बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

पाकर पत्र तुम्हारा मित्र! वापसी में भेजा सन्देश। .- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 आज कई पत्रों के जवाब दिए और कुछ जवाब जो नहीं प्राप्त कर पाए हों तो वह यहाँ से प्राप्त कर लें।
 पहले जैसा तो समय रहा नहीं कि  कागज और कलम लेकर रोज पत्र लिखा जाए, खासकर उनको जिनके पास नेट और कंप्यूटर की सुविधा है। हालाँकि अभी भी डाक से पत्र भेजना नहीं भुला हूँ। - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

पाकर पत्र  तुम्हारा मित्र!
वापसी में भेजे (दो)चित्र/ सन्देश।
इसी के अन्दर छिपकर आज
उमड़ बरसूँ  तुम पर शेष।।

पाती पाकर तेरी आज
सुहाये  यह बर्फीला प्रभात
पिघल जाए बनकर  मोम
उसे  कहते हैं प्रेम बयार।

कहें परी या राजकुमारी आज,
बिन छुएँ, नयन बिन देख,
समय को खो देने के बाद
नहीं पढ़ पाए प्रिय सन्देश।
उलझ कर फिर कोई न फंसे
मकड़  जाले से डोरे डाल। 
खोलकर मन के सभी रहस्य
मचा जाते मन में भूचाल।। 

कहीं शाश्वत है न यह छल
नयन से बह जाते पल-पल।
यही है महलों का संसार,
हवा में बनाते रहते महल।।

नहीं आते हैं दुश्मन याद,
जब धोखा देते अपने लोग।
कौन है सच्चा-झूठा आज,
छिपे परदे में पाँव पसार।।

जहाँ मिले थे पहली बार,
बनाकर सपनों के वे महल।
बालू से घर, मुट्ठी में आस,
ऊँचाई से गिरने की पहल।।

गणित के पाठ रटे थे साथ,
बन्द कोष्ठकों में धन ऋण।
डूबने को चुल्लू भर व्याप्त,
बचा लेता चींटी को तृण।।

प्रेम के महल मरीचकी  प्यास,
दोनों ही एक नाव सवार।
नहीं दे सकते हैं तृप्ति,
जहाँ पड़ा है अनत आकाश।

बांटने से बढ़ता है प्रेम,
और बंधन से घुटता आज।
करो न मनु का तिरस्कार,
उसी से  बनता आज समाज।।

समझ बैठे थे प्रेमी को धन,
सबसे बड़ी वही थी भूल।
चूमने चले थे समझ गुलाब,
चुभ थे नस्तर बनकर  शूल।।
 
 सभी धर्मों का जहाँ सम्मान,
वही है मेरा  भारत देश।
जहाँ है दर्शन का विस्तार,
सत्य अहिंसा का सन्देश।।
 

शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

नोबेल शांति पुरस्कार यूरोपीय यूनियन को

 नोबेल शांति पुरस्कार यूरोपीय यूनियन को

ओस्लो, 12 अक्टूबर 2012. नोबेल शांति पुरस्कार यूरोपीय संघ को दिया जाएगा। यह घोषणा आज नोबेल समिति के अध्यक्ष थूरब्योर्न यागलांद ने की। उन्होंने कहा की यूरोपीय संघ युद्ध देश के महाद्वीप से बदलकर शांति और प्रगति का महाद्वीप  
बन गया है।
सपाइल के सम्पादक ने कहा की युर्पीय यूनियन को  रोमा जनता के लिए भी बहुत कुछ करना चाहिए जो यूरोप में एक देश से दुसरे देश के बीच गेंद की तरह फेके जा रहे हैं कोई देश उन्हें सहयोग देने के लिए नहीं तैयार है।
नोबेल साहित्य पुरस्कार चीनी  मू यान को

स्टाकहोम, 11 अक्टूबर 2012.   नोबेल साहित्य पुरस्कार चीन के मू यान को दिया जाएगा। यह घोषणा स्वीडेन की स्वेन्स्का अकादेमियान (स्वीदीय अकादमी) ने की। मू यान पैना, मूल और मनोरंजक लिखते हैं। यह एक  और दिलचस्प विजेता हैं जिनका सम्बन्ध महाशक्ति के साहित्य से है। पुरस्कार के पहले मू को विदेशों में कोई नहीं जनता था अब पुरस्कार मिलने के बाद उनके साहित्य का अनुवाद और प्रकाशन बढ़ जाएगा। स्वीडेन के जाने माने पत्रकार और  प्रकाशक गाबी गलाइकमान ने कहा है कि यह पुरस्कार गलत दिया गया है। - स्वेन्स्का अकादेमियान ने बारह वर्षों में दो बार चीनी लेखकों को पुरस्कार दिया है। उन्होंने आगे कहा  पहले वाले लेखक बहुत ख़राब लिखते थे। इस बार भी पुरस्कार समिति का आकलन गलत रहा है। पुरस्कार विजेता का कमुनिस्ट पार्टी से नजदीकियां हैं जो समस्यात्मक है।

सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

 चित्र में बाएं से सम्पादक सुरेशचंद्र शुक्ल, सांसद  सत्यव्रत चतुर्वेदी, विदेश राज्य मंत्री प्रेनीत कौर, दिल्ली प्रदेश की स्वस्थ मंत्री वालिया जी, मारीशस के संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चुन्नी स्पाइल-दर्पण के लोकार्पण के अवसर पर। 
9वां विश्व हिंदी सम्मलेन युहानेस्बर्ग दक्षिण अफ्रीका में संपन्न  
22 से  24 सितम्बर को युहान्नेसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में विश्व हिन्दी सम्मलेन धूम-धाम से संपन्न हुआ।  
यह सम्मलेन महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला को समर्पित था।  प्रवासी साहित्य पर एक अच्छी बहस हुई। 
हर देश में रचा जा रहा हिन्दी साहित्य उस देश का हिन्दी साहित्य है।  इस सम्मलेन में पूरे विश्व से 700 हिन्दी प्रेमियों ने हिस्सा लिया।  देश विदेश के कुछ विद्वानों को पुरस्कृत किया गया।  अनेक सत्रों में विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया। नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल ने बताया कि दिल्ली के विद्वान और अध्यापकों ने बिना पढ़े ही या कम पढ़कर अधिक लिखने और बोलने की अपनी परंपरा चला रहे हैं जिसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यह भी बताया प्रवासी साहित्य पर किसी भी विद्वान् की पकड़ नहीं है क्योंकि वे पत्रिकाएं और समाचार पत्र   नहीं पढ़ते  और सूचना एकत्र नहीं करते।  अपनी सूचना के श्रोत न देने से उनके संकलन और पुस्तकें  विश्वसनीय नहीं बन पायीं हैं जिसमें प्रकाशकों का और सरकार  का बहुत  धन भी खर्च होता है।
लोकार्पण समारोह में के अलावा  भी समापन समारोह में भी लोकार्पण हुआ। 
स्पाइल-दर्पण  पत्रिका का समापन समारोह में लोकार्पण हिन्दी पत्रिका 

नार्वे से गत 7 वर्षों से एकमात्र हिंदी पत्रिका और जो गत 24 वर्षों से नियमित प्रकाशित हो रही है, का और लोकार्पण मारीशस के संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चुन्नी, सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी और भारत की विदेश राज्य मंत्री माननीय प्रनीत  कौर ने संयुक्त रूप से किया। संपादक सुरेशचंद्र शुक्ल ने हिन्दी सम्मलेन को एक संगम की संज्ञा दी।  कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट पत्रिका में प्रकाशित के जायेगी। कुछ चित्र संलग्न हैं।