सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

भाजपा, बसपा और सपा का एक पदक पक्का (कांस्य, रजत या स्वर्ण पदक). BSP, BJP and SP political parties in the semi final-Suresh Chandra Shukla


भाजपा, बसपा और सपा का एक पदक पक्का (कांस्य, रजत या स्वर्ण पदक).
 (तस्वीर नेट से साभार )
 भाजपा, बसपा और सपा का एक पदक पक्का (कांस्य, रजत या स्वर्ण पदक) प्राप्त करेगी.

जनता  ही सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी  क्यों न किसी की सरकार बने.

उत्तर प्रदेश के चुनाव में तीन राजनैतिक पार्टियां सेमी फाइनल में आ गयी लगती हैं असली परिणाम तो ११ मार्च के बाद पता चलेंगे। सेमी फाइनल में यी पार्टियों में बसपा, सपा और भाजपा।
सभी पार्टियां रैलियों, जनसभा और प्रेस कांफ्रेंस में व्यस्त हैं.
ज्यादातर एक दूसरे के गुणों का प्रचार और बखान अधिक और अपनी पार्टियों के उद्देश्य कम बता रहे हैं.
जनता राज की तरह फैसला करेगी।
इस बार पंजाब, उत्तर प्रदेश, गोवा, मिजोरम आदि की होली ज्यादा रंग लायेगी।
होली में सभी पक्ष-विपक्ष सभी गले मिलेंगे। देखना यह है कौन मंहगा रंग लगाता है.

बता रहे फुल फ़ार्म, नार्म अपना न जाने,
नेता या गधेराज, रेत  में चाँदी छाने।
होगी जब इस देश में साक्षर सारी जनता,
काटेगी रीबन व राजनीति से तब इनका पत्ता।।

सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो ,नार्वे

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

"चयन करते समय चुनते हैं, हम नापसंद चीजें" -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

"चयन करते समय चुनते हैं, हम नापसंद चीजें" -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'


ओस्लो, 26 फरवरी 2017 आज रविवार है. अभी भी बाहर बर्फ का साम्राज्य है. 


शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

राजनीति में संवाद जरूरी है: "हाथ पर हाथ रखकर कभी कुछ होना नहीं, काटना क्यों चाहते हो नयी फसल जब तुम्हें बोना नहीं।" -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla


 राजनीति में संवाद जरूरी है: 
"हाथ पर हाथ रखकर कभी  कुछ होना नहीं, काटना क्यों चाहते हो नयी फसल जब तुम्हें बोना नहीं।" -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
हाथ में कलम उठायें और आपभी अपने विचार लिखें। चित्र में सफ़ेद कलम लिए स्वयं मैं (सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ).

अक्सर सुनने में आया है कि यदि आप किसी राजनैतिक पार्टी में सक्रिय सदस्य हैं और आपने कोई ऐसा बयान दिया चाहे सही हो परंतु वह हमारे नेता के अनुकूल न हो तो उसे रोका  जाता है. कभी-कभी तो उसके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही तक होती है जबकि यह प्रश्न अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा भी होता है.
मेरी नजर में कार्यवाही के जगह उस सदस्य को पार्टी,  उसकी राजनैतिक पार्टी उसे स्कूल पार्टी-स्कूल भेजे और उसे अपने सिद्धांत सिखाये और उसे अभिव्यक्ति के तरीके सिखाये (शिष्टाचार अथवा पार्टी का कार्यक्रम और उद्देश्य),  ताकि कार्यकर्ता अपनी पार्टी और देश के लिए राजनैतिक तरीके से, लोकतांत्रिक तरीके से बिना लोगों को दुःख पहुंचाये अपनी अभिव्यक्ति दे सके.
जब कोई तर्क पूर्वक आंकड़ों के साथ भी अभिव्यक्ति या बयान देता है तो भी आपत्ति का सामना करना पड़ता है: यहाँ जरूरी है बोलने का तरीका और आपके चेहरे के हावभाव भी उसमें प्रभाव डालते हैं.
जैसे गुस्से में और तेज आवाज में प्रेस  कांफ्रेंस में  बोलने से बचना चाहिये।

भारत में राजनीति में बदलाव का समय है.
11 मार्च के बाद चुनाव में जो भी परिणाम हो उसका स्वागत करें और चुनाव के बाद सद्भाव का वातावरण बनाने में सहयोग करें।
अभी भारत देश को आपकी सतत सेवा और सहयोग की जरूरत है.
अभी पूरा देश में साक्षर नहीं हैं. समुचित स्कूल नहीं हैं बाहत से स्कूलों में श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) और छत नहीं है.
जनता राजनैतिक रूप से जागृत नहीं है.
सभी गलत फैसले भी चुपचाप सहन कर लेती है.
क्योंकि बहुतों को रोजगार ढूढने जाना होता है
और नौकरी के अभाव में, अनाथ बालक और विधवा होने पर,  बहुतों  को बीमार होने पर और अन्य कारणों से बहुतों का पेट भरा नहीं होता।
यदि हर व्यक्ति देश, समाज और उसकी राजनीति के प्रति जागरूक हो.
और श्रमदान के माध्यम से एक दूसरे को शिक्षित करें ताकि हम कुशल कारीगर बनें, सफाई और ट्राफिक में योगदान दें.
यह मत सोचें कि देश और समाज ने हमको क्या दिया है यह जरूर सोचें कि हमने देश के लिए क्या किया है.
अन्याय सहना और उसे आगे न बताना उस अन्याय का मौन साथ देने के सामान है.



शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

गधे के बारे में: ग का मतलब गलत. धा का मतलब धारणा। यानि गलत धारणा। -Suresh Chandra Shukla

 गधा
गधे  के बारे में:
का मतलब गलत.
धा का मतलब धारणा।
यानि गलत धारणा।
 कोई गलत धारणा रखता है तो उसे तुरंत बदल डालें, क्योंकि हम गधे नहीं इंसान हैं.
(यह कार्टून वेब से लिया गया है )

http://winconfirm.com/%E0%A4%97%E0%A4%A7%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%97%E0%A4%A7%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88/

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

हमारे नेता(सांसद, अन्य सदस्य और मंत्री) की रिटायरमेंट की आयु ६५ हो उस आयु के बाद वे चुनाव न लड़ सकें ऐसी व्यवस्था हो.

हमारे नेता मतदाताओं को फुसला रहे हैं और सच्चाई से दूर रख रहे हैं: सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'. 



