ओस्लो, ०१.०७. १६ डायरी
कलाकार फारुख शेख एक बहुत अच्छे इंसान थे - सुरेशचन्द्र शुक्ल
Suresh Chandra Shukla
क्लब ६० फिल्म फारुख शेख और सारिका की फिल्म है जिसमें रघुबीर यादव का अभिनव जानदार है.
यह एक अच्छी फिल्म है जो फिल्म में कुछ बुजुर्ग परिवारों के हालत का अच्छा वर्णन करती है.
यह फिल्म ६ दिसंबर २०१३ को परदे पर आयी -रिलीज हुई. फिल्म रिलीज होने के २१ दिन बाद २७ दिसंबर को फारुख शेख जी का निधन सऊदी अरब में हो गया था. मुझे फारुख शेख के निधन से बहुत दुःख हुआ.
वह एक अच्छे इंसान थे. मेरी उनसे दो मुलाकातें हुई थीं. जिन्हें मैं नहीं भूल सकता हूँ.
फारुख शेख स्वयं तो एक बहुत अच्छे कलाकार थे. वह जानी-मानी अभिनेत्री शबाना आजमी के साथ ओस्लो आये थे. तब उन्होंने ओस्लो में अमृता प्रीतम द्वारा रचित 'मेरी अमृता' पर शबाना आजमी जी के साथ मोनो प्ले किया था. दोनों ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया था और शबाना जी ने सभी को अपने अभिनय से रुला दिया था.
मेरी फारुख शेख जी से ३५ मिनट की मुलाक़ात हुई थी.
उसके बाद मेरी मुलाक़ात लखनऊ के ताज होटल में हुई थी तब वह होटल में प्रवेश कर रहे थे और मैं होटल से बाहर निकल रहा था . फिर मैंने आवेदन किया कुछ बातचीत करने के लिए और वह राजी हो गए थे. विचार-विमर्श किया था. उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर सहयोग का आश्वासन भी दिया था. असल में फिल्म के सम्बन्ध में कुछ जानना और सहयोग चाहता था इस पर कभी और चर्चा करेंगे।
जावेद अख्तर और शबाना आजमी के दुनिया में बहुत प्रशंसक हैं. मैं तो उनके परिवार में सभी संस्कृतिकर्मियों का प्रशंसक हूँ.
सबसे पहले कैफी आज़मी जी का जिनसे मेरी मुलाक़ात डायकमामान्सके पुस्तकालय के बाहर हुई थी. वह यहाँ एक मुशायरा में भाग लेने आये थे.
इसके बहुत पहले जब मैं लखनऊ में पढता था. उनके दर्शन २ अक्टूबर १९७२ में को लखनऊ में यूनियन कार्बाइड के तालकटोरा स्थित बड़े मैदान में मंच पर हुये थे जहाँ मैंने भी अपनी कविता महात्मा गांधी जी पर पढ़ी थी 'हे बापू तुम धन्य हो'. कैफी आजमी जी उसमें ख़ास मेहमान थे.
मुंबई में श्रीमती पुष्पा भारती जी द्वारा आयोजित धर्मवीर भारती जी पर केंद्रित कार्यक्रम में जावेद अख्तर और बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश प्यूरी से बात हुई थी जिन्होंने मंच पर धर्मवीर भारती जी की पुस्तक का पाठ करते हुए अभिनय किया था और मुझे डा गिरिजाशंकर त्रिवेदी जी की कृपा से साथ-साथ पुस्तक का विमोचन करने का अवसर मिला था. तब शबाना जी राजयसभा सदस्य थीं पर फिर भी जमीन में बैठी थीं.
यह परिवार संस्कृति और साहित्य में एक बहुत बड़ा स्थान रखता है जो सभी के लिए एक उदाहरण है.
जावेद अख्तर दोनों ही एक मिलनसार व्यक्ति हैं और फारुख शेख कभी न भूलने वाले व्यक्तित्व थे.
