मेरी प्रवास डायरी, ओस्लो, 10.03.22
खुशवंत सिंह और मुझमे कुछ समानतायें
खुशवंत सिंह (जन्म: 2 फ़रवरी 1915, हदाली, पाकिस्तान मृत्यु: 20 मार्च 2014, सुजान सिंघ पार्क, नई दिल्ली, भारत)
आज अपने कंप्यूटर में इंटरनेट पर यू ट्यूब पर जीवन वृत्त देखा। रिपोर्ताज प्रस्तुत था जाने-माने पत्रकार राजेश बादल ने। देश-विदेश में प्राप्त लेखक खुशवंत सिंह जी में था जिनसे मुझे एक बार मिलने मौक़ा मिला था।
मैंने खुशवंत सिंह पर यू ट्यूब पर राज्य सभा टीवी का एक कार्यक्रम देखा जिसे राजेश बदल ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया था.
खुशवंत सिंह के बारे में 54 मिनट का जीवनवृत्त देखा। मेरा माथा ठनका। शुरुआती असफलता कभी भविष्य की सफलता पर डोरे डाल सकती है. खुशवंत सिंह के जीवन में कुछ चीजें/ घटनायें यदि मेरी शुरुआती दौर से मेल कहती हैं जैसे पढाई में कमजोर होना। उन्होंने लन्दन में बी ए तृतीय श्रेणी में किया वकालत की जगह पांच साल लगाये।
मैंने है स्कूल में तीन साल और इंटरमीडिएट में दो के जगह तीन साल लगाये थे। खुशवंत सिंह अमीर पिता के बेटे थे मैं एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में पला और बड़ा हुआ था. मैंने बी ए लखनऊ में किया। श्रमिक शिक्षक की पढ़ाई कानपुर में श्रम आयुक्त श्रमिक विद्यापीठ में की थी. उसके बाद मैं 26 जनवरी 1990 को ओस्लो नार्वे चला गया था और वहां पर रहकर शेष पढ़ाई की।
यदि मैं अंग्रेजी भाषा के देशों जैसे आयरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन या अमेरिका में रहता तो मेरी अंगरेजी भाषा अच्छी होती। जिससे मैं अंगरेजी भाषा में भी लेखन कर सकता था।
परन्तु आज मुझे लगा कि प्रयास करने पर मैं भी हिन्दी के अलावा अंगरेजी भाषा का भी लेखक बन सकता हूँ। अभी भी हुई है।
एक और साम्यता या समानता है यदि खुशवंत सिंह जी जीवन आये और उनसे मिलने वालों की लिस्ट लम्बी है और मेरी भी लिस्ट लम्बी है।
खुशवंत ने सिख धर्म पर बहुत अच्छी पुस्तक लिखी और मैं सिख धर्म और सिखों का बहुत सम्मान करता हूँ। लेखन में खुशवंत सिंह जी स्वयं बने बड़े लेखक हैं और मैं स्वयं धीरे-धीरे लेखन सीख रहा हूँ।
प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह जी के बहाने मैं अपनी खुद को परीक्षा देकर अपने अन्दर सोये जज्बे जगाने का दुस्साहस कर रहा हूँ।
नार्वे में कोरोना के बाद चार दिन ही कोरोनटाइन
अब मैं स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ.
नार्वे में कोरोना के बाद चार दिन ही कोरोनटाइन होना पड़ता है। मैंने खुद जाकर हमारे घर से कुछ दूर स्थित स्वास्थ केंद्र पर 2 मार्च को सुबह 8:00 बजे कोरोना पी सी आर टेस्ट कराया।
दूसरे दिन स्वास्थ विभाग से एक महिला ने फोन सूचना दी कि मेरा कोरोना रिपोर्ट में परिणाम पाजिटिव है अर्थात मुझे कोरोना हो गया है। उन्होंने मुझे आवश्यक जानकारी दी संक्रमण और उससे होने वाले प्रभाव और कैसे ध्यान देना है और ऑब्जर्व करना है तथा है सूचित करना है मित्रों को।
मैंने सूचना पाते ही फोन से कोरोना से अपने संक्रमित होने की सूचना परिवार जनों को और ख़ास मित्रों को एस एम एस और फोन करके दे दी थी. तीन दिन बाद फेसबुक पर सूचना दे दी थी।
10 मार्च को कोरोना संक्रमण हुए आठ दिन हो गए हैं।
मेरी बालों की कटिंग
मैंने अपनी हेयर कटिंग सैलून की प्रोफेशनल महिला नाई काथरीना को कल फोन से पूछा था कि क्या वह मेरे बालों की कटिंग करने मेरे घर के पास स्थित सेंटर पर कब आ सकती हैं? उन्होंने पूछा कौन? मैंने कहा था, वही जो 5 महीने में अपनी कटिंग कराता है। मैं जल्दी अपने बालों की कटिंग नहीं करवाता हूँ।
उन्होंने मुझे बुलाया था और मैं माया जी के साथ बाल कटाने गया। काथरीना ने बाल काटते हुए मुझे बताया कि उसने एक नया समर हाउस खरीद लिया है। मैंने बधाई देते हुए कहा, "ग्रातुलेरेर। अब तुम दो जगह रह सकती हो।"
मायाजी ने काथरीना से पूछा कि तुम्हारी शादी गयी है?
मैंने बीच में जवाब देते हुए कहा, "बिना पति के भला कोई- दो -दो घर खरीदता है। पति गार्डेन की घास काटने, सफाई, रंग रोगन के लिए उपयुक्त होते हैं?"
जब मेरे बालों की कटिंग हो गयी थी, मैंने काथरीना को धन्यद दिया और कहा, "काथरीना! मैं चाहता हूँ कि तुम बहुत अमीर जाओ, ट्रम्प से भी ज्यादा अमीर।" मैं परिचितों से जो मुझे अच्छी तरह जानते हैं, उनसे खुलकर बातचीत कर लेता था। यदि बातचीत में औपचारिकता नहीं हो तो व्यक्ति को अच्छा लगता है। काथरीना ने भी धन्यवाद दिया।
मायाजी ने कहा, "यदि काथरीना बहुत अमीर हो जाएगी तो तुम्हारे बाल क्यों काटेगी?"
"मैं बाल कटाना छोड़ दूँगा, पर फिर भी दुआएं देता हूँ, कि वह और अधिक अमीर हो जाये।"
पता नहीं मेरी बातचीत काथरीना को कैसी लगी होगी परन्तु मुझे विश्वास है कि उसे बुरा बिलकुल नहीं लगा होगा।