बुधवार, 26 अप्रैल 2017

Read The Hindu (Indian News paper) leatest alert news in India. http://www.thehindu.com-Suresh Chandra Shukla

Braving teargas shells, many of them hurled stones and kicked police vehicles at Lal Chowk 

 Curtsey:The Hindu

http://www.thehindu.com

 Angry male teenagers and youth in their early twenties throwing stones on the streets of the Kashmir Valley is commonplace.

But what has taken everyone by surprise is girls, some in their school uniforms and others donning hijabs, also joining the protesters, hurling rocks and venting their anger on police vehicles.
Perhaps the first time they took to the streets was last week, when many of them were at the forefront of the protests. At least one of them was even seriously injured in the violence.
On Monday, many protested again, bringing the commercial hub, Lal Chowk, to a standstill.
The girl students belonged to the prestigious Government Women’s College, M.A Road, and juniors from the nearby Kothi Bagh Higher Secondary School. They were seen raising anti-India and pro-azadi slogans.


‘Ambush’ laid

Later, armed with stones and plastic cones, the girl laid an ‘ambush’ on three police vehicles at Exchange Road and threw stones at them.
“Even stun grenades, PAVA shells and tear-smoke shells failed to deter them. They managed to come out more than eight times despite tear-smoke shelling,” said a police officer on the condition of anonymity.
The police was forced to fire tear-smoke inside the campus to contain the situation.
The girl students, who clashed for more than three hours, were also seen stopping a police vehicle and kicking and hitting them with hard objects. A group of girls even succeeded in chasing away a police patrol.
“People in Kashmir are dying day in and day out. The State is crushing us from all sides. How can we stay aloof from what is happening? The time has come for a decisive phase to end the Kashmir problem once and for all,” said an angry Class XII student of the Kohi Bagh Higher Secondary School.
There were dramatic images of women participating in stone throwing in 2010 and 2016, mainly in localities where local youth were picked up by security forces.

Dramatic acts

However, Monday’s dramatic acts of the girl students were rare. There were even daring attempts to jump over the police vehicles.
Former Chief Minister Omar Abdullah posted an image of a volley-ball carrying girl hitting a police vehicle to make the point about the growing anger in J&K.
“The reality that is Kashmir -- she has her basketball and a brick in the same hand while she kicks the truck,” tweeted Mr. Abdullah.

आज समाचार पत्र का आदर्श कहाँ गया. पहले पेज पर जहाँ यह खबर होनी चाहिए वहां विज्ञापन और दूसरी मामूली खबरें छापी जाती हैं. समाचार संपादक और पत्रकार क्यों सोये पड़े हैं?- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla, Oslo


 श्री गिरिराज किशोर जी ने अपने फेसबुक पर लिखा है: इस पर सभी मीडियाकर्मियों को चिंता करना चाहिये। आज समाचार पत्र का आदर्श कहाँ गया. पहले पेज पर जहाँ यह खबर होनी चाहिए वहां विज्ञापन और दूसरी मामूली खबरें छापी जाती हैं. समाचार संपादक और पत्रकार क्यों सोये पड़े हैं?- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
 श्री गिरिराज किशोर जी ने अपने फेसबुक से साभार :पहले समाचार पत्रों का काम था कि वे देश में हो रही अच्छी बुरी गति विधियों से दे श के लोगों को अवगत रखते थे। अब केवल सरकारी पक्ष को छापते हैं। कश्मीर यदि देश का हिस्सा है तो देश के लोगों से वहाँ के हालत को क्यों छिपाया जा रहा है। केवल द हिन्दू ने कल फ़ोटो के साथ छापा है 'girls take Srinagar by storm' (P.6) horrifying.मुझे याद है एक बार कांग्रेस सरकार के ज़माने में महिलायों ने सड़क पर छातियां पीटी थीं। सब समाचार पक्त्रों ने तस्वीरों के साथ छापा था। मैंने पी एम को लिखा था कि जब औरतें और लड़के सड़कों पर उतरते हैं तो समझिए तुफ़ान आने वाला है। मैं यह देखकर चकित हूँ की लड़कियां पुलिस वैन को तोड़ रही हैं, सुरक्षा कर्मियों पर पत्थर चला रही हैं।
दी हिन्दू से साभार:
http://www.thehindu.com/news/national/other-states/girls-take-srinagar-streets-by-storm/article18204451.ece

