बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

इंदिरा गाँधी की पुण्य तिथि वर्सेस बनाम सरदार पटेल जयन्ती छुपा कोई एजेंडा है? -sharad aalok

क्या लौह भारतीय नेताओं प्रियदर्शनी इंदिरा गाँधी की पुण्य तिथि वर्सेस सरदार पटेल जयन्ती के पीछे छुपा कोई एजेंडा है? 
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
 चित्र में लेखक लौह मिहिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी जी के साथ ओस्लो, नार्वे में 1983 में 
मुझे लगता है वर्तमान में पूर्व गृह मंत्री सरदार पटेल जी की जयन्ती को बढ़ाचढ़ा कर मनाने का कारण उनकी महानता को दिखाना कम और भारतीय महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि को दबाना है.
यदि सरदार पटेल जी की प्रतिमा बनानी थी तो भारत में क्यों नहीं बनायी गयी. भारतीय कलाकारों/ मूर्तिकारों को क्यों नहीं सम्मिलित किया गया भारतीय धातु के चयन और बनाने में. एक तरफ भारतीयों को बहुत जगह से दूर रखा जा रहा है, चाहे उनका क्यों न बहुत बड़ा योगदान हो. 
यदि आप इतिहास और पुराने अखबार देखिये तो पता चलेगा कि इंदिरा जी को लोकप्रिय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने देवी दुर्गा कहकर सम्बोधित किया था. आज सरकारी तौर पर उनकी पुण्य तिथि को नकारा  जा रहा है ऐसा लगता है? 

आज की वर्तमान सरकार इंदिरा जी की पुण्यतिथि पर क्या कर रही है? यह किसी राजनैतिक पार्टी का सवाल नहीं वरन आदर्श, साफ़ सुथरी राजनीनीति का सवाल है.

एक बात और भारत दो महीने के अंदर फ्रीडम आफ प्रेस में 136  स्थान से गिरकर 138 स्थान पर आ गया है.



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