मेरी यह भारत यात्रा बेजोड़ थी -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
मुझे २ जनवरी २०१७ को उत्तर प्रदेश विधान सभा में स्थित विधान भवन में डॉ दिनेश चंद्र अवस्थी जी के राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया.
४ जनवरी को बहुत प्रतिष्ठित और गौरवशाली पुरस्कार 'ऊतर प्रदेश प्रवासी रत्न सम्मान' प्राप्त किया प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा।
पुस्तक मेले में खट्टे-मीठे अनुभव हुये।
काव्या द्वारा संचालित युवा और प्रतिभाशाली साहित्यकारों द्वारा रचना पाठ सूना उर निवेदिता श्रीवास्तव और आशा पांडेय ओझा जी ने मुझे मुख्य अतिथि बनाया। सुप्रसिद्ध कथाकार नासिरा शर्मा, प्रोफ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, अनिल गुप्ता, डॉ कमल किशोर गोयनका, डॉ प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, डॉ शरद सिंह, महेश भरद्वाज, सुभाष नीरव, महेश दर्पण, निवेदिता दिनकर, अलका प्रमोद, निवेदिता श्रीवास्तव, पंजाबी साहित्यकार वनीता जी, डॉ श्याम सिंह शशि, लघुकथाकार बलराम, मधुदीप जी और अन्यों से मिला और उन्हें सुना।
आदरणीय राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक शर्मा जी, पुस्तक मेला में रोज प्रकाशित मेला समाचार के संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता जिनका नाम याद नहीं है से मिला।
आपका दिनमंगलमय हो. मैं वापस नार्वे आ गया हूँ एक सुन्दर देश भारत को छोड़कर दूसरे सुन्दर देश नार्वे में. आपका दिन मंगलमय हो.
सभी लोगों को भारत में और नार्वे में धन्यवाद और आभार जिन्होंने मेरी भारत यात्रा कुछ ख़ास स्मरणीय बनायी।मुझे २ जनवरी २०१७ को उत्तर प्रदेश विधान सभा में स्थित विधान भवन में डॉ दिनेश चंद्र अवस्थी जी के राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया.
४ जनवरी को बहुत प्रतिष्ठित और गौरवशाली पुरस्कार 'ऊतर प्रदेश प्रवासी रत्न सम्मान' प्राप्त किया प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा।
पुस्तक मेले में खट्टे-मीठे अनुभव हुये।
काव्या द्वारा संचालित युवा और प्रतिभाशाली साहित्यकारों द्वारा रचना पाठ सूना उर निवेदिता श्रीवास्तव और आशा पांडेय ओझा जी ने मुझे मुख्य अतिथि बनाया। सुप्रसिद्ध कथाकार नासिरा शर्मा, प्रोफ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, अनिल गुप्ता, डॉ कमल किशोर गोयनका, डॉ प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, डॉ शरद सिंह, महेश भरद्वाज, सुभाष नीरव, महेश दर्पण, निवेदिता दिनकर, अलका प्रमोद, निवेदिता श्रीवास्तव, पंजाबी साहित्यकार वनीता जी, डॉ श्याम सिंह शशि, लघुकथाकार बलराम, मधुदीप जी और अन्यों से मिला और उन्हें सुना।
आदरणीय राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक शर्मा जी, पुस्तक मेला में रोज प्रकाशित मेला समाचार के संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता जिनका नाम याद नहीं है से मिला।
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