शुक्रवार, 30 जून 2017

जो देशवासी का क़त्ल करें, गोभक्त नहीं अपराधी - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' A poem about poet Nagarjun by Suresh Chandra Shukla


Et dikt av meg om dikter Nagarjun (30.01.1911-05.11.1998)

















नागार्जुन को जन्मदिन पर समर्पित - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
गरीब और गरीब हो रहे
अमीरों की बढ़ी अमीरी।
असमानता बढ़ती जाती है.
और मानवता में दूरी।
बाँटकर नहीं काटकर खाते,
ऐसे मेरे आका.
न हिन्दू-मुस्लिम-सिख ईसाई ने
हमको अपनों ने बाँटा।
जो देशवासी का क़त्ल करें,
गोभक्त नहीं अपराधी।
देश पर बोझ बने हैं गोरक्षक के नाम पर
जैसे बन सूखा और अकाल।
गर सिंघासन पर बैठूँगा,
पक्ष-विपक्ष से कर बात.
संवाद अगर कमजोर हो गया,
जनतन्त्र बने बेहाल।
suresh@shukla.no

शनिवार, 17 जून 2017

शैलेन्द्र कुमार शर्मा सिडनी आस्ट्रेलिया में सम्मानित

शैलेन्द्र कुमार शर्मा और डॉ विद्याविन्दु सिंह  को सिडनी आस्ट्रेलिया में साहित्य सिंधु सम्मान सम्मानित 

सिडनी - ऑस्ट्रेलिया में साहित्य सिंधु सम्मान:
सिडनी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य समारोह और शोध संगोष्ठी में प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ विद्याविन्दु सिंह जी को  साहित्य सिंधु सम्मान से अलंकृत किया गया। अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला मंच द्वारा वाइब सभागार, सिडनी में आयोजित इस समारोह में पहले दिन सम्मान - पत्र, प्रतीक चिह्न, सम्मान राशि, शॉल, रुद्राक्ष एवं स्फटिक माला अर्पित कर प्रमुख अतिथि एम. एल. सी. डॉ जयपाल सिंह व्यस्त, डॉ प्राण जग्गी, अमेरिका, , डॉ विद्याबिन्दु सिंह, डॉ महेश दिवाकर एवं डॉ देवकीनंदन शर्मा ने सम्मानित किया।


संस्कृत भाषा सरल और प्रायोगिक है. वेद संस्कृत भाषा में लिखे हैं. - Suresh Chandra Shukla

ओस्लो में  वेद और संस्कृत भाषा पर सेमीनार संपन्न। 
संस्कृत भाषा सरल और प्रायोगिक है.  वेद संस्कृत भाषा में लिखे हैं.

ओस्लो, 15 जून 2017 भारतीय दूतावास में आज पहली बार वैदिक सेमीनार हुआ जिसमें, वेद, गीता, नृत्य, आयुर्वेद आदि पर चर्चा हुई. आदरणीय देबराज प्रधान और श्री राम वैद्य मुख्य केंद्र थे और श्री आर वी पंडित जी ने बहुत अच्छी व्याख्या की.

शुक्रवार, 16 जून 2017

किसी संकट की तरफ इशारा तो नहीं है? Suresh Chandra Shukla, 16.06.17


 भारत में  सरकार द्वारा डलवाया सी बी आई द्वारा छापा निंदनीय है, सभी राजनैतिक दलों के लोग चुप क्यों हैं?
किसी संकट  की तरफ इशारा तो नहीं है? सभी को एक निगाह से देखा जाना चाहिये।

 पुनः पढ़िए गिरिराज किशोर जी ने क्या लिखा फेसबुक में:
"दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई का छापा बताता है कि कोई मुखर व्यक्ति बाहर नहीं रहेगा। जबकि व्यापम के कर्ता सुरक्षित हैं। वे सब सुरक्षित हैं जो कारपोरेट अरबों का लेकर घोट रहे हैं। सब इतने ज़लील कर दिए जाएं कि छोड़ कर भाग जाएं। एक चेनल जिसमें सत्ता के एक बड़बोले प्रवक्ता को निकलने के लिए कह दिया गया थी। तीसरे दिन उस चैनल के संबंधियों और केन्द्रों पर एक फ़र्ज़ी रिपोर्ट लेकर सी बा आई ने छापे डाले। पता नहीं क्या मिला क्या नहीं मिला।"

