शनिवार, 1 अप्रैल 2017

आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -'Yogi ji comes and people change' A poem in hindi by Suresh Chandra Shukla

आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' 


















(हाथ में सफ़ेद कलम लिए कवि  शरद आलोक)
आज योगी आये तो भोगी बदलने लगे,
शासन-पार्टियों में पाला बदलने लगे।
कल तलक गालियां दे रहे थे जो,
उनकी तारीफों के कसीदे पढ़ने लगे।
विपक्ष न जाने क्यों न मुखर- मौन है,
विपक्ष कमजोर तो प्रजातंत्र गौंड़ है। 
पारदर्शिता की बात करते थे जो,
संसद चन्दा छिपाने में परेशान हैं।
आधार कार्ड के बिना चन्दा न हो,
राजनीति अब अधिक धंधा न हो।
इसपर मोदी जी क्या कुछ कर पायेंगे?,
भ्रष्टाचार कुम्भकरण को, वे जगा पाएंगे ?

बूचड़खाने हटे तो  कुछ सफाई हुई,
किसी को घाटा किसी को कमाई हुई।
स्वास्थ के लिए शोर है पर उपाय नहीं,
न कूड़े पर अंकुश, न जागरूकता कहीं!
नोटबंदी चुनाव में एक कटु सत्य है,
अमीरों घर पहुँचता रहा नोट-बैंक है.
(बहुत से बैंक के अधिकारी पकड़े गए थे)

भारत के कैपलिस्टों से मेरी लड़ाई नहीं,
राजनीति दूषित कर, देश की भलाई नहीं,
तुम मलाई खा रहे हो तो खाते रहो,
देश जनता को अपाहिज बनाओ नहीं।
पाप-पुण्य, कथनी-करनी जनता देखती,
जिसको हराती कभी उसे जिताती कभी।
धर्म की आड़ में, तुम बहकना नहीं,
चाहे जो धर्म हो कभी लड़ना नहीं।
हमारे लड़ने से उनकी चमकती फिजा,
वोट लेकर जनता को भूल जाते सदा।
मीडिया हाउस अब जनता भी शुरू करे,
सहकारिता से ढांचा अब खड़ा भी करे।
अपने अधिकारों पे  जनता को रोना पड़े,
अशिक्षा मिल दूर करें, लिखना-पढ़ना बढ़े।
श्रमदान और श्रमिक संगठन हो हर जगह,
अपने बच्चों को शिक्षा और नौकरी दे सके।
जनता संगठित होगी यदि हर मोड़ पर,
जागरूकता और शिक्षा बढ़ेगी घर-घर।
speil.nett@gmail.com
suresh@shukla.no

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