आज मेरे बेटे अर्जुन का जन्मदिन है, उसको हार्दिक बधाई।
चित्र में दायें अर्जुन जिसका जन्मदिन है साथ में बायें अपने भाई अनुपम के साथ
मेरा छोटा बेटे अर्जुन जिसका आज 20वां जन्मदिन है. प्यार से उसे लोग बोबी और आंद्रे कहकर भी पुकारते हैं. वह मेरा सबसे छोटा पुत्र है. संगीता के बाद वह परवार में सबसे ज्यादा क्रांतिकारी है. यदि उसके बाबा जीवित होते तो जरूर गर्व करते। मेरे पिता कहते थे कि मेरे क्रान्तिकारी होने से उन्हें अपने अनुसार मुझे ढालने में परेशानी होने लगी। वह नहीं चाहते थे कि मैं नौकरी, पढ़ाई के अतिरिक्त समाजसेवा और जन प्रतिनिधित्व न करूँ क्योंकि इससे धन और समय का नुक्सान होता है तथा आदमी परिवार को प्राथमिकता (प्रायोरिटी) नहीं देता है. मैं प्रातःकाल घर से निकल कर रात ग्यारह बजे घर आता था. विवाहित होने के कारण व्यक्ति को अपना समय परिवार के साथ भी बिताना चाहिये.
मैं कैसे बताऊँ कि रेलवे में आठ घंटे प्रति दिन की नौकरी करते हुए रेगुलर कालेज में शिक्षा भी प्राप्त करता था और अपने दादा (बाबा) श्री मन्ना लाल शुक्ल से प्रभावित होकर एक सार्वजनिक व्यक्ति के नाते अपनी पहचान भी बनाना चाहता था. इसी क्रम में मेरा पहला काव्यसंग्रह 'वेदना' 1976 में छप गया था.
हाँ तो मैं अर्जुन की बात कह रहा था. बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन फ्रीग फ़ुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है और अनेक टूर्नामेंट में वाइतवेत का भी प्रतिनिधित्व किया। नार्वे के साथ साथ अर्जुन (बॉबी) दो बार मार्शल आर्ट में यूरोप का जूनियर चैम्पियन रह चुका है. अर्जुन व्यवहारशील और अन्याय पर अपनी बात बेखटक कह देने वाला दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखता है.
वह अपने जीवन में सफल हो यही उसके परिवार और मित्रों की कामना है.
चित्र में दायें अर्जुन जिसका जन्मदिन है साथ में बायें अपने भाई अनुपम के साथ
मेरा छोटा बेटे अर्जुन जिसका आज 20वां जन्मदिन है. प्यार से उसे लोग बोबी और आंद्रे कहकर भी पुकारते हैं. वह मेरा सबसे छोटा पुत्र है. संगीता के बाद वह परवार में सबसे ज्यादा क्रांतिकारी है. यदि उसके बाबा जीवित होते तो जरूर गर्व करते। मेरे पिता कहते थे कि मेरे क्रान्तिकारी होने से उन्हें अपने अनुसार मुझे ढालने में परेशानी होने लगी। वह नहीं चाहते थे कि मैं नौकरी, पढ़ाई के अतिरिक्त समाजसेवा और जन प्रतिनिधित्व न करूँ क्योंकि इससे धन और समय का नुक्सान होता है तथा आदमी परिवार को प्राथमिकता (प्रायोरिटी) नहीं देता है. मैं प्रातःकाल घर से निकल कर रात ग्यारह बजे घर आता था. विवाहित होने के कारण व्यक्ति को अपना समय परिवार के साथ भी बिताना चाहिये.
मैं कैसे बताऊँ कि रेलवे में आठ घंटे प्रति दिन की नौकरी करते हुए रेगुलर कालेज में शिक्षा भी प्राप्त करता था और अपने दादा (बाबा) श्री मन्ना लाल शुक्ल से प्रभावित होकर एक सार्वजनिक व्यक्ति के नाते अपनी पहचान भी बनाना चाहता था. इसी क्रम में मेरा पहला काव्यसंग्रह 'वेदना' 1976 में छप गया था.
हाँ तो मैं अर्जुन की बात कह रहा था. बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन फ्रीग फ़ुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है और अनेक टूर्नामेंट में वाइतवेत का भी प्रतिनिधित्व किया। नार्वे के साथ साथ अर्जुन (बॉबी) दो बार मार्शल आर्ट में यूरोप का जूनियर चैम्पियन रह चुका है. अर्जुन व्यवहारशील और अन्याय पर अपनी बात बेखटक कह देने वाला दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखता है.
वह अपने जीवन में सफल हो यही उसके परिवार और मित्रों की कामना है.
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