मेरी पहली किताब
'वेदना' के प्रकाशन के चालीस वर्षचालीस वर्ष पहले मेरा पहला काव्य संग्रह १९७५ में छपने के लिए तैयार हुआ और कमल प्रिंटर्स मॉडल हाउस लखनऊ से छपा!
श्री अशोक घोष जी प्रेस के समीप ही रहते थे. उस समय इंटरमीडिएट डी ए वी इंटर कालेज से किया था. रेलवे में श्रमिक पद पर कार्य करते हुए यह संग्रह पुर्चिओं कागज़ के टुकड़ों पर और सिगरेट के कवर में लिखकर सवांरा और तब संग्रह तैयार हुआ. सवारी माल डिब्बे में काम करते हुए विचार आते थे तो जो भी कागज़ मिल जाता उसपर लिख लिया करता था और खाना खाने की छुट्टी में एक घंटा रेलवे के पुस्तकालय में साहित्यिक पत्रिकायें पढता था.
बारहवीं कक्षा में मेरे अध्यापकों श्री त्रिवेदी जी, श्री रमेश अवस्थी जी और श्री दिनेश मिश्रा जी मुझे स्नेह देते थे. पुस्तक छापने के बाद श्री उमादत्त द्वेदी जी मुझे अपने घर ले गए और वह उस समय एक पत्रिका प्रकाशित करते थे. उनकी पत्नी भी एक अच्छी सांस्कृतिक अध्यापिका थीं और बाद में प्रधानाचार्य बनीं हनुमान प्रसाद रस्तोगी गर्ल्स इंटर कालेज में. वहां हनुमान प्रसाद रस्तोगी गर्ल्स इंटर कालेज में मेरे व्याख्यान अधपकों और छात्राओं के लिए हुए जिन्हे भुला पाना मेरे लिए संभव नहीं है. और इसी विद्यालय में कुछ वर्ष पूर्व एक कविसम्मेलन में मुझे मुख्य अतिथि बनाया गया था जहाँ कवियित्री श्रीमती सुमन दुबे और डॉ अलखनंदा रस्तोगी अध्यापक हैं. इस कवि सम्मेलन में पद्मश्री सुनील जोगी मौजूद थे और सर्वेश अस्थाना जी सञ्चालन कर रहे थे.
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