रविवार, 26 अप्रैल 2015

विश्व पुस्तक दिवस पर हिन्दी कवितायें गूंजी

ओस्लो में विश्व पुस्तक दिवस संपन्न


भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से आयोजित लेखक गोष्ठी में विश्वपुस्तक दिवस
धूमधाम से मनाया गया.
विश्व कवि  ऋषि बाल्मीकि  का स्मरण करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अब जब कापी राइट लेखकों के लिए एक अहम मुद्दा है वहां इसे ध्यान में रखते हुए पेरिस में 23 अप्रैल सन 1995 में यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक दिवस मनाये जाने की घोषणा करना बहुत स्वागत योग्य है.
मुख्य अतिथि जर्मनी से आये प्रो राम प्रसाद भट्ट ने कहा कि भारत में मध्ययुगीन साहित्य में जहाँ कापी राइट की समस्या नहीं थी जहाँ मीरा बाई, सूरदास जी, तुलसीदास जी, कबीर दास जी, रहीमदास जी अनेकों नाम हैं जिनकी कविता में उनके नाम का प्रयोग हुआ है और आसानी से पता चल जाता है कि अमुक रचना उनकी है.
उन्होंने नार्वे में आयोजक 'भारतीय-नार्वेजीय  सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे की तारीफ करते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि यहाँ भारतियों ने अपनी संस्कृति और भाषा को बचा कर रखा है और उसका प्रचार कर सेतु का कार्य कर रहे हैं इसके लिए उन्होंने संस्था के सभी लोगों को बधाई दी.
एलिन थिग्गेसेन ने  गुरु रवींद्र नाथ टैगोर की अपनी और कवितायें सुनायीं।  अन्य कवियों में  इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने नार्वेजीय में और हिन्दी में  गुरुदर्शन शर्मा, राज कुमार भट्टी, अलका भरत, दीपिका रतौड़ी,  सुरेशचन्द्र शुक्ल ने कवितायें पढ़ीं और माया भारती ने सभी का स्वागत किया।



प्रो राम भट्ट और सुरेशचन्द्र शुक्ल वाइतवेत यूथक्लब , ओस्लो गये। 

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

14 अप्रैल को भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती पर शुभकामनायें। - Suresh Chandra Shukla

भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती 

Gratulerer med Amedkars 125. årsdag. अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती पर आप सभी को शुभकामनायें। 
Gratulerer med 125. års fødselsdags jubileum den 14. april  til B R Amedkar (14.04.1891- 06.12.1956)) som var leder av Indisk grunnlovs komite.  


14 अप्रैल को भारत के संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती पर आप सभी को शुभकामनायें।  भारत के जाने-माने संविधान निर्माता 14 अप्रैल सन 1891 में हुआ था और मृत्यु 6 दिसंबर सन 1956 में हुआ था. 

उंच नीच का भाव न लायें। 
सबको हम सम्मान दिलायें।
ऐसे युगपुरुषों के खातिर समता का संसार बनायें ।
भेदभाव को दूर भगाकर, आओ सबको गले लगायें।
हर रंग के गुलदस्तों से सब अपना संसार सजायें। 
वर्णभेद  को दूर करें हम,  जीवन की बगिया महकायें। 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

Aam Admi, A shortstory by Suresh Chandra Shukla

आम आदमी - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'  



चित्र में लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल  की पुस्तक पर  हस्ताक्षर करते हुए  1996 में  नोबेल शांति पुरस्कार विजेता 
José Ramos-Horta  जोसे रामोस होर्ता   हस्ताक्षर  करते हुए 

