आज की कविता -जनता में भय फैलाने लगी है:
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
(आज की कविता आनन्द लीजिये।
तुलसीदास जी ने कहा, ‘भय बिन होत न प्रीत’)
जनता में भय
जब संसद से ऊपर ई डी हो गयी।
चल रही संसद में
विपक्ष के नेता को सम्मन दे गयी।
इसलिए ई डी की जरूरत नहीं है।
जब ई डी संसद से बड़ी हो गयी।
ई डी हटाने 19 दल साथ आ गये।
भ्रष्टाचार को हटाना मजबूरी हो गयी।
लोकतन्त्र मज़ाक़ बनकर रह गया।
सत्ताधीश के हाथ का खिलौना बन गया।
हर प्रवासी देश का एक गाँव साक्षर करें।
अपने-अपने देशों में राजनैतिक भागीदारी बढ़े।
डरे हुए लोग, विपक्ष को धमका रहे हैं।
विपक्ष के नेता प्रेस से कह रहे है।
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
5 अगस्त, 2022
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