बुधवार, 13 मार्च 2013
रविवार, 10 मार्च 2013
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ओस्लो में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ओस्लो में
८ मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ओस्लो में स्थित साम्फुन्स हाल में LO (नार्वे के श्रमिक संगठन) ने एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें नार्वे की श्रमिक संगठनों में कार्य कर चुकी नेताओं का जिक्र करते हुए अनेक महिला नेताओं ने संबोधित किया, और पूरे विश्व में महिलाओं की दशा सुधरने और उनको शिक्षा और अन्य अधिकार दिलाने के लिए प्रयास पर बल दिया। आज भी दुनिया के बहुत से देशों में माँ-महिलाओं को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए समय नहीं दिया जाता है। बच्चों को समुचित आहार नहीं मिलता।
सौ वर्ष पूर्व नार्वे में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था। अनेक नेताओं ने नार्वे में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिलने के लिए बधायी देते हुए कहा कि, अभी भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए सजग रहना है। जो बहने/ महिलायें बेरोजगार हैं उन्हें शिक्षित किया दिया जाये, उन्हें काम की ट्रेंनिग दी जाए और रोजगार पर लगाया जाये। सभी को काम मिलेगा तभी उनके रहन-सहन का स्टार बढ़ेगा और आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी जो बहुत जरूरी है। महिला दिवस पर सभी को शुभकामनायें।
चित्र में संबोधित करने के बाद दो महिला नेताओं के साथ खींचा गया चित्र।
८ मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ओस्लो में स्थित साम्फुन्स हाल में LO (नार्वे के श्रमिक संगठन) ने एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें नार्वे की श्रमिक संगठनों में कार्य कर चुकी नेताओं का जिक्र करते हुए अनेक महिला नेताओं ने संबोधित किया, और पूरे विश्व में महिलाओं की दशा सुधरने और उनको शिक्षा और अन्य अधिकार दिलाने के लिए प्रयास पर बल दिया। आज भी दुनिया के बहुत से देशों में माँ-महिलाओं को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए समय नहीं दिया जाता है। बच्चों को समुचित आहार नहीं मिलता।
सौ वर्ष पूर्व नार्वे में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था। अनेक नेताओं ने नार्वे में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिलने के लिए बधायी देते हुए कहा कि, अभी भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए सजग रहना है। जो बहने/ महिलायें बेरोजगार हैं उन्हें शिक्षित किया दिया जाये, उन्हें काम की ट्रेंनिग दी जाए और रोजगार पर लगाया जाये। सभी को काम मिलेगा तभी उनके रहन-सहन का स्टार बढ़ेगा और आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी जो बहुत जरूरी है। महिला दिवस पर सभी को शुभकामनायें।
चित्र में संबोधित करने के बाद दो महिला नेताओं के साथ खींचा गया चित्र।
शनिवार, 9 मार्च 2013
'शरद आलोक' को 'साहित्य गौरव सम्मान'
'शरद आलोक' को 'साहित्य गौरव सम्मान'
आज दिनांक ९ मार्च को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश के जयशंकर प्रसाद सभागार में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा नार्वे में हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने वाले साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को 'साहित्य गौरव सम्मान' से सम्मानित किया गया. यह सम्मान संजय मिश्र ने प्राप्त किया.
आज दिनांक ९ मार्च को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश के जयशंकर प्रसाद सभागार में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा नार्वे में हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने वाले साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को 'साहित्य गौरव सम्मान' से सम्मानित किया गया. यह सम्मान संजय मिश्र ने प्राप्त किया.
सोमवार, 4 मार्च 2013
६ मार्च को संगीता Sangita Shukla Simonsen का जन्मदिन है- बहुत बधायी
६ मार्च को संगीता शुक्ल का जन्मदिन है. संगीता का जन्म ६ मार्च को ८ मोतीझील, ऐशबाग रोड, लखनऊ में घर पर ही हुआ था। इसी दिन अनेक सुधि जनों का जन्म हुआ था। जिसमें स्तोवनेर, ओस्लो की निवासी सविन्दर कौर भी हैं। जिनका भी जन्मदिन है उन सभी को बधायी।
