चित्र में बाएं से सम्पादक सुरेशचंद्र शुक्ल, सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी, विदेश राज्य मंत्री प्रेनीत कौर, दिल्ली प्रदेश की स्वस्थ मंत्री वालिया जी, मारीशस के संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चुन्नी स्पाइल-दर्पण के लोकार्पण के अवसर पर।
यह सम्मलेन महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला को समर्पित था। प्रवासी साहित्य पर एक अच्छी बहस हुई।
हर देश में रचा जा रहा हिन्दी साहित्य उस देश का हिन्दी साहित्य है। इस सम्मलेन में पूरे विश्व से 700 हिन्दी प्रेमियों ने हिस्सा लिया। देश विदेश के कुछ विद्वानों को पुरस्कृत किया गया। अनेक सत्रों में विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया। नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल ने बताया कि दिल्ली के विद्वान और अध्यापकों ने बिना पढ़े ही या कम पढ़कर अधिक लिखने और बोलने की अपनी परंपरा चला रहे हैं जिसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यह भी बताया प्रवासी साहित्य पर किसी भी विद्वान् की पकड़ नहीं है क्योंकि वे पत्रिकाएं और समाचार पत्र नहीं पढ़ते और सूचना एकत्र नहीं करते। अपनी सूचना के श्रोत न देने से उनके संकलन और पुस्तकें विश्वसनीय नहीं बन पायीं हैं जिसमें प्रकाशकों का और सरकार का बहुत धन भी खर्च होता है।
लोकार्पण समारोह में के अलावा भी समापन समारोह में भी लोकार्पण हुआ।
स्पाइल-दर्पण पत्रिका का समापन समारोह में लोकार्पण हिन्दी पत्रिका
नार्वे से गत 7 वर्षों से एकमात्र हिंदी पत्रिका और जो गत 24 वर्षों से नियमित प्रकाशित हो रही है, का और लोकार्पण मारीशस के संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चुन्नी, सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी और भारत की विदेश राज्य मंत्री माननीय प्रनीत कौर ने संयुक्त रूप से किया। संपादक सुरेशचंद्र शुक्ल ने हिन्दी सम्मलेन को एक संगम की संज्ञा दी। कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट पत्रिका में प्रकाशित के जायेगी। कुछ चित्र संलग्न हैं।
9वां विश्व हिंदी सम्मलेन युहानेस्बर्ग दक्षिण अफ्रीका में संपन्न
22 से 24 सितम्बर को युहान्नेसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में विश्व हिन्दी सम्मलेन धूम-धाम से संपन्न हुआ। यह सम्मलेन महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला को समर्पित था। प्रवासी साहित्य पर एक अच्छी बहस हुई।
हर देश में रचा जा रहा हिन्दी साहित्य उस देश का हिन्दी साहित्य है। इस सम्मलेन में पूरे विश्व से 700 हिन्दी प्रेमियों ने हिस्सा लिया। देश विदेश के कुछ विद्वानों को पुरस्कृत किया गया। अनेक सत्रों में विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया। नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल ने बताया कि दिल्ली के विद्वान और अध्यापकों ने बिना पढ़े ही या कम पढ़कर अधिक लिखने और बोलने की अपनी परंपरा चला रहे हैं जिसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यह भी बताया प्रवासी साहित्य पर किसी भी विद्वान् की पकड़ नहीं है क्योंकि वे पत्रिकाएं और समाचार पत्र नहीं पढ़ते और सूचना एकत्र नहीं करते। अपनी सूचना के श्रोत न देने से उनके संकलन और पुस्तकें विश्वसनीय नहीं बन पायीं हैं जिसमें प्रकाशकों का और सरकार का बहुत धन भी खर्च होता है।
लोकार्पण समारोह में के अलावा भी समापन समारोह में भी लोकार्पण हुआ।
स्पाइल-दर्पण पत्रिका का समापन समारोह में लोकार्पण हिन्दी पत्रिका
नार्वे से गत 7 वर्षों से एकमात्र हिंदी पत्रिका और जो गत 24 वर्षों से नियमित प्रकाशित हो रही है, का और लोकार्पण मारीशस के संस्कृति मंत्री मुकेश्वर चुन्नी, सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी और भारत की विदेश राज्य मंत्री माननीय प्रनीत कौर ने संयुक्त रूप से किया। संपादक सुरेशचंद्र शुक्ल ने हिन्दी सम्मलेन को एक संगम की संज्ञा दी। कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट पत्रिका में प्रकाशित के जायेगी। कुछ चित्र संलग्न हैं।
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