मंगलवार, 30 जुलाई 2019

भारत की पहली महिला विधायक मुथुलक्ष्मी रेड्डी का 133वां जन्मदिन

महिला विधायक मुथुलक्ष्मी रेड्डी का 133वां जन्मदिन
 (फोटो और टेक्स्ट गूगल से साभार)


भारत की पहली महिला विधायक मुथुलक्ष्मी रेड्डी का 133वां जन्मदिन, गूगल ने सम्मान में बनाया डूडल.
आज भारत की पहली महिला विधायक डा. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का 133वां जन्मदिन है। गूगल ने मुथुलक्ष्मी रेड्डी के सम्मान में डूडल बनाया है। मुथुलक्ष्मी एक भारतीय शिक्षक, सर्जन और समाज सुधारक थीं। मुथुलक्ष्मी रेड्डी को भारत की पहली महिला विधायक होने का गौरव प्राप्त है।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी सामाजिक असमानता, लिंग आधारित असमानता और आम जनता को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में अपने प्रयासों के लिए भी जानी जाती हैं। मुथुलक्ष्मी तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में सर्जन के रूप में काम करने वाली पहली महिला भी थीं।
उनका जन्म 1886 में हुआ था। जब उनकी शादी की बात शुरू हुई तो उन्होंने जल्दी शादी को ठुकराते हुए मेडिकल स्कूल में पढ़ाई करना ज्यादा बेहतर समझा। ग्रेजुएशन के बाद मुथुलक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई।
अपने जीवनकाल में मुथुलक्ष्मी ने कम उम्र में लड़कियों की शादी रोकने के लिए नियम बनाए और अनैतिक तस्करी नियंत्रण अधिनियम को पास करने के लिए परिषद से आग्रह किया। अपने महान योगदान के चलते मुथुलक्ष्मी को 1956 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 22 जुलाई 1968 को चेन्नई में उनका निधन हो गया था।

रविवार, 28 जुलाई 2019

जन-जन के राम - -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', 04.07.19


जन-जन के राम
तुम जन-जन के राम मेरे:
तुम राम हो
तुम समाज के दीपक हो,
तुम राजा हो पर, राज मुकुट का गर्व नहीं,
तुम राम हमारे!
तुम राम आम आदमी के हो! हे राम! तेरा मंदिर में काम नहीं।
इसलिए जगत में घूम-घूम करते जन-जन की सेवा तुम
जो सोते को जगा रहे,
कमजोरों में भर रहे उत्साह
ताकि युवा फिर उठा लें कुदाल,
कर दें धमाल,
भारत की मिट्टी लगे उगाने स्वर्ण पुनः।
अच्छा है तुम राम हमारे जन-जन के
तुम हो चिकित्सक सा तटस्थ
अच्छे-बुरे सभी के तुम घाव धो रहे.

रामायण के थे एक राम
पर जन-जन के लाखों राम,
वही जो सच्चे हैं इंसान,
वह तुम चाहे चिकित्सक हो,
हो सड़कों पर मजदूर या खेतों पर किसान।
एक भाव से सेवा करते।
क्या किसान भी भेदभाव से अनाज उगाते,
क्या अमीरों के लिए अलग खेत
और गरीबों के हों अलग खेत?
इनका अनाज उनका अनाज?

क्या वह चिकित्सक हो सकता है, जो भेदभाव करे?
धर्मों में क्या कभी बटा खून?
तुम राम मेरे जिसमें जुनून
ग़रीबों सर्वहारा को दे रहा सुकून
अपनी सेवा से मरते को जिला दिया जिसने
भूखे को अन्नदाता बना दिया जिसने।
छोटे-बड़े का न भेदभाव?
अपनी भाषा अपनी संस्कृति पर उसको गुमान
जो है धरती पर सच्चा इंसान!
न झुके शक्ति वालों से कभी
वी आई पी से सदा रहे दूर।

मुझको शिक्षा और सीख बड़ी, हे राम मेरे!
लगते हैं दूसरों के दुःख और संग्राम मेरे।
धैर्य, दया सेवा, हिम्मत और साथ दिया
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों और बौद्ध मठों से
निकल बनो तुम राम! समाज के.
तुम मिटा सकते हो सड़क से धुंआ,
भ्रष्टाचार का कुआँ, जहाँ पानी भी मोल बिके?
नहीं करो तुम चाकरी उनकी,
जो चार दिनों के पद वाले?

