.com/open?id=0B-Yr4tfxYfDnQ19IQmtJYXlCNlY4U2s1U04ycm10T3p1cGNZ

मेरी यह भारत यात्रा बेजोड़ थी -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla, Oslo, Norway

मेरी यह भारत यात्रा बेजोड़ थी -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
आपका दिनमंगलमय हो.  मैं वापस नार्वे आ गया हूँ एक सुन्दर देश भारत को छोड़कर दूसरे सुन्दर देश नार्वे में. आपका दिन मंगलमय हो.
सभी लोगों को भारत में और नार्वे में धन्यवाद और आभार जिन्होंने मेरी भारत यात्रा कुछ ख़ास स्मरणीय बनायी।
मुझे २ जनवरी २०१७ को उत्तर प्रदेश विधान सभा में स्थित विधान भवन में डॉ दिनेश चंद्र अवस्थी जी के राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया.
४ जनवरी को बहुत प्रतिष्ठित और गौरवशाली पुरस्कार 'ऊतर प्रदेश प्रवासी रत्न सम्मान' प्राप्त किया प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा।
पुस्तक मेले में खट्टे-मीठे अनुभव हुये।
काव्या द्वारा संचालित युवा और प्रतिभाशाली साहित्यकारों द्वारा रचना पाठ सूना उर निवेदिता श्रीवास्तव और आशा पांडेय ओझा जी ने मुझे मुख्य अतिथि बनाया। सुप्रसिद्ध कथाकार नासिरा शर्मा, प्रोफ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, अनिल गुप्ता, डॉ कमल किशोर गोयनका, डॉ प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, डॉ शरद सिंह, महेश भरद्वाज, सुभाष नीरव, महेश दर्पण, निवेदिता दिनकर, अलका प्रमोद, निवेदिता श्रीवास्तव, पंजाबी साहित्यकार वनीता जी, डॉ श्याम सिंह शशि,  लघुकथाकार बलराम, मधुदीप जी और अन्यों से मिला और उन्हें सुना।
आदरणीय राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक शर्मा जी, पुस्तक मेला में रोज प्रकाशित मेला समाचार के संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता जिनका नाम याद नहीं है से मिला।

बुधवार, 4 जनवरी 2017

"U.P. Pravasi Ratn Award to me (Suresh Chandra Shukla) by Akhilesh Yadav (Cheif minister Of U. P. in India)

"U. P. Pravasi Ratn Award by Cheif minister Of U. P. In India.

बंधुवर, आज मुझे सुखद अनुभूति हुई जब "उ प्र प्रावासी रत्न पुरस्कार मिला। आप जो विदेशों में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रहे हैं उन सभी को धन्यवाद और शुभकामनायें। Dear friend, I got "U. P. Pravasi Ratn Award by Cheif minister Of U. P. In India.
Hei, Jeg vil dele med dere en gledelig nyhet at jeg fikk pris i Lucknow i India. "Uttar Pradesh Pravasi Ratn Puraskar" for utmerket arbeid av indere bor i utlandet i forskjellige område. takk for det..