इन सात सालों में हर गाँव में
कितने नये श्यामपट लगे हैं?
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
लोकतंत्र में अखबार मौन हो रहा है
जो
भारत में न्यायालय व्यवस्था बड़ी जटिल है
अपराध करना और प्रश्रय देना बहुत दुखद है
जब साक्षरता उदासी में लिपटी हुई निराशा
गरीब जनता के पैसे से मंत्री ऐश कर-करा रहे हैं
अपनी तस्वीर के विज्ञापन छपवा रहे हैं
हे भगवान हम, किस ओर जा रहे हैं?
इन सात सालों में हर गाँव में
कितने नये श्यामपट लगे हैं?
देश के पैसे से कितनी होल्डिंग लगा रहे हैं?
जमाखोरी को बढ़ाया कानून बनाकर
आवश्यक खाद्य पदार्थों को सूची से हटाकर
जनता से बिना पूछे
कानून बनाकर जमाखोरी को क्यों बढ़ाया।
देश के ग़रीबों को भूखों के बम बनाकर,
भुखमरी के देश को विश्वगुरु बता रहे हैं?
बेगुनाह दलित मरते, बेटियां दिन दहाड़े लुटतीं,
गैंगरेप का देश बने, गाँधी को भुला रहे हैं?
जातपात छोड़ो, मानवता को लेकर बढ़ो आगे,
सभी को को समान शिक्षा, सभी को छत मुहैया।
उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करके,
आओ देश को बचायें?
राम का नाम लेकर, देश को लुटा रहे हैं?
आस्था को बना मुद्दा, हमको भटका रहे हैं?
गांधी और आंबेडकर हमारे आदर्श,
किसान-श्रमिक मर रहे हैं,
नेता उत्सव मना रहे हैं?
श्रमिक -किसान के देश में,
पूंजीपतियों की पूजा क्यों कर रहे हैं?
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो, 07.10.21
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