सत्ता के गलियारों की न भीड़ बनो?
तुम समाज की रीढ़ बनो
श्रम से, शिक्षा से और समर्पण,
जन-जन के तुम कल्याण बनो.
तुम राम बनो, तुम राम बनो.
धरती बोझ बनो नहीं बनो अन्यायी बनकर।
भ्रस्ट हाथ में नहीं बिको बंदी बनकर।
स्वछंद बनो, निष्पक्ष बनो
जैसे चिकित्सक और न्यायधीश?
शीश बनो, तुम देश समाज के रखवाले।
दुखियों का संगीत बनो,
अन्यायी के विरुद्ध तुम युद्ध करो।

गरीबों और असहायों के नेतृत्व बनो
आत्मनिर्भरता का सन्देश भरो
दृढ़ता से संकल्प करो!
यह देश समाज और विश्व हमारा
मंदिर-मस्जिद से बढ़कर कर्म सत्य है।
भूखे को भोजन,
अस्पताल में घायल को खून देकर अमरत्व भरो।
तुम कर्म करो तुम वीर बनो
हे बंधू तुम राम बनो जन-जन के
अन्याय विरुद्ध संग्राम करो,
न्याय करो।
तुम जनता के राम बनो।

न ही राजाओं के प्रसाद में
तुम लेते-देते साथ उसी का जो धरती का असली पुत्र
हो राजा - धनियों के कृपापात्र भी
पर नहीं लिया उनका साथ कभी।
तुम्हारे लिए है असहाय जनो की सत्ता सबसे ऊपर।
तुम मित्र बने, वानर के, बनवासी के, केवट के
मेहमान बने जन -जन के
शबरी के जूठे बेर चखे
भेदभाव से परे राम हो।
करुणानिधान हो।
तुम जो मंदिर के बाहर सेवक हो, तुम राम मेरे।
लड़ते सारे संग संग्राम मेरे।
ऐसे बनो तुम राम मेरे।
-सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 26.06.19


स्वामी विवेकानन्द जन्म:12 जनवरी 1863 और मृत्यु: 4 जुलाई 1902 की
पुण्यतिथि पर काव्यांजलि:
हे विवेकानन्द कोटि-कोटि नमन
हे महामानव!
श्रमदान तुम्हारा नारा था,
जनसेवा ही आधार जहाँ
विवेक का सत्कार वहाँ था,
तुम सच्चे हिन्दू!
सच्चे मानव!

उठो, युवा तुम,
मेड़ बनाओ, जल बचाओ।
पेड़ पौधों की खेप लगाओ।
कागज़ नगर में पेड़ लगाने
पहुंची थी एक महिला अधिकारी,
पीट-पीट कर घायल करते
जो हट्टे-कट्टे मुस्टंडे तिलचट्टे!
उनके दाँत न कर पाये खट्टे,
ताकि दोबारा जुर्म न ढायें।

हे सन्त विवेकानन्द महान सुनो!
अब भारत देश बदल रहा है,
फिर से आना विवेकानन्द यहाँ,
पानी की किल्लत,
भूखी गायें चौराहों घूम रहीं,
दूध की किल्लत।
दवा और चिकित्सक बिन बच्चे मर रहे यहाँ?

वे सब समाज पर बोझ बने हैं,
हाथ पर हाथ रखे जो घर बैठे हैं।
विवेकनन्द को याद करो!
जुट जाओ शिक्षा घर-घर पहुँचाने,
देश में साक्षर सभी बनेंगे,
एक -दूजे के लिए जियेंगे।

लें आज शपथ
यही हमारी श्रद्धांजलि हो,
हे महापुरुष विवेकानन्द महान।
दूर करो जलवाय प्रदूषण,
ट्राफिक में अनुशासन हो।
जब तक हर घर आँगन अलमारी में
हरे-हरे पौधे न होंगे
तब तक युवा न चैन से बैठेंगे।

गाँव-गाँव में बस्ती-बस्ती में,
मेढ़-तालाब, पिआऊ बनायें।
कोई न प्यासा-भूखा रह जाये।
पर यह अपने आप न होये,
श्रमदान से ही सब कर पायें।
सभी को साफ़ हवा-पानी पहुंचायें।
जब सभी यहाँ साक्षर होंगे,
जनसँख्या स्वतः कम हो जाये।
जीवन को अनमोल बनायें।

(स्वामी विवेकानंद जी कि आज पुण्यतिथि है उन्हें कोटि-कोटि नमन. जब भारत में सूखा और महामारी फ़ैल रही थी तब उन्होंने गरीबों की आजीवन सेवा की और देश विदेश में मान दिलाया।)
-सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', 04.07.19

रविवार, 14 जुलाई 2019

15 जुलाई 1955 जवाहरलाल नेहरू जी भारत रत्न से सम्मानित किया गया था- Suresh Chandra Shukla


 15 जुलाई 1955 जवाहरलाल नेहरू जी 
  भारत रत्न  से सम्मानित किया गया था
 बंधुवर, 15 जुलाई 1955 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था.
जवाहरलाल नेहरू (नवंबर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने १९४७ में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर १९६४ तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार मानें जाते हैं।
एक कवि की पंक्तियाँ हैं:
"हे चाचा तुम दुखी न होना
यह गुलाब आंधी होगा
भारत का हर बच्चा- बच्चा
नेहरू और गांधी होगा".

