विश्व हिंदी सम्मेलन में स्पाइल-दर्पण का लोकार्पण
मारीशस में संपन्न हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में ओस्लो, नार्वे से गत 30 वर्षों से प्रकाशित पत्रिका स्पाइल-दर्पण का लोकार्पण सम्पन्न हुआ.
पत्रिका के सम्पादक सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने लेखकों और पाठकों और लोकार्पण में धन्यवाद और बधाई देने वालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि स्पाइल-दर्पण विदेशों में लिखे जा रहे हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण पत्रिका है जिसमें विदेशों में रह रहे बहुत से साहित्यकारों की प्रथम रचना प्रकाशित की है. जबकि इतिहासकारों और आलोचकों और शोधकर्ताओं की दृष्टि स्पाइल-दर्पण पर कम पड़ी है.
सांस्कृतिक पत्रिका स्पाइल-दर्पण एक गैर राजनैतिक और गैर धार्मिक पत्रिका है जिस पर लखनऊ विश्वविद्यालय में गरिमा तिवारी नामक छात्रा ने प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में शोध संपन्न किया था.
इस अवसर पर अनेक उपस्थित लोगों ने शुभकामनायें दी और आशा प्रगट की कि विदेशों से छपनी वाले अग्रणी पत्रिकाओं में स्पाइल-दर्पण का स्थान पहले से ही है और भविष्य में अधिक प्रतिष्ठित होगा तथा हमेशा की तरह पत्रिका आने वाले समय में भी विदेशों में लिखे जा रहे हिंदी और नार्वेजीय साहित्य को प्रोत्साहित करती रहेगी।
शुभकामनाएं देने वालों में प्रमुख थे मारीशस भारत में राजदूत जगदीश गोबर्धन, उपसाला विश्व विद्यालय, स्वीडेन के प्रोफ़ेसर वेसलेर, मारीशस के प्रसिद्द साहित्यकार प्रह्लाद राम शरण, विश्व हिंदी सचिवालय (मारीशस) के सचिव विनोद कुमार मिश्र, महात्मा गाँधी संस्थान मोका, मारीशस की अलका धनपत, चीन में प्रोफ़ेसर नवीन लोहानी, फिनलैंड में प्रोफ़ेसर रहे और फ़िनलैंड पृष्ठभूमि पर उपन्यास लिखने वाले गोपीनाथन, डेनमार्क की उपन्यासकार अर्चना पैन्यूली और अन्य।
भारतीय लेखकों जिनकी शुभकामनायें स्पाइल के लोकार्पण में प्राप्त हुई उनमें उस्मानिया विश्व विद्यालय हैदराबाद से डॉ शीला मिश्रा, उज्जैन से प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रोफ सुशील कुमार शर्मा, सरदार मुजावर, इलाहाबाद से प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, गुजरात से डॉ कल्पना गवली, ग्वालियर से श्रीधर पराड़कर जी, जबलपुर से त्रिभुवन नाथ शुक्ल, लखनऊ से डॉ रमेशचन्द्र त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर श्रुति, प्रोफ राधा और डॉ कृष्णा जी श्रीवास्तव थे.
इनके अतिरिक्त श्रीनगर से प्रोफ़ेसर जोहरा अफजल, पुणे से डॉ वर्षा डिसूजा, मुंबई विद्यापीठ से प्रोफ़ेसर सरवदे, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, दिल्ली से पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि जी, गिरीश पंकज, आशीष खांडवे, डॉ विद्याविन्दु सिंह, प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रोफ़ेसर के डी सिंह, डॉ प्रणव शास्त्री, डॉ मनोरमा अवस्थी और अन्य थे.
पत्रिकाओं की कुछ प्रतियां डॉ जवाहर कर्णावट जी को भी भेंट की गयी जिन्होंने सम्मेलन में विदेशों में प्रकशित पत्रिकाओं की प्रदर्शनी लगायी थी.
मारीशस में संपन्न हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में ओस्लो, नार्वे से गत 30 वर्षों से प्रकाशित पत्रिका स्पाइल-दर्पण का लोकार्पण सम्पन्न हुआ.
पत्रिका के सम्पादक सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने लेखकों और पाठकों और लोकार्पण में धन्यवाद और बधाई देने वालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि स्पाइल-दर्पण विदेशों में लिखे जा रहे हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण पत्रिका है जिसमें विदेशों में रह रहे बहुत से साहित्यकारों की प्रथम रचना प्रकाशित की है. जबकि इतिहासकारों और आलोचकों और शोधकर्ताओं की दृष्टि स्पाइल-दर्पण पर कम पड़ी है.
सांस्कृतिक पत्रिका स्पाइल-दर्पण एक गैर राजनैतिक और गैर धार्मिक पत्रिका है जिस पर लखनऊ विश्वविद्यालय में गरिमा तिवारी नामक छात्रा ने प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में शोध संपन्न किया था.
इस अवसर पर अनेक उपस्थित लोगों ने शुभकामनायें दी और आशा प्रगट की कि विदेशों से छपनी वाले अग्रणी पत्रिकाओं में स्पाइल-दर्पण का स्थान पहले से ही है और भविष्य में अधिक प्रतिष्ठित होगा तथा हमेशा की तरह पत्रिका आने वाले समय में भी विदेशों में लिखे जा रहे हिंदी और नार्वेजीय साहित्य को प्रोत्साहित करती रहेगी।
शुभकामनाएं देने वालों में प्रमुख थे मारीशस भारत में राजदूत जगदीश गोबर्धन, उपसाला विश्व विद्यालय, स्वीडेन के प्रोफ़ेसर वेसलेर, मारीशस के प्रसिद्द साहित्यकार प्रह्लाद राम शरण, विश्व हिंदी सचिवालय (मारीशस) के सचिव विनोद कुमार मिश्र, महात्मा गाँधी संस्थान मोका, मारीशस की अलका धनपत, चीन में प्रोफ़ेसर नवीन लोहानी, फिनलैंड में प्रोफ़ेसर रहे और फ़िनलैंड पृष्ठभूमि पर उपन्यास लिखने वाले गोपीनाथन, डेनमार्क की उपन्यासकार अर्चना पैन्यूली और अन्य।
भारतीय लेखकों जिनकी शुभकामनायें स्पाइल के लोकार्पण में प्राप्त हुई उनमें उस्मानिया विश्व विद्यालय हैदराबाद से डॉ शीला मिश्रा, उज्जैन से प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रोफ सुशील कुमार शर्मा, सरदार मुजावर, इलाहाबाद से प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, गुजरात से डॉ कल्पना गवली, ग्वालियर से श्रीधर पराड़कर जी, जबलपुर से त्रिभुवन नाथ शुक्ल, लखनऊ से डॉ रमेशचन्द्र त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर श्रुति, प्रोफ राधा और डॉ कृष्णा जी श्रीवास्तव थे.
इनके अतिरिक्त श्रीनगर से प्रोफ़ेसर जोहरा अफजल, पुणे से डॉ वर्षा डिसूजा, मुंबई विद्यापीठ से प्रोफ़ेसर सरवदे, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, दिल्ली से पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि जी, गिरीश पंकज, आशीष खांडवे, डॉ विद्याविन्दु सिंह, प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रोफ़ेसर के डी सिंह, डॉ प्रणव शास्त्री, डॉ मनोरमा अवस्थी और अन्य थे.
पत्रिकाओं की कुछ प्रतियां डॉ जवाहर कर्णावट जी को भी भेंट की गयी जिन्होंने सम्मेलन में विदेशों में प्रकशित पत्रिकाओं की प्रदर्शनी लगायी थी.
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