(चित्र विकीपीडिया से आभार) 
भारतीय राजनीति के आदर्श जिन्हें इस चुनाव में बदनाम करने की कई बार कोशिश की गयी क्योंकि गांधी जी के हत्यारे को वेब/नेट पर लाने की तैयारी और नेहरू और इंदिरा जी पर बराबर हमले हो रहे हैं जो विश्व में हमारे आदर्श हैं. 
उत्तर प्रदेश की मुख्य समस्यायें:
१- प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की आत्म  हत्या से त्रस्त  परिवारों को श्रद्धांजलि और उन्हें सहायता दी जाये।
२-पारम्परिक कारीगरों: जैसे बुनकरों, कढ़ाई कारीगरों, लघु उद्दोगों की सहायता पहले हो और बाबा रामदेव को जमीन और सहायता बाद में हो नोएडा में चार सौ एकड़ जमीन और छत्तीसगढ़ में हजार एकड़ जमीन केवल रामदेव जी को नहीं बल्कि श्री अम्बानी जी को भी उनकी कंपनी को दी जा रही है ऐसा सुनने में आया है  क्यों उपेक्षित हैं गरीब लोग. ये तथाकथित अमीर लोगॉ अपने व्यवसाय विदेशों में फैला रहे हैं और हमारे पैसे का लाभ उठा रहे हैं.
३-देश में टैक्स नहीं लिया जाता। टैक्स का निर्धारण सभी के लिए हो चाहे उसके पास आमदनी न हो पर यदि जायजाद है तो टैक्स लगे ताकि जिनके पास रहने को घर नहीं है, लघु उद्द्योग बंद हो रहे हैं उन्हें रोक जा सके.
४- कर नीति: अधिक कमाने वाले को अधिक कर और जिसके पास नहीं है उसे भोजन मिले ताकि वह श्रमिक बना रह सके न कि आत्महत्या करे और दबाव में बेघर हो.
५- सरकार ऐसा कानून बनाये यदि ये व्यापारी देश का कानून नहीं मानते और किसी विभाग और व्यक्ति को आर्थिक लाभ पहुंचाते पकडे जाएँ तो उनके व्यवसाय जब्त हों और सरकार उसकी निगरानी करे.
६- अस्पताल, रेल, रक्षा में विदेशी निवेश न हो. दवा कंपनियां सरकारी हों और एक आयोग द्वारा सस्ती दवाइयां की सिफारिश करके उन्हें ही मान्यता दी जाए और सभी दवाओं की बिक्री बंद हो.
७-एक विभाग ऐसा हो जो ईमानदार लोगों को फसाया जाता है या ईमानदार अफसर को ट्रांसफर किया जाट है वह बंद हो.
८-मैं मान ही नहीं सकता कि किसी नेता पर कोई भी आरोप न हो और उसने गैरकानूनी कार्य न किये हों? यदि उस पर केस नहीं हैं और बड़े पद पर है तो उसे बड़े लोगों ने सहयोग देकर उसपर केस हटवाए। राजनीति को अपराध और उनके सहयोगियों से मुक्त किया जाये। यह तब होगा जब देश की जनता साक्षर हो. सभी स्कूल में ब्लैकबोर्ड हो  और छत हो.

मोदी जी के बहराइच भाषण के लिए आभार क्योकि उसी आधार पर आगे की सलाह या सुझाव:
१-चुनाव प्रचार में अपने प्रदेशीय नेताओं का चुनाव प्रचार में सहयोग लें न कि हर जगह स्वयं  भाषण दें.
२-स्टार प्रचारक कहने को हैं. केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री मोदी जी बोलना चाहते हैं इससे स्थानीय डेमोक्रेसी का विकास  नहीं होता। उसी तरह राहुल गांधी जी को भी चाहिए वह भी स्थानीय नेताओं को प्रचार करने भेजें।
३-किसी भी राजनैतिक पार्टी पर हमला किसी राष्ट्रीय नेता द्वारा यह दर्षाता है कि वह ओछी राजनीति अपनाना चाहता है. अच्छे भाषण के लिए मेहनत की जरूरत होती है और अच्छे भाषण आजीवन अपनी अच्छाई के लिए जाने जाते हैं जैसे नेहरू जी और अटल जी के भाषण।
मेरी गारंटी है ऐसे नेता कभी भी अंतरष्ट्रीय मंच जैसे संयुक्तराष्ट्र संघ में मंत्री आदि नहीं चुने जायेंगे क्योंकि वह राष्ट्रीय नेता होकर भी अपने संकुचित बयानों में फंसे रहेंगे तथा परिवार और संस्था से ज्यादा नहीं सोंच पाते। उनके द्वारा गलत बयानी पर उन पर एफ आई आर कम दर्ज होती है. इसी लिए वह अपने को आजीवन पाकसाफ दिखा पाते हैं जबकि ये नेता ज्यादा जहरीले साबित होते हैं क्योंकि बड़े मंच से समाज में जहर घोलने जैसे बयान को बहुत मुश्किल से लोग भूल पाते हैं.
४-केंद्र सरकार ने ऐसे क्या उपाय किये हैं कि हमारे पूंजीपति टैक्स देकर और देश में ही निवेश करें और वह जब बाहर की प्लानिंग कर रहे हों तो उन्हें पहले ही धर दबोचा जाये।
५-पंजाब चुनाव में एक पार्टी ने प्रवासियों के चुनाव में प्रचार पर रोक लगाने के लिए उनपर सख्त कार्यवाही की मांग की है.
ये प्रवासी भारतीय ही हैं जो समय-समय पर भारत देश में भारत में रहने वाले बड़े पूंजीपतियों से ज्यादा देशभक्ति के साथ अपने सेविंग एकाउंट में भी टैक्स देते हैं? क्या बड़े पूंजीपति देते हैं. क्या नेता अपनी ज्याजाद पर सारा टैक्स देते हैं?





भारत में नेताओं की रिटायरमेंट की आयु ६५ साल हो : सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Indian Politician shuld retire on the age of 65 years- Suresh Chandra Shukla

हमारे नेता मतदाताओं को फुसला रहे हैं और सच्चाई से दूर रख रहे हैं: सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
(चित्र विकीपीडिया से आभार)  भारतीय राजनीति के आदर्श जिन्हें इस चुनाव में बदनाम करने की कई बार कोशिश की गयी क्योंकि गांधी जी के हत्यारे को वेब/नेट पर लाने की तैयारी और नेहरू और इंदिरा जी पर बराबर हमले हो रहे हैं जो विश्व में हमारे आदर्श हैं. 

पुरानी यादें जनवरी २०१५ की, डॉ कमल किशोर गोयनका और स्व डॉ कृष्ण दत्त पालीवाल के साथ -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

पुरानी  यादें जनवरी २०१५ की, डॉ कमल किशोर गोयनका और स्व डॉ कृष्ण दत्त पालीवाल  के साथ 
डॉ कृष्ण दत्त पालीवाल जिनकी ४ मार्च को पूण्य तिथि है- श्रद्धांजलि। 


पुरानी यादें: जनवरी 2015 में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पालीवाल जी मिले थे. उनके साथ अनेकों मंच साझा किये और वक्ता रहे. वह एक अच्छे विद्वान और वक्ता थे उनकी मृत्यु ४ मार्च को हुआ था.

अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों में हमने साथ-साथ भाग लिया था. दिल्ली में जब हम मिले तो महान आलोचक कमल किशोर गोयनका जी भी हमारे साथ थे यह चित्र भी इसी कार्यक्रम का है. दिल्ली में जनवरी 2015 लिए चित्र में बाएं से हिन्दी के एक विद्वान, डॉ कमल किशोर गोयनका जी, स्वयं मैं और डॉ कृष्ण दत्त पालीवाल जी.

