दसवां विश्व पुस्तक दिवस नार्वे में धूमधाम से सम्पन्न
ओस्लो में २३ अप्रैल २००८ को विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया था। यूनेसको में १९९५ को इस दिन को मनाने का निर्णय लिया गया। नार्वे में १९९७ से यह दिन मनाया जा रहा है। फोरम इस दिवस को २००४ से मना रही है। इस दिन पर लेखकों की रायल्टी और कापीराईट आदि की ओर ध्यान दिलाया गया।
शाहेदा बेगम ने अपनी कहानी "उगुलियों की नाप" और सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक" ने अपनी कहानी "अधूरा सफ़र" सुनाई। राय भट्टी, इंदरजीत पाल, माया भारती, बलबीर सिंह और सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक" ने अपनी-अपनी कवितायें सुनाई।
- शरद आलोक
नार्वे
रविवार, 27 अप्रैल 2008
शनिवार, 12 अप्रैल 2008
वॉशिंगटन में हिन्दी सम्मेलन २००८
आज वाशिंगटन में हिन्दी सम्मेलन हो रहा है जो इस बात का प्रमाण है की विदेशों में हिन्दी का विकास और प्रचार व प्रसार हो रहा है। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले हिन्दी प्रेमी और सभी अमरीकी वासी भारतीयों को इसका श्रेय जाता है।
भारत में हम सभी लोगों को चाहिए की अपनी भाषा व राष्ट्रभाषा हिन्दी को वह महत्व दें जो उसे मिलना चाहिए। इस सम्मेलन में भारत से सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रो कालीचरण स्नेही , सुप्रसिद्ध कवि और दैनिक जागरण में पत्रकार सुरेश अवस्थी, गजेन्द्र सोलंकी और हास्यकवि सुनील जोगी थे।
सम्मेलन की सफलता के लिए मैं आलोक मिश्रा, सुधा ओम ढींगरा, रवि प्रकाश सिंह, राम बाबू गौतम और अन्य सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक"
ओस्लो , नार्वे
दिनांक १२ अप्रैल २००८
भारत में हम सभी लोगों को चाहिए की अपनी भाषा व राष्ट्रभाषा हिन्दी को वह महत्व दें जो उसे मिलना चाहिए। इस सम्मेलन में भारत से सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रो कालीचरण स्नेही , सुप्रसिद्ध कवि और दैनिक जागरण में पत्रकार सुरेश अवस्थी, गजेन्द्र सोलंकी और हास्यकवि सुनील जोगी थे।
सम्मेलन की सफलता के लिए मैं आलोक मिश्रा, सुधा ओम ढींगरा, रवि प्रकाश सिंह, राम बाबू गौतम और अन्य सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक"
ओस्लो , नार्वे
दिनांक १२ अप्रैल २००८
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