रविवार, 29 जनवरी 2012

27 जनवरी को Arne Næss आर्ने नेस 100 वर्ष के होते- Suresh Chandra Shukla

27 जनवरी को Arne Næss आर्ने नेस 100 वर्ष के होते- सुरेशचन्द्र शुक्ल Suresh Chandra शुक्ल

 नार्वे के प्रसिद्द दर्शनशास्त्री स्वर्गीय Arne Næss आर्ने नेस का  जन्म  27 जनवरी 1912 को हुआ था. 12 जनवरी  2009 को उनकी मृत्यु हुई थी.
वह हमेशा चर्चा में रहते थे.  वह महात्मा गांधी जी से प्रभावित थे.  २७ वर्ष की आयु में वह प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त हुए थे. 
हरफनमौला आर्ने नेस से मेरी अनेकों मुलाकातें हुई थीं.  पहली बार उनसे मिलना ओस्लो विश्वविद्यालय में हुआ था. उसके बाद उनसे अनेकों बार मिलना हुआ. उन्होंने तीन बार शादी की. अनेकों पुस्तकें लिखीं.  वह एक अच्छे पर्वतारोही थे. उन्होंने मुक्केबाजी भी की. वह नार्वे की पर्यावरण पार्टी Grønne में भी सम्मिलित हुए.  भारतीय राजदूत के घर पर कार्यक्रमों में भी उनसे मिलना हुआ था.  उन पर लिखी एक कविता :




यायावर आर्ने नेस के लिए

मंजिल की तलाश में
खोजते हुए किसी मार्ग में
कोई दूसरा मिल जाये,
कुछ दूर चलने के लिए कहे,
क्या तुम चलोगे?
रुकने के लिए कोई नहीं कहता
पर रुकना पड़ता है,
मरने के लिए कोई नहीं कहता
पर जीने के लिए वह भी करना पड़ता है.

क्या कभी जब प्रश्नों का उत्तर
एक प्रश्न बन जाए
तुम निरुत्तर होते हुए
उसे बूझ रहे होते हो,
उसी क्षण प्रश्न बदल जाता है
घड़ी की सुई की तरह
कलंडर का एक पृष्ट पलट जाता है
एक वर्ष बाद कलंडर 

बचपन - जवानी में बदलते हुए
पेड़ के सूखे पत्ते सा सब कुछ बिखर जाता है
तब उत्पन्न होता है उसका इतिहास
बिखरे हुए पत्तों में 
चिड़िया के चुने हुए दानों में 
दूर सुदूर एक बीज गिरता है 
जन्म लेती है एक इकाई. 

तुम इंसान हो, 
तुम समाज रचते हो.
पर नष्ट नहीं कर सकते हो,
वह निरंतर बढ़ता रहता है,
विकसित होता हुआ 
कभी अणु सा छोटा और कभी 
शक्तिशाली विस्फोटक बनकर 
तुम्हें दिखा जाता है
बीज की शक्ति
हम अंकुर बने फूटते रहते हैं
यहाँ वहां.
- ओस्लो, २७ जनवरी २०१२  