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

राष्ट्रीय कवि सोहनलाल द्विवेदी का आज २२ फरवरी जन्मदिन है - Suresh Chandra Shukla


सोहन लाल द्विवेदी जी का आज जन्मदिन है उनका जन्म २२ फरवरी १९०५ में हुआ था और मृत्यु १ मार्च १९८८।
राष्ट्रीय कवि सोहनलाल द्विवेदी की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ याद हैं:


पर्वत कहता
शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ
सागर कहता है
लहराकर
मन में गहराई लाओ।


सोहन लाल द्विवेदी








मैंने उनके बारे में लिखा था: 
 
"सोहन लाल द्विवेदी जिनके 
गीत सभी अनमोल हैं. 
बाल कविता के अग्रणी 
उनके प्यारे बोल हैं.."
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 

आज रात ओस्लो, नार्वे में बरफ गिरती रही. Hindi Poem 'शिशिर तोषागार प्रतिमा ले प्रहर हिमपात के घन.' by Suresh Chandra Shukla

Det snødde mye i natt. Jeg husker mitt dikt om snø. Fin dag. 

आज रात ओस्लो, नार्वे में बरफ गिरती रही.
ओस्लो, नार्वे में पांच महीने सर्दी का मौसम होता है. जाड़े में बर्फ और बदली कभी भी आ सकती है. पर बर्फ में वातावरण बहुत सुन्दर लगता है. साफ़ हवा और पानी इस बर्फ की ही देन  है.
आज रात बरफ गिरती रही. पेड़-पौधे, द्वार, मार्ग, कार आदि सभी बर्फ से ढक गये. आज चारो ओर बरफ़ देख कर अपनी कविता याद आ गयी जो, 'रजनी' संग्रह में संकलित है. 'शिशिर तोषागार प्रतिमा ले प्रहर हिमपात के घन.'

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

विदेशों में हिन्दी का विस्तार - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Hindi - Suresh Chandra Shukla


विदेशों में हिन्दी का विस्तार 
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 


नये आयामों से हिन्दी का संवाद बढ़ा 
हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है.  कुछ वर्षों से विदेशों में और भारत में कंप्यूटर, इंटरनेट-पत्र, फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉग और यूट्यूब, मोबाइल फोन आदि पर लिपि के रूप में भी संवाद की भाषा तेजी से बनती जा रही है. 
इसमें विदेश में रहने वाले हिन्दी विद्वानों, हिन्दी सेवियों और हिन्दी प्रेमियों का बहुत बड़ा योगदान है जिन्होंने हिन्दी को विस्तार देने में अपने निजी समय का बहुत बड़ा हिस्सा दिया है.
मैंने नार्वे में नौवें दशक के पहले देखा कि विदेश में रहने वाले भारतीयों और  भारतीय मूल के लोगों ने अपने बच्चों को हिन्दी घर में और सामान रूचि वालों के साथ मिलकर पार्ट टाइम तथा साप्ताहिक स्कूल खोलकर पढ़ना शुरू किया  जिससे विदेशों में अधिक संख्या में हिन्दी पढ़ने और लिखने वाले युवाओं की संख्या बड़ी है. 

हिन्दी की पुस्तकों की बिक्री बढ़ी  
विदेशों में हिन्दी की पुस्तकों का प्रकाशन बढ़ा है और प्रकाशक को भी लाभ होता है क्योंकि विदेशों में प्रकाशक लेखक को भी लाभ का हिस्सा देते हैं. इन प्रकाशकों में शिक्षा संस्थानों और निजी प्रकाशकों का बोलबाला है. 
हिन्दी की नौकरियाँ बढ़ने की सम्भावना 
मैंने दो यूरोपीय सम्मेलनों और यूरोपीय विष्वविद्यालयों द्वारा आयोजित हिन्दी सेमिनारों में भाग लिया और देखा और सुना है जैसे यू के में माता -पिता का अपने बच्चों को हिन्दी सिखाना और उन्हें हिन्दी की परीक्षा न दिलाने से वहां स्कूलों और कालेजों में हिन्दी में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों की संख्या तेजी से घटी थी और अनेक शिक्षा संस्थानों में अध्यापकों की नौकरियाँ जाती रही थीं. 
यदि यू के और अन्य यूरोपीय देशों में माता-पिता, अविभावक और हिन्दी प्रेमी और सेवी चाहें तो दोबारा अपने बच्चों और बच्चों के बच्चों को घर पर हिन्दी पढ़ायें या कुछ माता-पिता मिलकर हिन्दी की कक्षायें लगायें और स्कूल चलायें और सार्वजनिक स्थानों पर हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओँ को पढ़ना शुरू करें और आप देखेंगे कि हमारे बच्चे अपनी भाषा हिन्दी में दोबारा परीक्षा देना  पसंद करेंगे।  हालांकि हिन्दी की शिक्षा देने का कार्य निजी तौर पर और भारतीय संस्थाओं और धार्मिक स्थलों द्वारा भी समय-समय पर किया जाता है पर यह पर्याप्त नहीं है.
इसके बारे में  निर्देशन करने वाले विद्वानों की संख्या की कमी नहीं है. यदि ऐसा हुआ तो यू के विश्व विद्यालयों में भी हिन्दी और भारतीय भाषाओं को पढ़ने वालों की संख्या बढ़ेगी और अध्यापकों को नौकरियां भी मिलेंगी।
नागरी लिपि का विस्तार 
विदेशों में नागरी लिपि का प्रसार और प्रचार ही नहीं बढ़ा बल्कि पिछले दो देशों में नागरी का प्रयोग हर स्टार पर बढ़ा है. बच्चों में रूचि भी बड़ी है पर माता-पिता का सहयोग उन्हें उचित मात्रा में नहीं मिल रहा है.
आचार्य विनोबा भावे ने कहा था, 
"भारत की एकता के लिए आवश्यक है कि देश की सभी भाषायें नागरी लिपि अपनायें।"  मेरा कहना है,
"विदेशों में हम संवाद के लिए जहाँ तक संभव हो हम अधिक से अधिक नागरी लिपि अपनायें। इससे हमारा नयी पीढ़ी और पुरानी  पीढ़ी के साथ सेतु का कार्य होगा और छूटा और टूटा हुआ संवाद फिर से जुड़ेगा।" 
विदेशों में बच्चों के बड़े होने पर माता - पिता को अक्सर शिकायत रहती है कि बच्चे उनके साथसंवाद काम रखते हैं और यहाँ की मूल भाषा जैसे  अंगरेजी, नार्वे में नार्वेजीय स्पेन और लेतीं अमरीकी देशों में स्पेनीय भाषा बोलते हैं और वैसी ही संस्कृति सा व्यवहार करते हैं. 
भारत के प्रति सम्मान  का पाठ जरूरी 
माता-पिता और बच्चों के मध्य संवाद की कमी को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को भारत के प्रति प्रेम सिखाएं यह कहकर यह भारत तुम्हारे पूर्वजों का देश है. बच्चों को बतायें कि भारत तुम्हारा तीर्थस्थल है. हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषायें  हमारी संस्कृति की अनबोल कड़ी है. 
कुछ भी हो उन्हें भारत के विरोधी प्रचार को हवा न लगने दें. कई धर्म प्रचारक धार्मिक स्थलों पर अल्प राजनैतिक ज्ञान रखने  बावजूद राजनीति के अनाब-सनाब भाषण देकर पैसे बटोरते हैं और भड़काते हैं. जब हमारे बच्चे देखते हैं कि मेरे माता -पिता कभी कोई कुछ कहते  कुछ और उन्हें जिस भी देश में रहते हैं उनके मीडिया से समाज की सूचनाओं से माता -पिता और धार्मिक नेताओं को अल्पज्ञान वाले राजनैतिक अतार्किक भाषण  को सुनकर वह प्रायः माता -पिता से बहस नहीं करते पर जब बड़े होते हैं तो अपने धार्मिक स्थलों पर  कम जाते हैं और यदि जाते भी हैं तो माता -पिता और अविभावकों  से व्यस्त होने का बहाना कर संवाद कम कर देते हैं. मैं नार्वे में मंदिर-गुरुद्वारों, मस्जिदों  और चर्चों में बहुत गया हूँ और जाया करता हूँ, जहाँ हमारी भाषा में पूजा अर्चना होती है. और स्वयं अनुभव करता रहता हूँ. 
भारतीयों को सभी प्रदेशों के लोगों की और उनकी भाषा की  इज्जत करना चाहिये और यह बहुत जरूरी है.
हम जब दूसरों की इज्जत करेंगे तो हमको भी इज्जत मिलेगी और हम लोगों में एकता रहेगी।