July 15 1955 - Pandit Jawaharlal Nehru Is Honoured with the Bharat Ratna
On July 15th 1955, Pandit Jawaharlal Nehru, India’s first Prime Minister, was awarded the Bharat Ratna (India’s highest civilian honour) by then President Rajendra Prasad.

Pandit Nehru is remembered not only as India’s first Prime Minister, but also as India’s most charismatic leader who was greatly admired, not only in India, but across the globe, for his idealism and statesmanship. Nehru is believed to have given Indians an image of themselves which no other leader had succeeded in doing. Nehru invested a lot of his energy into the emancipation of children and the youth, who he believed to be the future of the country. Nehru was fondly known as Chacha Nehru by young children and his birthday (November 14th) is celebrated as Children’s Day across India.

Jawaharlala Nehru played a great role in moulding the policies and ideology of the Congress party and till today remains a popular icon of the party.  Pandit Jawaharlal Nehru was born on November 14th 1889 in Allahabad to Motilal Nehru, an affluent barrister and Swarupini Thussu. Nehru grew up in a privileged home and went on to Trinity College, Cambridge for further education in 1907, from where he graduated with an honours degree. After gaining his degree, Nehru lived in London for a few years where he studied law and was admitted to the English bar in 1912.

By 1912, Nehru returned to India and became an advocate in the Allahabad High Court, where he was working as a barrister, though he was not entirely interested in practicing law. While he was in Britain, Nehru had developed a healthy interest in Indian politics and eventually joined the Congress party to support the Indian Civil Rights movement in South Africa. Nehru assisted in collecting funds for the Civil Rights campaigners led by Mahatma Gandhi. He also took part in movements against the discrimination of Indians in British colonies.

By 1919, Nehru was an intrinsic part of the Indian National Congress which was fighting for freedom from British rule. Nehru drew immense inspiration from Mahatma Gandhi and his policy of non-violence and was imprisoned many times during the 1920s and 1930s by the British on charges of civil disobedience. By 1928, Nehru had been elected the president of the Congress party.

Soon, Nehru was being looked at as a successor of Gandhi and was at the center of the negotiations for Independence with the British. He also opposed the creation of a separate Muslim state of Pakistan by the leader of the All India Muslim League, Muhammad Ali Jinnah, even though the nation was ultimately divided into India and Pakistan.

On August 15th 1947, Nehru became the first Prime Minister of Independent India and served the position until his death in May 1964. Nehru is applauded for introducing India to socialist economic reforms and ushering in an era of industrialization. Nehru served in various positions in the Indian cabinet and handled portfolios such as the Ministry of Defence, Ministry of External Affairs and Ministry of Finance.

During the Cold War, Nehru maintained a “positive neutrality” for India and became a popular agent for the non-aligned Asian and African countries, most of which were former colonies and wanted to avoid being dependent on any major world power.

Indo-Chinese border tension broke out in 1962, which led to India’s defeat, which is also believed to be one of the causes that led to the decline of Nehru’s health. He died shortly after on May 27th 1964.

Jawahalal Nehru has left behind a strong legacy in India and many memorials have been built for him, along with many colleges and universities which have been named after him, including the famous Jawaharlal Nehru University in Delhi. Nehru is also remembered for his preferred style of clothing and has lent his name to garments such as the Nehru jacket and the Nehru cap, still worn by many politicians.

Many documentaries have been made on the life of Nehru and he has been portrayed in many films, such as Richard Attenborough’s Gandhi, Sardar, Shyam Benegal’s TV series, Bharat Ek Khoj and The Last Days of the Raj. Apart from this, Nehru had penned many books, such as The Discovery of India, Glimpses of World History and his autobiography, Toward Freedom.

Also On This Day:

1783: Sir Jamsetjee Jeejeebhoy, great Indian merchant, industrialist and philanthrophist, is born in Bombay

1903: Kumaraswamy Kamraj, great freedom fighter, social reformer, political leader is born in a trading family at Virudhunagar in Tamil Nadu.

1997: Mahesh Chandra Mehta, environmental activist, wins the Ramon Magsaysay Award.

