नार्वे में मंडेला और नीरज जी याद किये गये
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे से
ओस्लो, नार्वे में नेलसन मंडेला की जन्मशती पर और गोपालदास नीरज जी की मृत्यु पर याद किये गये और श्रद्धांजलि दी गयी. . दायकमान्स्के पुस्तकालय तोइयेन और वाइतवेत सेन्टर में लेखकों ने नीरज और मंडेला को याद किया और उनके संस्मरण साझा किये।
नेलसन मंडेला विश्व शान्ति दूत थे और 27 वर्षों तक जेल में रहकर दक्षिण अफ्रीका में पृथकवासन (अपार्डहाइड) के खिलाफ संघर्ष करते रहे. वह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के नेता थे. उन्हें 1993 में नोबेल पुराकसकार से सम्मानित किया गया था. यदि मंडेला जीवित होते तो 19 जुलाई 2018 को वह सौ वर्ष के होते।
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने दोनों महान आत्माओं पर अपने संस्मरण सुनाये जिनसे वह स्वयं मिल चुके हैं. उन्होंने कहा कि नीरज की गीतों की पुस्तकों को नार्वे के पुस्तकालय में होना चाहिए।
इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, माया भारती, सत्यरूपा, राज कुमार, फैसल नवाज चौधरी ने अपने विचार रखे. इस अवसर पर भारत से आये डा पी द्विवेदी जी ने नीरज को सर्वश्रेष्ठ गीतकार बताया और फ़िल्मी गीतों का जिक्र किया।
वह मानवतावादी रचनाकार थे.
जाने-माने गीतकार गोपालदास नीरज भले ही आज इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं, लेकिन उनकी कविताएं और गीत उन्हें जिंदगीभर अमर रखेंगी। गोपालदास नीरज ने हिन्दी फिल्मों में कई गाने लिखे, बहुत लोकप्रिय हुए। नीरज के द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोगों की जुबान पर मिल जाएंगे। उनका नयी उमर की नयी फसल का शुरुआती गीत 'कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे' बहुत लोकप्रिय हुआ. फिर तो अनेक गीत लोकप्रिय हुए. उन्होंने मंचों पर हिंदी कविता को बहुत ऊँचाई दी. 'लिखे जो खत तुझे.', 'आज मदहोश हुआ जाए रे', 'ए भाई जरा देखके चलो.', 'दिल आज शायर है.', 'शोखियों में घोला जाए, फूलों का शबाब.' जैसे तमाम गाने लिखे, जो आज भी लोकप्रिय हैं
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