कहीं अघोषित इमरजेंसी तो नहीं है कुछ लोगों के ऊपर - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla, 16.06.17

कहीं अघोषित इमरजेंसी तो नहीं है कुछ लोगों के ऊपर
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla, 16.06.17
भारत में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के घर छापे, करोरेट घरों को मुनाफे क्यों कमवाया जा रहा है यह कटु सत्य  लेखक गिरिराज किशोर ने.

 "दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई का छापा बताता है कि कोई मुखर व्यक्ति बाहर नहीं रहेगा। जबकि व्यापम के कर्ता सुरक्षित हैं। वे सब सुरक्षित हैं जो कारपोरेट अरबों का लेकर घोट रहे हैं। सब इतने ज़लील कर दिए जाएं कि छोड़ कर भाग जाएं। एक चेनल जिसमें सत्ता के एक बड़बोले प्रवक्ता को निकलने के लिए कह दिया गया थी। तीसरे दिन उस चैनल के संबंधियों और केन्द्रों पर एक फ़र्ज़ी रिपोर्ट लेकर सी बा आई ने छापे डाले। पता नहीं क्या मिला क्या नहीं मिला।"

भारतीय बड़े अखबार पहले पेज पर विज्ञापन और अमीरों और अपने बिजनेस के समाचार छपते हैं जिससे ये अखबार आदर्श की श्रेणी से हैट चुके हैं. जब तक जनता और बुद्धिजीवी और स्वतन्त्र पत्रकार जागेंगे नहीं तब तक इसी तरह विश्व में बहुत से देशों में अन्याय होता रहेगा।
जो सेवा करता है उसे परेशान किया जाता है जो कारपोरेट घराने को करोड़ों लाख रुपया टैक्स और घोटाले में फंसे हैं उन्हें क्यों छोड़ा जाता है? यह सभी उत्तर जानते हैं.


गुरुवार, 15 जून 2017

होती हैं बड़ी गलतियाँ - suresh chandra shukla, 15.06.17


 होती हैं बड़ी गलतियाँ 
१. भारत -पाकिस्तान की सरहद/सीमा की जगह स्पेन और मोरक्को की सीमा का चित्र गलती से भारत के गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में दिखाया गया है.
२-चीन में हुए के प्रदर्शनी /समारोह में पाकिस्तान ने लाहौर के स्थान पर दिल्ली के लालकिला और भारतीय ध्वज को दिखाया गया है.
नया वायदा 
आज के अमर उजाला पत्र में छपे समाचार के अनुसार पहले मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने सड़कों पर गड्ढों को 15 जून तक भरने की बात कही थी पर अब घोषणा की है कि अब  सड़कों के गड्ढे बरसात के बाद भरे जायेंगे।

 

आज 15 जून को अन्ना हजारे जी का जन्मदिन है. उन्हें श्रेष्ठ शुभकामनायें। वह शतायु हों. -Suresh Chandra Shukla

आज 15 जून  को अन्ना हजारे जी का जन्मदिन है.  

उन्हें श्रेष्ठ शुभकामनायें। वह शतायु हों. 

   
अन्ना  हजारे जी का उनका पूरा नाम किशन बाबूराव  हजारे है उनका जन्म 15 जून 1937 था. 
Sosial og mijø aktivist og Anna Hajare har bursdag den 15 juni. Gratulerer. आज 15 जून को किशन बाबूराव  हजारे जी का जन्म दिन (1937) है उन्हें श्रेष्ठ शुभकामनायें। वह शतायु हों. आदरणीय अन्ना हजारे गांधीवादी नेता और पर्यावरणविद हैं, कुछ वर्षों से उनसे हर साल मिलने जाता हूँ और बहुत कुछ सीखने को मिलता है। डॉ विजय राउत जी मेरे साथ अन्ना हजारे जी को पुष्प भेंट करते हुए और प्रशस्ति पत्र प्राप्त करते हुए.

