नार्वे में पहला हिन्दी स्कूल का शुभारम्भ संगीता शुक्ला सीमोनसेन के नेतृत्व में गया जिसका शुभारम्भ प्रो निर्मला एस मौर्य (उच्च शिक्षा और शोध संसथान, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई ) ने रीबन काट कर दिनांक २३ अगस्त २००९ को ओस्लो में स्थित वाइतवेत कल्चरल हाउस में किया। हर शनिवार को दिन में एक बजे से चार बजे तक(१३:०० से १६:०० बजे तक) हिन्दी स्कूल खुला करेगा। आयु में साढ़े चार वर्ष की आयु से लेकर बच्चों से लेकर किसी भी आयु के व्यक्ति को हिन्दी सीखने की सुविधा होगी। बच्चों और युवाओं के माता - पिता अथवा अविभावक को साथ आना होगा। जब ओस्लो विश्वविश्विद्द्यालय में हिन्दी की कक्षाओं को नहीं चलाया जा रहा है उस स्थिति में स्वतंत्र स्कूल का खुलना अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है जो विदेशों में हिन्दी के विकास और प्रचार -प्रसार का प्रतीक है। प्रो निर्मला एस मौर्य , सतीश कुमार मौर्य, सुरेशचंद्र शुक्ला 'शरद आलोक' संगीता शुक्ला सीमोन्सेन , जनिंदर पराशर, अलका भरत, डॉ सुरिंदर कुमार सेठी, प्रगट सिंह, सुभाषचंद्र विद्द्यार्थी, वेंके आदि ने शुभकामनाएं दी और बच्चों ने अपने नाम हिन्दी में बताये। संगीता ने बताया की उन्हें स्कूल खोलने की प्रेरणा अपने पिता सुरेशचंद्र शुक्ला शरद आलोक से मिली है जो शुभारम्भ के समय उपस्थित थे। हिन्दी में बच्चों अपनी कवितायें सुनाईं प्रो निर्मला जी ने और शरद आलोक ने। इस अवसर पर स्थानीय मेयर थूरस्ताइन विन्गेर और भारतीय दूतावास से सचिव शीला कुमार जी ने फोन पर बधाई दी। स्कूल सेकुलर और किसी भी धरम अथवा देशवासियों के लिए खुला है जो सहयोग भावना पर आधारित है।
1 टिप्पणी:
एक अच्छी, अनुकरणीय एवं स्वागतयोग्य पहल!
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