उनका विवेक तो मरता ही है, आँखों का पानी मर जाता है।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
वह समय था आदर्शों का
अर्थों का और विमर्शों का।
मनुज विवेक और सेवा का,
भाव समझ नहीं पाता है।
अभी शपथ नहीं ली मंत्री ने
न्यायालय से पहले न्याय किया?
यदि आरोपी अल्पसंखयक हो
पहले बुलडोज़र चल जाता है।
संसद में प्रधान मंत्री मौजूद नहीं,
गृहमंत्री सरकारी जश्न मनाते हैं।
संसद में सुरक्षा समिति गठित नहीं,
बेरोज़गार सुरक्षा भेद घुस आते हैं।
जब विपक्ष आवाज़ उठाता हैं
संसद में चर्चा ना करवाता है।
आवाज उठाने वाले निष्काशित
जहाँ सभापति बहुत गुर्राता है।
आधी-अधूरी संसद में असुरक्षा
गृह/प्रधान मन्त्री जश्न मनाता है।
इस अवधि में समिति बनी नहीं,
अब फिर चुनाव आने वाला है।
धर्मांधों की सरकार जहाँ
वह तानाशाह बन जाता है।
उनका विवेक पहले मरता,
आँखों का पानी मर जाता है।
अतिधनियों का चन्दा खाते हैं,
उसमें अहंकार भर जाता है।
मीडिया अतिधनियों का ग़ुलाम,
घमंडी सत्ता के गुण गाता है।
पुरूषवादी सोच सत्ता में आकर,
महिलाओं पर वार कर जाता है।
महिलाओं को निष्काशित कर
वह कायर पौरुष कहलाता हैं?
आज अपराधी भरे सदन में
छिपकर वार, कायर कहलाता है।
साक्षी मलिक अपमानित होती
दोषी सांसद भरी संसद में हँसता है।
महुआ मोइत्रा महिला आन्दोलन,
पूरे देश में यदि बन जायेगा।
महिला का वस्त्र हरण करने
कोई संसद में कभी ना आयेगा।
काली अपराधी रातों का
अन्त कभी तो आयेगा?
दुःख के बादल छट जायेंगे,
सुख भोर कभी तो आयेगा।
जो आज पदों पर बैठे हैं ,
कल और वहाँ पर आयेगा।
सत्ता पाकर इतराओ ना,
इतिहास नहीं दोहरायेगा।
ओस्लो, 13.12.23
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