बुधवार, 14 जून 2017

सामयिक चिंतायें भारत के सन्दर्भ में -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', 15.07.17

सामयिक चिंतायें भारत के सन्दर्भ में - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
स्कूल के बैग: 
अभी समाचार पत्रों में सुर्ख़ियों पर है कि उत्तर प्रदेश के बैग गुजरात में क्यों दिये गए. मैं प्रश्न करता हूँ उसमें बुराई क्या है. रिसाइकिल यानि उन थैलों को फेकने की जगह बच्चों को दे दिया गया यह टी तो सबसे अच्छा रिसाइकिल यानि पुनः प्रयोग है. इसमें आसमान पर उठाने वाली क्या बात है. कम लागत में केवल स्टिकर छापकर यदि काम चल गया तो इसमें बुरी बात मुझे नहीं दिखाई देती। 
सड़क के गड्ढे :
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दिए थे कि 15 जून तक सड़क के गड्ढे बाहर दिए जाएंगे जो किसी कारण नहीं भरे जा सके. यहाँ भी मेरा प्रश्न जनता और स्थानीय लोगों से है जहाँ सड़क पर गड्ढे हैं. क्या उन्होंने सही चिंता की और मिलजुलकर नगरपालिका, स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेकर उसे मिलजुलकर भर लेते जब तक सरकारी प्रयास से न भरे जा पाते। उस गड्ढे के फोटोग्राफ आदि ले लेते ताकि उन्हें सही ढंग से दोबारा भरा जा सके. जब हमारे घरों में बिजली जाती है तब मिलजुलकर समस्या का हल नहीं निकालते। ठीक उसी तरह हम सभी नागरिकों को जागरूक होना होगा और अपने मन को बदलना होगा।  देश समाज के लिए हमारे भी कर्तव्य हैं.
गैंगरेप के विरोध में जन जागरण और पहरेदारी: 
आज जब भी महिला की सुरक्षा का नाम आता है तो उसमें अविकसित और विकासशील देशों का नाम ज्यादा आता है. भारत भी सुर्ख़ियों में होता है जिसे सुनकर और पढ़कर बहुत तकलीफ होती है.  कुछ उपाय मेरी नजर में हो सकते हैं हो सकता है ये परिपक्व न हों अपर इससे आशय समझा जा सकता है.
१-क्या हम जैसे अपने मोहल्ले में बारी-बारी पहरेदार से पहरेदारी कराते हैं या खुद पहरेदारी करते हैं उसी तरह पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से बारी-बारी अपनी सड़कों पर पहरेदारी नहीं कर सकते।  लोगों में जागरण और सूचना के आदान-प्रदान द्वारा भी जागरण लाने में मदद मिल सकती है. सूचना से यह होगा कि बचपन और युवा आयु समय में सभी जो स्कूल जाते हैं और जो काम करते हैं या घर में रहते हैं सभी को समस्या और उससे बचने और अपराध पर लगाम लगाने के लिए बातचीत करनी होगी उन्हें अपने कर्तव्य की तरफ जागरूक करना होगा। 
इससे अपराध और उसकी प्रवत्ति की तरफ बढ़ते रुख का पता चलेगा और उसे रोकने और शिक्षित करने में आसानी होगी। परिणाम स्वरूप अन्य अपराधों और बलात्कार में कमी आयेगी।  

Kisan Baburao Hazare is born on 15th of june 1937. Congratulations. आज अन्ना हजारे जी का आज जन्मदिन है- बहुत-बहुत बधाई। -Suresh Chandra Shukla


अन्ना  हजारे जी का आज जन्मदिन है- बहुत-बहुत बधाई।  


अन्ना  हजारे जी का उनका पूरा नाम किशन बाबूराव  हजारे है उनका जन्म 15 जून 1937 था. 
Sosial og mijø aktivist og Anna Hajare har bursdag den 15 juni. Gratulerer. आज 15 जून को किशन बाबूराव  हजारे जी का जन्म दिन (1937) है उन्हें श्रेष्ठ शुभकामनायें। वह शतायु हों. आदरणीय अन्ना हजारे गांधीवादी नेता और पर्यावरणविद हैं, कुछ वर्षों से उनसे हर साल मिलने जाता हूँ और बहुत कुछ सीखने को मिलता है। डॉ विजय राउत जी मेरे साथ अन्ना हजारे जी को पुष्प भेंट करते हुए और प्रशस्ति पत्र प्राप्त करते हुए.