भाषा और संस्कृति हेतु मानवतावादी दृष्टिकोण
हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति और मूल्यों की शिक्षा मानवतावादी दृष्टिकोण से दें और माता-पिता भी वैसा ही आचरण करें जैसा कि उन्हें सिखाना चाहते हैं और उनसे आशा करते हैं. 
पूजा पाठ के लिए यदि बच्चों को अपने मन्त्र, प्रार्थनायें संस्कृत, देवनागरी, गुरुमुखी में सीखें और करें पर कट्टरता नहीं सिखायें। भारत और उसकी मान्याताओं को  मानवतावादी दृष्टिकोण से सिखायें। भारत के बारे में उन्हें इससे प्यार करना सिखायें और भारत को तीर्थस्थालों वाला देश कहकर सिखायें तो बच्चे उस पर विश्वास  करेंगे और सीखेंगे भी उसका प्रयोग भी करेंगे। 

हिन्दी सीखे बिना भारतीयों तक नहीं पहुंचा जा सकता 
हिन्दी के जर्मन विद्वान लोठार लुत्से ने कहा था, " हिन्दी सीखे बिना भारतीयों के दिलों तक नहीं पहुंचा जा सकता।"
हिन्दी भारत में अधिकाँश लोगों द्वारा सर्वमान्य भाषा है. हिन्दी फिल्मों ने भी हिन्दी क ओ लोकप्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विश्व में आप कहन भी जायें चाहे मध्य एशिया हो, अफ्रीका महाद्वीप का कोई देश ओ आपको हिन्दी फिल्मों के गीत गुनगुनाने वाले लोग मिल जायेंगे।

सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

भारतीय राजनीति में नेताओं के बयान बहुत नीचे स्तर पर गिर रहे हैं. इसमें हमारे प्रधानमन्त्री भी किसी से पीछे नहीं हैं. -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -Suresh Chandra Shukla


भारतीय राजनीति में नेताओं के बयान बहुत नीचे स्तर पर गिर रहे हैं. इसमें हमारे प्रधानमन्त्री भी किसी से पीछे नहीं हैं. 
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -Suresh Chandra Shukla

चुनाव कोई जीते पर देश को शर्मसार करने वाले बयानों से हमारे नेता बचें।

 (तस्वीर-हिंदुस्तान टाइम्स से साभार)
 नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट पर टिप्पणी: "'केवीआईसी की डायरी और कैलेंडर में प्रधानमंत्री के फोटो छापने के मुद्दे" पर क्या श्री मोदी जी की तस्वीर को छपी रहने के निर्देश देता है या उसे हटाया जाये स्पष्ट नहीं है. केवल यही कहा गया है किआगे से ना छापी जाये. केवीआईसी स्पष्ट करे तो बेहतर होगा. एक कान न पकड़ कर दूसरे कान पकड़ने जैसा प्रकरण लगता है. धन्यवाद. -सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
 

महात्मा गांधी जी को चरखे से बाहर कर श्री नरेंद्र मोदी जी चरखे में अंदर 
चित्र बदलने तक उन्होंने कभी चरखा नहीं काता था.(श्री नरेंद्र मोदी जी पर लिखी तीन पुस्तकों में जिक्र नहीं है.)
निवेदन: महात्मा गांधी जी को ही चरखे के साथ खादी भण्डार के कलैंडर में लाने की कृपा करें  - सुरेशचंद्र शुक्ल 

  (तस्वीर- विकीपीडिया से साभार)
नेताओं के बयान बहुत नीचे स्तर पर गिर रहे हैं
  चूँकि भारत में सबसे बड़ा पद प्रधानमंत्री का होता है. उन्हें एक आदर्श कायम करना चाहिये। सभी की निगाहें अपने मुखिया पर होती हैं. मेरी नजर में प्रधानमंत्री सभी देशवासियों के लिए होता है, उनका कर्तव्य है कि देश में प्रजातंत्र (डेमोक्रेसी) बनी रहे. प्रजातंत्र में आम आदमी के साथ-साथ सभी राजनैतिक पार्टियों की रक्षा, सुरक्षा और उसका सम्मान हो. सभी अपनी -अपनी पार्टियों की उपलब्धियां गिनाएं, अपने सपने, वायदे और कर्यक्रम पर ध्यान दें.
 प्रधानमंत्री के अलावा अन्य पार्टी के लोग भी और उसमें नेता भी हैं पलटवार में वह भी कभी-कभी वैसे ही बयान देते हैं जो हमारे मुखिया देते हैं. अपने भाषणों में असत्य और साम्प्रदायिकता के ऊट-पटांग बयान भेदभाव बढ़ाते हैं और जनता को शर्मसार करते हैं. जो माता-पिता अपने बच्चों को वह बाते नहीं कहते और जो बच्चे किताब में पढ़ते हैं उससे उलट बयान का असर डाल रहा है. कुछ  लोग तो अपने टी वी बंद कर देते हैं बच्चों की पढ़ाई को लेकर क्योकि हमारे मुखिया और राजनेताओं के बयान खराब होते हैं.

