ऊपर चित्र में बाएँ से कृष्णाजी श्रीवास्तव, प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो प्रेमशंकर तिवारी, डा रामाश्रय सविता, डा सुधाकर अदीब, सुरेशचंद्र शुक्ल "शरद आलोक" , फिल्माचार्य आनंद शर्मा और प्रो हरिशंकर तिवारी पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए
लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी में हेनरिक इबसेन और शरद आलोक एक साथ
लखनऊ विश्व विद्यालय के डी पी सभागार में हेनरिक इबसेन की दो अनुदित कृतियों 'मुर्गाबी और 'गुडिया का घर' और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' कृत 'रजनी' का लोकार्पण प्रसिद्ध कथाकार एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो प्रेमशंकर तिवारी ने तथा नाट्य प्रस्तुति के साथ सफल सञ्चालन किया डा कृष्णाजी श्रीवास्तव ने । संयोजक प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह ने आभार व्यक्त किया और समापन भाषण दिया प्रो हरिशंकर मिश्रा ने।
नाटक की दार्शनिकता का पुट अनुवाद में बताया प्रो राकेश चंद्र ने , डा रामाश्रय सविता ने शरद आलोक को साहित्यिक दूत बताया।
फिल्माचार्य आनंद शर्मा ने रजनी का मनोवाज्ञानिक विश्लेषण किया।
- जय प्रकाश
लखनऊ विश्व विद्यालय के डी पी सभागार में हेनरिक इबसेन की दो अनुदित कृतियों 'मुर्गाबी और 'गुडिया का घर' और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' कृत 'रजनी' का लोकार्पण प्रसिद्ध कथाकार एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो प्रेमशंकर तिवारी ने तथा नाट्य प्रस्तुति के साथ सफल सञ्चालन किया डा कृष्णाजी श्रीवास्तव ने । संयोजक प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह ने आभार व्यक्त किया और समापन भाषण दिया प्रो हरिशंकर मिश्रा ने।
नाटक की दार्शनिकता का पुट अनुवाद में बताया प्रो राकेश चंद्र ने , डा रामाश्रय सविता ने शरद आलोक को साहित्यिक दूत बताया।
फिल्माचार्य आनंद शर्मा ने रजनी का मनोवाज्ञानिक विश्लेषण किया।
- जय प्रकाश