रविवार, 23 अप्रैल 2017

Speil nr. 1 2017 Stiftet: 1988 स्पाइल-दर्पण अंक १ वर्ष २०१७, ओस्लो, नार्वे से प्रकाशित.

https://drive.google.com/file/d/0B-Yr4tfxYfDndlhZQ0pIaTJRUDAtVjhFV3NhU3paYjlTVmJ3/view?usp=sharing
Speil nr. 1 2017 Stiftet: 1988 स्पाइल-दर्पण अंक १ वर्ष २०१७, ओस्लो, नार्वे से प्रकाशित.
इस अंक के रचनाकार:
लेख: डॉ मृदुला सिन्हा (गवर्नर गोवा), नासिरा शर्मा (प्रसिद्द कथाकार), प्रेम जनमेजय (प्रसिद्द व्यंग्यकार), डॉ विजय कुमार राउत, डॉ संतोष कुमार तिवारी, डॉ सत्येन्द्र कुमार सेठी, डॉ संगीता रावत, अर्चना रानी दुबे, गुरु शर्मा और अन्य.
कहानी: प्रियम्बरा, सुभाष नीरव, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', यशपाल जैन शरद जोशी और काशी नाथ सिंह।
कवितायें: गयाप्रसाद तिवारी 'मानस', आभा चंंद्रा, निवेदिता श्रीवास्तव, यासमीन खान, अलका प्रमोद, प्रवीण गुप्ता, आशा पांडेय ओझा, शिवांश शुक्ल, अंशु त्रिपाठी अनुश', सुशीला श्योराण, निवेदिता झा, अनुराग 'अतुल', रोली शंकर श्रीवास्तव, निवेदिता झा, सरस दरबारी, नमिता राकेश, निवेदिता दिनकर, जेन्नी शबनम, शिवराम पाण्डेय, शिव कुमार बिलगरामी, विनीता रानी बिन्नी और 'शरद आलोक'
Norsk: Dikt कविता)- Inger marie Lilleengen, Nuri Røsegg, Preeti Prithyani og Suresh Chandra Shukla.
Leder, Leserbrev, Artikler og informasjon.

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

God dag. बन्धुवर आपका दिन मंगलमय हो. बन्धुवर आपका दिन मंगलमय हो. मैं वापस ओस्लो आ गया हूँ -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

God morgen, I går temratur i New Dekhi var 44 grader og i Oslo 12 grader.

बन्धुवर आपका दिन मंगलमय हो. मैं वापस ओस्लो आ गया हूँ -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
कल दिल्ली में तापमान 44 था, मास्को में तापमान 0 था और यहाँ ओस्लो में तापमान 12 था. अपने देश में तापमान से कोई फरक नहीं पड़ता कैसा मौसम है?

From newspaer from Norway.


रविवार, 2 अप्रैल 2017

जो भी हो योगी आदित्यनाथ जी को अभी जुम्मा-जुम्मा चार दिन हुये उन्हें मुख्यमंत्री बने हुए. कई कामों में समय लगता है.



उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड मामला क्या है? राशन कार्ड के बिना पिसती जनता जिम्मेदार कौन-Suresh Chandra Shukla
तत्कालीन मुख्यमंत्री  ने राशन कार्ड पर अपनी फोटो छपवायी थीं
उन्होंने सभी को राशन कार्ड नहीं भेजे थे. जनता बिना राशनकार्ड के कैसे राशन ले.
जनता पर एक और गाज गिरी कि इन ३ करोड़ राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड रद्द कर दिए गये.
अब किसको नुक्सान हुआ जनता को. सरकार का काम जनता की सेवा करना होता है और तुरंत तथा नेताओं को सोच विचार कर निर्णय लेना चाहिये और निर्णय लेते समय जनता का ख्याल रखना चाहिये।

बिना राशनकार्ड के जनता को सजा फैसला दोनों मुख्यमंत्रियों का? 
पिछले मुख्य मंत्री की गलती की उन्होंने अपनी फोटो राशन कार्ड में क्यों छपवायी?