शनिवार, 28 जनवरी 2012

नार्वे में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया

नार्वे में गणतंत्र दिवस और पेतेर क्रिसतेन  अस्ब्योर्न्सेन  का २०० वां जन्मदिन   धूमधाम से मनाया गया  
चित्र में बाएं से Inger Marie Lilleengen इंगेर मारिये
 लिल्लेएन्गेन,  Suresh Chandra Shukla सुरेशचंद्र शुक्ल
 , Silesh Kumar सिलेश कुमार, मारी फिनेस Mari Finnes  और Raj  K Bhatti राज कुमार भट्टी  
भारतीय दूतावास में ध्वजारोहण समारोह  
२६ जनवरी को नील्स  युएल्स गाता, ओस्लो में प्रातः साढ़े आठ बजे  भारतीय दूतावास में भारतीय गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण समारोह धूमधाम से मनाया गया.  भारतीय राजदूत महामहिम आर के त्यागी जी ने राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम सन्देश पढ़ा और ध्वजारोहण किया. बाद में राष्ट्र गान और फिर जलपान का कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमें लोगों ने एक दूसरे को गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ  दीं.
वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में गणतंत्र दिवस समारोह संपन्न Republic day of India
भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से भारतीय गणतंत्र दिवस पर सांस्कृतिक समारोह संपन्न हुआ.  कार्यक्रम का शुभारम्भ अलाक्संदेर शुक्ल सीमोंसें ने राष्ट्रगान 'जन - गन - मन'  की धुन सुनाकर किया और सभी लोगों ने खड़े होकर ससम्मान राष्ट्रगान गया.  एकता और निकीता ने हिन्दी में एक गीत प्रस्तुत किया. जान दित्ता दीवाना और दानिएल दित्ता ने एक तारा, हारमोनियम और तबले  पर पर मधुर धुनें बजायीं और गीत गाये.
मारी फिनेस Mari Finnes मुख्य अतिथि
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं सांस्कृतिक मंत्रालय से मारी फिनेस जिनका सम्मान शाल 
ओढ़कर किया गया.  भारतीय दूतावाससे श्री सिलेश कुमार ने शुभकामनाएं दीं और अपनी 
कविता मेरा गाँव सुनायी.  कार्यक्रम में एनी कवितायें सुनाने वालों में इंगेर मारिये लिल्लेएगेन , 
राज कुमार भट्टी, चरण सिंह सांगा,  इन्दरजीत पाल और सुरेशचंद्र शुक्ल ने सुनायी. शुभ  कामनायें देने वालों में, जीत सिंह, सिद्धू जी, राजेंद्र सिंह टूर, संगीता शुक्ल, माया भारती, वासदेव भरत रूबी शीरे, अलका भरत, अंकुर टांडे  और दिव्या विद्यार्थी थे.   कार्यक्रम के अंत में भोजन और मिष्ठान का प्रबंध था.
Peter Christen Asbjørnsen पेतेर क्रिसतेन अस्ब्योर्नसेन  का २०० वां जन्मदिन मनाया गया.
नार्वे की लोककथाओं को अपने बचपन के मित्र योर्गेन मूए के साथ एकत्र करने वाले  पेतेर क्रिसतेन अस्ब्योर्नसेन का २०० वां जन्मदिन मनाया गया.  हालाँकि उनका जन्मदिन १५ जनवरी को होता है.
इसी दिन हमारे कार्यकर्त्ता और गायक राज कुमार भट्टी जी का जन्मदिन भी था .अतः इस दिन तीन केक काटे गए.
सुरेशचन्द्र  शुक्ल का २६ जनवरी १९८० को नार्वे आगमन
स्वागत भाषण देते हुए लेखक, संपादक और भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम Indisk-Norsk Informasjons -og Kultur Forum के  अध्यक्ष सुरेशचंद्र शुक्ल ने बताया की इसी दिन वह ३२ वर्ष पहले वह भारत से नार्वे आये थे. उन्होंने अपने संस्मरण सुनाये और बहुत से नार्वेजीय लेखकों की कवितायें सुनायीं.
सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा कि उन्हें अभी भी याद है जब २४ जनवरी १९८० को दिल्ली में उन्हें दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर विदा करने उनकी माँ श्रीमती किशोरी देवी, बहनोई डॉ.
गोविन्द प्रसाद तिवारी और संगीतकार और उनके भाई डॉ.राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के पारिवारिक मित्र संगीतकार
श्रीलाल जी आये थे.  वे दिन याद करते ही मेरी आँखें भर जाती हैं. मैं  भारत में अपनी पत्नी माया एवं बच्चों संगीता और अनुराग को अपने माता-पिता के पास छोड़कर आया था.
एक दिन मास्को में रुकने के बाद जब ओस्लो के फोर्नेबू एयरपोर्ट पर पहुंचे तो भाई राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और साहेब सिंह देवगन जी लेने आये थे.  मेरे सर के बाल बड़े -बड़े थे. दाढ़ी और छोटी मूछें थीं जैसे कोई रोबीला  युवा छात्र नेता हो.
बेलबाटम पैंट पहन रखी  थी. भूरे बता के जूते थे पर नार्वे के हिसाब से गर्मियों के जूते थे. जबकि नार्वे पूरा बर्फ से ढका हुआ था.  ओस्लो में तापमान - २२ था.
एयरपोर्ट से क्रिन्शो स्टुडेंट टाउन में मेरे भाई रहते थे वहां दाढ़ी और मूछें साफ़ कीं और जाड़े का कोट और जूते खरीदे और भारतीय दूतावास रवाना हुए जहाँ २६ जनवरी आर कार्यक्रम आयोजित था.
शाम को द्रामिन नगर गए वहां प्रतिष्ठित भारतीय और भारतीय कल्याण परिषद् नार्वे के अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह के घर पर पार्टी थी. मेरा पहला दिन ऐसा बीता जो हमेशा याद रहेगा. मुझे उस दिन सभी का जो प्यार मिला उसे आज कर मन प्रसन्नता से भर जाता है.

