सोमवार, 25 मई 2015

Madhya Pradesh aur Uttar pradesh ke liye मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सहयोग और साथ कार्य के लिए आह्वाहन

God dag. Invitasjon til samarbeid  i U P og M P मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में  सहयोग और साथ कार्य के लिए आह्वाहन

Norge og India har veldig bra samband både kulturelt og økonomisk. Til og med Norge og India har samarbeidet sammen for å hjelpe svake, vanlige folk med utdannings institutter osv. jeg ønsker at vi skal starte et felles prosjekt i Uttar pradesh og Madhy Pradesh hvor vannlig folk kan være med å starte kulturelle og sosiale institusjoner samlingssted og videre de vannlige folk kan eie det. Kan du
sende meg e-post hvis du bor i disse delstatene og interessert i det( media-film-samlingssted-chaupal i langsbyde osv.).
नार्वे और भारत के सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं. नार्वे में सभी समान हैं.,समान अवसर हैं और इसके लिए यहाँ के लोगों ने मिलकर कार्य किया है. मेरी इच्छा यही है कि भारत और उसके बड़े प्रदेश  मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मीडियाकर्मियों, शिक्षार्थियों, मीडिया-शिक्षकों और दर्शकों और श्रोताओं के साथ मिलकर सभी के बराबरी सहयोग और आशीर्वाद से  ऐसा कार्य किया जाये ताकि हम सभी गर्व से रह सकें और सभी को उचित मौका मिले और स्थान मिले: रिहर्सल, सी डी और सी डी  आर निर्माण केन्द्र, कम्प्युटर केन्द्र, बड़े-बड़े हालों, सिनेमाओं और गावों में चौपाल बनाये जायें। यदि  सरकार और कोई प्रतिनिधि इसमें सहयोग का इक्छुक है  तो हमारी सूचना सभी को पहुंचाये और इसमें सक्षम और अमीरों का सहयोग तो लेंगे पर  वह आम सदस्य नहीं बन सकेंगे।  अपने सुझाव भेजिये, आभारी रहूँगा।  इस पर आपके सुझाव आने पर  डिबेट के लिए  किसी सेमीनार -सार्वजानिक उत्सव आयोजितकर उसमें एकत्र होकर भाग लेंगे।
  जनता की पहुँच हर जगह है पर सामूहिक प्रयास की अभी भी कमी है क्योकि देश बड़ा है जनसंख्या अधिक है.  
एक रूपये देने वाला दाता ख़रब रूपये वाले मालिक के बराबर अपनी बात रख सकता है. अभी तो आम बुद्धिजीवी और कामगार तथा पत्रकार तक को कई संस्थानों में जाने की इजाजत नहीं मिलती भले ही वह जनता और सरकार के पैसों से बनाये गए हों. हमारा उद्देश्य किसी से कम्पटीशन नहीं करना है आपसी सहयोग से सभी को लेकर चलना है.   
अपने सुझाव भेजिये, आभारी रहूँगा। 
Suresh Chandra Shukla
ईमेल:speil.nett@gmail.com

शनिवार, 9 मई 2015

'अंतर्मन के रास्ते' का पहला शो 17 मई को लखनऊ में.

मेरे नाटक 'अंतर्मन के रास्ते' का पहला शो 17 मई को - Suresh Chandra Shukla

 Min tetater-stykkets første opptreden er på 17. mai i Lucknow i India. 