मंगलवार, 13 जून 2017

My intervue on Loksabha TV in India. क्या आप मुझे लेखक के रूप में जानते हैं? यदि नहीं तो आप इस इंटरव्यू से मुझे और मेरे लेखन को जान सकते हैं जो विदेशों में रहने वाले लेखकों के बारे में जानने के लिए लोकसभा टी वी की एक बेहतर कोशिश है. -सुरेश चंद्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla, Oslo

क्या आप मुझे लेखक के रूप में जानते हैं? 
यदि नहीं तो आप इस इंटरव्यू से मुझे और मेरे लेखन को जान सकते हैं जो विदेशों में रहने वाले लेखकों के बारे में जानने के लिए लोकसभा टी वी की एक बेहतर कोशिश है. -सुरेश चंद्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla, Oslo
https://www.youtube.com/watch?v=clA2xi5qcU8&feature=youtu.be&list=PLVwSaSw61aK5DaQ0Sr1ybRbJbbLkkeA5f

धन्यवाद, इस पेज पर आने के लिए.
आपको यह इंटरव्यू कैसा लगा? लिखियेगा।
suresh@shukla.no

सोमवार, 12 जून 2017

The boy who used to sell tea at the station. Today he is selling the station. A poem by Suresh Chandra Shukla, Oslo

The boy who used to sell tea at the station.

Today he is selling the station.
Bapu was a Saint of Sabarmati

They liberated the country.

The second person of Sabarmati

First remove Gandhiji from Charka

Put yourself a picture in the calendar itself

Now the same man of Sabarmati
Country's 23 stations are selling

My lovely Son, when I will die, 
You will not through my dead body in the river Ganges.
But in the Automatic electric cremation.
Take care of the environment.
Our dead bodies in rivers
We refuse people in the name of religion.
That water
Humans and creatures drink.
 
Wash the leprosy wounds, 
Whether it is not on the temple-mosque,  
do not offer flower sheets. 
But give unknowingly strangers shoulder shoulders. 
Water your thoughts andWolf 
Save someone from shame
 But to any inhuman ruling, 
Never give/ serve tea.









 
Suresh@shukla.no 

'Who once sold tea at the station He is now selling stations' A poem by Suresh Chandra Shukla जो कभी स्टेशन पर चाय बेचता था वह अब स्टेशन बेच रहा है सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 13.06.17

जो कभी स्टेशन पर चाय बेचता था 
वह अब स्टेशन बेच रहा है
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

बेटा तुम नेता नहीं बनना, प्रतिनिधि बनना।
एक लड़का वह जो चाय बेचता है
वह खुद चाय नहीं पी पाता।

एक वह लड़का जो स्टेशन पर चाय बेचता था.
आज वह स्टेशन बेच रहा है.
एक साबरमती के संत थे बापू
उन्होंने देश को आजाद कराया।
दूसरे साबरमती के संत ने
पहले गाँधी जी को चरखे से हटाकर
खुद कलैण्डर में अपनी तस्वीर लगाई
अब वही साबरमती के सन्त
देश के 23 स्टेशन बेच रहे हैं,


कितने महान हैं हमारे रहनुमा।
उन्हें पूजीपतियों को बेचकर
देशवासियों से स्टेशन मुक्त करा रहा है.
बनिया कौन है जिसने देश को आजादी दिलाई
या जिन्होंने स्टेशन बेच कर उन्हें मुक्त कर दिया।
अब आगे किसकी बारी है?
बेटा, मेरे मरने पर तुम मुझे
स्वचालित बिजली के यंत्र (इलेक्ट्रिक क्रिमेशन )
में दाह संस्कार करना।
पर्यावरण को संभाल रखना।
नदियों में हमारे मृत शरीर
धर्म के नाम पर हम लोग बहाते हैं.
उस पानी को
इंसान और जीव जंतु पानी पीते हैं.