 असत्य का उदाहरण 
१-किसान समस्या पर
१-महाराष्ट्र और केंद्र में राज कर रही पार्टी के नेता  नें बयान दिया कि यदि वह उत्तर प्रदेश में आते हैं तो वह किसान एक उधार माफ कर देंगे. 
महाराष्ट्र में जिन किसानों ने आत्महत्या की उनको हमारे जाने-माने अभिनेता 
नाना पाटेकर ने महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले परिवारों की सहदयता के लिए पंद्रह-पंद्रह १५ -१५ हजार रूपये किसानों के परिवारों को दिए हैं. 
महाराष्ट्र सरकार ने उन आत्महत्या करने वाले किसानों को  श्रद्धांजलि तक नहीं पारित की उनके परिवार को कोई आर्थिक मदद नहीं दी है. यहाँ बी जे पी की संयुक्त सरकार है.
क्या प्रधानमंत्री का बयान किसानों की सहायता के लिए वायदा करना बेमानी नहीं है, जबकि वह अपने प्रदेश (महाराष्ट्र) में सहायता नहीं करते।

उत्तर प्रदेश में सारे कत्लखाने (बूचड़खाना) बंद कर देंगे- अमित शाह
 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आजतक टीवी में कहा कि केंद्र सरकार पहले धनार्जन करने वाले कत्लखानों के उत्पादन के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाये और बूचड़खानों को बंद कर दे. किसने रोका है, केंद्र में बी जे पी की सरकार है. केंद्र को कौन रोक रहा है. जब निर्यात बंद होगा तब सरकार  को बूचड़खाने /बंद कररने में आसानी होगी।

 प्रधानमंत्री ने सभी बड़ी राजनैतिक पार्टियों पर अमर्यादित बयान देकर आदरणीय प्रधानमंत्री गिरे हुए निम्न स्तर के बयान देने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गये  हैं. (आजतक टी वी , समय टी वी , नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, देशबंधु, भास्कर, जनसन्देश और अन्य मीडिया के अनुसार।)

नोटबन्दी की कतार में मरे लोगों को हमेशा याद किया जायेगा जब-जब नोटबन्दी की बात की जायेगी.
१-नोटबन्दी पर रिजर्व बैंक के सभी कर्मचारियों ने विरोध व्यक्त किया।
२- रिजर्व बैंक के सर्वोच्च अधिकारी (गवर्नर) से नहीं विचार-विमर्श किया गया.
३- काला धन बैंक में नहीं आया बल्कि  85 लाख लोगों की नौकरी चली गयी. (यह आंकड़े लघु उद्द्योग और छोटे दुकानदारों की यूनियन के बयान पर आधारित।)
४-बड़े शहरों से करोड़ों मजदूर नोटबंदी से प्रभावित लघु उद्द्योग और दुकानदारों और दिहाड़ी के मजदूर वापस अपने घरों में आ गए.

बड़े दलों के नेताओं ने भी पलटवार में निम्न स्तर के बयान दिये।
अटलबिहारी बाजपेयी जी से बयान देना बी जे पी के और अन्य नेताओं को सीखना है. 
(यहाँ पर दी गयी टिप्पणी भारतीय समाचार पत्रों के आधार पर है.)



रविवार, 19 फ़रवरी 2017

एक तरफ चुनाव और दूसरी तरफ चुनाव प्रचार क्या नैतिक है? यह मतदाता के लिए प्रदूषण और सरदर्द नहीं है?-सुरेश चन्द्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla

एक तरफ चुनाव और दूसरी तरफ चुनाव प्रचार क्या नैतिक है? यह मतदाता के लिए प्रदूषण और सरदर्द नहीं है?
   -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है जहाँ जनसंख्या के हिसाब से जिस तरह शान्ति और समृद्धि है उस पर विश्व के किसी भी देश का शांतिप्रिय और सेकुलर नागरिक गर्व करेगा।
लेकिन आज जहाँ उत्तरप्रदेश, भारत में चुनाव हो रहा है अभी भी टीवी पर राजनैतिक बहस स्वस्थ नहीं है. मेरे दो संपादक मित्रों और समाजसेवियों के अनुसार इस बार मतदाताओं ने महसूस किया कि इस बार फिर से रैलिओं और जरूरत से ज्यादा सभाओं ने राजनैतिक प्रदूषण फैलाया है. एक तरफ चुनाव हो रहा है दूसरी तरफ रैलियों, सभाओं और प्रेसकांफ्रेंस द्वारा चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है.
छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अन्यायपूर्ण वारदात है.

चुनाव आयोग को और मतदाता को चाहिए कि वे प्रत्याशी पर प्रभाव बनायें और इस चुनावी प्रदूषण को अपने मतदान करके और आगामी चुनावों में चुनाव के दिन पूरे भारत में कोई रैली, चुनावी सभा और चुनावी प्रेस कांफ्रेंस बंद की जाएँ,   जनसभा  बंद की जाये।

चुनावी प्रदूषण बंद होते ही सभी राजनैतिक प्रतिनिधि कार्य करेंगे उसे गिनाएंगे न की प्रोपेगंडा करेंगे।
इस प्रोपेगंडा में जो जितना बड़ा नेता है वह सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहा है. लोगों की शिकायत जो समाचारपत्रों में छपती है उससे पता चलता है कि शक्तिशाली राजनैतिज्ञों पर एफ आई आर न के बराबर दर्ज होती है और जो काम करने वाले बहुत से ईमानदार नेता हैं उनपर बड़े नेता दबाव ड़ालकर उनपर ऍफ़ आई आर करवा रहे हैं. दिल्ली और पंजाब प्रदेश में यह सबसे ज्यादा है.

मेरे कुछ सपने हैं अपने देश भारत को लेकर।
1-आगामी चुनाव तक भारत में सभी साक्षर हों और
2-अधिक से अधिक लोग बढ़चढ़ कर राजनैतिक  रूप से सक्रिय हों।
3-सहकारिता से हर गाँव में हर शहर में हर वार्ड में जनता खुद प्रोद्योगिक तकनीकी शिक्षण के लिए कार्य करें
क्योंकि सुपर बड़े उद्योग स्वास्थ, शिक्षा और श्रमिकों के लिए कार्य करने से ज्यादा अपनी कमाई करते हैं और टैक्स की बड़ी चोरी करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ाते हैं। अपने लघु उद्योग शुरू करें जिसके उत्पादन या सेवाओं की  खपत स्थानीय हो.
4-जनता स्वस्थ हो और जनसंख्या कम हो उसके लिए शिक्षा की और जागरण की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर हो।
5 -स्वचालित सहकारी ग्रामीण और मोहल्ला बैंक हों।
6-जो स्थानीय नेता, प्रतिनिधि और सरकारी संस्थायें प्रगति का विरोध करती हों और विरोध करती हों उनका न्यायिक तरह से जवाब दें और उन्हें दूर रखें ताकि बड़े राजनैतिक और सरकारी दबाव से बचा जा सके।
7-ऊपर लिखे सुझावों को वकीलों और समाजसेवियों की सहायता से प्रोफेशनल और प्रायोगिक सूचना का पर्चा और कार्यक्रम बनाया जाये जो देश के कानून और संविधान के अनुकूल हो। 

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

निवेदन: संसद विचार करे और महात्मा गांधी के हत्यारे के बयान और उसका चित्र छापने के लिए रोके -Suresh Chandra Shukla

 निवेदन: संसद विचार करे और महात्मा गांधी के हत्यारे  के बयान और उसका चित्र छापने के लिए रोके
दुर्भाग्य है कि हमको महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं की जरूरत पड रही है.
मैंने नवभारत टाइम्स में यह सूचना पढ़ी कि सूचना विभाग इसे सार्वजनिक कर रहा है. बहुत सी ऐसी सूचनायें
जैसे प्रजातंत्र में मताधिकार, मानवाधिकार, पर्यावरण, प्रोद्योगिक शिक्षा, श्रमदान और सहकारिता से देश समाज का विकास और भाई चारा बढ़ाने की बातें सीखें, आदि -आदि.