शनिवार, 21 जनवरी 2012

निमंत्रण Invitasjon ओस्लो में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह

निमंत्रण Invitasjon  
गणतंत्र दिवस समारोह

में आपका हार्दिक  स्वागत है.26 जनवरी 2012 को सायंकाल 17: 30 बजे 
चिली कल्चर हाउस, वाईटवेट सेंटर, ओस्लो में.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क कीजिये:
Suresh Chandra Shukla på tlf. 90 07 03 18
Velkommen til Kulturkveld/ Den indiske republic-dagen 
torsdag den 26. januar kl. 17:30
på Chilensk kulturhus på Veitvetsenter,
Veitvetveien 8, Oslo
Vi markerer:
 - Den Indiske republic dagen 26. januar,
- Eventyrsamler, Peter Christe Asbjørnsons 200 års fødselsdag og
- Frigjøringskjemperen Netaji Subhash Chandra Bose 105 års fødselsdag.
For mer informasjon, ta kontakt med Suresh Chandra Shukla på tlf. 90 07 03 18
Arrangør: Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturfrum
Postboks 31, Veitvet, 518 Oslo

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

नार्वे में लिखे जा रहे मेरे हिंदी साहित्य को विश्व की अधिकाँश हिंदी पत्रिकाओं में स्थान मिलने के बावजूद प्रवासी हिंदी साहित्य में उचित स्थान नहीं मिला - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' , ओस्लो, नार्वे प्रवासी साहित्य महोत्सव 2012