पता चला है कि वर्तमान मुख्यमंत्री ने राशन कार्ड रद्द कर दिये। नए राशनकार्ड छपवाकर पहले सभी कार्ड धारकों (तीन करोड़ ) को क्यों नहीं भेजे।समय लगता है नये राशन कार्ड या उसकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था।
चाहे हम जो भी कहें ज्यादातर नेतागण जनता का ख्याल बाद में रखते हैं. जनता की परेशानी का बड़े प्रचार समाचार पत्र भी लिखने से कतराते हैं?
 जो भी हो योगी आदित्यनाथ जी को अभी जुम्मा-जुम्मा चार दिन हुये उन्हें मुख्यमंत्री बने हुए. कई कामों में समय लगता है. अनुभव से हम सीखते हैं.  हमको नयी सरकार को बधाई भी देनी चाहिये जो कि उसने अनेक जनता के हित  में फैसले लिए और परिणाम दिखाई देने भी लगे है.

शनिवार, 1 अप्रैल 2017

Bharosa भरोसा Beleive - प्रस्तुति सुरेशचंद्र शुक्ल -Suresh Chandra Shukla

 आइये थोड़ा आनंद लें 












भरोसा - प्रस्तुति सुरेशचंद्र शुक्ल

हर कामयाब पुरुष के पीछे एक औरत का हाथ होता है।

आज मेरा इस बात से तो विश्वास ही उठ गया।

मोदी, योगी कैसे कामयाब हो गये?

आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -'Yogi ji comes and people change' A poem in hindi by Suresh Chandra Shukla

आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 


















(हाथ में सफ़ेद कलम लिए कवि  शरद आलोक)
आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे,
शासन-पार्टियों में पाला बदलने लगे।
कल तलक गालियां दे रहे थे जो,
उनकी तारीफों के कसीदे पढ़ने लगे।
विपक्ष न जाने क्यों न मुखर- मौन है,
विपक्ष कमजोर तो प्रजातंत्र गौंड़ है। 
पारदर्शिता की बात करते थे जो,
संसद चन्दा छिपाने में परेशान हैं।
आधार कार्ड के बिना चन्दा न हो,
राजनीति अब अधिक धंधा न हो।
इसपर मोदी जी क्या कुछ कर पायेंगे?,
भ्रष्टाचार कुम्भकरण को, वे जगा पाएंगे ?

बूचड़खाने हटे तो  कुछ सफाई हुई,
किसी को घाटा किसी को कमाई हुई।
स्वास्थ के लिए शोर है पर उपाय नहीं,
न कूड़े पर अंकुश, न जागरूकता कहीं!
नोटबंदी चुनाव में एक कटु सत्य है,
अमीरों घर पहुँचता रहा नोट-बैंक है.
(बहुत से बैंक के अधिकारी पकड़े गए थे)

भारत के कैपलिस्टों से मेरी लड़ाई नहीं,
राजनीति दूषित कर, देश की भलाई नहीं,
तुम मलाई खा रहे हो तो खाते रहो,
देश जनता को अपाहिज बनाओ नहीं।
पाप-पुण्य, कथनी-करनी जनता देखती,
जिसको हराती कभी उसे जिताती कभी।
धर्म की आड़ में, तुम बहकना नहीं,
चाहे जो धर्म हो कभी लड़ना नहीं।
हमारे लड़ने से उनकी चमकती फिजा,
वोट लेकर जनता को भूल जाते सदा।
मीडिया हाउस अब जनता भी शुरू करे,
सहकारिता से ढांचा अब खड़ा भी करे।
अपने अधिकारों पे  जनता को रोना पड़े,
अशिक्षा मिल दूर करें, लिखना-पढ़ना बढ़े।
श्रमदान और श्रमिक संगठन हो हर जगह,
अपने बच्चों को शिक्षा और नौकरी दे सके।
जनता संगठित होगी यदि हर मोड़ पर,
जागरूकता और शिक्षा बढ़ेगी घर-घर।
speil.nett@gmail.com
suresh@shukla.no