रविवार, 1 जून 2014

रांची की जूलिया असली नायिका -Suresh Chandra Shukla

फेसबुक की एक डाक  से ऐसा पता चला है कि रांची की जूलिया मिज ने बारहवीं की परीक्षा में टॉप किया आशीर्वाद और बधाई। ईश्वर करे आगे चलकर महान कार्य करे और उसमें हिम्मत, जज्बा और प्रतिभा है इस प्रतिभाशाली ने ईंट ढोने का काम भी किया है. बधाई और आशीर्वाद।

















जूलिया,  असली नायिका

यह जज्बा तुम्हे
बुलंदी पर चढ़ाये,
वही जानता है दर्द,
खुद पर सितम ढाये।
नमन है तुम्हें
कर्मवीर दुनिया के
जिसने बेघर रहकर भी
दूसरों के घर बनाये।

आओ मिलकर सभी
उनका घर भी बनाएं।
चले है जो विश्व को
कर्मयोगी  बनाने।
जूलिया मिज
निर्भया
तुम सभी हो पुत्री हमारी
कया कहें हमने ही
औरतों पर जुल्म ढाये।

वक्त अब भी है
सम्भालो, वतन को सम्भालो,
एक प्रवासी एक गाँव को संभाले।
उसकी शिक्षा और जागृति में
अपना भूमिका पाले।
सभी को मिले छत, शिक्षा शौंचालय।
भूखा पेट कोई बच्चा स्कूल न जाए!

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  , ओस्लो, नार्वे ०१. ०६. १४       
   

 

आज ओस्लो में स्थानीय मेला -Suresh Chandra Shukla

Fest på Løkka (Veitvet) i Olso  वाइतवेत, ओस्लो में स्थानीय मेला
 
 
 
 
 
  
नार्वे में स्थानीय निवासियों के कार्यक्रम का बहुत महत्त्व होता है. आज मेरे क्षेत्र वाइतवेत, ओस्लो में एक सार्वजानिक मेला लगा था  जिसमें भारतीयों के अतिरक्त अनेक प्रवासियों और  नार्वेजीय लोग साथ-साथ मना रहे थे. इसमें भाग लेने से आपसी समझ, जान-पहचान बढ़ती है यहाँ भारतीय खाने का लुफ्त भी लोग उठा रहें हैं यह कार्यक्रम ७ घंटे चला. और यह वाइतवेत पार्क, वाइतवेत स्कूल के पीछे आयोजित था. इसमें मैं भी सम्मिलित हुआ जिसकी शुरुआत एक परेड से हुई  जिसमें बैंड बाजे, चियर्स कन्यायें, अनेक संस्थाओं और स्थानीय निवासी सम्मिलित थे.  दिन रविवार एक जून को मौसम भी अच्छा था.   सूरज देवता भी मेहरबान थे.   पिछले वर्ष तो भयंकर वर्षा हुई थी. जो लोग भारत से घूमने आये हैं उनके लिए एक बहुत अच्छा मौका स्थानीय डेमोक्रेसी और स्वेक्छा से श्रमदान और परस्पर भाव से साथ-साथ उत्सव मनाना देखने को मिलता है. कुछ गतिविधियाँ भारतीय तरीके से कुछ यहाँ के तरीके से जिसमें अधिकतम लोगों की प्रतिभागिता और पारदर्शिता और सभी को सम्मिलित किये जाने का अवसर खुला रहता है और जनता से ही लोग कार्यक्रम का संचालन और पूर्णरूप देने में लिए लिए जाते हैं. स्थानीय सरकार के लोग सहयोगी होते हैं और जिम्मेदार भी. यदि आप नहीं गए तो आप भी इस तरह के कार्यक्रम में जरूर जाइये और ओस्लो में रहते हैं तो आप भी आइये और लुफ्त उठाइये।
कार्यक्रम में जादू, नृत्य, संगीत और गायन और अनेक कलाओं के प्रदर्शन था जिसे स्थानीय कलाकारों के अलावा नार्वे के जाने माने कलाकार भी थे.