मेरे नाटक 'अंतर्मन के रास्ते' का पहला शो 17 मई को शाम साढ़े पांच बजे उमानाथ रायबली हाल, कैसरबाग, लखनऊ, भारत में होगा।  अंतर्मन के रास्ते एक सामयिक नाटक है  जिसमें नार्वे में रहने वाली एक भारतीय युवती और उसके दाम्पत्य जीवन की रोचक कहानी हैं.
अंतर्मन के रास्ते का निर्देशन कर रहे हैं जाने माने फिल्मचार्य और निर्देशक आनंद शर्मा जिन्होंने पूना फिल्म  इंस्टीट्यूट से निर्देशन की शिक्षा प्राप्त की है और उनके निर्देशन में  प्रदर्शित नाटकों ने दर्शकों और मीडिया की बहुत प्रशसा पायी है. 
नाटक और लघुफिल्म के क्षेत्र में आनंद शर्मा जी ने बहुत प्रशसा और यश पाया है उनके अनेक शिष्य बॉलीवुड में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं. 
गत 35 सालों से विदेशों में रहने वाले नाटक के लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल कहते हैं कि लखनऊ की सामजिक संस्थाओं, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने जितने सम्मान और सम्मानपत्र दिए हैं यदि उतनी संख्या में लोग नाटक देखने आ जाएँ तो पूरा हाल केवल सम्मानदाताओं से ही भर जाएगा।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा रचित लघुफिल्म इंटरव्यू जिसे आनंद शर्मा जी ने निर्देशित किया है अकेले यू-ट्यूब पर आठ लाख से अधिक लोगों ने देखा है. 
यदि आप लखनऊ में या आसपास रहते हैं तो यह नाटक देखने आएं और चाहें तो लेखक को उसकी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं. 

 अंततः:  आप यदि फेसबुक या इंटरनेट से जुड़े हैं तो कृपया इस सूचना को अपने फेसबुक और ई-मेल के जरिये अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने/ भेजने की कृपा करें ताकि हिन्दी के नए विषयों के नाटकों  का लाभ अधिक से अधिक लोग ले सकें।  इस पहले शो में कोई टिकट नहीं है. समय से आकर अपनी सीट स्वयं सुरक्षित करें।  

अंतर्मन के रास्ते  (नाटक ) 

समय: 17 मई 2015 को शाम  साढ़े पांच बजे (17:30)   

स्थान: उमानाथ रायबली हाल, कैसरबाग, लखनऊ, उत्तरप्रदेश, भारत।     
नाटक के लेखक  : सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 

निर्देशक: फिल्माचार्य आनन्द शर्मा  

17 मई 2015 को पहला शो साढ़े पांच बजे (17:30)  प्रवेश निशुल्क !  

शुक्रवार, 8 मई 2015

पूरे यूरोप में 8 8 मई को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है- Suresh Chandra Shukla

70 साल पहले यूरोप में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ था Gratulerer 
med frigjøringsdagen 8. mai.


Gratulerer med 8. mai frigjøringsdag. dagen. For 70 år siden ble slutt med andre verdenskrig i Europa.  Andre verdens krig 
. आज 8 मई को  नार्वे में मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है जब जर्मनी के नाजी साम्राज्य का अंत हुआ था. अनेक देशों में यह मनाया जा रहा है.  लिए शुभकामनायेँ।    पूरे यूरोप  में  8 मई को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

मनोज श्रीवास्तव आज डेनमार्क में 


Writer Manoj Shrivastav in Denmark 

लेखक दंपत्ति श्रीमतीे मुक्ति और मनोज श्रीवास्तव जी आज डेनमार्क में हैं. आज डेनमार्क भी यह दिन ८ मई मुक्तिदिसवस  के रूप में मन रहा है।  यही माना जाए कि मनोज जी इसमें शरीक होने आये हैं.  वह कल कोपेनहेगन से चले जाएंगे।  

रविवार, 3 मई 2015

मनोज श्रीवास्तव ओस्लो में सम्मानित -Suresh Chandra Shukla

मनोज श्रीवास्तव ओस्लो में सम्मानित
Manoj Shrivastav, en kjent forfatter i Bhopal i Inida ble æret av Speil og Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum på søndag den 3. mai i Oslo.  



३ मई को ओस्लो में स्पाइल-दर्पण के कार्यालय ओस्लो में  तुलसी दास की रामायण के सुन्दरकाण्ड पर अनेकों पुस्तकें लिखने वाले जाने माने लेखक भोपाल के मनोज श्रीवास्तव जी का सपत्नीक शाल और पदक से सम्मानित किया गया. गत २६ वर्षों से प्रकाशित पत्रिका का संपादन करने वाले सुरेशचन्द्र शुक्ल ने श्रीमती और श्री मनोज श्रीवास्तव जी को बधाई दी और  कहा कि मनोज जी का साहित्य और सांस्कृतिक के क्षेत्र में महवपूर्ण योगदान है.  मनोज जी एक अच्छे कवि भी हैं और अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिख चुके हैं. चित्र में बायें से हिन्दी स्कूल नार्वे की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल, माया भारती, श्रीमती और श्री मनोज श्रीवास्तव एवं अरुणा शुक्ल   



