देश की नाव क्यों
नेता डुबा रहे हैं।
देश की नाव में
छेद पर छेद हो रहे हैं।
संसद में प्रधानमंत्री
विपक्षियों का अपमान कर रहे हैं।
सांसद ताली बजाकर
खिल्ली उड़ा रहे हैं।
जो लोग देश की नाव पर छेद दिखाकर
सरकार को सावधान कर रहे हैं।
देश की आर्थिक नाव डूबने से
बचा रहे हैं।
डरे हुए नेता के क्यों
हाथ कांप रहे हैं?
प्रधानमन्त्री की यात्रायें
अ से व्यापार बढ़ाने
ह तक की जनता भूल गये हैं।
जेल जाने की अनजाने
क्यों तैयारी कर रहे हैं।
खुद का धन्धा बढ़ा रहे हैं।
देश की समस्या
सरकार क्यों न भूलें?
चुनावी चन्दा देने वाले
क्यों घबराये हुए हैं।
पुस्तकों में अ से अनार
की जगह अ एवं डा नी
पढ़ा रहेे है।
क्या प्रधान, मन्त्री एजेंट- सेवा के बदले
व्यापार में हिस्सा पा रहे हैं?
न्यायालय की बड़ी चुनौती
ईमानदार होने से है।
देश-विदेश की अदालत
संज्ञान ले रही है।
क्या देश के भ्रष्ट नेता
विदेशी जेल में मिलेंगे?
हमारे सांसद जब ताली बजा रहे हैं।
वे अपनी संसद की गरिमा
दुनिया में घटा रहे हैं।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
SvarVideresend |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें