नार्वे में लेखक गोष्ठी में लेखक सम्मानित - माया भारती
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में आयोजित लेखक गोष्ठी में लेखकों को सम्मानित किया गया। लेखकों को सम्मानित करते हुए नार्वे में हिंदी के साहित्यकार और गत 24 वर्षों से नार्वे से प्रकाशित एकमात्र द्वैमासिक, सांस्कृतिक-साहित्यिक पत्रिका स्पाइल-दर्पण के सम्पादक सुरेशचंद्र शुक्ल ने नार्वे में एक वर्ष पहले आतंकी हमले में मारे जानेवाले बेक़सूर लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज हिंसा और शक्ति के दुरूपयोग से बदलाव नहीं आएगा वरन प्रजातंत्र और मानवाधिकारों की बहाली से ही बदलाव आएगा। उन्होंने नार्वे के प्रधानमत्री के उस बयान को दोहराते हुए कहा ' रोमा लोगों को एक समूह के रूप में किसी भी तरह विरोध और घृणा नहीं की जानी चाहिए। एक वर्ष पूर्व आतंकी हमले के बाद हमने प्रेम और सहयोग से एक दूसरे के साथ सम्मान पूर्वक रहने की बात दोहराई थी. तब ओस्लो में दो लाख लोगों ने घृणा के खिलाफ प्रेम को प्रमुखता देते हुए गुलाब मार्च किया था। अभी हाल में नार्वे में में रोमानिया से लगभग दो हजार रोमा लोग आर्थिक तंगी से ऊब कर नार्वे हुए हैं, इनमें से सैकड़ों लोगों भीख मांगकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। रोमा लोगों ने अनेक जगह अपने शिविर-तम्बू तान रखे हैं जहाँ उनके पीने के पानी और शौचालय की समस्या आती है। पास - पड़ोस के नार्वेजीय लोग इससे परेशान हैं. 6000 लोगों के ओस्लो में एक सर्वेक्षण के अनुसार 74 प्रतिशत लोग भीक मांगने के खिलाफ प्रतिबन्ध के पक्ष में हैं। स्थानीय लोगों के खिलाफत के बाद नार्वे के प्रधानमंत्री ने रोमा लोगों का बचाव करते हुए उनसे सम्मान पूर्वक व्यवहार करने और विरोध और घृणा को समाप्त करने की बात कही। क्योंकि नार्वे (यहाँ) के मीडिया के अनुसार सोशल मीडिया में बहुत से लोगों ने नार्वे में हाल ही आये रोमा लोगों के खिलाफ अपने सख्त विचार व्यक्त किये थे। ओस्लो की स्थानीय सरकार ने प्रतिबन्ध का प्रस्ताव भी पास किया है पर राष्ट्रीय पार्लियामेंट ने कोई प्रतिबन्ध का क़ानून नहें बनाया है न ही प्रतिबन्ध लगाने को जरूरी समझा है। ओस्लो के स्थानीय पार्लियेमेंट के पूर्व सदस्य और बिएरके बीदेल में लेबर पार्टी के चुनाव समिति के सदस्य सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने आगे कहा कि भीख मांगने पर प्रतिबन्ध लगाना समस्या का समाधान नहीं है। हर एक को अपनेलिए सहायता मांगने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा महात्मा गांधी ने हमेशा प्रेम, शांति और अहिंसा को सर्वोपरि रख कर विश्व में शांति स्थापना का कार्य किया जिसका नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग, दलाई लामा आदि ने अनुसरण किया।
सम्मानित होने वाले लेखकों और सांस्कृतिक कर्मियों जिनको पदक देकर सम्मानित किया गया उनके नाम हैं राजकुमार, राय भट्टी, इन्दर खोसला, सुरागुल घैयरात, सिग्रीद मारिये रेफ्सुम, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन और चरण सिंह सांगा थे। कार्यक्रम के अंत में कविगोष्टी संपन हुई.
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