उस कविता में जीवन होता है
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अपराधी भी अलबत्ता तिलचट्टा होता है.
हट्टा खट्टा, मुसटंडा जो गुंडा होता है
जो ठोकर दे जाए उसको एक सबक जो भी
वह मेरी कविता का असली मतलब होता है.
पापी के भीतर भी पैदा कर दे जो पुण्यांकन,
घास -फूस में किसान जब उत्पन्न करे फसलें
आलसी, हाथ पर हाथ धरे, खड़ी नौजवान नस्लें।
उन्हें जगाये उस कविता में जीवन होता है.
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