रविवार, 25 जुलाई 2010
सांस्कृतिक महोत्सव और लेखक सेमिनार १५ और १७ अगस्त ओस्लो में
From left, Prof. Claus Zolar from University of Oslo, Ingvild president of Norwegian Writer Centre, Suresh Chandra Shukla and HE Ambassador Banbit A. Roy in Writer seminar (2008) at Litteraturhuset in Oslo
स्वागतम Velkommen til
Kulturfest og forfatterseminar
Den Internasjonale Kulturfesten
med dans, dikt, musikk og prisutdeling
søndag den 15. august kl. 17:00 på Veitvetsalen, Veitvet senter i Oslo
सांस्कृतिक महोत्सव और लेखक सेमिनार १५ और १७ अगस्त ओस्लो में
भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम की ओर से आयोजित
१५ अगस्त को वाइतवेत सेंटर ओस्लो में शाम पांच बजे
अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव
कविता, नृत्य, संगीत और पुरस्कार वितरण के साथ
१५ अगस्त शाम पांच बजे
स्थान: Veitvetsalen, Veitvetsenter, Oslo
में आयोजित हो रहा है।
प्रवेश निशुल्क
और
भारत-नार्वे लेखक सेमिनार Forfatterseminar
मंगलवार दिनांक १७ अगस्त दिन में समय १३:०० बजे (Kl. 13:00)
लिटरेचर हाउस Litteraturhuset
Wergelandsveien 29, Oslo में
इस वर्ष विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु को १५० वर्ष हो रहे हैं। और नार्वे के राष्ट्रीय साहित्यकार ब्योर्न स्त्यार्ने ब्योर्नसन की पुन्य तिथि को एक सौ वर्ष हो रहे हैं। इन महान लेखकों को समर्पित इस वर्ष का लेखक सेमिनार। सेमिनार में आने वाले सूचना देने की कृपा करें।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :
speil.nett@gmail.com
Tlf.: 22 25 51 57
सेमिनार का विषय है: भारत और नार्वे के मध्य संबंधों को मजबूत करने में लेखकों का योगदान Role of writers in strenghtening the relationship between Norway and India
मंगलवार, 13 जुलाई 2010
ओस्लो में अमेरिका का राष्ट्रीय दिवस मनाया गया-शरद आलोक
ओस्लो, नार्वे में अमेरिका का राष्ट्रीय दिवस धूमधाम से मशहूर फ्रोगनर पार्क, ओस्लो में ४ जुलाई को मनाया गया। National day of Amerika (USA) in Oslo (04.07.10)- Suresh Chandra Shukla
शरद आलोक बाल कलाकार को संगीत बजाने के बदले पैसे देते हुए ओस्लो के फ्रोगनर पार्क में।
शरद आलोक बाल कलाकार को संगीत बजाने के बदले पैसे देते हुए ओस्लो के फ्रोगनर पार्क में।
शनिवार, 10 जुलाई 2010
आज मेरे आँगन में - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे
आज मेरे आँगन में - शरद आलोक
चिड़िया फुदक पास आने लगी,
फिर से साहस दिलाने लगीं,
किन सोचों में डूबे हो तुम,
सूने में चहचहाने लगीं।
अब दाना चुगना भूल गयी
अब चहक-चहक बोली वे
आप जितना जोर रोओगे
सभी आपको रुलायेंगे
आपदा को तो रुलाना है,
जीवन को चलते जाना है
निराश होगे, दुःख आयेंगे
उनसे निपटते जाना है।
चिड़िया मेंरे मेंरे आँगन में
आज फिर से गुनगुनाई है,
गैरों की सगाई में
अपनों से विदाई है।
उलझनों को शब्द देना, करवटों को उलाहना
सामने हमारे जो उनको नकारना
दूर के ढोल से सपने सुहाने लगें,
पहले आमंत्रण फिर बुलाकर नकारना
कैसी हमदर्दी, ये कैसी संवेदना?
