ओस्लो में विश्व पुस्तक दिवस संपन्न
भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से आयोजित लेखक गोष्ठी में विश्वपुस्तक दिवस
धूमधाम से मनाया गया.
विश्व कवि ऋषि बाल्मीकि का स्मरण करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अब जब कापी राइट लेखकों के लिए एक अहम मुद्दा है वहां इसे ध्यान में रखते हुए पेरिस में 23 अप्रैल सन 1995 में यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक दिवस मनाये जाने की घोषणा करना बहुत स्वागत योग्य है.
मुख्य अतिथि जर्मनी से आये प्रो राम प्रसाद भट्ट ने कहा कि भारत में मध्ययुगीन साहित्य में जहाँ कापी राइट की समस्या नहीं थी जहाँ मीरा बाई, सूरदास जी, तुलसीदास जी, कबीर दास जी, रहीमदास जी अनेकों नाम हैं जिनकी कविता में उनके नाम का प्रयोग हुआ है और आसानी से पता चल जाता है कि अमुक रचना उनकी है.
उन्होंने नार्वे में आयोजक 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे की तारीफ करते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि यहाँ भारतियों ने अपनी संस्कृति और भाषा को बचा कर रखा है और उसका प्रचार कर सेतु का कार्य कर रहे हैं इसके लिए उन्होंने संस्था के सभी लोगों को बधाई दी.
एलिन थिग्गेसेन ने गुरु रवींद्र नाथ टैगोर की अपनी और कवितायें सुनायीं। अन्य कवियों में इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने नार्वेजीय में और हिन्दी में गुरुदर्शन शर्मा, राज कुमार भट्टी, अलका भरत, दीपिका रतौड़ी, सुरेशचन्द्र शुक्ल ने कवितायें पढ़ीं और माया भारती ने सभी का स्वागत किया।
प्रो राम भट्ट और सुरेशचन्द्र शुक्ल वाइतवेत यूथक्लब , ओस्लो गये।
भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से आयोजित लेखक गोष्ठी में विश्वपुस्तक दिवस
धूमधाम से मनाया गया.
विश्व कवि ऋषि बाल्मीकि का स्मरण करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अब जब कापी राइट लेखकों के लिए एक अहम मुद्दा है वहां इसे ध्यान में रखते हुए पेरिस में 23 अप्रैल सन 1995 में यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक दिवस मनाये जाने की घोषणा करना बहुत स्वागत योग्य है.
मुख्य अतिथि जर्मनी से आये प्रो राम प्रसाद भट्ट ने कहा कि भारत में मध्ययुगीन साहित्य में जहाँ कापी राइट की समस्या नहीं थी जहाँ मीरा बाई, सूरदास जी, तुलसीदास जी, कबीर दास जी, रहीमदास जी अनेकों नाम हैं जिनकी कविता में उनके नाम का प्रयोग हुआ है और आसानी से पता चल जाता है कि अमुक रचना उनकी है.
उन्होंने नार्वे में आयोजक 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे की तारीफ करते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि यहाँ भारतियों ने अपनी संस्कृति और भाषा को बचा कर रखा है और उसका प्रचार कर सेतु का कार्य कर रहे हैं इसके लिए उन्होंने संस्था के सभी लोगों को बधाई दी.
एलिन थिग्गेसेन ने गुरु रवींद्र नाथ टैगोर की अपनी और कवितायें सुनायीं। अन्य कवियों में इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने नार्वेजीय में और हिन्दी में गुरुदर्शन शर्मा, राज कुमार भट्टी, अलका भरत, दीपिका रतौड़ी, सुरेशचन्द्र शुक्ल ने कवितायें पढ़ीं और माया भारती ने सभी का स्वागत किया।
प्रो राम भट्ट और सुरेशचन्द्र शुक्ल वाइतवेत यूथक्लब , ओस्लो गये।