संसद से सड़क तक
शरद आलोक
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है
आम आदमी रोज मर कर
जिला रहा है सपना
देश में उसका होकर भी
क्यों नहीं उसका अपना।
यह चुनाव देश का भी है
अब चुनाव जनता का है
भूखे मरती जनता में भी
शक्ति क्षमता का है
पहचाना किसी ने उसे
झुठलाया किसी ने उसे.
किसी ने न जगाया जब
वह देश को जगाता है.
हटो रास्ता दो हमें
आ रहा मत दाता है
हटाए विवादों को सब
खोल रहा अपना खाता है.
उठो सड़क पर सोये
उठो भूखे किसानों तुम.
अब न बिकेंगे हम
अब न रुकेंगे हम
खेत में हमारे वह अनाज को उगाता है
अब खलियानों में अनाज न सड़ेगा यहां
आम आदमी आता है
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है..
शरद आलोक
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है
आम आदमी रोज मर कर
जिला रहा है सपना
देश में उसका होकर भी
क्यों नहीं उसका अपना।
यह चुनाव देश का भी है
अब चुनाव जनता का है
भूखे मरती जनता में भी
शक्ति क्षमता का है
पहचाना किसी ने उसे
झुठलाया किसी ने उसे.
किसी ने न जगाया जब
वह देश को जगाता है.
हटो रास्ता दो हमें
आ रहा मत दाता है
हटाए विवादों को सब
खोल रहा अपना खाता है.
उठो सड़क पर सोये
उठो भूखे किसानों तुम.
अब न बिकेंगे हम
अब न रुकेंगे हम
खेत में हमारे वह अनाज को उगाता है
अब खलियानों में अनाज न सड़ेगा यहां
आम आदमी आता है
संसद से सड़क तक वह मतदाता है
जनता ही उसका भाग्यविधाता है..
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