मेरे शहर का नाम हाय बदनाम हो गया है.
मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
मेरे शहर का नाम बदनाम हो गया है - सुरेशचन्द्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla
शनिवार, 19 दिसंबर 2020
जनता का सैलाब है किसान आन्दोलन - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
सोमवार, 14 दिसंबर 2020
'अगर तुम आज सोये हो- भारत में किसान आंदोलन को समर्पित - -सुरेश चन्द्र शुक्ल
अगर तुम आज सोये हो,कभी न जाग पाओगे।
A poem dedicated Farmar movement 2020 in India. 'अगर तुम आज सोये हो , कभी न जाग पाओगे।' यह कविता भारत में किसान आंदोलन को समर्पित है तथा काव्य संग्रह 'सड़क पर देवदूत' में संकलित है। -सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 14 दिसम्बर 2020।.
रविवार, 13 दिसंबर 2020
भारत में किसान आन्दोलन: भारत में सांसद मौन विदेशों के सांसद ध्यानाकर्षण करा रहे हैं
भारत में किसान आन्दोलन: भारत में सांसद मौन क्यों
भारत में किसान आन्दोलन: भारत में सांसद मौन विदेशों के सांसद ध्यानाकर्षण करा रहे हैं. फिर भी भारतीय सांसदों के कान में जूँ नहीं रेंग रही है. विदेश में रह रहे भारत के लिए लॉबी करने वाले लोगों कर जब भारतीय सरकार मीडिया के माध्यम से अपना निजी मामला और हस्तक्षेप कहती है तो बहुत दुःख होता है.
भारत के साथ विदेशों के साथ सम्बन्ध मजबूत करने में पूर्ववर्ती भारतीय सरकारों का ज्यादा मजबूत सम्बन्ध रहा है. यह ध्यान देने की जरूरत है. भारतीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों को भी इस बारे में ध्यान देते हुए भारतीय मंत्रियों के विदेशी कनेक्शन और भारत में किन कारणों से भारत में अव्यवस्था हो रही है, लोकतंत्र को ताख पर रख कर कार्य किया जा रहा है ध्यान दिया जाना चाहिए।
अरबों डालकर खर्च करके भी वह भारत के लिए वर्तमान भारत सरकार लॉबी नहीं कर सकती , जो अनेक दशकों से भारत के पक्ष में विदेशों में भारत प्रेमियों द्वारा लॉबी की जा रही है. उसे भारत सरकार ने पिछले दो बार कहा कि यह उनका जातीय मामला है, दूसरे देश के नेता यदि किसानों के बारें में बोलते हैं तो दो देशों के रिश्तों पर असर पडेगा?
यह गंभीर बात है यह भारतीय जनता को गंभीरता से सोचना चाहिए की कौन भारत में ऐसा है कि जिसके कारण भारत में कृषि कानून को सरकार रद्द नहीं कर रही और किसके कहने और किसके फायदे के लिए ये तीनों कृषि कानून बनाये गए.
कहीं ऐसा न हो लोग असमंजस में अपना नुकसान कर लें। किसी की सरकार परमानेंट नहीं होती। अनैतिक तरीके से राज्यों की पार्टियों को तोड़ने, दूसरे प्रदेशों में चुनाव में सरकार मशीनरी के साथ नेताओं का महामारी के कानून की धज्जी उड़ाते हुए अपनी राजनैतिक पार्टियों का चुनाव कराना भविष्य में देश के लोकतंत्र के लिए गले की हड्डी बन सकता है.
एक उदहारण भारतीय मीडिया से पता चलता है और ऐसे अनेक उदहारण आप खोजिये या भारत की सुरक्षा जांच एजेंसियां मंत्रियों के फोन और आने -जाने वालों के बारे में जानकार पता कर सकती हैं.
यहाँ केवल सुशील मोदी की बात का उदाहरण काफी है जो कहते हैं कि किसानों के आंदोलन का सम्बन्ध पाकिस्तान से है. मेरा ख्याल है कि इस बयान की कड़ी तरीके से जांच कराकर सुरक्षा एजेंसियों को सच सामने लाना चाहिए कि हो न हो सुशील मोदी का किसी पाकिस्तानी एजेंसी से संपर्क हो, या उन्हें सरकारी एजेंसी ने बतायी हो या उनकी पार्टी के आई टी सेल से मिली है? भगवान् जानें? या वह स्वयं जानें जो सच नहीं बोल रहे ऐसा लगता है.
सुशील मोदी की जांच इस लिए भी जरूरी हो जाती है कि उनके पूर्व बयानों को जो उन्होंने बिहार चुनाव में अनेक बार दिए हैं वे झूठ पर आधारित हो सकते हैं, लालू प्रसाद यादव से उन्हें और उनकी पार्टी से खतरा था जो उन्हीं की सरकार की जेल में हैं आदि -आदि. ऐसे नेताओं को कभी भी संसद या विधान सभा में नहीं होना चाहिए पर यह कार्य उनकी पार्टी का है यह उनकी पार्टी ही निर्णय करे और जानें।
किसान एक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय है जो धर्म और देश से अलग है.