माननीय मंत्री स्मृति ईरानी बहुत योग्य और अनुभवी
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ऊपर चित्र में स्मृति ईरानी मंत्री पद की शपथ लेते हुए
और नीचे चित्र में सभी निर्वाचित महिला मंत्रीगण
हमारी पन्द्रवीं लोकसभा में अनेक महिला-सांसदों को मंत्री बनाया गया है यह बहुत गर्व की बात है. पता चला है कि कुछ लोग महिला मंत्रियों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं और जो एक तरह से प्रजातंत्र का मजाक उड़ाना है. जिसे जनता ने चुना है वह सर्वमान्य ही नहीं आदरणीय भी है. हमारे देश में महिलाओं को पहले ही कम समझने और कम आंकने की बीमारी है.
जैसी जनता होगी, वैसे ही प्रजा होगी और वैसी ही सरकार। सरकार और चुने हुए प्रतिनिधि हमारे देश का आइना हैं. यदि हमें जो भी सुधार लाना है या बदलाव आना है वह सब अपने आपसे और अपने परिवार से शुरू होता है.
इस नयी सरकार से बदलाव आना तो शुरू हो गया है. अब जनता का सहयोग और उसका योगदान उसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. जैसे पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखना, भ्रष्टाचार को समाप्त करना और सभी के लिए सामान शिक्षा की सुविधा होना। इन सभी मुद्दों पर सभी को साथ देना होगा।
पहले हमारी श्रद्देय महिला मंत्रियों को आदर दीजिये और फिर अपने-अपने घरों में विचार कर महिलाओं को वही शिक्षा दिलाइए जो आप अपने घरों में लड़कों को शिक्षा देते हैं.
दुःख की बात है कि भारत देश में अभी भी बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, देखिये आपके पड़ोस में तो ऐसा नहीं है, क्या आप उनकी मदद कर सकते हैं? सरकारी स्कूलों से भ्रष्टाचार मिटा सकते हैं? सरकारी और गावं के स्कूलों को उन्हें सुन्दर और शिक्षा के योग्य बनाने में आप अपना क्या योगदान दे सकते हैं? क्या गावं की सड़क या स्कूल जाने तक का मार्ग टूटा-फूटा है क्या आप आपसी सहयोग और श्रमदान के जरिये उसे बेहतर बना सकते हैं? यदि हाँ तो हमारा देश और भी सुन्दर, साफ़ सुथरा होगा जहाँ धीरे-धीरे सभी शिक्षित हो जाएंगे!
यह मत सोचें की देश ने आपको क्या दिया है? यह सोचें की आपने देश को क्या दिया है और क्या दे सकते हैं?
स्मृति ईरानी
महज 38 साल की स्मृति ईरानी मोदी की कैबिनेट में शामिल 45 मंत्रियों में सबसे
कम उम्र की हैं। 16वीं लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को जोरदार टक्कर दी। इसी का नतीजा था कि पार्टी
ने चुनाव हारने के बाद भी ईरानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। स्मृति के लिए
मोदी ने अमेठी में राहुल के खिलाफ रैली भी की। यहां मोदी ने मंच से स्मृति ईरानी को
अपना बहन बताया। स्मृति का सियासी सफर 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद शुरू
हुआ था।
2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक से कांग्रेस
नेता कपिल सिब्बल से करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद स्मृति ने 2009 में
चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन प्रखर वक्ता होने के कारण वह टीवी पर पार्टी का प्रमुख
चेहरा बनने में कामयाब रहीं। स्मृति ईरानी 2011 में गुजरात से राज्यसभा सांसद बनीं।
लेकिन राजनीति में बेहद कम तजुर्बा रखने वाली स्मृति का सियासी सफर चमत्कारिक साबित
हुआ। कैबिनेट मंत्री के स्तर तक पहुंचने में आम तौर पर नेताओं को राजनीति में दशकों
खपाने पड़ते हैं। लेकिन स्मृति ईरानी को 10-11 वर्षों में ही मोदी सरकार में
कैबिनेट मंत्री का पद मिल गया।
मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी
गई है। लेकिन स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी कुछ लोग सवाल खड़े कर
रहे हैं। मोदी समर्थक नारीवादी चिंतक मधु किश्वर ने स्मृति के 12 वीं पास होने पर
सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एचआरडी मंत्री के रूप में देश को इससे बेहतर नेता
मिलना चाहिए था।
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