राज घाट नयी दिल्ली 
 अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी राजघाट में पुष्प चढ़ाते हुए

मुझे लगता है जो महात्मा गांधी जी के हत्यारे के बयानों जैसी सूचनाओं  के लिये जो बेताब हैं उससे कुछ हल होने वाला नहीं है. बल्कि इससे वह संभव है कि कल नयी पीढ़ी इसे फिर प्रतिबंधित कर दे.
विचार उनके पढ़े जाने वे योग्य होते हैं जिनसे हम सीख सकें. जिस तरह हिटलर की बातें या किताब रखने वाले और उसकी तारीफ करने -वाले कभी भी सफल बुद्धिजीवी नहीं हो सकते उसी तरह यह मिलता जुलता उदाहरण है.
मेरी बात से कोई सहमत हो या ना हो पर मैं  इसके पक्ष में नहीं हूँ  कि पिछली बीसवीं सदी पुरुष अहिंसा के विश्वदूत महात्मा गांधी के हत्यारे के बारे में कोई सूचना और उसकी फोटो प्रकाशित हो क्योंकि यह कोई आदर्श सूचना नहीं है कि हत्यारे के बयान को सार्वजनिक किया जाये.
संसद और न्यायपालिका सबसे उपर है उसका सम्मान करता हूँ पर संसद विचार करे और इसे रोके यह मेरा निवेदन है-

-एक शान्तिप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल, 'शरद आलोक' ,ओस्लो, नार्वे

अगले चुनाव में नया मदारी आयेगा सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Election in India-Suresh Chandra Shukla (A poem in hindi)

अगले चुनाव में नया मदारी आयेगा
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
 
 
बरसात में जगह-जगह कुकुरमुत्ते उग आये हैं,
चुनाव आ गया है
नेता सब जगह दिखाई दे रहे हैं.
लग रहे हैं चुनावों के नारे,
चुनाव के बाद मिलें या न मिलें क्या गारंटी है?
आज सभी प्रत्याक्षियों के गले में घंटी है.
जो चुनाव के बाद खतरे की घंटी हो सकती है!
जनता खाई और कुंएं में बँट सकती है.
यदि आप मत देंगे तो
सबकुछ आपका है, पर छू नहीं सकते,
सुंदरता की तरह देख सकते हैं पर छू नहीं सकते।
जीतकर कितने नेता दिखायी नहीं देंगे।
जनता आज ही दूध का दूध
और पानी का पानी कर देंगी।
तुम नारे लगा रहे हो
लाउडस्पीकर पर दहाड़ रहे हो
पर जनता जाग रही है
कल मतदान देकर बिगुल बजा देगी
अपने विजयी सेवकों का एलान कर देगी।

जनता को सब्ज-बाग,
जनता को राम राज्य का सपना दिखाएँगे,
राम मंदिर भी चुनावी मुद्दा बन जाएंगे।
और चुनाव के बाद कपूर सा उड़ जायेगा।
क्या मतदाता को हमेशा की तरह ठगा जायेगा,
देखते हैं कि पहला कदम कौन उठायेगा?

पीठ पर वायदे उठाये नेता
आपके सपनों का बोझ उठायेंगे,
सच्चाई से सामना हो
उससे पहले अंतर्ध्यान हो जाएंगे।
अपना कर्तव्य निभाना बहुत मुश्किल,
पर वायदा खिलाफी आसान है
संन्यास/ की घोषणा करके
आप कर्जा न भी चुकाएँ आप धार्मिक कहलायेंगे।
तमाशबीन जनता को देख नेता मुस्कायेगा,
मदारी की तरह सब कुछ लपेट कर
छू मंतर हो जायेगा।
जनता को सब्ज-बाग दिखाने
अगले चुनाव में नया मदारी बनकर आयेगा।

नुंग्शी और ताशी मालिक के सम्मान में ओस्लो में पार्टी Nungshi and Tashi Malik in Oslo - Suresh Chandra Shukla, Oslo, 17.02.17

 नुंग्शी और ताशी मालिक ने विश्व में  अनेक कीर्तिमान बनाये
 दो बहनों नुंग्शी और ताशी मालिक ने विश्व में  अनेक कीर्तिमान बनाये हैं. नुंग्शी और ताशी मालिक नेएवरेस्ट के अलावा विश्व के सभी सात पर्वत शिखरों पर चढ़ाई कर विजय पायी और उत्तरी और दक्षिण धुरुव की यात्रा करने वाली ये काम आयु की पहली बहने हैं. इन पर मुझे बहुत नाज है.

 भारतीय राजदूत महामहिम देबराज प्रधान जी ने १५ फरवरी को अपने निवास ओस्लो, नार्वे में शोहरत के शिखर पर पहुंचीं भारतीय युवा महिलाओं को नुंग्शी और ताशी मलिक के सम्मान में दी पार्टी।
नुंग्शी और ताशी ने विश्व के पर्वत शिखरों (एवरेस्ट शामिल है) के साथ उत्तरी और दक्षिणी धुर्व की यात्रा की. ऐसी बेटियों को लाख-लाख नमन.

चित्र में बाएं से स्वयं मैं, नुंग्शी मलिक, संगीता, ताशी मलिक, और महामहिम देबराज प्रधान जी.
HE Debraj Pradhan hadde et ære-parti for Nungshi og Tashi Malik som har klatret på verdens høyeste fjell Everest og reiste til Nord og Sørpol. Vi er stolt av de indiske jenter.

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

मोदी जी का प्रशंसक पर गाँधी जी के सिद्धान्तों का पक्षधर हूँ - Suresh Chandra Shukla

मोदी जी का प्रशंसक पर गाँधी जी के सिद्धान्तों का पक्षधर हूँ गाँधी जी के सामने मोदी जी कहीं नहीं ठहरते?
गांधी जी का नाम चरखा से जुड़ा है वह स्वदेशी, खादी के पर्याय हैं. श्री नरेंद्र मोदी की अनेक बायोग्राफी मेरे पास हैं पर कहीं भी चरखे या खादी का विशेष जिक्र नहीं है पर प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने खादी भण्डार के पोस्टर से गांधी जी को चलता किया और अपनी तस्वीर स्वीकार की. मैं उनसे और उनके पूछता हूँ कि क्या गारंटी है कि उनकी यह तस्वीर सदा यहाँ रहेगी? 
मैं मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक हूँ, प्रधानमंत्री सभी का होता है यह वह भूल जाते हैं.
वह अपने को अक्सर केवल बी जे पी का ही प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा मैंने लोगों को कहते सुना है. मेरे बहुत अच्छे मित्र बी जे पी से सम्बन्ध रखते हैं और जो बहुत अच्छे इंसान हैं. 
आदमी जो सुनता है वह अक्सर वह एक पक्ष भी हो सकता है. ऐसा कभी नहीं होता कि एक नेता हमेशा चर्चित रहता है जो ऊंचाई पर चढ़ेगा वह नीचे भी उतरेगा यह प्रकृति का नियम है.  दुनिया में बहुत से लोग हैं जिन्हें मोदी जी के कुछ कार्य और मोदी जी के कुछ कार्य पसंद हैं. पर सवाल यह है कि व्यक्ति को कुछ ऐसा नहीं बोलना चाहिये जिससे बाद में प्रतिष्ठा गिरे। जबान से शब्द निकलने के बाद अपने नहीं रहते वे सार्वजनिक हो जाते हैं.  