बाएं से अनुराग विद्यार्थी, मनोज श्रीवास्तव और अनुराग शुक्ल  


नेपाल में आये भूकम्प पर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि
३ मई, ओस्लो के रोदहूसप्लस में नेपाली लोगों ने नेपाल में आये भूकम्प पर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए द्वीप प्रज्जवलित किये।


शनिवार, 2 मई 2015

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस सभी के लिए है - Suresh Chandra Shukla

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पहली मई (२०१५)  
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 


















ओस्लो में नेपाली युवा रेडक्रास के माध्यम से भूकम्प पीड़ितों के लिए धन संग्रह करते हुए 
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस विश्वकर्मा दिवस की तरह सभी के लिए है 
कल अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया. मैंने बहुत  से लोगों को इस अवसर पर बधाई दी और प्राप्त की.
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस विश्वकर्मा दिवस की तरह सभी के लिए है. 
लाल रंगों के झंडे श्रमिक का रंग है. यह लाल रंग उत्तरीय /स्कैंडिनेवियाई देशों ('नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, फिनलैंड और आइसलैंड')  में क्रिसमस का भी रंग है परंपरा के कारण  न कि धर्म के कारण।  लाल रंग युवा महिलाओं का भी रंग है उत्सवों पर पहन जाने के लिए. भारत में शादी विवाह में भी लाल साड़ी और पूजा के समय तिलक किया जाने वाला रंग भी हल्दी और चूना  के मिश्रण से  भी रंग लाल होता है. गेरुए रंग को भी लाल रंग के रूप में प्रयोग करने का प्रावधान गेरू आदि है. 
गाँवों में और आदिवासियों के घर की  दीवारें भी गेरुए रंग से बने चित्रकारी से भरपूर होती हैं. इसीलिये कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा लाल रंग सभी का रंग है. इसलिए यहाँ श्रमिक दिवस पर श्रमिक संगठनों के झंडे केवल लाल रंग के होते हैं. 
बाएं से सुरेशचन्द्र शुक्ल, ग्रीस देश की सांसद और नार्वे की लेबर पार्टी के नेता  ओस्लो में पहली मई दिवस पर 
 सभी श्रमिक है, वी आई पी कल्चर ने हमें बाँट दिया है    
हर कोई जो काम करके धन कमाता है वह श्रमिक है चाहे कार्यालय में काम करे, जज और वकील का काम करे, नर्स, आया और चिकित्सक का कार्य करे, अध्यापक और चपरासी का कार्य करें  वे सभी श्रमिक हैं.   
भारत में श्रमिक दिवस को बहुत से लोग केवल चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और दलितों का ही दिवस मानते हैं, यह जानकार बहुत दुःख हुआ. श्रमिक दिवस सभी का होता है. बहुत खास दिन होता है. यदि सही रूप में श्रमिक दिवस भारत में मनाया जाता और सभी की प्रतिभागिता होती तो इससे जागरण, देश की आधारभूत समस्याओं को सही और सुनियोजित ढंग से सामने लाया जा सकता था.  बामपंथी दलों और श्रमिक संगठनों द्वारा यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस भारत में और आर्थिक रूप से  विकासशील और अविकसित देशों में मनाया जाता है, जिसके लिए ये आदरणीय और आदर के पात्र हैं. पर जो बामपंथी विचारधारा से केवल जोड़कर देखना भी ठीक नहीं। इसमें सभी की भागीदारी और समान आदर और समानता का प्रश्न बहुत जरूरी है. इस दिन जो मांगे उठाई जाती हैं और जिन मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है वह सबके लिए होती है देश और समाज को दिशा निर्देश मिलता है और उसपर सभी का ध्यान जाता है. अतः जनता और सरकार के मध्य समसामयिक, प्रायोगिक जानकारियों के आधार पर समस्याओं का निधन किया जाता है. श्रमिक संगठनों के मजबूत होने से देश मजबूत होता है. सभी क्षेत्रों में कामगारों और  परिवारों की स्थिति और उनके आर्थिक और सामजिक तरक्की के लिए यह दिन महत्वपूर्ण होता है जिसमें बैनरों और श्रमिक जन-प्रतिनिधियों के भाषणों तथा संदेशों के द्वारा राजनैतिक समझ और समाधान के लिए गाइडलाइन देता है.
इस दिन नार्वे में विशेषकर जहाँ ओस्लो में रहता हूँ वहां नेता, जनता और मालिक साथ बैठकर नाश्ता करते हैं. श्रमिक गीत गाते हैं. बैंड बाजे बजाते हैं. साथ-साथ मार्च करते हैं और जो मार्च में सम्मिलित नहीं होते वह बाहर कार्यक्रमों को देखने जुलुस को देखने भरी मात्र में एकत्र होते हैं. चूँकि इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है तो अस्पताल, रेल जहाज, आवश्यक कामों के अलावा अवकाश रहता है और जो इस दिन काम करता है उसे पहली मई का दोगुना वेतन मिलता है. बच्चे और युवा के लिए दिन भी खास होता है अपने माता-पिता के साथ सम्मिलित होने का जो इस पहली मई कसे सीख लेकर अपने देश में और बेहतर समाज और श्रम आंदोलन को शांतिपूर्ण और उत्सव के तरीके से मजबूत करते हैं.