नयन बन्द होते, उड़ जाती चिड़िया।
भीतर अंगारे हैं, ऊपर ठंडी राख है,
विचारों के गोलों को निष्क्रिय करना तुम,
अंतर्मन को संयम, ही आत्म विश्वास है।
आज मेंरे आँगन में लोरियां सुनाये कौन?
चिड़िया न होती बेमौसम गाये कौन?
अपने ह्रदय को टीस सहने देते हो
आंसुओं से सींचते तो सावन में रोते क्यों?
मन का नगीना है, सजाओ या संवारो तुम
मन की खान में रतन अनमोल हैं
पास में गंगा है, गोते खुद लगाना है
तैरना या डूबना निर्णय तुम्हारा है।
चिड़िया फुदक पास आने लगी,
फिर से साहस दिलाने लगीं,
किन सोचों में डूबे हो तुम,
सूने में चहचहाने लगीं।
अब दाना चुगना भूल गयी
अब चहक-चहक बोली वे
आप जितना जोर रोओगे
सभी आपको रुलायेंगे
आपदा को तो रुलाना है,
जीवन को चलते जाना है
निराश होगे, दुःख आयेंगे
उनसे निपटते जाना है।
चिड़िया मेंरे मेंरे आँगन में
आज फिर से गुनगुनाई है,
गैरों की सगाई में
अपनों से विदाई है।
उलझनों को शब्द देना, करवटों को उलाहना
सामने हमारे जो उनको नकारना
दूर के ढोल से सपने सुहाने लगें,
पहले आमंत्रण फिर बुलाकर नकारना
कैसी हमदर्दी, ये कैसी संवेदना?
नयन बन्द होते, उड़ जाती चिड़िया।
भीतर अंगारे हैं, ऊपर ठंडी राख है,
विचारों के गोलों को निष्क्रिय करना तुम,
अंतर्मन को संयम, ही आत्म विश्वास है।
आज मेंरे आँगन में लोरियां सुनाये कौन?
चिड़िया न होती बेमौसम गाये कौन?
अपने ह्रदय को टीस सहने देते हो
आंसुओं से सींचते तो सावन में रोते क्यों?
मन का नगीना है, सजाओ या संवारो तुम
मन की खान में रतन अनमोल हैं
पास में गंगा है, गोते खुद लगाना है
तैरना या डूबना निर्णय तुम्हारा है।
शनिवार, 3 जुलाई 2010
ओस्लो में भारतीय साँझा खेल मेला में नार्वे की शिक्षा मंत्री क्रिस्तीन हालवूरसेन शामिल हुईं
ओस्लो के मेयर फाबियान ने हिंदी स्कूल को बधाई दी
ओस्लो के मेयर फाबियान ने हिंदी स्कूल को बधाई दी
बाएँ से हिंदी स्कूल की संचालक संगीता शुक्ल सीमोनसेन, पीछे बीच में खड़े फाबियान और सुरेशचन्द्र शुक्ल विद्यार्थियों के साथ
३ जुलाई, ओस्लो हिंदी स्कूल के विद्यार्थियों और अविभावकों को मेयर फाबियान स्तांग ने बधाई दी।
चित्र में बीच में खड़े इटली में भारतीय पत्रिका के संपादक विशाल खड़े हैं साथ में हैं अविभावकगण और पंडाल पर आने वाले मेहमान
बाएँ से हिंदी स्कूल की संचालक संगीता शुक्ल सीमोनसेन, पीछे बीच में खड़े फाबियान और सुरेशचन्द्र शुक्ल विद्यार्थियों के साथ
३ जुलाई, ओस्लो हिंदी स्कूल के विद्यार्थियों और अविभावकों को मेयर फाबियान स्तांग ने बधाई दी।
चित्र में बीच में खड़े इटली में भारतीय पत्रिका के संपादक विशाल खड़े हैं साथ में हैं अविभावकगण और पंडाल पर आने वाले मेहमान
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