लेखन नाट्य रूपांतर संगोष्ठी
नार्वे की हिंदी पत्रिका स्पाइल-दर्पण द्वारा लखनऊ में संगोष्ठी आयोजित
नार्वे की हिंदी पत्रिका स्पाइल-दर्पण द्वारा लखनऊ में संगोष्ठी आयोजित
२५ मार्च २०१३, उमानाथ रायबली प्रेक्षागृह (जयशंकर सभागार), कैसरबाग, लखनऊ में होली की पूर्व संध्या पर स्पाइल-दर्पण पत्रिका द्वारा लखनऊ के रंगकर्मियों के साथ संगोष्ठी आयोजित की गयी।
जिसमें फिल्माचार्य आनंद शर्मा, रंगकर्मी ज्ञानी, लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ कृष्णा जी श्रीवास्तव और स्पाइल-दर्पण के सम्पादक
सुरेशचन्द्र शुक्ल ने संबोधित किया। यहाँ लखनऊ रंगकर्मियों के संग हुए इस संगोष्ठी में लखनऊ के रंगकर्मियों के विदेश में रंगकर्मियों के साथ जोड़ने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा की गयी। साहित्यिक कृतियों पर नाटक और लघु फिल्मों के निर्माण पर जोर दिया गया और कुछ लघु फ़िल्में भी प्रदर्शित की गयीं जो साहित्यिक कहानियों पर आधारित थीं। फिल्माचार्य आनंद शर्मा ने
लखनऊ के थिएटर के लिए अच्छी कहानियों और नाटकों के लेखन की आवश्यकता पर बल दिया। ज्ञानी जी ने घोषणा की की वह कहानी 'अंतर्मन के रास्ते' पर आधारित एक नाटक का मंचन करेंगे।
उपस्थित
लेखकों और रंगकर्मियों ने अपने विचार रखे।
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