आज़ादी के अमृत महोत्सव पर:
हवा के ख़िलाफ़ गाँधी - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
अमृत महोत्सव पर आपको बहुत बधाई,
माँ तुझे रोटी-कपड़ा-शिक्षा न दे पायी।
बेटा! हाथरस, उन्नाव में लुटी आबरू मेरी
गरीब, दलित, आदिवासी माँ की कथायें।
सरकारी ई डी संसद से बड़ी हो गयी,
विपक्ष नेता खडसे को सम्मन दे गयी।
संसद में संविधान तार-तार हो गया।
गाँधी का लोकतन्त्र मजाक बन गया।
जब सत्य समय को डराने लग गया।
तब ई डी हटाने 19 दल साथ आ गये।
55 प्रतिशत का निरादर बड़ी भूल है,
गाँधी बाबा के देश में नफ़रत बढ़ा रहे?
भ्रष्टाचार को अपनाना, मजबूरी हो गयी।
मँहगाई-बेरोज़गारी से सरकार भाग रही।
सत्ता के घमण्ड में ग़रीबों को भूल गये,
देश में राष्ट्रीय खादी के झण्डे कम किये।
5 अगस्त 2022 लोकतन्त्र जगा रहे,
सरकार मलाई खा रही, जनता ठगी-ठगी
जनता के लिए सड़क पर नेतृत्व कर रहे,
जिनकी दादी-पिता ने कुरबानियाँ दी हैं।
कभी राम मंदिर, कभी चुनाव चन्दा ले रहे।
चन्दे का हिसाब-श्रोत क्यों नहीं बता रहे?
अमृत महोत्सव! लाखों निर्दोष क़ैद में हैं,
समाजसेवी, आदिवासी, पत्रकार जेल में?
देश में कोई भूखा न हो, बच्चे स्कूल में,
तब अमृत महोत्सव मनाओ साथ बैठ के।
युवाओं आज न जाग सके कभी न उठोगे,
नौकरी के लिए घर का पैसा ना बहाओ?
मँहगाई बेरोज़गारी से जनता मर रही है।
लोकतंत्र को बचाने कांग्रेस सड़क पर है,
संसद में ग़ायब मुद्दे सड़क पर आ गये हैं।
सरकार भवनों में, जनता सड़क पर है?
केवल सत्याग्रह ही, देश को बचायेगा।
हर क्षेत्र में हो संगठित मिलकर लड़ेंगे ।
हर गाँव, गली, बस्ती फुटपाथ सड़कों पर
साक्षरता शिक्षा देकर साथ खाना खायेंगे।
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
6 अगस्त 2022, ओस्लो