शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

आज की कविता - जनता में भय Suresh Chandra Shukla

 आज की कविता -जनता में भय फैलाने लगी है:

 सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

(आज की कविता आनन्द लीजिये।
तुलसीदास जी ने कहा, ‘भय बिन होत न प्रीत’)

जनता में भय

जब संसद  से ऊपर ई डी हो गयी। 
चल रही संसद में 
विपक्ष के नेता को सम्मन दे गयी।

इसलिए ई डी की जरूरत नहीं है।
जब  ई डी संसद से बड़ी हो गयी।
ई डी हटाने 19 दल साथ आ गये।
भ्रष्टाचार को हटाना मजबूरी हो गयी।

लोकतन्त्र मज़ाक़ बनकर रह गया।
सत्ताधीश के हाथ का खिलौना बन गया।

हर  प्रवासी देश का एक गाँव साक्षर करें।
अपने-अपने देशों में राजनैतिक भागीदारी बढ़े।
डरे हुए लोग, विपक्ष को धमका रहे हैं।
विपक्ष के नेता प्रेस से कह रहे है।
 
  सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
      5 अगस्त, 2022

कोई टिप्पणी नहीं: