पर्यावरण प्रदूषण में क्यों भारत अव्वल है?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
प्रदूषण से तो पूरी दुनिया जूझ रही,
चारबाग लखनऊ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर
विज्ञापन ध्वनि प्रदूषण रेल सूचनाओं को मुँह चिढ़ाते हैं।
जब दो सूचनाओं के एक साथ प्रसारण से
यात्री रेल के आवागमन को ठीक से नहीं सुन पाते हैं।
बस, रेल, निजी वाहनों से यात्रा करते,
प्लास्टिक, कागज, बोतल को खुले आम फेंकते?
लखनऊ नगर में हर चौराहों के पास गली में
पुरुष क्या मजबूरी में पेशाब करते नजर आते?
स्वस्थ भारत को कैसा आइना दिखाते?
हर चैराहे पर शौंचालय-मूत्रालय कूड़ेदान नहीं।
चलते-फिरते पैदल यात्री सब शर्माते हैं,
हम सार्वजानिक शौंचालय कम बनाते हैं।
चुनाव रैलियों में करोड़ों फूँक रहे,
जन-धन को नेता क्यों व्यर्थ बहाते हैं?
विश्व गुरु होने का हम दम्भ हैं भरते,
पर्यावरण का ध्यान नहीं रख पाते हैं?
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