कंगना ने भी कहा है कि बहुत से मीडिया कर्मी नौवीं पास भी नहीं हैं. - शरद आलोक

कंगना ने भी कहा है कि बहुत से मीडिया कर्मी नौवीं पास भी नहीं हैं.
बहुत से मीडिया कर्मी नौवीं पास भी नहीं हैं. -Sharad Alok

मित्रों, मीडिया में कैसे हिन्दी के जानकार लोग आयें इस पर विचार जरूरी है. धन्यवाद। रंगोली के इन्स्टाग्राम से साभार।
भारतीय मीडिया में भाषा के गलत प्रयोग पर कंगना रनौत के विचार सुनिये। भारत में मीडिया और हिन्दी के विकास के लिए प्रतिबद्ध लोगों के लिए एक यह विचार बन रहा है. भारत का विश्व में फ्रीडम आफ प्रेस में 140वां स्थान है छः साल पहले विश्व में 134वां स्थान था. यू पी में हिन्दी विषय में दस लाख परीक्षार्थी दसवीं और बारहवीं में अनुत्त्रीण/फेल हुए हैं.
कंगना ने भी कहा है कि बहुत से मीडिया कर्मी नौवीं पास भी नहीं हैं. मीडिया में कैसे हिन्दी के जानकार लोग आयें इस पर विचार जरूरी है. 
यदि चर्चित लोग भारतीय मीडिया में शिक्षित लोगों को लाने की बात करते हैं और भाषा के प्रयोग पर सवाल उठाते हैं तो हम हिंदी सेवियों का फर्ज है उस पर कार्य करें। हिन्दी की बेहतरी के लिए श्रमदान और मिशन भाव से सेवा जरूरी है. जैसे स्कूलों में अवकाश समय पर हिन्दी के पाठ्यक्रम के हिसाब से यूपी में कर्मशालायें अध्यापकों द्वारा लगाई जायें और हिंदी सेवी उसे मूर्त रूप प्रदान करने में सहयोगी बनें। धन्यवाद।

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

क्रिकेट में हार - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक Dreem by Suresh Chandra Shukla

क्रिकेट में हार 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

'स्वप्न में देखा कि
न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों ने
भारतीय टी वी देखकर
मिलकर
न्यूजीलैंड की पूरी टीम ने
स्तीफा दे दिया?
भारतीय टीम फाइनल में आ गयी?
भारतीय राजनीति ने
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी
उपस्थिति दर्ज कराई?
अपनी नयी पहचान बनायी!

नींद से जागा, अखबार में पढ़ा,
भारतीय टीम हार गयी,
और अखबार टुकड़े-टुकड़े हो गया.'

सोमवार, 8 जुलाई 2019

देश को राष्ट्रवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना है- शबाना आजमी

 देश को राष्ट्रवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना है- शबाना आजमी
गिरीराज सिंह जी बाहत सी जनता साक्षर नहीं है पर बेवकूफ नहीं जो आप समझ रहे हैं.
जिस जुमले 'टुकड़े-टुकड़े गैंग की बात कर रहे हैं उसे कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था कोई प्र्रोफ नहीं निकला। मेरे अनुसार आप सात जन्म में भी शबाना जैसा देशभक्त कलाकार भी नहीं पैदा कर पाएंगे, आप अपने इस बयान के लिए शर्मिंदा हों न हों पर आपकी आगामी पीढ़ी जरूर आपको कोसेगी, ऐसा मेरा अनुमान है.
निष्पक्ष और बेबाकी से देश पर अपनी राय रखने वाली शबाना आजमी फिल्म में पांच-पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त है.  अपनी बेतुकी जबान और झूठ बयान के लिए गिरिराज सिंह जाने जाते हैं.


मंगलवार, 2 जुलाई 2019

कागज़ नगर ( Telangana) के कायरों पर - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे, Suresh Chandra Shukla

 कागज़ नगर ( Telangana) के कायरों पर   - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे

एक पेड़ तुम लगाओ एक पेड़ हम.
नेता कृष्णा को  करो माफ़ और बदल दो सत्ता
जिसके आवेश में आकर
हाथ में कानून लेकर, घूम रहे तिलचट्टे।
हाथ में कुदाल उठाओ, न कि महिला पर लाठी बरसाओ।
तुमने किस माँ का दूध पिया है?
अच्छा दिया है माँ के दूध का जवाब?
कालेश्वरम प्रोजेक्ट के दुश्मन,
आज हर जगह पानी और हवा में जहर है
वृक्षारोपण से जो तुम्हें देने आया ताजी हवा और पानी
क्यों किसके कहने पर पड़ी लाठी चलानी?
मर्द हो श्रमदान करो, पेड़ लगाओ,
पानी के लिए बाँध लगाओ।
हमको गाय चाहिए साँढ़ नहीं।
तुम समाज पर बोझ हो, बलवान नहीं।
कागजनगर का नाम तुमने किया बदनाम!
क्या चुल्लू भर पानी अब भी बाकी है?
मरने से अच्छा करो पश्चाताप,
जीवन भर करो पेड़ लगाने का काम
पानी के लिए बाँध बनाने के लिए श्रमदान।