आम आदमी  (लघु कथा)- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 
"यह धनीराम लातूर जिला के गाँव से आया है सरकार।  बहुत सूखा पड़ा है. आदमी जानवर सब बेहाल हैं.  एक किसान के लिए आपही माई बाप है हुजूर। किसानों के लिए नेताजी ने वायदे किये थे इसलिए  सोचा सरकार राजा बन गए हैं तो उनके द्वारे गोहार लगाई। इसी लिए आये हैं."
द्वार पर खड़े चौकी दार को  धनीराम ने आने का कारण बताकर नेताजी से मिलने की जरूरत बताई।
चौकीदार ने ऊपर से नीचे तक देखा मैले-कुचैले कपड़ों में टायरसोल चप्पल पहने हाथ में एक मटमैला झोला लिए हुए उस अधेड़ आयु के आदमी को देखा और पूछा,
"तुमने नेता जी से समय लिया है, ऐसे तुम उनसे नहीं मिल सकते।"
"अरे साहब! जब चुनाव में आये थे सरकार कह रहे थे कि हमारे दरवाजे सभी के लिए खुले हैं. जब कोई जरूरत हो तो जनता -जनार्दन सभी मिलने आ सकते हैं, सो हम आ गये." धनीराम ने अपनी बात जारी रखते हुए पुनः गिड़गिड़ाकर कहा,
"बहुत दूर से आये हैं महाराज। दिल्ली बहुत दूर थी तो सोचा कि हम ही चलकर आ जायें। दो दिन में यहाँ पहुँच पाये हैं साहेब! हमका नेताजी  से मिलवा देव."
चौकीदार अंदर गया और उसने समाचार दिया कि  कोई किसान नेताजी से मिलना चाहता है.  चौकीदार बाहर आकर बोला,
"तुम नेताजी से नहीं मिल सकते।  किसी की सिफारिश लेकर आये हो?"
"जनता को अपने नेता से मिलने के लिए सिफारिश की जरूरत है हुजूर!", धनीराम ने बहुत आतुरता से चौकीदार से पूछा।
"हाँ भैया,  बिना सिफारिश कुछ नहीं होगा। नेता जी एक दिन में किससे -किससे मिलेंगे।  बिना भोग के तो भगवान भी खुश नहीं होते।" चौकीदार ने नजर फेरकर कहा.
"मालिक से मिलकर हम भी उनके पांवों पर पड़ जाएंगे, जैसे हम मंदिर में भगवान के आगे सभी कुछ अर्पित कर देते हैं."
"उससे क्या होगा, भैया। भगवान कौन बोल सकते हैं या देख सकते हैं कि वह फैसला करें कि तुमने कितना भोग  मंदिर में  चढ़ाया है?", चौकीदार ने उत्तर दिया।
"भैया जिनके पास नहीं होता उनकी भी भगवान सुनते हैं?" देखकर धनीराम आशा से देखने लगा.    
"मालिक पूजा कर रहे हैं।  उसके बाद वह बंगलूर जाएंगे, वहां देश की समस्या पर विचार करेंगे। पूरे देश से कार्यकर्ता इकठ्ठा होंगे।  पार्टी की बहुत भारी मीटिंग है."
"हम भी बहुत दूर से आये हैं हुजूर । हमका निराश न करो.", कहकर धनीराम ने हाथ जोड़ लिये।
"पहले तुम अपने गाँव-ज्वार के नेता से बात करो, प्रधान से बात करो फिर एम एल ए लोग भी जनता के सेवक है.  उनसे कहो सुनो! "
"सूखा देखकर प्रधान गाँव छोड़कर चले गये. गाँव में केवल गरीब लोग बचे हैं. बाकी सब छोड़कर भाग गये. अगर वहाँ हमारी बात सुनी जाती तो हम यहाँ गुहार लगाने क्यों आते!" धनीराम ने चौकीदार को हकीकत  बयान किया.  बहुत अनुनय-विनय करने पर चौकीदार एकबार फिर अंदर गया. अब अंदर से गुस्से में किसी की आवाजें आ रही थी,
"तुमको समझाया था कि किसी से नहीं मिलना है मुझे. जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं. एक बार अगर इन लोगों की मदद करेंगे तो दुबारा आएंगे। तिबारा आएंगे और इसी तरह सिलसिला चलता रहेगा। पार्टी के लिए समय कहाँ बचेगा?  अगर कोई खास आदमी होता तो और बात थी. न तो दानदाता न ही कोई कॉर्पोरेटर जो चुनाव जिताने में मदद करता।  सा.. रे.…गा... मा...     आम  आदमी।
चौकीदार आकर जवाब देता  तब वहाँ कोई नहीं था.  उसने  गेट के  बाहर आकर देखा, तो वह किसान कुछ दूर तक जा चुका था.
(वैश्विका २०१४ से साभार)
                  

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

Speil- 2-2015. स्पाइल-दर्पण का नया अंक 2015 अंक 2


प्रिय पाठकों  नार्वे से प्रकाशित स्पाइल-दर्पण  का नया अंक 2015 अंक 2 
आपकी सेवा में प्रस्तुत है.
नीचे दिए लिंक में  पढ़ सकते हैं स्पाइल स्पाइल  पढ़ सकते हैं: 

https://drive.google.com/open?id=0B-Yr4tfxYfDnRC00a0FNZ3B3eEQxaExqNlpjaXI4bnZlbWZ3&authuser=0

लेख और विचार में: 
डॉ अमरनाथ, विनोद बब्बर और ब्रजेंद्र त्रिपाठी।   
कहानियों में: 
नासिरा शर्मा, डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'. 
कविताओं में: 
डॉ दिनेश अवस्थी, डॉ रामगोपाल भारतीय, देवेन्द्र दीपक, गोपालदास नीरज, कैफे आजमी, मुदस्सिर  अहमद, अभिनव शुक्ल, अशोक अवस्थी और गुरुदर्शन शर्मा।        
तस्वीरों में:  
लेखक गोष्ठियों और स्लेम्मेस्ताद मंदिर नार्वे में होली की तस्वीरें। 
बैसाखी पर ओस्लो में नगर कीर्तन और पगड़ी दिवस की तस्वीरें।  
पुरस्कार और सम्मानों के समाचार। 
नार्वेजीय विभाग में: 
सामयिक समाचार, सांस्कृतिक समाचार और कवितायें।    
संपादक: सुरेशचन्द्र शुक्ल  
Post box 31, Veitvet
0518 Oslo
Norway
speil.nett@gmail.com

इस ब्लाग  पर आपका स्वागत है
इस ब्लॉग पर आपको सुरेशचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखे विचार और रचनाएं समय-समय पर पढ़ने को मिलती रहेंगी। आप इस बलग पर आये और पढ़ा, धन्यवाद।