चित्र में बाएं से सुरेशचंद्र शुक्ल, एक प्रतिनिधि, डॉ. रत्नाकर पाण्डेय और एक अन्य प्रतिनिधि लोकार्पण करते हुए
"नार्वे में लिखे जा रहे मेरे हिंदी साहित्य को विश्व की अधिकाँश हिंदी पत्रिकाओं में स्थान मिलने के बावजूद प्रवासी हिंदी साहित्य में उचित स्थान नहीं मिला. स्पाइल -दर्पण पर लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह के निर्देशन में शोध संपन्न हो चुका है और मेरी पत्रकारिता  पर डाक्टरेट के लिए भारतीय विश्वविद्यालय  में शोध हो रहा है. यह विदेशों में हिंदी लेखन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी जुटाएगी.  भाई-भतीजेवाद से ऊपर उठकर हिन्दी के आलोचकों को सोचना पड़ेगा. हिन्दी के लेखक खासकर बहुत से दिल्ली निवासी हिंदी लेखक स्वस्थ पत्रिकारिता और स्वस्थ आलोचना से डरते क्यों हैं?  इतिहास में वही बचेगा जो तर्कसंगत, प्रायोगिक और सच  होगा. " यह विचार मैंने व्यक्त किये 'प्रवासी साहित्य महोत्सव, हंसराज स्नातकोत्तर कालेज दिल्ली में. 
ओस्लो, नार्वे से गत 24 वर्षों से प्रकाशित स्पाइल-दर्पण पत्रिका यूरोप की नियमित स्तरीय सांस्कृतिक और पुरानी पत्रिका है.  प्रवासी साहित्य महोत्सव 2012  में हिन्दी भाषा को लेकर बहुत ही सार्थक प्रयास किया गया, परन्तु  इसमें बेहतरी की बहुत गुंजाइश है.  पहले दिन उदघाटन सत्र के अंत में नार्वे से गत २४ वर्षों से प्रकाशित हिंदी  पत्रिका स्पाइल-दर्पण का लोकार्पण विख्यात विद्वान डॉ. रत्नाकर पाण्डेय जी ने किया. इस कार्यक्रम के आयोजक अनिल जोशी, सरोज शर्मा और डॉ. रमा  जी थीं. इस कार्यक्रम में प्रसिद्द लेखकों में डॉ. अशोक चक्रधर, राजी सेठ, डॉ. श्याम मनोहर पाण्डेय, उषा राजे सक्सेना, शैल अग्रवाल, दिव्या माथुर, उमेश अग्निहोत्री  डॉ. कमलकिशोर गोयनका, सरोजनी प्रीतम, दयाशंकर सिन्हा, सीतेश आलोक, हरीश नवल, नरेश शांडिल्य, shashikant और अन्य  थे.    बाएं से अशोक चक्रधर, आयोजक अनिल जोशी  और स्वयं लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार मिलेगा. प्रवासी भारतीय दिवस में घोषणा -शरद आलोक

प्रवासी भारतियों को मतदान का अधिकार मिलेगा.  जयपुर में दसवां प्रवासी भारतीय दिवस धूमधाम से संपन्न - शरद आलोक 

महात्मा  गांधी  की  पौत्री  इला गांधी को स्पाइल-दर्पण  भेंट करते हुए शरद आलोक

जयपुर में प्रवासी भारतीय दिवस संपन्न हुआ.  प्रवासी भारतियों के लिए जयपुर की कुछ इमारतें दुल्हन की तरह सजी थीं.  साफ सुथरी सड़के, नगर के होटल, और सम्मलेन स्थल  प्रवासियों की स्वागत  के लिए  तैयार थे.
इस सम्मलेन का विशेष आकर्षण था की त्रिनीदाद और टुबैगो की प्रधानमंत्री कमला बिसेसर प्रवासी भारतीय दिवस की मुख्य अतिथि थीं जिन्हें प्रवासी सम्मान दिया गया. उन्होंने सम्मान प्राप्त करने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी के चरण स्पर्श करते हुए जो सम्मान दिया वह उनकी परनानी को प्रणाम है.  उनका भाषण सभी प्रवासियों को बहुत प्रोत्साहित करने वाला था. उन्होंने कहा था कि हमारे परनाना और परदादा  बहुत पहले भारत से गए और उन्होंने बहुत परिश्रम और लगन से बहुत से कष्ट झेले और आगे बढ़ते रहे. इसी का परिणाम है कि आज मैं इस मुकाम तक आयी हूँ. उनका इशारा प्रधानमंत्री पद पर पहुँचने तक की यात्रा की तरफ था.
बहुत से केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सचिवों, अधिकारियों के अलावा  विभिन्न देशों से आये प्रवासी भारतीय इस तीन दिन के सम्मलेन की शोभा बढ़ा रहे थे.  यह एक कुम्भ मेले की तरह था.  जहाँ आकर ऐसा लगा जैसे कि ज्ञान गंगा में दुबकी लगा ली हो और स्नान कर लिया हो. महात्मा गांधी जी की पोती इला गांधी, लक्ष्मी मित्तल सहित अनेक हस्तियाँ कार्यक्रम में भाग लेने आयी थीं.