शनिवार, 27 जुलाई 2013

ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

 ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
बृहस्पतिवार 15 अगस्त को शाम छ: बजे 
चिली कल्चर सेंटर, वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में 
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
  • पंद्रह अगस्त क्यों मनाया जाता है? 
  • भारत के राष्ट्रपति का सन्देश
  • भारत के राष्ट्रीयगान का सामूहिक गायन 
  • कवितायें ( हिन्दी, पंजाबी और नार्वेजीय में)
  •  नृत्य 
  • संगीत 
  • जलपान 
कार्यक्रम समय से आरम्भ होगा।   वाइतवेत आने के लिए आपको तेबाने (मैट्रो) के लिए चलाई जा रही बस से वाइतवेत  आना है. प्रवेश निशुल्क है.
यदि आप कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं तो आप ई-मेल से या फोन पर संपर्क कर सकते हैं.
E-mail: speil.nett@gmail.com
फोन: +47 - 90 07 03 18

Kulturfest på Veitvetsenter
  • Vi feirer Indias frigjøringsdag (nasjonaldag) 
  • torsdag den 15. august kl. 18:00
  • på Chilensk Kulturhus, Veitvetsenter, Oslo
med dikt, musikk og dans
Lett servering
Gratis inngang!

For mer informasjon skriv e-post eller ta kontakt på tlf. 90 07 03 18.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है.  हमारे बच्चों को अपने पर्वों की भी जानकारी हो और सभी साथ-साथ मिलकर मनायें।  नार्वे के साथ-साथ हम अपने मूल देश भारत और उसके मूल्यों पर गर्व करें।
आइये मिलकर भारत का स्वतंत्रता दिवस मनायें! 
Arrangør: 
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम
Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum
Postboks 31, Veitvet, 0518 Oslo
  
 


रविवार, 21 जुलाई 2013

ओस्लो में लेखक गोष्ठी में नेलसन का जन्मदिन मनाया गया

ओस्लो में लेखक गोष्ठी में नेलसन मंडेला  का जन्मदिन मनाया गया - शरद आलोक



नेलसन  मंडेला जन्म १८ जुलाई १९१८ को दक्षिण अफ्रीका में  हुआ था।  वह स्वतंत्रता के प्रतीक  बन गये हैं. वह ९५ वर्ष के हो गये. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं और अब उनके स्वास्थ में कुछ सुधार है 
दक्षिण अफ्रीका में पहले रंग भेदभावपूर्ण प्रथकवासन  (अपार्टहाइड) व्यवस्था थी  नेलसन मंन्डेला अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन में सम्मिलित हुये। उन्हें २७ वर्ष का कारावास दिया गया और उन्हें वहां के शासन द्वारा एक आतंकवादी कहा गया. जब वह जेल से छूटे तो पूरी दुनिया में स्वतंत्रता के प्रतीक बन गये।         
उन्हें २५० पुरस्कार दिए गये। सन १९७९  में भारत के भारतीय सांस्कृतिक परिषद् (भारत सरकार  की ओर से १९७९ को नेहरु पुरस्कार दिया गया।  उसी वर्ष जब मदर टेरेसा को नार्वे में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था।  
जब  नेलसन मंडेला को सन १९९३ में ओस्लो में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला तो उस सिटी हाल में मैं भी उपस्थित था,  तब उन्होंने महात्मा गांधी के अहिंसात्मक और असहयोग आन्दोलन का
जिक्र करते हुये कहा था  कि जब वह जेल में  थे (२७ वर्ष उन्होंने जेल में बिताये थे) तब वहां उन्हें महात्मा गांधी के आदर्शों से  बहुत  कुछ सीखने को मिला था।  उन्होंने ओस्लो स्थित राजकीय चर्च दोम चर्च में प्रार्थना के बाद उनसे मिलने का अवसर मिला था.  यहाँ के एक चर्चित समाचार पत्र  दागब्लादे में एक चित्र छपा था जिसमें नेल्सन मंडेला के साथ विशप ओरफ्लोट और मेरा संयुक्त चित्र छपा था। 
मैं पिछले वर्ष विश्व हिन्दी सम्मलेन में भाग लेने दक्षिण अफ्रीका गया था तब मुझे जुहानेस्बर्ग,  प्रीटोरिया और डरबन नगर जाने का अवसर मिला था तब वहां मैंने अनेकों म्युजियमों में देखा था कि महात्मा गांधी पर प्रचुर मात्रा में साहित्य और सामान दर्शनार्थ उपलब्ध था चाहे वह गांधी म्यूजियम हो या अफ्रीकन आर्ट और राष्ट्रीय म्यूजियम। 
वहां के सभी लोग महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला को आदर से देखते हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीकी वासियों  के लिए भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी 
संयुक्त राष्ट्र संघ ने निर्णय लिया कि उनके जन्म दिन को मंडेला दिवस के नाम से मनाये जाने का निर्णय लिया।  
लेखक गोष्ठी में नेलसन का जन्मदिन मनाया
शुक्रवार १९ जुलाई को   वाइतवेत सेंटर, ओस्लो  में नेल्सन मंडेला के जन्मदिन पर एक लेखक गोष्ठी संपन्न सम्पन हुई। कार्यक्रम का शुभारम्भ केक काटने से हुआ।
   गोष्टी का आयोजन भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की  ओर से किया गया था जिसमे  नेल्सन मंडेला के जीवन पर प्रकाश डाला गया तथा जिन लोगों ने अपनी कवितायें पढी उनके
 नाम थे सुरेशचन्द्र शुक्ल, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, नोशीन, माया भारती, दिव्या विद्यार्थी, लीला पॉल,   राजकुमार और जावेद भट्टी तथा खालिद थथाल थे।   माया भारती ने सभी का आभार व्यक्त किया।      