स्थानीय अस्पताल को पुनः खोलने की मांग करते श्रमिक-मार्च  के बैनर 

मोदी जी की राह आसान हो जाती 
यदि भारत में श्रमिक दिवस के दिन नार्वे या पश्चिम यूरोपीय देशों की तरह श्रमिक दिवस सार्वजनिक रूप से बिना वी आई पी कल्चर के मनाया जाता तो श्रमिकों की रोजमर्रा की जरूरतों और समस्याओं और मांगों का पता चलता बिना किसी एक राजनैतिक दल या विचारधारा का प्रभुत्व न होकर सभी की सहभागिता और उनमें सभी की सहमति होती तो सही सन्देश जाता और प्रधानमंत्री मोदी जी को इसे पूरा करने के लिए सभी का सहयोग लेने का दबाव बनाया जा सकता था और समस्याओं के हल के लिए सहमति बनाने में आसानी होती।  

शुक्रवार, 1 मई 2015

पहली मई पर हार्दिक शुभकामनायें। -Suresh Chandra Shukla (1st may 2015)

Gratulerer med 1. mai. पहली मई पर हार्दिक शुभकामनायें। 
आज प्रातः पहली मई श्री अनिल जोशी जी से बात हुई. वह फ़िजी देश में भारतीय राजदूतावास में सांस्कृतिक सचिव बन कर जा रहे हैं. उन्हें हार्दिक शुभकामनायें। पहले जब वह लन्दन में स्थित भारतीय हाई कमीशन में थे  तब मैं उनके निवास पर और भारतीय हाई कमीशन लन्दन गया था.
उनका कल ई-पात्र मिला था कि आज भारत के सांस्कृतिक और ह्रदय प्रदेश -मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव जी नार्वे की यात्रा पर आ रहे हैं उन्हें भी हार्दिक बधाई। 
आज पहली मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस है जिसे नार्वे में सभी कामगार संस्थायें चाहे वे नर्स, अध्यापक, इंजीनियर हों, डाक्टर हों, या कर्मचारी हों उनके संगठन धूमधाम से हिस्सा लेती हैं जिसे सोलिडरिटी के रूप में और नयी चुनौतियों से लड़ने के लिए नये समसामयिक नारों और सन्देश लिए बैनरों के साथ हर शहर में खास जगह आम सभा के बाद जुलुस निकलते हैं. 
यह श्रमिक दिवस पर कार्यक्रम प्रातःकाल साथ-साथ नाश्ते करने और श्रमिकों के लिए त्याग करने वाले दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए भी सभ की जाती है बैंड बाजों के साथ. बाद में कुछ तस्वीरें साझा करेंगे। 
संयुक्त राष्ट्र संघ के पहले महामंत्री नार्वे के थ्रिग्वे ली की कब्र पर प्रातःकाल श्रद्धांजलि सभा का चित्र।
Bilde fra Trygve Lies gravplassen