संगीता पर अपनी एक कविता साझा कर रहा हूँ, जो इस अवसर पर लिखी है। जन्मदिन पर बहुत बधायी।
विजय पथ पर
शिवरात्रि अठत्तर, की वह शुभ घड़ी,
बृजमोहन-किशोरी घर रौनक लगी।
माया ने जन्म देकर धन्य किया
अंगना हमारे उतर आयी एक परी।।
दुलार, चंचल, चपल, मन भावना,
देखना सपने किसे भाता नहीं।
जीवन के पथ पर करवट बदल,
लौटकर बचपन कभी आता नहीं।।
गर्व पुत्री का किसे भाता नहीं।।
दादा का जो नयन तारा बनी।
संस्कृति परिवार को अर्थ देकर,
संकरी परंपरा तोड़कर नेत्री बनी।।
कितना मुश्किल है त्यागना,
सुने ताने और कितनी उलाहना।
जिन्दगी की धूप-छाँव में पली,
अपनी गोदी में दादी का पालना।।
८ मोतीझील में जन्मी जहाँ,
वह लखनऊ की कोमल कंचना।
जिन्दगी से दो कदम आगे बढ़ी,
भेदभाव को मिटा संभावना।
जो लीक से हटकर बढे हैं,
उनके मार्ग में भले कांटे चुभें,
वे दूसरों को राह दिखलाते सदा,
अपनी निशानी पद पर छोड़ दें।
करें पथी भाव सागर पार,
देखकर बढ़े थके जो आज।
तोड़कर बंधन सारे व्यूह,
खोलकर नयी पीढ़ी के द्वार।।
अरे संगीता तेरा जो मोल,
चुका नहीं सकता परिवार।
सीखकर नयी पीढ़ी की पौध,
तुम्हें न भूलेगा संसार।।
निकीता और अलेक्सान्दर अरुण,
दे परिवारों को अपना नाम।
इसी से भारत बसे नार्वे में,
पूर्वजों को सब करें प्रणाम।।
पथ कठिन हो, मार्ग पर चलते रहो,
मत झुको, अन्याय से लड़ते रहो।
संसार में जीना जहाँ संघर्ष है,
विजय पथ पर सदा बढ़ते रहो।।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल, ओस्लो Suresh Chandra Shukla, Oslo, Norway
संगीता पर अपनी एक कविता साझा कर रहा हूँ, जो इस अवसर पर लिखी है। जन्मदिन पर बहुत बधायी।
विजय पथ पर
शिवरात्रि अठत्तर, की वह शुभ घड़ी,
बृजमोहन-किशोरी घर रौनक लगी।
माया ने जन्म देकर धन्य किया
अंगना हमारे उतर आयी एक परी।।
दुलार, चंचल, चपल, मन भावना,
देखना सपने किसे भाता नहीं।
जीवन के पथ पर करवट बदल,
लौटकर बचपन कभी आता नहीं।।
गर्व पुत्री का किसे भाता नहीं।।
दादा का जो नयन तारा बनी।
संस्कृति परिवार को अर्थ देकर,
संकरी परंपरा तोड़कर नेत्री बनी।।
कितना मुश्किल है त्यागना,
सुने ताने और कितनी उलाहना।
जिन्दगी की धूप-छाँव में पली,
अपनी गोदी में दादी का पालना।।
८ मोतीझील में जन्मी जहाँ,
वह लखनऊ की कोमल कंचना।
जिन्दगी से दो कदम आगे बढ़ी,
भेदभाव को मिटा संभावना।
जो लीक से हटकर बढे हैं,
उनके मार्ग में भले कांटे चुभें,
वे दूसरों को राह दिखलाते सदा,
अपनी निशानी पद पर छोड़ दें।
करें पथी भाव सागर पार,
देखकर बढ़े थके जो आज।
तोड़कर बंधन सारे व्यूह,
खोलकर नयी पीढ़ी के द्वार।।
अरे संगीता तेरा जो मोल,
चुका नहीं सकता परिवार।
सीखकर नयी पीढ़ी की पौध,
तुम्हें न भूलेगा संसार।।
निकीता और अलेक्सान्दर अरुण,
दे परिवारों को अपना नाम।
इसी से भारत बसे नार्वे में,
पूर्वजों को सब करें प्रणाम।।
पथ कठिन हो, मार्ग पर चलते रहो,
मत झुको, अन्याय से लड़ते रहो।
संसार में जीना जहाँ संघर्ष है,
विजय पथ पर सदा बढ़ते रहो।।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल, ओस्लो Suresh Chandra Shukla, Oslo, Norway
सांस्कृतिक संध्या में राजदूत पधारे-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla
गरीचा ने महकाया फूरुसेत (ओस्लो) को -शरद आलोक
२ मार्च २०१३, फूरुसेत (ओस्लो) सांस्कृतिक संध्या में राजदूत पधारे ओस्लो में पाकिस्तानी राजदूत।
नयी सांस्कृतिक संस्था गरीचा की सांस्कृतिक संध्या का सञ्चालन किया था संस्था के मंत्री मोहम्मद इदरीस और मंच की साजसज्जा की थी मीना अखतर ने, इस कार्यक्रम में ओस्लो में रहने वाले हिंदी, उर्दू और पंजाबी कवियों ने अपनी कवितायें पढीं और कुछ लोगों ने संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसे बहुत सराहा गया। अंत में राजदूत महोदय को संस्था की और से एक उपहार भेंट किया गया।
२ मार्च २०१३, फूरुसेत (ओस्लो) सांस्कृतिक संध्या में राजदूत पधारे ओस्लो में पाकिस्तानी राजदूत।
नयी सांस्कृतिक संस्था गरीचा की सांस्कृतिक संध्या का सञ्चालन किया था संस्था के मंत्री मोहम्मद इदरीस और मंच की साजसज्जा की थी मीना अखतर ने, इस कार्यक्रम में ओस्लो में रहने वाले हिंदी, उर्दू और पंजाबी कवियों ने अपनी कवितायें पढीं और कुछ लोगों ने संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसे बहुत सराहा गया। अंत में राजदूत महोदय को संस्था की और से एक उपहार भेंट किया गया।
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