इन्दिरा जी के शासन काल सन 1983 में कंप्यूटर में तेजी आयी 
मोदी जी ने पार्टी बैठक में कुछ इस तरह कहा कि इंदिरा जी के शासन काल में  स्वाइप मशीन आदि लग जाती नोट बंदी होती तो उन्हें आसानी हो जाती।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ मैं भारत की आई टी मिनिस्ट्री में दो बार गया हूँ. वहां से ज्ञात हुआ कि सन 1983 से  यह मिनिस्ट्री पूरे देशवासियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओँ के प्रोग्राम (साफ्ट वेयर) मुफ्त उपलब्ध कराती थी.  जिससे सभी इच्छुक और बड़ी छोटी इंडस्ट्री को साफ्टवेयर मुफ्त मिला जबकि विदेशी कंपनियां इस तरह के साफ्टवेयर बेचती थीं. इंदिरा जी की ह्त्या सन 1984 में हो गयी थी. 

इंदिरा गांधी जी एक शिष्ट नेता थीं 
इंदिरा जी के भाषणों को उठाकर देखें तो आप पाएंगे कि उनके भाषण नपे तुले होते थे. मुझे इंदिरा गांधी जी से तीन बार मिलने का मौक़ा मिला था. मोदी जी से प्रवासी भारतीय दिवस पर एक बार हाथ मिलाया है.

इन्दिरा और मोदी के दो वर्ष के भाषणों पर तुलनात्मक एम फिल हो 
इंदिरा जी के दो सालों के भाषणों और मोदी जी के दो सालों के सार्वजनिक मंचों/आम सभा/पार्टी बैठक का संग्रह एक साथ तुलना के साथ छपाया जाये तो अच्छा होगा।  इन्दिरा जी ने इमरजेंसी लगाई जिसमें बहुत से फायदे हुए और बहुत ज्यादा नुक्सान भी  हुये।  राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते हैं.
तानाशाही के कारण चुनाव हारने के बाद इंदिरा जी जयप्रकाश नारायण से मिलने गयीं और छमा माँगी थी. और वह दोबारा सत्ता में आयीं।  राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी इस पर एम फिल भी कर सकते हैं.

मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक
मैं मोदी जी का समर्थक और प्रशंसक हूँ, प्रधानमंत्री सभी का होता है यह वह भूल जाते हैं.
वह अपने को अक्सर केवल बी जे पी का ही प्रधानमंत्री मानते हैं ऐसा मैंने लोगों को कहते सुना है. आदमी जो सुनता है वह अक्सर वह एक पक्ष भी हो सकता है. ऐसा कभी नहीं होता कि एक नेता हमेशा चर्चित रहता है जो ऊंचाई पर चढ़ेगा वह नीचे भी उतरेगा यह प्रकृति का नियम है.  

जिस महान नेता  इंदिरा गाँधी जी को अटल जी ने देवी और रणचण्डी कहकर सम्मानित किया उन्हें प्रधानमंत्री मोदी जी पार्टी बैठक में भ्रमात्मक बयान  दे रहे हैं. एक प्रधानमंत्री को दूसरे प्रधानमंत्री की इज्जत करनी चाहिये। इंदिरा जी विदेशों में प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बोलती थीं और मोदी जी ज्यादातर बोलते हैं. इंदिरा जी के समय 1983 में सरकार ने निशुल्क कंप्यूटर प्रोग्राम उपलब्ध न कराये होते तो पे टी एम, ए टी एम हमारे आप तक आज नहीं पहुँच पाते। उनकी मृत्यु के समय से पहले ही उसका उत्पादन शुरू हुआ था और निशुल्क प्रचार बढ़ा था. बाद में राजीव जी ने कार्यभार संभाल कर सुपर कंप्यूटर आदि बनवाये। जिससे वह मिस्टर कंप्यूटर कहलाये। 

जिस महान नेता  इंदिरा गाँधी जी को अटल जी ने देवी और रणचण्डी कहकर सम्मानित किया उन्हें प्रधानमंत्री मोदी जी पार्टी बैठक में भ्रमात्मक बयां दे रहे हैं. एक प्रधानमंत्री को दूसरे प्रधानमंत्री की इज्जत करनी चाहिये। इंदिरा जी विदेशों में प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बोलती थीं और मोदी जी ज्यादातर बोलते हैं. इंदिरा जी के समय 1983 में सरकार ने निशुल्क कंप्यूटर प्रोग्राम उपलब्ध न कराये होते तो पे टी एम, ए टी एम हमारे आप तक आज नहीं पहुँच पाते। उनकी मृत्यु के समय से पहले ही उसका उत्पादन शुरू हुआ था और निशुल्क प्रचार बढ़ा था. मोदी जी विवादित लेखक किसिंगर को भी पढ़ें।  इंदिरा जी के समय में देश के अंदर राष्ट्रीय कोष में सबसे अधिक सोना, सरकारी कर्मचारियों के बचत खाते में धन जमा कराया गया था तब नार्वेजीय 0,75 क्रोन में एक रुपया मिलता था अब इसमें दस गुना मिलता है. रेल के सभी कारखाने अच्छा उत्पादन करते थे. रेल समय पर आती थी.  मैं रेल में काम करता था आजकल भारत के एक अखबार में यूरोप संपादक और ओस्लो नार्वे में पत्रकार हूँ. यह भी बता दूँ मैं मोदी जी का फैन हूँ पर उनकी इन बातों से अपने फैन को निराश कर रहे हैं. मैं इन्दिरा जी से तीन बार मिला हूँ और मोदी जी से भारतीय प्रवासी दिवस पर हाथ मिलाया है. --- सुरेशचंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे 

सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

14 फरवरी को माननीय सुषमा स्वराज जी का जन्मदिन है. बहुत-बहुत शुभकामनायें। - Suresh Chandra Shukla, Oslo, Norway


१४ फरवरी को हमारी भारत की विदेश मंत्री माननीय सुषमा स्वराज जी का जन्मदिन है. बहुत-बहुत शुभकामनायें। 
 वह स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों. पिछले वर्ष वह १० जनवरी २०१६ को उनसे मिलाना हुआ था विश्व हिंदी दिवस पर दिल्ली में मिलना हुआ था. 