बेटा तुम मुझे कुछ कर्ज दे सकते हो
तो आज वायदा करो!
अपने बच्चों को अच्छे नागरिक बनाना।
मंदिर-मस्जिद में समय देने की जगह
गरीबों को निशुल्क पढ़ाना।
धार्मिक स्थानों के निर्माण की जगह स्कूल बनवाना।
गोशाला की जगह इंसानों के लिए
गर्मी और सर्दी में सरायखाना बनवाना।
जिंदगी जीना।
जितना हो सके खुद हंसना
और दूसरों को हँसाना।

एक बार मिलटा है जीवन,
अपनी मर्जी से अपने उसूल बनाना
जिनसे मानवता चमके।
मैं गर्व कर सकूँ,
कि जहाँ तेरे जैसे भारतीय होंगे
वहां किसी भी देश-धर्म का आदमी आये
तुमसे मिलकर मानवता पर गर्व करे.
पाखण्ड से दूर -दूर
दिखावा न करना।
कभी भी नेता नहीं, प्रतिनिधि बनना।

कोढ़ियों के घाव धोना,
मंदिर-मस्जिद पर चाहे फूल चादर नहीं चढ़ाना।
पर लावारिस अजनबी लाश को कन्धा देना।
अपने विचारों को पानी देना और
अपने अंदर पनपते भेड़िये से
किसी की लाज लुटते देख उसे बचाना
पर किसी अमानुष सत्ताधारी को,
कभी चाय न पिलाना।
suresh@shukla.no

क्या यह सच है कि भारतीय रेलवे स्टेशनों को सरकार नीलाम कर रही है? क्या यह एक्स्ट्रीम नहीं है? किसने दिया है यह हक़. क्या पहले पहले ऐसा हुआ है? -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

क्या यह सच है कि भारतीय रेलवे स्टेशनों को सरकार नीलाम कर रही है?
क्या यह एक्स्ट्रीम नहीं है? किसने दिया है यह हक़. क्या पहले पहले ऐसा हुआ है? -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 श्री गिरिराज किशोर जी ने फेसबुक पर लिखा है, यदि यह सच है तो हैरानी की बात है,
"देश के 23 स्टेशन की नीलाम होने जा रही है। नीलामी की शर्तें क्या हैं। जनता की संपत्ति है उसे पता होनी चाहिए। अमानत में ख़यनत न करो। जो सेवाएं हीं उन्हे कौन देखेगाा। जब देश आज़ाद हुआ तो तब तक वाइसराय रहे जब तक संतुष्ट नहीं हो गए।"

रविवार, 11 जून 2017

विषय:पारदर्शिता: भारत में राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याक्षी /उम्मीदवार की कोई घोषणा अभी तक नहीं? -Suresh Chandra Shukla

भारत में राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याक्षी /उम्मीदवार की कोई घोषणा अभी तक नहीं? हमारी राजनैतिक पार्टी कितनी पारदर्शिता की समर्थक है?

फेसबुक में जावेद उस्मानी जी ने लिखा है "राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर सत्ता और विपक्ष गंभीर नही है , नामांकन प्रक्रिया आरम्भ होने में दो दिन शेष है किंतु सियासी दल अपने पत्ते छुपाये बैठे है ,गांव के सरपंच तक की उम्मीदवार का नाम साल पर पहले घोषित करने वाले सियासी दलों की इस बारे में रहस्यमयी खामोशी आश्चर्य जनक है प्रतीत होता है कि चंद सियासी ताकतवर लोग देश के सर्वोच्च पद पर अपनी मर्जी थोपने पर आमादा है या फिर आंतरिक अंतरकलह और बगावत का भय ,औपचारिक घोषणा से रोके हुए है कारण जो भी हो बेहतर होता कि समय रहते सत्ता और विपक्ष अपनी पसंद को देश के सामने रखते और सबकी राय जानने की कोशिश करते , सामान्य जन को गोपनीयता या रणनीति के नाम पर अंधकार में रखा जाना स्वस्थ्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया नही है"