बुधवार, 27 सितंबर 2017

तमिलनाडु साहित्य अकादमी द्वारा सुरेशचंद्र शुक्ल सम्मानित, अंत में कविगोष्ठी में कवियों ने कवितापाठ किया।

तमिलनाडु साहित्य अकादमी द्वारा सुरेशचंद्र शुक्ल सम्मानित, अंत में कविगोष्ठी में कवियों ने कवितापाठ किया।
कार्यकर्म की अध्यक्षता प्रोफ़ेसर निर्मला एस मौर्य ने किया और संचालन ईश्वर करूँ ने किया।
विदेशों में हिंदी और  परिचर्चा हुई।



शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

प्रिय मित्रों/ प्रिय पाठकों  आज 22 सितम्बर, मेरे पुत्र अनुपम का जन्मदिन है. बहुत बहुत शुभकामनायें। -Suresh Chandra Shukla

प्रिय मित्रों/ प्रिय पाठकों नमस्कार- आदाब अर्ज- श्री असत श्री अकाल.
बहुत दिनों बाद पुनः लिख रहा हूँ. आज 22 सितम्बर को मेरे पुत्र अनुपम का जन्मदिन है. बहुत बहुत शुभकामनायें। मैं भारत साहित्यिक यात्रा पर आया हुआ हूँ. आज चेन्नई, भारत में हूँ. नुन्गम बाकम, मोहल्ले में श्री सतीश एवं निर्मला मौर्या जी के घर पर रुका हूँ. निर्मला मौर्या तमिल नाडू साहित्य अकादमी की अध्यक्ष हैं.  जो यहाँ का पुराना और केंद्र में स्थित क्षेत्र है.
मुझे तमिल भाषा का शब्द जो नमस्ते के स्थान पर प्रयोग करते हैं वानेकम और धन्यवाद के स्थान पर नंदरी कहते हैं.
सोहन बाबू तेलगू फिल्मों के मशहूर फिल्म कलाकार थे जिनकी विशाल पीले रंग की प्रतिमा यहाँ लगी हुई है.
चेन्नई एक फ़िल्मी नगर है जो मुंबई  के बाद सबसे अधिक मशहूर है.

चैन्नई विश्व का एक ऐसा शहर है जहाँ कला के अनेक रूप जन्मे और विकसित हुए जैसे मूर्तिकला, नृत्यकला, शास्त्रीय संगीत और लोक गीत मुख्य है।

रविवार, 3 सितंबर 2017

हालात खराब थे और बहुत तनाव था परन्तु जिस प्रकार कश्मीर प्रांत के लोगों ने स्नेह दिया वह कभी न भूलने वाला है. - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक ' Suresh Chandra Shukla

एक साल हो गये श्रीनगर गये - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक '
बायें से श्रीमती व श्री शिक्षा मंत्री से महाकवि कल्हण शारदा सम्मान प्राप्त करते हुए पिछले वर्ष 1 सितम्बर 2016 को श्रीनगर, भारत में. 
पिछले वर्ष श्रीनगर कश्मीर में कश्मीरी -हिंदी संगम द्वारा डॉ बिना बुड़की के नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर के शिक्षामंत्री ने मुझे महाकवि कल्हण शारदा पुरस्कार से सम्मानित किया था.
एक साल पहले मैं जब साहित्यिक कार्यक्रम में श्रीनगर गया था. लोग वहां जाने से मना कर रहे थे. पर बेशक हालात खराब थे और बहुत तनाव था परन्तु जिस प्रकार कश्मीर वासियों ने स्नेह दिया वह कभी न भूलने वाला है.
डॉ बिना बुड़की जी को बहुत धन्यवाद आमंत्रण के लिए और आभार।
एक दीवार पर लिखा था 'इंडियन डॉग' तो मैंने तीन बार जाकर वहां से इंडियन हटा दिया। हर बार लोगों ने मना किया मिटाने पर और हमदर्दी दिखाई पर मुस्करा कर सबसे बचता हुआ कामयाब हुआ था.  जिसकी दीवार पर लिखा था उसे भी नहीं पसंद था पर वह भय के कारण नहीं मिटा रहा था.