शनिवार, 13 जुलाई 2013

हिन्दी फिल्म के स्तम्भ के मुख्य स्तम्भ प्राण अब नहीं रहे - शरद आलोक (लेखक और फिल्मकार)

हिन्दी फिल्म के मुख्य स्तम्भ कलाकार प्राण अब नहीं रहे - शरद आलोक (लेखक और फिल्मकार)


 नार्वे से स्वसम्पादित पत्रिका 'स्पाइल-दर्पण' के पिछले अंक में हमने हिन्दी फिल्म के मुख्य स्तम्भ, पहले और आख़िरी महानायक- खलनायक 'प्राण' के बारे में लिखा था. उन्होंने हिन्दी फिल्म में अभिनय की नयी उंचाइयाँ छुईं।  अनेक दशकों तक हिन्दी फिल्मों के में खलनायक और चरित्र अभिनेता के रूप में अपना सिक्का चलाया। 
उनका कल १२ जुलाई २०१३ लीलावती अस्पताल, मुंबई  में देहांत हो गया. प्राण का जन्म १२ फरवरी १९२० को पुरानी  दिल्ली में हुआ था. उनका विवाह शुक्ल अहलुवालिया से १९४५ में हुआ था. उनके पीछे अब उनके दो पुत्र: अरविन्द और सुनील तथा पुत्री पिंकी तथा पांच पोते और उनके परिवार हैं.
प्राण ने कपूर खानदान की चार पीढी के साथ  काम किया।
उनके भाई का परिवार अभी भी कपूरथला, पंजाब में रहता है जहाँ प्राण अक्सर जाकर रहा करते थे.   डेनमार्क में सन लाईट रेडियो का सञ्चालन करने वाले देशबंधु भी कपूरथला पंजाब से हैं, उन्होंने बताया की प्राण को पान खाने का बहुत शौक था.  
मनोज कुमार और दिलीप कुमार उनके अच्छे दोस्त थे जिनके साथ उन्होंने अनेक सफल फिल्मों में काम किया।
अमिताभ बच्चन को उन्होंने प्रकाश मेहरा से परिचित कराया और उन्हें फिल्म जंजीर में काम दिलाया।
अशोक कुमार के साथ उन्होंने २७ फ़िल्में की। उन्होंने ३५० फिल्मों में काम किया। सी एन एन टी वी ने उन्हें २०१० में एशिया के २५ फिल्म  कलाकारों में चुना।  उन्हें भारत का पद्मविभूषण सम्मान मिल चुका । उन्हें देर से ही सही दादा साहेब फाल्के पुरस्कार इसी वर्ष २०१३ में मिल चुका है जिसे
केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने उनके घर जाकर प्रदान किया।  
 प्राण की मुंबई में अपनी फ़ुटबाल टीम थी। 
वह सिगार पीने के शौक़ीन थे और उनके पास सिगार का एक अच्छा संग्रह था। 
हमारी प्राण को काव्यांजलि प्रस्तुत है:
प्राण के जाने का दुःख हुआ है,
श्रद्धा सुमन अर्पित किया है.
इतिहास भूल न पायेगा उनको,
हिन्दी फिल्म का नायक महा है. 

कला के अनेक उपमान देकर,
जिसके दिल में  सागर छिपा है
असमानता की खाई पाटकर
फिल्म को अम्बर दिया है। 

ओस्लो, नार्वे १३ जुलाई २०१३