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

10th february 2017 दस फरवरी को मेरे जन्मदिन पर मुझपर लिखी किताब रिलीज होगी- सुरेश चन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे - Suresh Chandra Shukla


 दस फरवरी जिंदाबाद १०-०२-१७ 

 दस फरवरी जिंदाबाद क्योंकि 10th february 2017   दस  फरवरी को मेरे जन्मदिन पर मुझपर लिखी किताब रिलीज होगी ओस्लो, नार्वे  में- 
बंधुवर, आप सादर आमंत्रित हैं पुस्तक रिलीज पर. एक पुस्तक जो मुझ पर लिखी है पूर्व टाउन मेयर थूरस्ताइन विंगेर ने (Torstein Winger tidligere BU-Leder i Bydel Bjerke) थूरस्ताइन विंगेर ने. शुक्रवार 10 फरवरी को शाम साढ़े पांच बजे वाइतवेत सेन्टर के मंच पर, Veitvetveien 8 i Oslo.
आइये मिलते हैं. आने की सूचना दीजिये ई-मेल पर:suresh@shukla.no

 10 फरवरी को  मेरा जन्मदिन है. और मुझ पर लिखी एक नार्वेजीय भाषा में लिखी पुस्तक रिलीज होगी ओस्लो, नार्वे में।
पुस्तक का नाम है "Brobyggeren"(सेतु निर्माण करने वाला) लेखक का नाम है थूरस्टाइन विंगेर Torstein Winger. 
10th february 2017   दस  फरवरी को मेरे जन्मदिन पर मुझपर लिखी किताब रिलीज होगी- सुरेश चन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे  - Suresh Chandra Shukla

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

"मोदी जी" इतिहास दोहराना नहीं -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आदरणीय नरेन्द्र दामोदर मोदी जी आप इतिहास दोहराना नहीं।  नया 

इतिहास बनाइये। 

आदरणीय नरेन्द्र दामोदर मोदी जी आप इतिहास दोहराना नहीं।  नया इतिहास बनाइये। गुना-भाग से बेहतर होगा कि सही कार्य कीजिये और उस भाषा में समझाइये जो आम जनता समझती है. धन्यवाद और आभार कि आप भारत देश के प्रधानमंत्री हैं- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

मोदी जी! जो अच्छा था उसे अपनाना और जो आप जोड़ सकते हों उसे जोड़िये, सभी को समन्वय करके चलिये। एक तरह की विचारधारा कभी किसी समाज का आधुनिक युग में भला नहीं करती।  सभी को लेकर चलना पड़ता है. हमारे पुरुषोत्तम राम तो नहीं बन सकते पर उनके कर कमलों पर चल सकते हैं. बहिष्कार, अनदेखा करना, केवल आलोचना करना या सुनकर सकारात्मक जवाब न देना आज के समय से मेल नहीं खाती। यदि अमेरिका, रूस, जापान या पड़ोसी राज्य/देश में मुसीबत है तो उसकी मदद या उससे मिलकर उसका दर्द जानना जरूरी है. आज पल्ला झाड़ने का ज़माना नहीं है. यदि आपने अच्छे  कार्य किये तो जनता दुबारा या यदि दोबारा नहीं तो तिबारा लायेगी। राजनीती एक औजार है समाज के लिए अच्छा करने और उसे बदलने का, न कि मुट्ठी भर लोगों के लिए टूल बनने का. 

मित्रों पढ़िये शेषनारायण जी के  फेसबुक से विचार लिए गए हैं. -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 03.02.17
"मोदी जी" ( शेष नारायण सिंह के फेसबुक से आभार सहित)

आप उस देश के *प्रधान मंत्री* हो जो देश *तीन सौ साल ग़ुलाम* रहा !
जिस देश को अंग्रेजो ने लूट खसोट कर ओर जातीवाद में बाट के बर्बाद कर इस देश की बाग़डोर कोंग्रेस को सोपी थी !
*194 7* में देश में *सुई*
नही बनती थी !
सारा देश *राजा रजवाड़ों* के झगड़ो में *बटा* हुआ था
देश के मात्र *पचास गाँवों में बिजली* थी !
पूरे *राजस्थान में मात्र बीस राजाओं के महल* में फ़ोन था !
किसी गाँव में नल नही थे।
पूरे देश में *मात्र दस बाँध* थे ! सीमाओं पे *मात्र कुछ सेनिक* थे ! *चार विमान थे बीस टेंक* थे !
देश की *सीमाएँ चारो तरफ़ से खुली थी !*
*खजाना ख़ाली था ऐसे बदहाल* में हमारा *हिंदुस्तान कोंग्रेस* को मिला था !
इन *साठ सालों में कोंग्रेस* ने हिंदुस्तान में *विश्व की सबसे बड़ी ताक़त वाली सेन्य शक्ति तैयार की*
*हज़ारों विमान -हज़ारो टेंक -लाखों फ़ैक्ट्रीया लाखों गाँवों में बिजली*
*हज़ारों बाँध लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण परमाणु बम*
*हर हाथ में फ़ोन -हर घर में मोटर साई किल वाला मजबूत देश साठ में बना कर दिया हे कोंग्रेस ने !*
भारत ने पिछले ६० सालों में तरक्की भी बहुत की है और भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई इतिहास रच दिए हैं जिसकी वजह से भारत आज एशिया की दूसरी सब से बड़ी ताकत है।
1-भारत दुनिया का सर्व *श्रेष्ठ संविधान* बना चुका था...
2-भारत *एशियाई खेलों की मेजबानी* कर चुका था...
3- *भारत में भाखड़ा और रिहंद जैसे बाँध बन* चुके थे...
4- *देश भामा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन कर चुका था..*
5- *देश में तारापुर परमाणु बिज़ली घर शुरू हो चुका था...*
6- *देश में कई दर्जन AIIMS, IIT, IIMS और सैकड़ों विश्वविद्यालय खुल km चुके थे..*
7- *नेहरु ने नवरत्न कम्पनियाँ स्थापित कर दी थी...*
8- *कईसालों पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर के अंदर तक घुसकर मारा था और लाहौर पर कब्जा कर लिया था।*
9- *पंडित नेहरु पुर्तगाल से जीत कर गोवा को भारत में मिला चुके थे...*
10- *नेहरु जी ने ISRO (Indian Space Research Organization) की शुरुआत कर दी थी...*
11- *भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी..*
12- *देश में उद्योगों का जाल बिछ चुका था..*
13- *इंदिरा जी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर चुकी थी, पाकिस्तान १ लाख सैनिकों और कमांडरो के साथ भारत को सरेंडर कर चुका था।*
14- *तब भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो चूका था..*
15- *इंदिरा जी ने सिक्किम को देश में जोड़ लिया था....*
16- *देश अनाज के बारे में आत्म निर्भर हो गया था.*
17- *भारत हवाई जहाज और हेलीकाप्टर बनाने लगा था...*
18- *राजीव गाँधी ने देश के घर घर में टीवी पहुंचा दिया था।*
19- *देश में सुपर कम्प्यूटर, टेलीविजन और सुचना क्रांति ( Information Technology) पूरे भारत में स्थापित हो चुका था..*
20- *जब मोदी प्रधान मंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब तक भारत सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के कोष वाले प्रथम १० राष्ट्रों में शामिल हो चुका था*
21- *इनके अलावा..चन्द्र यान,*
22- *मंगल मिशन ,*
23- *GSLV,*
24- *मेट्रो,*
25- *मोनो रेल,*
26- *अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,*
27- *न्यूक्लियर पनडुब्बी,*
28- *ढ़ेरों मिसाइल,पृथ्वी, अग्नि, नाग*
29- *दर्जनों परमाणु सयंत्र,*
30- *चेतक हेलीकाप्टर, मिग*
31- *तेजस, ड्रोन, अर्जुन टैंक, धनुष तोप,*
32- *मिसाइल युक्त विमान,*
33- *आई एन एस विक्रांत*
*विमान वाहक पोत......*
ये सब उपलब्धियां देश ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले हासिल कर ली थी.....