१ मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
यह मजदूर दिवस है भैया, मालिक ऐ सरकार सुनो।
अधिकार नहीं दोगे भैया, तब तुमको धिक्कार सुनो।।
जेठ दुपहरी सड़क तप रही,
चला रहे गाड़ी और ठेला।
तूफानों से लड़ते-लड़ते,
मजदूरों ने देश धकेला।
सबकी गाड़ी चलती जाये,
राशन-पानी सब पहुँचाये।
दुनिया के सारी औलादें
भूखे पेट स्कूल न जायें।।
ऐसा इंतजाम करो भैया,
हम सबको पानी छाँव मिले।
हमरा पानी हमको बेंचे,
सब ऐसे कारोबार रुकें।।
आज मजदूर दिवस है भैया, हमरी यह आवाज सुनो।
सबको मिले साफ़ हवा पानी, बोतल में पानी बंद करो..
साइकिल और विद्दुत वाहन हों,
धुंआ प्रदूषण बंद करो.
पटरी पर सारे कब्जे हटाकर,
पैदल यात्रा को सुखद करो..
तालाब-पोखर पुनः हों जीवित,
पार्कों को कब्जा मुक्त करो.
बताओ, बच्चे-युवा कहाँ खेलें?
सभ्यता का आचरण करों।।
राह करें पथिक की सकरी,
धर्म के कैसे मंदिर-मस्जिद हैं?
जनसंख्या पर रोक लगाओ,
सड़कों को कब्जा मुक्त करो.
वह राज्य अब नहीं चाहिये, जिसमें बस साहुकार पले.
सारे हाथों को काम मिले, भोजन-शिक्षा सत्कार मिले।।
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