कलाकार फारुख शेख एक बहुत अच्छे इंसान थे - सुरेशचन्द्र शुक्ल
Suresh Chandra Shukla
क्लब ६० फिल्म फारुख शेख और सारिका की फिल्म है जिसमें रघुबीर यादव का अभिनव जानदार है.
यह एक अच्छी फिल्म है जो फिल्म में कुछ बुजुर्ग परिवारों के हालत का अच्छा वर्णन करती है.
यह फिल्म ६ दिसंबर २०१३ को परदे पर आयी -रिलीज हुई. फिल्म रिलीज होने के २१ दिन बाद २७ दिसंबर को फारुख शेख जी का निधन सऊदी अरब में हो गया था. मुझे फारुख शेख के निधन से बहुत दुःख हुआ.
वह एक अच्छे इंसान थे. मेरी उनसे दो मुलाकातें हुई थीं. जिन्हें मैं नहीं भूल सकता हूँ.
फारुख शेख स्वयं तो एक बहुत अच्छे कलाकार थे. वह जानी-मानी अभिनेत्री शबाना आजमी के साथ ओस्लो आये थे. तब उन्होंने ओस्लो में अमृता प्रीतम द्वारा रचित 'मेरी अमृता' पर शबाना आजमी जी के साथ मोनो प्ले किया था. दोनों ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया था और शबाना जी ने सभी को अपने अभिनय से रुला दिया था.
मेरी फारुख शेख जी से ३५ मिनट की मुलाक़ात हुई थी.
उसके बाद मेरी मुलाक़ात लखनऊ के ताज होटल में हुई थी तब वह होटल में प्रवेश कर रहे थे और मैं होटल से बाहर निकल रहा था . फिर मैंने आवेदन किया कुछ बातचीत करने के लिए और वह राजी हो गए थे. विचार-विमर्श किया था. उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर सहयोग का आश्वासन भी दिया था. असल में फिल्म के सम्बन्ध में कुछ जानना और सहयोग चाहता था इस पर कभी और चर्चा करेंगे।
जावेद अख्तर और शबाना आजमी के दुनिया में बहुत प्रशंसक हैं. मैं तो उनके परिवार में सभी संस्कृतिकर्मियों का प्रशंसक हूँ.
सबसे पहले कैफी आज़मी जी का जिनसे मेरी मुलाक़ात डायकमामान्सके पुस्तकालय के बाहर हुई थी. वह यहाँ एक मुशायरा में भाग लेने आये थे.
इसके बहुत पहले जब मैं लखनऊ में पढता था. उनके दर्शन २ अक्टूबर १९७२ में को लखनऊ में यूनियन कार्बाइड के तालकटोरा स्थित बड़े मैदान में मंच पर हुये थे जहाँ मैंने भी अपनी कविता महात्मा गांधी जी पर पढ़ी थी 'हे बापू तुम धन्य हो'. कैफी आजमी जी उसमें ख़ास मेहमान थे.
मुंबई में श्रीमती पुष्पा भारती जी द्वारा आयोजित धर्मवीर भारती जी पर केंद्रित कार्यक्रम में जावेद अख्तर और बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश प्यूरी से बात हुई थी जिन्होंने मंच पर धर्मवीर भारती जी की पुस्तक का पाठ करते हुए अभिनय किया था और मुझे डा गिरिजाशंकर त्रिवेदी जी की कृपा से साथ-साथ पुस्तक का विमोचन करने का अवसर मिला था. तब शबाना जी राजयसभा सदस्य थीं पर फिर भी जमीन में बैठी थीं.
यह परिवार संस्कृति और साहित्य में एक बहुत बड़ा स्थान रखता है जो सभी के लिए एक उदाहरण है.
जावेद अख्तर दोनों ही एक मिलनसार व्यक्ति हैं और फारुख शेख कभी न भूलने वाले व्यक्तित्व थे.
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