गुरुवार, 2 जनवरी 2025

जीवन तुम बेमिसाल हो - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 जीवन तुम बेमिसाल हो - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

श्रम, धैर्य सजगता कमाल हो, 
चाह जिसकी करें वह साथ हो
ईमानदारी में कभी न रुकें कदम,
उद्देश्य के लिए समर्पित भाव हो।

हौंसले सदा बुलंद उसी के हैं,
काँटों से भी जो दोस्ती कर सके। 
कठिन सफ़र भी कट जायेगा, 
सुख-दुख कोई कोई साथ हो।

स्वप्न देखने का बस ख़्याल हो।
ज्ञान और कला तुम्हारे साथ हो। 
रुकावटें बता रहीं बढ़ रहे कदम,
जीवन क्या खूब बेमिसाल हो।
28.12.24 Suresh Shukla 


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